Book Title: Anand Pravachan Part 03
Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 363
________________ ३४६ विजयादशमी को धर्ममय बनाओ ! दान शियल तप भाव को सेना लेके गये लंका ठामें ॥ मिथ्या रावण सुनी बात ए कि वो आपको हूशियारी । धर्म दशहरा ॥७॥ जब नकली सुग्रीव को समाप्त कर दिया तो असली सुग्रीव सन्सुष्ट हो गया । सन्तोष रूपी सुग्रीव जब रामचन्द्रजी के पक्ष में हो गया तो उसके साथ और भी बहुत से राजा उनके साथ हो गये । महाव्रत रूपी जम्बुवाहन नील, नल तथा सुमन हनुमान राम के पक्ष में हो जाने पर सीता की खोज और उसे वापिस लाने की आशा बँध गई । हनुमान ने लंका में जाकर सीता को राम का सन्देश दिया और लौटकर राम को सीता की दशा के विषय में बताया । अब केवल एक लक्ष्य ही सामने था - रावण के चंगुल से सीको छुड़ाना | किन्तु मिथ्यामोह रूपी रावण को परास्त करना सरल बात नहीं थी उनके लिए भो तो सैन्य बल चाहिए था । पर उनके पास सेना कौन-सी थी ? केवल दान, शील, तर और भाव की चतुरंगिणी सेना लेकर वे लका पहुँचे । जब रावण को इस बात का पता चला तो उसने भी भारी सैन्य तैयार कर लिया । पर उसकी सेना कौन-सी थी चार कषाय राक्षस दल भारी, कुध्यान ध्वजा के फर्रावे । अपकीति का बजे नगारा, विकथा का कड़वा गावे || कुशील रथ में बैठा हुशियारी, सात व्यसन शस्त्रा धारे । राग-द्वेष उराव जोरावर, सहेज सुभट से नहिं हारे । नय-नेजा सझाय घोष दे राम आय चढ़ तिणपारी । धर्म दशहरा ॥८॥ रावण की सेना के विषय में बताया है— क्रोध, मान, माया तथा लोभ आदि चार कषाय रूपी राक्षसों की उसकी सेना है तथा सेना के आगे कुध्यान अर्थात् आध्यान रौद्रध्यान रूपी ध्वजा फहराती है । रणांगण में लोग कड़खे गाते हैं तथा नगारे बजाते हैं । रावण की सेना में भी विकथा ( स्त्रीकथा, भक्तकथा, देशकथा, राजकथा) रूपी कड़वे गाये जाने लगे और अपकीर्ति के नगारे बज उठे । रावण कुशील रूपी रथ में बड़ी हुशियारी से बैठा है और सात व्यसन रूपी शस्त्रों से लैस हो गया है । राग और द्व ेष उसके तथा इन सब के बल पर वह राम से लोहा लेने के लिए जोरावर उमराव हैं तैयार हो गया है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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