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आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान'
स्थान/उद्देश/सूत्रांक सूत्र-६१४
पंचम स्वर-गोधिका वाद्य से नीकलता है। धैवत स्वर-ढोल से नीकलता है । निषाद स्वर-महाभेरी से नीकलता है। सूत्र - ६१५
सात स्वर वाले मनुष्यों के लक्षण, यथासूत्र-६१६
षड्जस्वर वाले मनुष्य को आजीविका सुलभ होती है, उसका कार्य निष्फल नहीं होता । उसे गायें, पुत्र और मित्रों की प्राप्ति होती है । वह स्त्री को प्रिय होता है। सूत्र-६१७
रिषभ स्वर वाले को ऐश्वर्य प्राप्त होता है । वह सेनापति बनता है और उसे धन लाभ होता है । तथा वस्त्र, गंध, अलंकार, स्त्री और शयन आदि प्राप्त होते हैं। सूत्र- ६१८
गांधार स्वर वाला गीत-युक्तिज्ञ, प्रधान-आजीविका वाला, कवि, कलाओं का ज्ञाता, प्रज्ञाशील और अनेक शास्त्रों का ज्ञाता होता है। सूत्र - ६१९
मध्यम स्वर वाला-सुख से खाता पीता है और दान देता है। सूत्र-६२०
पंचम स्वर वाला-राजा, शूरवीर, लोक संग्रह करने वाला और गणनायक होता है। सूत्र- ६२१
धैवत स्वर वाला-शाकुनिक, झगडालु, वागुरिक, शौकरिक और मच्छीमार होता है। सूत्र - ६२२
निषाद स्वर वाला-चांडाल, अनेक पापकर्मों का करने वाला या गौ घातक होता है। सूत्र-६२३,६२४
इन सात स्वरों के तीन ग्राम कहे गए हैं । यथा-षड्ज ग्राम, मध्यम ग्राम, गांधार ग्राम । षड्जग्राम की सात मूर्छनाएं होती हैं । यथा- भंगी, कौरवीय, हरि, रजनी, सारकान्ता, सारसी, शुद्ध षड्जा। सूत्र-६२५, ६२६
मध्यम ग्राम की सात मूर्छनाएं होती हैं, यथा- उत्तरमन्दा, रजनी, उत्तरा, उत्तरासमा, आशोकान्ता, सौवीरा, अभीरू। सूत्र- ६२७, ६२८
गांधार ग्राम की सात मूर्छनाएं हैं, यथा- नंदी, क्षुद्रिमा, पुरिमा, शुद्ध गांधारा, उत्तर गांधारा । सूत्र - ६२९
सुष्टुत्तर आयाम, कोटि मातसा ये सात हैं। सूत्र-६३०
सात स्वर कहाँ से उत्पन्न होते हैं ? गेय की योनि कौन सी होती है ? उच्छ्वास काल कितने समय का है ? गेय के आकार कितने हैं? सूत्र - ६३१
सात स्वर नाभि से उत्पन्न होते हैं, गीत की रुदित योनि है । एक पद के उच्चारण में जितना समय लगता है उतना समय गीत के उच्छ्वास का है।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् - (स्थान) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद”
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