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३४० आनन्द प्रवचन : तृतीय भाग
रावण की पत्नी मंदोदरी थी और यहाँ मिथ्यामोहनीय रावण की पत्नी परपंच या माया कहलाती है। अब प्रश्न है-रावण के लड़के कौन ? रावण को बड़ा घमण्ड था कि मेरा बड़ा पुत्र इन्द्रजीत है जिसने इन्द्र को भी जीत लिया था तथा दूसरा पुत्र मेघवाहन है जो मेघ के समान शत्रु-समूह में गर्जना करने वाला है।
यहाँ भी मिथ्यामोहनीय रूपी रावण के दो पुत्र बताए गए हैं- पहला विषय और दूसरा अहंकार । इन्द्रजीत के समान विषय भी अत्यन्त शक्तिशाली हैं । इन्हें जीतना भी बड़ा कठिन है। कहा भी है
मिक्षाशनं तदपि नीरसमेकवारं शय्या च भूः परिजनो निजदेहमात्रम् ।। वस्त्रं च जीर्ण-शतखण्डमलीन कन्या। हा हा तथाऽपि विषया न परित्यजन्ति ।
-भर्तृहरि ऐसा व्यक्ति जो कि भीख मांग-मांगकर एक ही वक्त नीरस और अलोना खाता है, जिसे ओढ़ने-बिछाने के लिए भी वस्त्र न होने और पलंग तकिया न होने के कारण धरती पर सोना पड़ता है, जिसका कोई भी सगा सम्बन्धी नहीं होता केवल उसकी देह के अलावा, जिसके वस्त्र जीर्ण-शीर्ण बने रहते हैं तथा ओढ़नेवाली कथड़ी में सैकड़ों चीथड़े लटकते हैं । खेद है कि ऐसे लोग भी विषयों को नहीं त्यागते फिर वैभवशाली और धनिक व्यक्तियों का तो कहना ही क्या है ? वे विषयों को कैसे जीत सकते हैं।
इसलिए विषयों को मिथ्यमोह रूपी रावण के शक्तिशाली पुत्र इन्द्रजीत को उपमा दी है। इस मिथ्या मोह का दूसरा पुत्र अहंकार बताया है । रावण का दूसरा पुत्र मेघवाहन जिस प्रकार गर्व के कारण गर्जना करता था इसी प्रकार अहंकार के नशे में चूर व्यक्ति दुनिया के किसी प्राणी की परवाह नहीं करता । वह भूल जाता है कि मेरे गर्व का परिणाम क्या होगा ? केवल यही कि उसका पतन होना अनिवार्य हो जाएगा।
इसीलिए कबीर ने कहा है
धन अरु यौवन को गरब कबहूं करिये नांहि । देखत ही मिट जात है, ज्यों बादर की छांहि ।
अर्थात्--धन अथवा यौवन किसी का भी मनुष्य को गर्व नहीं करना
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