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समय से पहले चेतो
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यह अनित्यता भव्य भावना जो प्रतिदिन भाते हैं । दुःख-शोक से मुक्त भव्य वे शाश्वत सुख पाते हैं ।
तो शाश्वत सुख प.ने का यही सर्वोत्तम नुस्खा है कि संसार की अनित्यता का ध्यान रखते हुए मोक्षाभिलाषी प्राणी मोह-ममता का त्याग करके हृदय में ममता को धारण करे तथा अपने हृदय-पटल से रागद्वेष की कालिमा को मिटाकर उसे स्वच्छ बनाए तथा धर्माराधन में जुट जाए।
जो भव्य प्राणी ऐसा करेंगे, वे निश्चय ही शाश्वत सुख की प्राप्ति करेंगे तथा सदा के लिये जन्म-मरण के कष्टों से मुक्त हो जाएँगे। वृद्धावस्था तो क्या जीवन के अन्तिम समय में भी अगर उनका समाधि भाव रहेगा तथा वे पण्डित मरण को प्राप्त करेंगे तो उन्हें पुनः इस लोक में आना नहीं पड़ेगा।
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