Book Title: Agam 03 Sthanang Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 72
________________ आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान' स्थान/उद्देश/सूत्रांक सत्कार्यों में भी आनन्द मानने वाला है। ___ पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष दरिद्री है और दुर्गति में जाने वाला है । एक पुरुष दरिद्री है और सुगति में जाने वाला है । एक पुरुष धनवान है और दुर्गति में जाने वाला है । एक पुरुष धनवान है और सुगति में जाने वाला है। पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष दरिद्री है और दुर्गति में गया है। एक पुरुष दरिद्र है और सुगति में गया है । एक पुरुष धनवान है और दुर्गति में गया है । एक पुरुष धनवान है और सुगति में गया है। पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । एक पुरुष पहले अज्ञानी है और पीछे भी अज्ञानी है । एक पुरुष पहले अज्ञानी है पीछे ज्ञानवान हो जाता है । एक पुरुष पहले ज्ञानी है बाद में अज्ञानी बन जाता है। एक पुरुष पहले भी ज्ञानी है और पीछे भी ज्ञानी है। पुरुष वर्ग चार प्रकार का है। यथा-एक पुरुष मलिन स्वभाव वाला है और उसके पास अज्ञान का बल है। एक पुरुष मलिन स्वभाव वाला है और उसके पास ज्ञान का बल है । एक पुरुष निर्मल स्वभाव वाला है किन्तु उसके पास अज्ञान का बल है । एक पुरुष निर्मल स्वभाव वाला है और उसके पास ज्ञान का बल है। पुरुष वर्ग चार प्रकार का है। यथा-एक पुरुष मलिन स्वभाव वाला है और अज्ञान बल में आनन्द मानने वाला है । एक पुरुष मलिन स्वभाव वाला है किन्तु ज्ञान बल में आनन्द मानने वाला है । एक पुरुष निर्मल स्वभाव वाला है किन्तु अज्ञान बल में आनन्द मानने वाला है । एक पुरुष निर्मल स्वभाव वाला है और ज्ञान बल में आनन्द मानता है। पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष ने कृषि आदि सावध कर्मों का तो परित्याग कर दिया है किन्तु सदोष आहार आदि का परित्याग नहीं किया है । एक पुरुष ने सदोष आहार आदि का तो परित्याग कर दिया है किन्तु कृषि आदि सावद्यकर्मों का परित्याग नहीं किया है । एक पुरुष ने कृषि आदि सावध कर्मों का भी परि-त्याग कर दिया है और सदोष आहार आदि का भी परित्याग कर दिया है। एक पुरुष ने कृषि आदि सावध कर्मों का भी परित्याग नहीं किया है और सदोष आहार आदि का भी परित्याग नहीं किया है। पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष ने कृषि आदि कर्मों का परित्याग कर दिया है, किन्तु गृहवास का परित्याग नहीं किया है। शेष तीन भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहें । एक पुरुष ने सदोष आहार आदि का तो परित्याग कर दिया है किन्तु गहवास का परित्याग नहीं किया है। शेष तीन भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहें। पुरुषवर्ग चार प्रकार का है । एक पुरुष इहभव के सुख की कामना करता है, परभव के सुख की कामना नहीं करता । एक पुरुष परभव के सुख की कामना करता है इहभव के सुख की कामना नहीं करता । एक पुरुष इहभव और परभव दोनों के सुख की कामना करता है । एक पुरुष इहभव और परभव दोनों के सुख की कामना नहीं करता। पुरुष वर्ग चार प्रकार का है । यथा-एक पुरुष एक (श्रुतज्ञान) से बढ़ता है और एक (सम्यग्दर्शन) से हीन होता है । एक पुरुष एक (श्रुतज्ञान) से बढ़ता है और दो (सम्यग्दर्शन और विनय) से हीन होता है । एक पुरुष दो (श्रुतज्ञान और सम्यकचारित्र) से बढ़ता है और सम्यग्दर्शन से हीन होता है । एक पुरुष दो (श्रुतज्ञान और सम्यग-नुष्ठान) से बढ़ता है और दो (सम्यग्दर्शन और विनय) से हीन होता है। अश्व चार प्रकार के हैं । यथा-एक अश्व पहले शीघ्रगति होता है और पीछे भी शीघ्रगति रहता है । एक अश्व पहले शीघ्रगति होता है किन्तु पीछे मन्द गति हो जाता है । एक अश्व पहले मंदगति होता है किन्तु पीछे शीघ्रगति हो जाता है । एक अश्व पहले भी मंदगति होता है और पीछे भी मंदगति रहता है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा-एक पुरुष पहले सद्गुणी है और पीछे भी सद्गुणी है । एक पुरुष पहले सद्गुणी है किन्तु पीछे अवगुणी हो जाता है। एक पुरुष पहले अवगुणी है किन्तु पीछे सद्गुणी हो जाता है । एक पुरुष पहले भी और पीछे भी अवगुणी होता है। अश्व चार प्रकार के हैं । यथा-एक अश्व शीघ्रगति है और संकेतानुसार चलता है । एक अश्व शीघ्रगति है किन्तु संकेतानुसार नहीं चलता है । एक अश्व मंदगति है किन्तु संकेतानुसार चलता है । एक अश्व मंदगति है और मुनि दीपरत्नसागर कृत् - (स्थान) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 72

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