Book Title: Agam 03 Sthanang Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 138
________________ आगम सूत्र ३, अंगसूत्र-३, 'स्थान' स्थान/उद्देश/सूत्रांक सूत्र-८५३ जम्बूद्वीप के मेरु पर्वत पर नन्दनवन में नौ कूट हैं, यथासूत्र-८५४ नंदन, मेरु, निषध, हैमवन्त, रजत, रुचक, सागरचित, वज्र, बलकूट । सूत्र-८५५ जम्बूद्वीप के माल्यवंत वक्षस्कार पर्वत पर नौ कूट हैं, यथासूत्र-८५६ सिद्ध, माल्यवंत, उत्तरकुरु, कच्छ, सागर, रजत, सीता, पूर्ण, हरिस्सहकूट । सूत्र-८५७ जम्बूद्वीप के कच्छ विजय में दीर्घ वेताढ्यपर्वत पर नौ कूट हैं, यथासूत्र-८५८ सिद्ध, कच्छ, खण्डप्रपात, माणिभद्र, वैताढ्य, पूर्णभद्र, तिमिस्रगुहा, कच्छ और वैश्रमण । सूत्र-८५९ जम्बूद्वीप के सुकच्छ विजय में दीर्घ वैताढ्य पर्वत पर नौ कूट हैं । यथासूत्र-८६० सिद्ध, सुकच्छ, खण्डप्रपात, माणिभद्र, वैताढ्य, पूर्णभद्र, तिमिस्रगुहा, सुकच्छ और वैश्रमण। सूत्र-८६१ इसी प्रकार पुष्कलावती विजय में दीर्घ वैताढ्य पर्वत पर नौ कूट हैं। इसी प्रकार वच्छ विजय में दीर्घ वैताढ्य पर्वत पर नौ कूट हैं यावत्-मंगलावती विजय में दीर्घ वैताढ्य पर्वत पर नौ कूट हैं। जम्बूद्वीप के विद्युत्प्रभ वक्षस्कार पर्वत पर नौ कूट हैं, यथासूत्र-८६२ सिद्ध, विद्युत्प्रभ, देवकुरु, पद्मप्रभ, कनकप्रभ, श्रावस्ती, शीतोदा, सजल और हरीकूट । सूत्र-८६३ जम्बूद्वीप के पक्ष्मविजय में दीर्घ वैताठ्यपर्वत पर नौ कूट हैं, यथा-सिद्ध कूट, पक्ष्मकूट, खण्डप्रपात, माणिभद्र, वैताढ्य, पूर्णभद्र, तिमिश्रगुहा, पक्ष्मकूट, वैश्रमण कूट । इसी प्रकार यावत् सलिलावती विजय में दीर्घ वैताढ्य पर्वत पर नौ कूट हैं । इसी प्रकार वप्रविजय में दीर्घ वैताढ्य पर्वत पर नौ कूट हैं । इसी प्रकार यावत्गंधिलावती विजय में दीर्घ वैताट्य पर्वत पर नौ कूट हैं, यथासूत्र-८६४ सिद्धकूट, गंधिलावती,खण्डप्रपात, माणिभद्र, वैताढ्य, पूर्णभद्र, तिमिश्रगुहा, गंधिलावती और वैश्रमण । सूत्र - ८६५ इस प्रकार सभी दीर्घ वैताढ्य पर्वतों पर दूसरा और नवमा कूट समान नाम वाले हैं शेष कूटों के समान पूर्ववत् हैं । जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत की उत्तरदिशा में नीलवान वर्षधर पर्वत पर नौ कूट हैं, यथासूत्र-८६६ सिद्धकूट, नीलवानकूट, विदेह, शीता, कीर्ति, नारीकान्ता, अपरविदेह, रम्यक्कूट और उपदर्शनकूट । सूत्र-८६७, ८६८ जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत पर उत्तर दिशा में ऐरवत क्षेत्र में दीर्घ वैताठ्य पर्वत पर नौ कूट हैं, यथा-सिद्ध, रत्न, खण्डप्रपात, माणिभद्र, वैताढ्य, पूर्णभद्र, तिमिश्रगुहा, ऐरवत और वैश्रमण । मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (स्थान)- आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 138

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