________________
आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान'
स्थान/उद्देश/सूत्रांक सूत्र-३६८
मेघ चार प्रकार के हैं । यथा-एक मेघ गरजता है किन्तु बरसता नहीं है । एक मेघ बरसता है किन्तु गरजता नहीं है । एक मेघ गरजता भी है और बरसता भी है । एक मेघ गरजता भी नहीं है और बरसता भी नहीं है । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष बोलता बहुत है किन्तु देता कुछ भी नहीं है । एक पुरुष देता है किन्तु बोलता कुछ भी नहीं है । एक पुरुष बोलता भी है और देता भी है । एक पुरुष बोलता भी नहीं है और देता भी नहीं है।
मेघ चार प्रकार के हैं । यथा-एक मेघ गरजता है किन्तु उसमें बिजलियाँ नहीं चमकती है । एक मेघ में बिजलियाँ चमकती है किन्तु गरजता नहीं है । एक मेघ गरजता है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती है । एक मेघ गरजता भी नहीं है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती नहीं है । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष प्रतिज्ञा करता है किन्तु अपनी बड़ाई नहीं हाँकता । एक पुरुष अपनी बड़ाई हाँकता है किन्तु प्रतिज्ञा नहीं करता है। एक पुरुष प्रतिज्ञा भी करता है और अपनी बड़ाई भी हाँकता है । एक पुरुष प्रतिज्ञा भी नहीं करता है और अपनी बड़ाई भी नहीं हाँकता है।
मेघ चार प्रकार के हैं । यथा-एक मेघ बरसता है किन्तु उसमें बिजलियाँ नहीं चमकती हैं । एक मेघ में बिजलियाँ हैं किन्तु बरसता नहीं है । एक मेघ बरसता भी है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती हैं। एक मेघ बरसता भी नहीं है और उसमें बिजलियाँ भी चमकती नहीं हैं । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष दानादि सत्कार्य करता है किन्तु अपनी बड़ाई नहीं करता है । एक पुरुष अपनी बड़ाई करता है किन्तु दानादि सत्कार्य नहीं करता है । एक पुरुष दानादि सत्कार्य भी करता है और अपनी बड़ाई भी करता है । एक पुरुष दानादि सत्कार्य भी नहीं करता और अपनी बड़ाई भी नहीं करता है।
मेघ चार प्रकार के हैं । एक मेघ समय पर बरसता है किन्तु असमय नहीं बरसता । एक मेघ असमय बरसता है किन्तु समय पर नहीं बरसता । एक मेघ समय पर भी बरसता है और असमय पर भी बरसता है । एक मेघ समय पर भी नहीं बरसता और असमय भी नहीं बरसता । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । एक पुरुष समय पर दानादि सत्कार्य करता है, किन्तु असमय नहीं करता । एक पुरुष असमय दानादि सत्कार्य करता है किन्तु समय पर नहीं करता । एक पुरुष समय पर भी दानादि सत्कार्य करता है और असमय भी । एक पुरुष समय पर भी दानादि सत्कार्य नहीं करता और असमय भी नहीं करता।
मेघ चार प्रकार के हैं । एक मेघ क्षेत्र में बरसता है किन्तु अक्षेत्र में नहीं बरसता । एक मेघ अक्षेत्र में बरसता है किन्तु क्षेत्र में नहीं बरसता । एक मेघ क्षेत्र में भी बरसता है और अक्षेत्र में भी बरसता है । एक मेघ क्षेत्र में भी नहीं बरसता और अक्षेत्र में भी नहीं बरसता । इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं । यथा-एक पुरुष पात्र को दान देता है किन्तु अपात्र को नहीं । एक पुरुष अपात्र को दान देता है किन्तु पात्र को नहीं । एक पुरुष पात्र को भी दान देता है और अपात्र को भी । एक पुरुष पात्र को भी दान नहीं देता और अपात्र को भी नहीं देता।
मेघ चार प्रकार के हैं । यथा-एक मेघ धान्य के अंकुर उत्पन्न करता है किन्तु धान्य को पूर्ण नहीं पकाता । एक मेघ धान्य को पूर्ण पकाता है किन्तु धान्य के अंकुर उत्पन्न नहीं करता । एक मेघ धान्य के अंकुर भी उत्पन्न करता है
और धान्य को पूर्ण भी पकाता है । एक मेघ धान्य के अंकुर भी उत्पन्न नहीं करता है और धान्य को पूर्ण भी नहीं पकाता है । इसी प्रकार माता-पिता भी चार प्रकार के हैं । यथा-एक माता-पिता पुत्र को जन्म देते हैं किन्तु उसका पालन नहीं करते । एक माता-पिता पुत्र का पालन करते हैं किन्तु पुत्र को जन्म नहीं देते हैं । एक माता-पिता पुत्र को जन्म भी देते हैं और उसका पालन भी करते हैं । एक माता-पिता पुत्र को जन्म भी नहीं देते और उसका पालन भी नहीं करते हैं।
मेघ चार प्रकार के हैं । यथा-एक मेघ एक देश में बरसता है किन्तु सर्वत्र नहीं बरसता है । एक मेघ सर्वत्र बरसता है किन्तु एक देश में नहीं बरसता । एक मेघ एक देश में भी बरसता है और सर्वत्र भी बरसता है । एक मेघन एक देश में बरसता है और न सर्वत्र बरसता है । इसी प्रकार राजा भी चार प्रकार के हैं । यथा-एक राजा एक देश का
मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (स्थान)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
Page 77