Book Title: Agam 03 Sthanang Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 21
________________ आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान' स्थान/उद्देश/सूत्रांक स्वयंप्रभ, ६७. दो अवभाष, ६८. दो श्रेयंकर, ६९. दो क्षेमंकर, ७०. दो आभंकर, ७१. दो प्रभंकर, ७२. दो अपराजित, ७३. दो अरत, ७४. दो अशोक, ७५. दो विगतशोक, ७६. दो विमल, ७७. दो व्यक्त, ७८. दो वितथ्य, ७९. दो विशाल, ८०. दो शाल, ८१. दो सुव्रत, ८२. दो अनिवर्त, ८३. दो एकजटी, ८४. दो द्विजटी, ८५. दो करकरिक, ८६. दो राजार्गल, ८७. दो पुष्पकेतु और ८८. दो भावकेतु । सूत्र-९५ जम्बूद्वीप की वेदिका दो कोस ऊंची है । लवण समुद्र चक्रवाल विष्कम्भ से दो लाख योजन का है । लवण समुद्र की वेदिका दो कोस की ऊंची है। सूत्र-९६ पूर्वार्ध धातकीखंडवर्ती मेरु पर्वत के उत्तर और दक्षिण में दो क्षेत्र कहे गए हैं जो अति समान हैं यावत् उनके नाम-भरत और ऐरवत । पहले जम्बूद्वीप के अधिकार में कहा वैसे यहाँ भी कहना चाहिए यावत्-दो क्षेत्र में मनुष्य छ: प्रकार के काल का अनुभव करते हुए रहते हैं, उनके नाम-भरत और ऐरवत । विशेषता यह है कि वहाँ कूटशाल्मली और धातकी वृक्ष हैं । देवता गरुड़ (वेणुदेव) और सुदर्शन। धातकीखंड के पश्चिमार्ध में और मेरु पर्वत के उत्तर-दक्षिण में दो क्षेत्र कहे गए हैं जो परस्पर अति तुल्य हैं यावत् उनके नाम-भरत और ऐरवत् यावत्-दो क्षेत्रों में मनुष्य छ: प्रकार के काल का अनुभव करते हुए रहते हैं, यथाभरत और ऐरवत । विशेषता यह है कि यहाँ कूटशाल्मली और महाधातकी वृक्ष हैं और देव गरुड़ वेणुदेव तथा प्रियदर्शन हैं। धातकी खण्ड द्वीप की वेदिका दो कोस की ऊंचाई वाली कही गई है। धातकीखंड द्वीप में क्षेत्र-१. दो भरत, २. दो ऐरवत, ३. दो हिमवंत, ४. दो हिरण्यवंत, ५. दो हरिवर्ष, ६. दो रम्यक्वर्ष, ७. दो पूर्व विदेह, ८. दो अपर विदेह, ९. दो देव कुरु । १०. दो देवकुरु महावृक्ष, ११. दो देवकुरु महावृक्षावासी देव, १२. दो उत्तरकुरु, १३. दो उत्तरकुरु महावृक्ष, १४. दो उत्तरकुरु महावृक्षवासी देव, १५. दो लघु हिमवंत, १६. दो महा हिमवंत, १७. दो निषध, १८. दो नीलवंत, १९. दो रुक्मी, २०. दो शिखरी, २१. दो शब्दापाती, २२. दो शब्दापाती वासी स्वातिदेव, २३. दो विकटापाती। २४. दो विकटापाती वासी, २५. दो गंधापाती, २६. दो गंधापाती वासी, २७. दो माल्यवान पर्वत, २८. दो माल्यवान वासी पद्मदेव, २९. दो माल्यवान, ३०. दो चित्रकूट स्कार पर्वत । ३१. दो पद्मकूट, ३२. दो नलिनीकूट, ३३. दो एकशैल, ३४. दो त्रिकूट, ३५. दो वैश्रमण कूट, ३६. दो अंजन कूट, ३७. दो मातंजनकूट, ३८. दो सौमनस, ३९. दो विद्युत्प्रभ, ४०. दो अंकापाती कूट, ४१. दो पक्ष्मापाती कूट, ४२. दो आशीविष कूट, ४३. दो सुखावह कूट, ४४. दो चंद्र पर्वत, ४५. दो सूर्य पर्वत, ४६. दो नाग पर्वत, ४७. दो देव पर्वत, ४८. दो गंधमादन, ४९. दो इषुकार पर्वत । ५०. दो लघु हिमवान कूट, ५१. दो वैश्रमणकूट, ५२. दो महाहिमवान कूट, ५३. दो वैडूर्य कूट, ५४. दो निषध कूट, ५५. दो रुचक कूट, ५६. दो नीलवंत कूट, ५७. दो उपदर्शन कूट, ५८. दो रुक्मी कूट, ५९. दो मणिकंचन कूट, ६०. दो शिखरी कूट, ६१. दो तिगिच्छ कूट, ६२. दो पद्मह्रद, ६३. दो पद्म ह्रदवासी श्रीदेवी, ६४. दो महापद्म ह्रद, ६५. दो महापद्म ह्रदवासी ह्रीदेवी, ६६. दो पौंडरीक ह्रद, ६७. दो पौंडरीक ह्रदवासी लक्ष्मीदेवी, ६८. दो महा पौंडरीक ह्रद, ६९. दो महा पौंडरीक ह्रदवासी, ७०. दो तिगिच्छ ह्रद, ७१. दो तिगिच्छ ह्रदवासी, ७२. दो केसरी ह्रद, ७३. दो केसरी ह्रदवासी। ७४. दो गंगा प्रपात ह्रद, ७५. दो सिंधु प्रपात ह्रद, ७६. दो रोहिता प्रपात ह्रद, ७७. दो रोहितांश प्रपात ह्रद, ७८. दो हरि प्रपात ह्रद, ७९. दो हरिकांता प्रपात ह्रद, ८०. दो शीता प्रपात ह्रद, ८१. दो शीतोदा प्रपात ह्रद, ८२. दो नरकांता प्रपात ह्रद, ८३. दो नारीकांता प्रपात ह्रद, ८४. दो सुवर्ण कूला प्रपात ह्रद, ८५. दो रूप्यकूला प्रपात ह्रद, ८६. दो रक्ता प्रपात ह्रद, ८७. दो रक्तावती प्रपात ह्रद । ८८. दो रोहिता महानदी, ८९. दो हरिकांता, ९०. दो हरिसलिला, ९१. दो शीतोदा, ९२. दो शीता, ९३. दो नारीकांता, ९४. दो नरकांता, ९५. दो रूप्यकूला, ९६. दो गाथावती, ९७. दो द्रहवती, ९८. दो पंकवती, ९९. दो तप्त मुनि दीपरत्नसागर कृत् - (स्थान) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 21

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