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आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान'
स्थान/उद्देश/सूत्रांक सूत्र-८८६
नौ स्थानों में संचित पुद्गलों को जीवों ने पापकर्म के रूप में चयन किया था, करते हैं और करेंगे । यथापृथ्वीकायिक जीवों द्वारा संचित यावत्-पंचेन्द्रिय जीवों द्वारा संचित । इसी प्रकार चय, उपचय यावत् निर्जरा सम्बन्धी सूत्र कहने चाहिए। सूत्र-८८७
नौ प्रदेशिक स्कन्ध अनन्त कहे गए हैं, नव प्रदेशावगाढ़ पुद्गल अनन्त कहे गए हैं-यावत् नवगुण रूक्ष पुद्गल अनन्त कहे गए हैं।
स्थान-९ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (स्थान)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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