Book Title: Shraman Atit ke Zarokhe me
Author(s): Shivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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JAIN EDUCATION INTERNATIONAL FOR PRIVATE AND PERSONAL USE ONLY
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| पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रन्थमाला : 116
प्रधान सम्पादक
डॉ० सागरमल जैन
श्रमण अतीत के झरोखे में
भवणिनिशानामावणिदलिना -प्रसादा आगालमवहाअवदारितामा दयाला परिकावासासाद्याला गमता विहिकडासमणवामदावा शिवाय
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पीठ
विद्या
पार्श्वनाथ
वाराणसी
पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी
1999
ससुमन
For Private & Personal use only
Page #2
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पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रन्थमाला : 116
प्रधान सम्पादक डॉ० सागरमल जैन
श्रमण अतीत के झरोखे में
संकलनकर्ता डॉ० शिव प्रसाद डॉ० विजय कुमार जैन __डॉ0 सुधा जैन डॉ० असीम कुमार मिश्र
वाराणसी
सरवरपुरगत
पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी - 5
1999
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पार्श्वनाथ विद्यापीठ ग्रन्थमाला : 116
संकलनकर्ता :
प्रकाशक
दूरभाष संख्या
फैक्स
ISBN
प्रथम संस्करण
मूल्य
अक्षर सज्जा
मुद्रक
:
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:
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डॉ० शिवप्रसाद, डॉ० विजयकुमार जैन, डॉ0 सुधा जैन, डॉ० असीमकुमार मिश्र
पार्श्वनाथ विद्यापीठ, आई०टी०आई० रोड, वाराणसी
: 81-86715-40-1
316521, 318046
0542 318046
1999 ई०
रुपये 25000/- मात्र
राजेश कम्प्यूटर्स, सिगरा, वाराणसी
: डिवाइन प्रिण्टर्स
बी. 13/44, सोनारपुरा, वाराणसी फोन : 321371
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प्रकाशकीय पंजाब केशरी परमपूज्य श्री सोहनलाल जी महाराज की पुण्यस्मृति में स्थापित पार्श्वनाथ विद्याश्रम (अब पार्श्वनाथ विद्यापीठ) और इसके मुखपत्र श्रमण द्वारा जैन विद्या के विविध पक्षों के अध्ययन, प्रचार-प्रसार और शोध के क्षेत्र में अब तक किये गये योगदान से सम्पूर्ण विद्वद्जगत् सुपरिचित है । विद्याश्रम के शैक्षणिक और शोधात्मक ग. विधियों को समाज के सम्मुख रखने के उद्देश्य से पं0 कृष्णचन्द्राचार्य के सम्पादकत्व में नवम्बर 1949 ई0 से श्रमण का मासिक पत्रिका के रूप में प्रकाशन प्रारम्भ हुआ । संस्थान के प्रथम मंत्री और मेरे पूज्य पिता स्वनामधन्य स्वर्गीय लाला हरजसराय जैन के अदम्य उत्साह एवं सत्प्रयासों से यह पत्रिका अल्पावधि में ही सम्पूर्ण जैन समाज में लोकप्रिय हो गयी । इसका प्रत्यक्ष लाभ यह हुआ कि समाज का एक बड़ा वर्ग इससे जुड़ गया और संस्थान की चतुर्दिक उन्नति में सहभागी बना ।
पिछले 49 वर्षों से निरन्तर प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका में अब तक जैनविद्या के लब्धप्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा जैन धर्म-दर्शन, साहित्य, कला, पुरातत्त्व एवं अन्य विविध विषयों पर लिखे गये शोधपरक लेखों का ऐसा विशाल संग्रह एकत्र हो चुका है जो अन्यत्र अनुपलब्ध है । लम्बे समय से श्रमण के सम्माननीय पाठकों और शोधछात्रों दोनों की माँग थी कि श्रमण में अब तक प्रकाशित लेखों की एक सूची का प्रकाशन हो, ताकि प्रत्येक वर्ग के पाठक अपने-अपने इच्छित विषयों के बारे में विद्वानों द्वारा पूर्व में लिखे गये लेखों से लाभान्वित हो सकें । हमें इस बात का अत्यन्त हर्ष है कि प्रो0 सागरमल जैन के सुयोग्य निर्देशन में संस्थान के प्रवक्ता डॉ० शिवप्रसाद, डॉ0 विजयकुमार जैन, डॉ० सुधा जैन और डॉ० असीमकुमार मिश्र ने इस कार्य को सफलतापूर्वक पूर्ण किया है।
इस सूची के सम्पादन, प्रूफ संशोधन और प्रकाशन व्यवस्था का पूर्ण दायित्व डॉ० शिवप्रसाद ने वहन किया है, एतदर्थ वे धन्यवाद के पात्र हैं ।
उत्तम अक्षर संयोजन के लिये राजेश कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण के लिये डिवाइन प्रिण्टर्स, वाराणसी के भी हम आभारी हैं ।
भूपेन्द्रनाथ जैन
सचिव पार्श्वनाथ विद्यापीठ
वाराणसी
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सम्पादकीय
आज जैन विद्या की प्रतिष्ठित शोध-पत्रिकाओं में श्रमण सम्भवतः सबसे प्राचीन है । अर्धशतक से प्रकाशित हो रही इस शोध पत्रिका में अब तक जैन धर्म-दर्शन के विविध पक्षों पर देश के लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों के हजारों लेख प्रकाशित हो चुके हैं जो अन्यत्र दुर्लभ हैं । लम्बे समय से विद्वानों एवं प्रबुद्ध पाठकों की माँग थी कि इसमें प्रकाशित लेखों की कोई एक ऐसी सूची प्रकाशित हो जिससे शोधार्थियों को अपने इच्छित विषय के लेखों के बारे में जानकारी हो सके । जैन विद्या के अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान् और संस्थान के मानद् निदेशक प्रो० सागरमल जैन के निर्देशन में श्रमण में प्रकाशित लेखों की सूची तैयार की गयी । यह सूची तीन खण्डों में है । प्रथम खण्ड में लेखों को वर्ष क्रमानुसार रखते हुए पूरे संदर्भ के साथ उनकी सूची दी गयी है । द्वितीय खण्ड में लेखकों का वर्णक्रमानुसार वर्गीकरण करते हुए अकारादिक्रम से उनके लेखों की पूरे संदर्भ के साथ सूची है । तृतीय खण्ड में लेखों को विषयानुक्रम से विभाजित किया गया है, जिससे पाठकों को अपने मनोनुकूल विषय के लेखों को ढूँढ़ने में कठिनाई न हो । कोई भी जिज्ञासु पाठक या शोधार्थी अपने मनोनुकूल विषय के किसी भी लेख की फोटो प्रति लागत मूल्य पर घर बैठे प्राप्त कर सकता है । इस सूची को निर्दोष तैयार करने में विद्यापीठ के प्रवक्ता डा० विजय कुमार जैन, डा० सुधा जैन एवं डॉ० असीम कुमार मिश्र ने अथक परिश्रम किया है ! उन्हें धन्यवाद देकर मैं उनके महत्त्व को कम नहीं करना चाहता। इस ग्रन्थ के निर्दोष मुद्रण हेतु यद्यपि पर्याप्त सावधानी रखने का प्रयास किया गया, परन्तु मेरी अल्पज्ञता और प्रमादवश मुद्रण सम्बन्धी कुछ त्रुटियाँ रह गयी हैं जिनके लिये मैं पाठकों से क्षमाप्रार्थी हूँ ।
शिवप्रसाद
सम्पादक
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विषयानुक्रमणिका
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. 1. श्रमण - वर्षानुसार लेखसूची
2. श्रमण - लेखकानुसार लेखसूची 3. श्रमण - विषयानुसार लेखसूची
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श्रमण वर्षानुसार लेख सूची
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लेख
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लोक कल्याण के लिए श्रमण संस्कृति साम्यवाद और श्रमणविचारधारा सबसे पहला पाठ पार्श्वनाथ विद्याश्रम-एक सांस्कृतिक अनुष्ठान मगध में दीपमालिका युद्ध और श्रमण शास्त्र और शस्त्र अहिंसा और शस्त्रबल साम्प्रदायिक कदाग्रह तर्क और भावना अहिंसा का व्यापक अर्थ धर्म का पुनरुद्धार और संस्कृति का नवनिर्माण प्रेम का अभ्यास मानव जीवन का आधार सम्यकत्व की कसौटी प्राचीन भारत में संस्कृतियों का संघर्ष सेवा का अर्थ
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक भिक्षु जगदीश काश्यप पृथ्वीराज जैन श्री कृष्णचन्द्राचार्य पं० दलसुख मालवणिया मुनि कांतिसागर पं० कैलाश चन्द्र शास्त्री पं० सुखलाल जी आचार्य विनोबाभावे पृथ्वीराज जैन काका कालेलकर लालजी राम शुक्ल पं० दलसुख मालवणिया आचार्य विनोबा भावे पृथ्वीराज जैन मोहनलाल मेहता आ० चन्द्रशेखर शास्त्री मुनिश्री विद्याविजय जी
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पृष्ठ । १९-२१ २२-२७ २८-३० ३३-३४ ३७-४० ९-११ १३-१५ २४-२६ २७-३० ३१-३२ ३३-३६ ९-१३ २२-२३ २५-२७ २८-२९ ३३-३४ ३५-३८
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक भिक्षु जगदीश काश्यप प्रो० इन्द्र प्रो० चन्द्रिका सिंह उपासक प्रो० इन्द्र पी० एस० कुमारस्वामी राजा डॉ० राजेन्द्र प्रसाद पृथ्वीराज जैन पं० दलसुख मालवणिया श्री रतनसागर जैन पृथ्वीराज जैन उमाशंकर त्रिपाठी श्री इन्द्र कु० कांता जैन
१ काका कालेलकर १ मोहनलाल मेहता पं० दलसुख मालवणिया प्रो० विमलदास जैन
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भिक्षुसंघ और समाज सेवा सेवक सारनाथ-काशी की तपोभमि श्रमण और ब्राह्मण
जैनधर्म की देन " सेवाग्राम कुटीर का संदेश
श्रमणसंस्कृति और नया संविधान दक्षिण हिन्दुस्तान और जैनधर्म हमारा आज का जीवन
भगवान् महावीर और जातिभेद 8 बुनियादी सुधार
चरित्र के मापदंड स्त्री शिक्षा अहिंसा की साधना
मृत्युञ्जय ६ बौद्धधर्म
संस्कृति का प्रश्न
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लेख
पारिवारिक जीवन सुखी कैसे हो ? ईर्यापथ-प्रतिक्रमण जैनसाधना
आर्यों से पहले की संस्कृति
व्यक्ति और समाज हजरत मुहम्मद संस्कृति का अर्थ
और
जैन आगमों का महत्त्व और अपना कर्तव्य
इस्लाम
एक समस्या
सारनाथ के भग्नावशेष
संस्कृति
का आधार - व्यक्ति स्वातंत्र्य
विकास का मुख्यसाधन (क्रमश:)
जैनमूर्तिकला
आचार्य विद्यानन्द
चातुर्मास
विचारों पर नियन्त्रण के
विकास का मुख्य साधन
उपाय
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्रीमती यमुनादेवी पाठक श्री धीरज लाल टोकरशी शाह पं० सुखलाल जी संघवी श्री गुलाब चन्द्र चौधरी रतन पहाड़ी
पृथ्वीराज जैन
वर्ष
पं० फूलचन्द्र जी सिद्धान्तशास्त्री १
श्री अगरचन्द नाहटा
पं० कैलाश चन्द्र जी
श्री चन्द्रिका सिंह जी प्रो० महेन्द्र कुमार जी न्यायाचार्य
पं० सुखलाल संघवी श्री अवध किशोर नारायण श्री गुलाब चन्द्र चौधरी
पं० दलसुख मालवणिया
प्रो० लालजी राम शुक्ल पं० सुखलाल जी
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अंक
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लेख जैन और हिन्दू पैंतालीस और बत्तीस सूत्रों की मान्यता पर विचार पर्युषणपर्व संस्कृति-एक विश्लेषण वैराग्य के पथ पर सामायिक की सार्थकता भारतीय समाज का आध्यात्मिक दर्शन जैनत्व की कसौटी सदाचार ही जीवन हो पंजाब में स्त्री शिक्षा न्याय सम्पन्न विभव श्रमण संस्कृति का केन्द्र-विपुलाचल और उसका पड़ोस प्रायश्चित्त श्री तारण स्वामी इंसानियत के उत्तरदायित्वपूर्ण उसूल आचार्य कालक और 'हंसमयूर' । नारी के अतीत की झांकी-सतीप्रथा सौन्दर्य का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० दलसुख मालवणिया अगरचन्द नाहटा विमलदास जैन श्री गुलाबचन्द्र चौधरी श्री हजारीमल जी बांठिया महासती उज्जवल कुमारी श्री देवेन्द्र कुमार श्री कृष्णचन्द्राचार्य मुनि श्री रंगविजय जी रामस्वरूप जैन पं० दलसुख मालवणिया श्री गुलाबचन्द्र चौधरी श्री इन्द्र श्री देवेन्द्र कुमार श्री जेठमल बोथरा पृथ्वीराज जैन गुलाबचन्द्र चौधरी मोहनलाल मेहता
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पृष्ठ १६-१७ २४-२९ ३१-४० १३-१६ १७-२५ २६ २७-२९ ३१-३२ ३५-३७ ३८-४० ९-१२ १५-२२ २३-२८ २९-३२ ३३-३८ ३९-४० ११-१८ २५-२८
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लेख तलाक विजय आत्महित बनाम परहित नारी और त्यागमार्ग संन्यास का आधार-अन्तर्मुखी प्रवृत्ति । अतीत, धर्म और साधु संस्था
सम्यग्ज्ञान और मिथ्याज्ञान के बीसवीं सदी का प्रथमार्ध: राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय ए पलायनवाद
जंगम आगम संशोधन मंदिर • नेपाल का शाहवंश और उनके पूर्वज ई परिग्रह मीमांसा
जैनत्व या जैन चेतना लंदन में कतिपय अप्राप्य जैन ग्रन्थ
भगवान् महावीर का जन्म और निर्वाणभमि : महावीर का व्यक्तित्त्व
जैनधर्म और वर्ण व्यवस्था युगपुरुष भगवान् महावीर
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
अंक श्री पृथ्वीराज जैन
२ कु० सत्यवती जैन
२ २ पं० दलसुख मालवणिया पृथ्वीराज जैन मोहनलाल मेहता २३ बरट्रेन्ड रसल
२ ३ प्रो० इन्द्र
२ ४ श्री गुलाबचन्द्र चौधरी श्री चुन्नीलाल वर्धमान शाह पं० दलसुख मालवणिया मुनि कनक विजय श्री रघुवीरशरण दिवाकर प्रो० विमलदास जैन
२ ५ श्री अगरचन्द नाहटा
२ ५ श्री गुलाबचन्द चौधरी २ ६ . श्री हरजसराय जैन २ ६ पं० फूलचन्द्र जी सिद्धान्तशास्त्री २ श्री पृथ्वीराज जैन
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लेख
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मंदिरों के झगड़े और जैन समाज भगवान् महावीर का आदर्श और हम अपरिग्रहवाद (क्रमश:) बनारस से जैनों का सम्बन्ध जैन धर्म और वर्ण व्यवस्था दो प्रेमियों की यह दीक्षा खोज सम्बन्धी कुछ अनुभव और समस्यायें शीलव्रतग्रहण आचार्य हेमचन्द्र स्वामी केशवानन्द आप सम्यग्दृष्टि हैं या मिथ्यादृष्टि धर्म के स्थान पर संस्कृति नारी की प्रतिष्ठा भक्तिमार्ग का सिंहावलोकन सोमनाथ गीता संज्ञक जैन रचनाएं यह धर्म प्राण देश है जीवित साहित्य की वाणी
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
अंक ई० सन् ऋषभदास रांका
२ ६ १९५१ श्रीमती कांता जैन २ ६ १९५१ श्री रघुवीरशरण दिवाकर
१९५१ पं० दलसुख मालवणिया
१९५१ पं० फूलचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री
१९५१. मोहनलाल मेहता २ ७
१९५१ डॉ० धीरेन्द्र वर्मा २ ८
१९५१ श्री रघुवीरशरण दिवाकर
१९५१ श्री गुलाबचन्द्र चौधरी २ ८
१९५१ स्वामी सत्यस्वरूप जी
१९५१ प्रो० इन्द्र
२८ १९५१ काका कालेलकर
१९५१ श्री किशोरी लाल मशरूवाला २
१९५१ पं० दलसुख मालवणिया
१९५१ श्री किशोरी लाल मशरूवाला
१९५१ श्री अगरचन्द नाहटा
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक
वर्ष क्या धन-सम्पत्ति आदि कर्म के फल हैं
पं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री . अपरिग्रहवाद (क्रमश:)
श्री रघुवीरशरण अग्रवाल श्री जैनेन्द्र गुरुकुल, पंचकूला
प्रो० इन्द्र सफेद धोती
प्रो० महेन्द्र कुमार न्यायाचार्य इतिहास की पुनरावृत्ति : एक भ्रामक धारणा श्री गुलाबचन्द्र चौधरी २ ' शाक विचार
श्री अत्रिदेव गुप्त विद्यालंकार १ आत्म शोधन का महान पर्व-पर्युषण
अगरचन्द नाहटा
२ शुद्ध व्यवहार का आन्दोलन
श्री किशोरी लाल मशरूवाला २ सबसे बड़ा प्रश्न- मैं कौन हूँ ?
मुनि श्री रामकृष्ण जी महाराज २ धर्म का बीज और उसका विकास
पं० सुखलाल जी संघवी २ जैन मन्दिर और हरिजन
प्रो० महेन्द्र कुमार जैन न्यायाचार्य २ विवाह और कन्या का अधिकार
सुश्री प्रेमकुमारी दिवाकर शतावधानी रत्नचन्द्र पुस्तकालय
मोहनलाल मेहता लखनऊ अभिभाषण
पं० सुखलाल जी संघवी मुनि श्री पुण्य विजय जी के जैसलमेर भण्डार के उद्धार कार्य की रूपरेखा पं० सुखलाल जी
३ अखिल भारतीय प्राच्यविद्या महासम्मेलन
श्री गुलाबचन्द्र चौधरी साधु समाज और निवृत्ति
पं० दलसुख मालवणिया
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री उमाशंकर त्रिपाठी श्री रघुवीरशरण दिवाकर हुकुमचन्द सिंघई सुश्री प्रेमकुमारी दिवाकर प्रो० देवेन्द्र कुमार जैन सुश्री हीराकुमारी प्रो० पद्मनाभ जैनी पं० महेन्द्र कुमार न्यायाचार्य प्रो० विमलदास जैन श्री मोहन लाल मेहता पं० दलसुख मालवणिया
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लेख शिक्षा के साधन अपरिग्रहवाद (क्रमश:) प्रतिज्ञा नारीजागरण इतिहास की पुनरावृत्ति-यथार्थदर्शन जैन दर्शन स्वामी समन्तभद्र जी शास्त्र की मर्यादा तर्क का क्षेत्र धर्म की उत्पत्ति और उसका अर्थ विद्यामूर्ति पं० सुखलाल जी केवलज्ञान सम्बन्धी कुछ बातें शैतान अपरिग्रहवाद (क्रमश:) श्रद्धा का क्षेत्र हमारे समाज की भावी पीढ़ी महाभिनिष्क्रमण
ई० सन् १९५१ १९५१ १९५१ १९५१ १९५१ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२
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खलील जिब्रान श्री रघुवीरशरण दिवाकर पं० दलसुख मालवणिया उदय जैन रसिक त्रिवेदी
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लेख कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत का उच्च शिक्षण किसकी जय तप के प्रतीक महावीर भगवान् महावीर-उनके जीवन की विविध भूमिकायें हमारे जागरण का शीर्षासन मंगलयमय महावीर कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत का उच्च शिक्षण रुढ़िच्छेदक महावीर मुनियों का आदर्श त्याग जैन साहित्य निर्माण की नवीन योजना पार्श्वनाथ विद्याश्रम है अपरिग्रहवाद (क्रमश:)
आत्मा की महिमा यह मनमानी कबतक जैनसमाज और वैशाली सम्मेलन-संस्मरण साधुसमाज की प्रतिष्ठा ज्ञान सापेक्ष है
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक म० म० विधुशेखर भट्टाचार्य प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल पं० सुखलाल संघवी मुनि सुरेश चन्द्र प्रो० महेन्द्र कुमार न्यायाचार्य म० म० विधुशेखर भट्टाचार्य पं० बेचरदास दोशी मुनि श्री आईदान जी महाराज डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल प्रो० विमलदास जैन श्री रघुवीरशरण दिवाकर श्री जयभगवान जी एडवोकेट श्री शैलेश पं० पन्नालाल धर्मालंकार मुनि श्री सुशील कुमार जी पं० कृष्णचन्द्राचार्य प्रो० विमलदास जैन
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अंक ९ ९
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ज्ञान की खोज में संसार का इतिहास तीन शब्दों में क्या मैं जैन हूँ? ओसवंश-स्थापना के समय संबन्धी महत्त्वपूर्ण उल्लेख कवि की हुंकार उज्जयिनी स्वरूप और पररूप जैन परम्परा
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनि श्री जयन्तीलाल जी श्री महेन्द्र 'राजा' प्रो० दलसुख मालवणिया श्री अगरचन्द नाहटा श्री जयभिक्खु श्री अमरचन्द पं० सुखलाल जी संघवी मोहनलाल मेहता श्री जयभिक्खु प्रो० पृथ्वीराज जैन श्री अगरचन्द नाहटा मुनि श्री सुशील कुमार शास्त्री प्रो० देवेन्द्र कुमार जैन श्री माईदयाल जैन श्री जय भिक्खु टॉल्सटाय सुश्री मोहिनी शर्मा डॉ० सन्तोष कुमार ‘चन्द्र'
मृगतृष्णा
ई० सन् १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२ १९५२
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नैतिक उत्थान और शिक्षण संस्थाएँ पल्लीवालगच्छीय शांतिसूरि का समय एवं प्रतिष्ठा बुझती हुई चिनगारियाँ समन्वय या सफाई जैन साधु और हरिजन परिनिर्वाण धर्म का तत्त्व भारतीय त्योहार नारी जीवन का आदर्श
१७-२१ २२-२४ ९-१२ १५-१८ १९-२६ २७-३३ ५-१० १३-१७ १९-२६ २७-३० ३१-३३ ३५-३७ ७-१० १४-१६ १७-२१ २२-२६ २७-३० ३१-३४
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लेख
धर्म करते पाप तो होता ही है ! स्याद्वाद की सर्वप्रियता
गांधी जी की दृष्टि में अहिंसा का अर्थ
मैं स्वयं
मंजिल अभी दूर है क्या यही शिक्षा है।
अपरिग्रहवाद (क्रमश:) स्वप्न : एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
पितृ हत्या का पुण्य भगवान् महावीर की जन्मभूमि
असंयत जीव का जीना चाहना राग
अपरिग्रहवाद (क्रमश:)
पितृ हत्या का पुण्य जीवन-निर्माण
भारतीय चिकित्सा शास्त्र
बंधन से अलंकार आलोचक
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री प्रवाही
श्री चन्द्रशंकर शुक्ल
नरेन्द्र गुप्त श्री जय भिक्खु सुरेशचन्द्र शास्त्री
मुनि
राजाराम जैन
श्री रघुवीरशरण दिवाकर
श्री मोहनलाल मेहता
जय भिक्खु भगवानदास केसरी
प्रो० दलसुख मालवणिया
श्री रघुवीरशरण दिवाकर
श्री जय भिक्खु
स्वामी समन्तभद्र जी
अत्रिदेव विद्यालंकार सुश्री मोहन शर्मा श्री विजयमुनि
वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक क्रोध आदि वृत्तियों पर विजय कैसे
अरविंद अपरिग्रहवाद
श्री रघुवीरशरण दिवाकर साध्वी समाज से
मुनि श्री आईदानजी 'निर्मल' आरोग्य
पं० सुन्दरलाल जैन वैद्यरत्न काश ! मैं अध्यापिका होती !
सुश्री शरबती जैन महामानव की मानसिक भमिका
प्रो० राजबली पाण्डेय संन्यास मार्ग और महावीर
पं० दलसुख मालवणिया जैन शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा
श्री धनदेव कुमार दौरे के संस्मरण
श्री हरजसराय जैन सच्ची साधना का प्रभाव
श्री राजाराम जैन महावीर और क्षमा
श्री भूपराज जैन भगवान् महावीर और वर्तमान युग
नरेशचन्द्र जैन मानवमात्र का तीर्थ
पं० सुखलाल जी भौतिकता और अध्यात्म का समन्वय
पं० दलसुख मालवणिया हम किधर बह रहे हैं ?
डॉ० इन्द्र क्षमादान
जय भिक्खु प्राकृत साहित्य के इतिहास के प्रकारान की आवश्यकता श्री अगरचन्द नाहटा
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वर्ष अंक ई० सन् ४ ४ १९५३
१९५३ ४
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१९५३ ४ ४ १९५३ ४ ५
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१९५३ ४ ५ १९५३
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११-१५ २१-२२ २३-२५ २९-३२ ३-६ ७-११ १३-१६ २३-२६ २८-२९ ३०-३४ ३५-३६
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३-४ ५-१३ १५-१९ २१-२७
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लेख
अंक ६
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक लाला हरजसराय जैन पं० सुखलाल जी । डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल वाल्टर शूबिंग महेन्द्र कुमार न्यायाचार्य डॉ० पी० एल० वैद्य पं० बेचरदास दोशी डॉ० इन्द्र पं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री प्रो० के० एस० धरणेन्द्रैया श्री के० भुजबलि शास्त्री मुनि पुण्य विजयं जी पं० सुखलाल जी श्री अगरचन्द नाहटा श्री वासुदेवशरण अग्रवाल श्री अगरचंद नाहटा श्री माईदयाल जैन
हमारी यात्रा के कुछ संस्मरण
एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति । · जैन साहित्य का नवीन अनुशीलन
जैन साहित्य का नवीन संस्करण जैन अनुसंधान का दृष्टिकोण असाम्प्रदायिक जैन साहित्य आगमों के सम्पादन में कुछ विचार योग्य प्रश्न महावीर से पहले का जैन साहित्य जैन पुराण साहित्य कन्नड़ संस्कृति को जैनों की देन जैन कन्नड़ वाङ्गमय जैसलमेर भण्डारं का उद्धार | जैन व्याख्या पद्धति जैनज्ञान भंडारों के प्रकाशित सूची ग्रन्थ अहिंसा का महान नियम जैनी कौन मूक साहित्य सेवी : श्री पन्नालाल जी
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ई० सन् १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५३
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वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी श्री सुबोध कुमार जैन डॉ० इन्द्र डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल डॉ० विनयतोष भट्टाचार्य श्री जयभिक्खु डॉ० इन्द्र डॉ० इन्द्र डॉ० हजारी प्रसाद द्विवेदी श्री जयभिक्खु श्री महेन्द्र राजा डॉ० इन्द्र पं० दलसुख मालवणिया डॉ० इन्द्र श्री जयभिक्खु डॉ० इन्द्र (लेखक का नाम नही हैं) डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल
१९५३
लेख घर जोड़ने की माया धर्म का मर्म आचारांग की दार्शनिक मान्यतायें प्राचीन मथुरा में जैनधर्म का वैभव जैनमूर्तिकला अहमदाबाद के भामाशाह सिद्धसेन दिवाकर (क्रमश:) जैन आगमों का मन्थन अपभ्रंश के जैन साहित्य का महत्त्व कुभार्या जैन लोक साहित्य : एक अध्ययन सिद्धसेन दिवाकर मलधारी अभयदेव और हेमचन्द्राचार्य मेरी बम्बई यात्रा शिष्य मोह जैन आगमों का मंथन आचार्य जिनभद्र जैनसाहित्य के इतिहास निर्माण के सूत्र
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लेख शास्त्ररचना का उद्देश्य जैन साहित्य के विषय में अजैन विद्वानों की दृष्टियाँ जैन ज्ञान भंडारों पर एक दृष्टिपात जैन साहित्य का विहंगावलोकन जैन साहित्य के संकेत चिन्ह आत्मा का बल सम्यक् दृष्टि और मिथ्या दृष्टि सन्त एकनाथ के जीवनप्रसंग बीसवीं सदी का जैन साहित्य पितृहीन नारी का महत्त्व विश्वशांति का आधार-गांधीवाद जैन संस्कृति और मिथ्यात्व कला का कौल सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि वैशाली और भगवान् महावीर का दिव्य संदेश वैशाली के गणतन्त्र की एक झांकी सिद्धिविनिश्चय और अकलंक
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
___ वर्ष पं० सुखलाल जी
५ डॉ० इन्द्र
५ मुनि पुण्यविजय जी डॉ० इन्द्र डॉ० इन्द्र श्री किशोरीलाल मशरूवाला डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० इन्द्र मुनि श्री आईदान जी० महराज । श्री नरेन्द्र कुमार जैन पं० बेचरदास जी श्री मनुभाई पंचोली डॉ० इन्द्र श्री महावीर प्रसाद 'प्रेमी' डॉ० इन्द्र
५ पं० दलसुख मालवणिया
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१६
लेख
भगवान् महावीर के गणधर सूत्रकृतांग में वर्णित मतमतांतर महात्मा हुसेन बसराई
जैनकथा साहित्य का सार्वजनीन महत्त्व
अभय का अराधक
चन्द्रवेध्यक आदि ४ सूत्र अनुपलब्ध नहीं हैं । मनुष्य की प्रगति के प्रति भयंकर विद्रोह
संसार के धर्मों का उदय अविद पद शतार्थी
जीवन - रहस्य
नारी का स्थान घर है या बाहर ?
हमारा क्रांतिवारसा (क्रमश:) जिनधर्म का तमाशा गुरु नानक
आस्तिक और नास्तिक अपने को जानिए सांपू सरोवर अमरवाणी
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
पं०
दलसुख मालवणिया डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० इन्द्र
मुनि जिनविजय जी
डॉ० इन्द्र
श्री अगरचन्द नाहटा
मुनि श्री आईदान जी महाराज
डॉ० इन्द्र महो० विनयसागर जी
श्री भगवान लाल भांकड़
श्रीमती सत्यवती जैन
पं० बेचरदास दोशी
श्री अगरचन्द नाहटा
डॉ० इन्द्र
डॉ० इन्द्र
श्री देवेन्द्र कुमार श्री जयभिक्खु श्री अगरचन्द नाहटा
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लेख हमारा क्रांतिवारसा नरसिंह मेहता अपभ्रंश का काव्य सौन्दर्य महावीर की जय
ग्रीष्म ऋतु का आहार-विहार, | जैनधर्म का वैशिष्टय बौद्धधर्म का छठा धर्म संगायन संघर्ष करना होगा महावीर का साम्यवाद शिशु की निद्रा
बत्तीस प्रकार की नाट्यविधि है श्री आत्मारामजी और हिन्दी भाषा
वर्षा ऋतु का आहार-विहार कालकाचार्य अगस्त की ऐतिहासिकता काश्मीर की सैर (क्रमश:) उपशमन का आध्यात्मिक पर्व नियुक्ति और नियुक्तिकार
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० बेचरदास दोशी डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री प्रो० सुरेशचन्द्र गुप्त डॉ० इन्द्र वैद्यराज पं० सुन्दरलाल प्रो० विमलदास कोंदिया भिक्षु धर्मरक्षित श्री निर्मल कुमार जैन सुन्दरलाल जैन श्रीमती कमलादेवी डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल श्री पृथ्वीराज जैन वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन श्री इलाचन्द जोशी श्री शरदचन्द्र मुखर्जी पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री पं० दलसुख मालवणिया श्री मोहनलाल मेहता
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ई० सन् १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५३ १९५३ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९९४
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लेख
अंक ११
धर्मबन्धु हर्बर्ट वारन शास्त्रीय पैमाने काश्मीर की सैर मानव और शांति जैन संस्कृति हरिकेशीबल काश्मीर की सैर उपवास से लाभ महावीर का अन्तस्तल 'सत्यं' स्वर्गस्य सोपानम् भद्रबाह का कालमान दीपावली की जैन परम्परा संसार की सबसे बड़ी पुस्तकों की दुकान संशयात्मक मनोवृत्ति और उससे छुटकारा, यज्ञ का घोड़ा शुभकामना क्या आप असुन्दर हैं ? जैनागमों में ज्ञानवाद
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक अनु० कृष्णचन्द्राचार्य ५ पं० मुनि श्री फूलचन्द्र जी 'श्रमण' पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री जनाथ शर्मा पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य श्री सुशील
५ पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री अत्रिदेव गुप्त श्री ज्योति प्रसाद जैन डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल मुनिश्री फूलचन्द्र जी पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य फोयल्स
६ (नाम उद्धृत नहीं है ) श्री जयभिक्खु
६ प्रो० देवेन्द्र कुमार जैन ६ कु० रेणुका चक्रवर्ती डॉ० मोहनलाल मेहता
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ई० सन् १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ । १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४
पृष्ठ १६-२० २५-२८ २९-३० ३१-३२ ३-१३ १५-२४ २५-२७ २८-३० ३१-३४ ३-४ ६-८ ९-११ १२-१७ २०-२५ २६-३० ३१-३३ ३४-३८ ५-९
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लेख
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री पीटर फ्रीमैन वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन श्री धनदेव कुमार 'सुमन' श्री महेन्द्र 'राजा' पं० दलसुख मालवणिया श्री अगरचन्द नाहटा सुश्री निर्मला प्रीतिप्रेम डॉ० मंगलदेव शास्त्री श्री मोहनलाल मेहता श्री महेशशरण सक्सेना वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन मैक्स एडालोर डॉ० सूर्यदेव शर्मा श्री महेन्द्र कुमार जैन प्रो० महेन्द्र कुमार न्यायाचार्य श्री श्रीरंजन सूरिदेव श्री रतिलाल दीपचन्द देसाई श्री अगरचन्द नाहटा
३
कौन भूखे मरेगें शीत ऋतु का आहार-विहार ऐसा क्यों अपने व्यक्तित्व की परख कीजिए जैन साहित्य का इतिहास और इसकी प्रगति दान सम्बन्धी मान्यता पर विचार ईसाइयों का महापर्व-क्रिसमस भारतीय संस्कृति भाष्य और भाष्यकार महात्मा कन्फ्यूशियस बसन्त ऋतु का आहार-विहार बैलून में एक आश्चर्यमय ग्रन्थ विश्व कलेण्डर हिन्दू बनाम जैन पारसनाथ दो क्रान्तिकारी जैन विद्वान् राजस्थानी जैन साहित्य
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ई० सन् १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५
१९ पृष्ठ १४-१७ १९-२० २१-२६ २७-२९ ३०-३९ ३-१० १२-१६ १८-३१ ४-१२ १४-१७ १९-२० २१-२८ २९-३२ ३३-३७ ३८-४० ३-५ ७-१३ १५-२२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक सुश्री पुष्पा धारीवाल श्री विजयराज सुश्री निर्मला प्रीतिप्रेम श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल पं० रत्न श्री ज्ञानमुनिजी पं० दुलसुख मालवणिया श्री सूरजचंद 'सत्यप्रेमी' श्री रघुवीरशरण दिवाकर श्री धर्मचन्द्र ‘मुखर' डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी श्री महावीर प्रसाद प्रेमी श्री मदनलाल जैन मुनि सुरेशचन्द्र शास्त्री प्रो० देवेन्द्र कुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा दादा धर्माधिकारी प्रो० वेंकटाचलम
लेख मानव सामुद्रिक विज्ञान (क्रमश:) बर्मा में होली का त्यौहार प्रत्यालोचना-महावीर का अन्तस्तल अहिंसा की युगवाणी भगवान् महावीर और उनका शान्ति संदेश भगवान् महावीर का मार्ग वर्धमान और हनुमान महावीर का संदेश भगवान् महावीर-जीवन और सिद्धान्त भगवान् महावीर का व्यक्तित्त्व सन्मति महावीर और सर्वोदय अहिंसा महावीर के ये उत्तराधिकारी ! भगवान महावीर की जीवन साधना राजस्थानी जैन साहित्य स्त्री का स्वभाव विश्व कलेण्डर क्यों नहीं अपनाया जाय ?
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ई० सन् १९५५ १९५५ १९६५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५
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लेख.
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सच्चा वैभव सामुद्रिक विज्ञान भारतीय संस्कृति का दृष्टिकोण आत्म निरीक्षण मिथिलापति नमिराज रविन्द्रनाथ के शिक्षा सिद्धान्त और विश्वभारती हमारी भक्ति निष्ठा कैसी हो ? चूर्णियां और चूर्णीकार सुदर्शन धर्मपुरुष और कर्मपुरुष सच्चरित्रता क्या है ? चलिए और खूब चलिए लेखक और विश्वशान्ति दिवाभोजन ही क्यों? अपने व्यक्तित्व की परख कीजिए आधुनिक पुस्तकालय (क्रमश:) प्रतिक्रमण पर्युषणपर्व की आराधना
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष श्री एस० कान्त श्री विजयराज
६ डॉ० मंगलदेव शास्त्री ६ सुश्री शरबती देवी जैन श्री सुशील श्री शिवनाथ श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता गोकुलचन्द शास्त्री 'प्रवासी' ६ पं० फूलचन्द्रजी 'श्रमण' ६ महासती श्री सरलादेवी जी महाराज ६ वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन ६ डॉ० एस० राधाकृष्णन् ६ डॉ० महेशदान सिंह चौहान श्री जे० एन० भारती, श्री महेन्द्र 'राजा'
६ स्वामी सत्यभक्त जी
६ पं० मुनि श्री फूलचन्द्रजी 'श्रमण' ६
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ई० सन् १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५
पृष्ठ । १९-३५ ३८-४० ३-१६ २०-२३ २६-३४ ३-७ ८-९ १०-१४ १५-१८ २१-२२ २५-२६ २७-२९ ३०-३२ ३३-३४ ३५-३६ ३७-४० ३-१२ १४-१६
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लेख पर्युषण मीमांसा
महापर्व संवत्सरी
संवत्सरी और आचार्य श्री सोहनलाल जी महाराज अस्पृश्यता और जैनधर्म अपने को परखिए
कल्पसूत्र का हिन्दी पद्यानुवाद एकान्तपाप और एकान्तपुण्य जिन्दगी किसे कहते हैं ? नमस्कार भारतीय संस्कृति का प्रहरी हम सौ वर्ष जी सकते हैं ?
स्वामी विवेकानन्द
मंत्र का मौलिक परम अर्थ
मन-निग्रह
पुस्तकों की व्यवस्था (क्रमश:)
अब कहाँ तक ?
अधिमास और पर्युषणा दीपमाला : एक आध्यात्मिक पर्व श्रमण भगवान् महावीर की शिष्य संपदा
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
पं० प्रवर श्री कन्हैयालालजी म० (कमल)
ज्ञानमुनि जी महाराज श्री विज्ञ
श्री बेचरदास दोशी
मुनि श्री सुरेशचन्द्र जी शास्त्री
श्री अगरचन्द नाहटा पं० दलसुख मालवणिया प्रिंस क्रोपाटकिन
पं० सूरजचंद 'सत्यप्रेमी'
कविरत्न श्री अमर मुनिजी श्री देवेन्द्र कुमार जैन शास्त्री
श्री शीतल चन्द्र चटर्जी
श्री अभयमुनि जी महाराज
श्री महेन्द्रराजा
पं० बेचरदास जी जोशी
श्री कस्तूरमल बांठिया
पं० श्री ज्ञानमुनिजी महाराज मुनि फूलचन्द जी ‘श्रमण'
वर्ष
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लेख
जीवन की अंतिम साधना जैनधर्म : एक निर्वचन
लोकसाहित्य के आदि सर्जक - जैनविद्वान्
मैं मुक्ति चाहता हूँ
कुषाणकालीन मथुरा की जैन सभ्यता
नया और पुराना मानव कुछ तो विचारकर सच्चा जैन
शिक्षा के दो रूप त्याग पूर्वक उपभोग करो
पथ-भ्रष्ट
आधुनिक पुस्तकालयों में पुस्तक - सूची (क्रमश:)
निह्नववाद
विद्वदवर विनयसागर आद्यपक्षीय नहीं पिप्पलक शाखा के थे
तृष्णा और उसका अन्त !
महावीर भूले ?
शिक्षा का जहर चंदनबाला और मृगावती
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री सत्यदेव विद्यालंकार
श्री श्रीरंजन सूरिदेव
वर्ष
७
७
७
७
डॉ० एस० सी० उपाध्याय
७
मुनि सुरेशचन्द्र जी शास्त्री
७
मुनि श्री महाप्रभ विजयजी महाराज ७
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श्री यशोविजय उपाध्याय श्री उमाशंकर त्रिपाठी
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श्री इन्द्र
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श्री अभय मुनि जी महाराज
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श्री महेन्द्र राजा
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श्री अगरचन्द नाहटा
श्री भंवरमल सिंघी
श्री मोहनलाल मेहता
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री ज्ञान मुनि जी महाराज श्री कस्तूरमल बांठिया श्री उमाशंकर त्रिपाठी
श्री जयचन्द बाफणा
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लेख
जैन इतिहास की एक झलक जैन दर्शन की देन : अनेकांत दृष्टि जैन रास साहित्य
बाल संन्यास दीक्षा प्रतिबन्धक बिल उचित पुस्तक सूची (क्रमश:)
दुर्बलता का पा
जैन समाज के लिए नई दिशा
जैन आगमों की नियुक्तियां
संसार की चार उपमाएं
ज्योतिर्धर दो जैन विद्वान्- हरिभद्र और यशोविजय
अहिंसक मधु भगवान् महावीर : एक श्रद्धांजलि पुनीत स्मरण !
अहिंसक समाज की रचना मानव संस्कृति और महावीर एक नया पुरोहितवाद
जैनागमों में महावीर के जीवनवृत्त की सामग्री
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य डॉ० मंगलदेव शास्त्री
श्री अगरचन्द नाहटा प्रभुदास बालू भाई पटवारी
महेन्द्र राजा
श्री विनोद राय जैन
साहू शान्ति प्रसाद जी
श्री मोहनलाल मेहता
श्री प्रेमी जी
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री कस्तूरमल बांठिया
डॉ॰ मङ्गलदेव शास्त्री कुमार शास्त्री
देवेन्द्र
श्री जमनालाल जैन
प्रो० देवेन्द्र कुमार मुनि सुरेशचन्द्र शास्त्री
श्री अगरचन्द नाहटा
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लेख
भगवान् महावीर और अहिंसा
अहिंसक महावीर महावीर भूले ! भगवान् महावीर हरिजन मंदिर प्रवेश
श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम प्राकृत विद्यापीठ, वैशाली
भगवान् बुद्ध
भारत की अहिंसक संस्कृति (क्रमश:) श्रमण जीवन का बदलता हुआ इतिहास (क्रमशः )
जैनसाहित्य में कलिङ्ग
तीर्थंकरवाद
भारत की अहिंसक संस्कृति
पुस्तक सूची
श्रमण जीवन का बदलता हुआ इतिहास
पुष्पदंत, क्या पुष्पभाट थे ? यह अगस्त का महीना
प्राचीनजैन राजस्थानी गद्य साहित्य
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
सुश्री शरबती जैन
पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री प्रो० दलसुख भाई मालवणिया
श्री मदनलाल जैन
श्री भगतराम जैन श्री हरजसराय जैन,
भदन्त आनन्द कौसल्यायन
मुनि श्रीरामकृष्ण जी म. सा. मुनि श्री आईदान जी श्री अमरचन्द
श्री कस्तूरमल बांठिया
मुनि श्री रामकृष्ण जी म. सा.
श्री महेन्द्र राजा
मुनि श्री आईदान जी
प्रो० देवेन्द्र कुमार श्री एम० के० भारिल्ल
श्री अगरचन्द नाहटा
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लेख जब आप घर से अकेली निकलें वर्षा ऋतु का आहार-विहार वैशाली और दीर्घप्रज्ञ भगवान् महावीर जीवन की कला पर्युषण का सामाजिक महत्त्व पर्युषण पर्व पर एक ऐतिहासिक दृष्टिपात श्रमण जीवन में अधिकरण का उपशमन, पर्युषण पर्व और आज की नारी पर्युषण पर्व पर दो महत्त्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान पर्व और धर्मचर्या जैन ज्योतिष तिथि पत्रिका श्रमण संघ की शिक्षा का प्रश्न भोजन और उसका समय अपरिग्रहवाद अहिंसा ईमानदारी के वातावरण वाग्भट्टालंकार वज्रस्वामी
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक कु० रूपलेखा वर्मा वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन प्रो० वासुदेवशरण अग्रवाल उपाध्याय अमर मुनि जयन्त मुनि पं० मुनि श्री रामकृष्ण जी म० पं० मुनि कन्हैयालाल जी म० 'कमल' सुश्री शरबती देवी जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री जयभगवान जैन श्री विज्ञ पं० मुनि श्री सुरेशचन्द्र जी म० श्री अमृतलाल शास्त्री मुनि श्री रामकृष्ण जी म. सा. श्री राजकुमार जैन भारिल्ल डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल पं० अमृतलाल शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
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अंक
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लेख अध्ययन : एक सुझाव 'जी' की आत्मकथा धर्म और दर्शन (क्रमश:) दीपावली : एक साधनापर्व महावीर भूले ? जीवन के दो रूप-धन और धर्म आर्यरक्षित धर्म और दर्शन टमाटर दया-दान की मान्यता प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल संघवी अहिंसा और शिशु शिशु और संस्कृति डॉ० मारीआ मॉन्तेसरि व्यावहारिक क्रियाएँ विद्यालय से माता-पिता का सम्बन्ध मान्तेसरि शिक्षा पद्धति
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री महेन्द्र राजा प्रो० देवेन्द्र कुमार जैन, मुनि श्री सुशीलकुमार जी श्री श्रीरंजन सूरिदेव श्री कस्तूरमल बांठिया पं० मुनि श्री आईदान जी डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री मुनि श्री सुशीलकुमार जी आयुर्वेदाचार्य श्री सुन्दरलाल जैन श्री सतीश कुमार 'भैरव' श्री धनपति टुंकलिया श्री ए० एम० योस्तन । श्री एस० आर० स्वामी श्री महेन्द्र राजा कु० आरती पात्रा श्रीमती सुशील कु० ऊषा मेहरा
ई० सन् १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७ १९५७
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लेख बालक की व्यवस्था प्रियता घरों में बच्चे मॉन्तेसरि शिक्षा के ५० वर्ष मान्तेसरि आन्दोलन शास्त्र वाचना की आज फिर आवश्यकता है कविरत्न श्री अमरमुनि जी, प्रभावशाली व्यक्तित्व बच्चों की मूलभूत आवश्यकताएँ गंगा का जल लेय अरघ गंगा को दीनो जैन कला प्रदर्शनी जनतंत्र के महान् उपासक भगवान् महावीर आधुनिक विज्ञान और अहिंसा भगवान महावीर का व्यक्तित्व भगवान् महावीर की धर्म क्रान्ति भगवान् महावीर की दिव्य देशना वीरसंघ और गणधर महावीर ! आत्म विश्वास
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० मारीआ मॉन्तेसरि श्रीमती ब्रजेश कुमारी याज्ञिक श्री ए० एम० योस्तन श्री ए० एम० योस्तन श्री कस्तूरमल बांठिया मुनि श्री कान्तिसागर जी श्री कोमल जैन कु० इला खासनवीस पं० जमनालाल जैन श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री ज्ञानमुनि जी महाराज मुनि कन्हैयालाल जी 'कमल' प्रो० पृथ्वीराज जैन पं० अमृतलाल शास्त्री ८ श्रीरंजन सूरिदेव श्री हरजसराय जैन
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री विजयमुनि शास्त्री प्रो० विमलदास कोंदिया श्री रामकृष्ण जैन पं० दलसुख मालवणिया श्री एस० आर० शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री जमनालाल जैन डॉ० गुलाबचन्द्र जैन श्री महेन्द्र राजा श्री मनोहर मुनि जी श्रीमती कलादेवी जैन श्री एस० एस० गुप्त श्री माईदयाल जैन श्री रिषभदास रांका महासती सरला देवी जी श्री विजयमुनि श्री प्रभाकर गुप्त महात्मा भगवानदीन
लेख इन्द्रभूति गौतम महावीर महान थे अस्पृश्यता का पाप आगम झूठे हैं क्या ? शिक्षा और उसका उद्देश्य स्थूलभद्र हमें सामाजिक मूल्यों को बदलना है बौद्धग्रन्थों में जैनधर्म वहाबी विद्रोह श्रमण संस्कृति की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि अक्षय तृतीया एक दुनिया और एक धर्म डाक्टर अलबर्ट श्वीटजर संस्कृति की दुहाई हमारा उत्थान कैसे ! मेघकुमार का आध्यात्मिक जागरण धर्म निरपेक्ष या ईश्वर निरपेक्ष समाजोन्नति सोपान के ग्यारह डंडे (क्रमश:)
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लेख
आगम मर्यादा और संतों के वर्षावास
जीवितधर्म
किसके साथ क्या न खायें कषाय विजय का महापर्व आज आत्म चिन्तन का दिन है। पर्युषण और हमारा कर्तव्य क्षमापना का आदर्श,
विकास के नये पहाड़े सीखिए समाजोन्नति सोपान के ग्यारह डंडे
आचारांग सूत्र (क्रमश:)
आचार्य : एक मधुर शास्ता, जैनधर्म विषयक भ्रांतियां
आचार्य प्रवर : आत्माराम जी महाराज
आचारांग सूत्र (क्रमश:)
धर्म : कल्याण का मार्ग
भावनाओं का जीवन पर प्रभाव
लंदन में हूँ । मंगल प्रवचन
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
मुनि श्री आईदान जी
डॉ० राधाकृष्ण पं० सुन्दरलाल जैन वैद्य
पं० मुनि श्री कन्हैयालालजी म०
श्री सतीश कुमार
श्री अगरचन्द नाहटा
पं० श्री विजय मुनि, शास्त्री मुनि श्री नेमिचन्द्र जी महात्मा भगवानदीन
पं० दलसुख मालवाणिया
उपाध्याय अमरमुनि
पं० बेचरदास जी दोशी
पं० श्री ज्ञानमुनि जी म०
पं० श्री दलसुख मालवणिया
पं० मुनि श्री रामकृष्ण जी म०
प्रो० धर्मेन्द्र कुमार कांकरिया
श्री महेन्द्र राजा
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
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लेख
आचारांगसूत्र (क्रमश:)
आमिष भोजन मनुष्य का आहार नहीं है। इसे दया धर्म कहें या और कुछ ? सब जीवों को समान समझें लिखाई का सस्तापन श्रीकृष्ण की जीवन झाँकी
गाय का दूध आचारागसूत्र (क्रमशः )
जीवन संग्राम
निरामिष भोजन : एक समस्या अहिंसा की तीन धारायें घृणा, प्रेम और स्वास्थ्य आचारांगसूत्र (क्रमश:) योग और भोग
श्रमणसंस्कृति के मौलिक उपादान
विपाकसूत्र की कथाएं श्री विनयचन्द्र दुर्लभ जी
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
पं० श्री दलसुख मालवणिया
स्व० आचार्य श्री जवाहर
श्री परमानन्द कुँवर जी कापड़िया
श्री मोरारजी देसाई
श्री अगरचन्द नाहटा श्री विजयमुनि शास्त्री श्री अत्रिदेव विद्यालंकार
पं० दलसुख मालवणिया
जैन
श्री भागचन्द डॉ० सम्पूर्णानन्द
पं० मुनि श्रीमल्लं जी म० सा०
श्रीमती प्रेमलता गुप्ता पं० दलसुख मालवणिया विजयमुनि शास्त्री
श्री वसन्तकुमार चट्टोपाध्याय
अनु० कस्तूरमल बांठिया श्री श्रीरंजन सूरिदेव
मुनि श्री आईदान जी
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लेख आचारांगसूत्र (क्रमश:) काव्यकल्पलतावृत्ति आचार्य श्री मोतीरामजी मंगल प्रवचन जैन साहित्य का सिंहावलोकन सर्वोदय नि:शस्त्रीकरण साधु सन्तों की सेवा में आचांरागसूत्र आचरण या शोधपीठ अपरिग्रह की नई दिशा जीवन कला की शोध करें भ० महावीर के उपदेश युगानुकूल हैं; लेकिन? घर न लौटा जमाली का मतभेद समता के प्रतीक महावीर प्रतिज्ञा आचारांग सूत्र
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० दलसुख मालवणिया श्री अगरचन्द नाहटा पं० श्री ज्ञानमुनि जी पं० सुखलाल जी पं० दलसुख मालवणिया श्री रमेशचन्द्र गुप्त मुनि आईदान जी श्री साधक पं० दलसुख भाई मालवणिया पं० मुनि श्री श्रीमल्ल जी म० श्री जमनालाल जैन, श्री सिद्धराज ढड्डा श्री लक्ष्मीनारायण श्री विजय मुनि श्री मनोहरमुनि श्री ऋषभ दास रांका मुनि श्री सन्तबाल पं० दलसुख मालवणिया
ई० सन् १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८
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लेख
अन्न की समस्या महावीर से दूर आज का युग महावीर का युग है
मोक्ष
अहिंसक शक्तियों का ऐक्य आचारांगसूत्र हम संभलें
स्त्री जागृति और समन्वय की साधना सार्वजनिक जीवन की शव परीक्षा जैनसाहित्यसेवा
हम अनेकान्तवादी हैं या एकान्तवादी ? जवाहर औरं विनोबा : दो धाराएँ
आचाराङ्गसूत्र
भ० महावीर के जीवन की एक झलक एक निवेदन
समन्वय आश्रम
अब साधु समाज संभले
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
सतीश कुमार श्री माईदयाल जैन डॉ० ओमप्रकाश
श्री शादीलाल जैन
सतीश कुमार दलसुख
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श्री सिद्धराज ढड्ढा आचार्य विनोबा श्री भंवरमल सिंघी
डॉ० इन्द्र श्री कस्तूरमल बांठिया
पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री
मालवणिया
श्री दलसुख मालवणिया
पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री
मुनि समदर्शी 'आईदान'
सतीश कुमार श्री शादीलाल जैन
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३
वर्ष
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक महावीर के उपदेश
प्रो० महेन्द्र कुमार 'न्यायाचार्य' गांधी सिद्धान्त
प्रो० रामचन्द्र महेन्द्र यह नई परम्परा करवट ले रही है
आचार्य सर्वे दान की आत्मकथा
श्री भग्न हृदय नई समाज व्यवस्था
कुमार प्रियदर्शी मूल में भूल
श्री ताजमल बोथरा जैन धर्म
सिद्धराज ढड्डा जैनसाधु की भिक्षा विधि
सतीश कुमार चौथी आगम वाचना का सवाल
श्री कस्तूरमल बांठिया श्रमणसंस्कृति का भावी विकास
पं० कृष्णचन्द्राचार्य भगवान् महावीर सामाजिक और आर्थिक क्रांति के जनक मुनि श्री नेमिचन्द्र जी है महावीर स्तुति
श्री अगरचन्द नाहटा विपाकसूत्र की कहानियाँ
श्री श्रीरंजन सूरिदेव अपरिग्रह के तीन उपदेष्टा
डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी छद्मस्थानां च मतिभ्रमः
श्री कस्तूरमल बांठिया गणधरवाद
डॉ० मोहनलाल मेहता चाचा नेहरू या नेहरू मामा
श्री उमानीराम शर्मा अन्न का संकट
श्री सतीश कुमार
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अंक ई० सन् ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८ ११-१२ १९५८
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लेख विपाकसूत्र
की कथायें (क्रमश:)
भ० राम से दीपमाला का क्या संबंध
जैन परम्परा प्राकृत और उसका साहित्य विपाकसूत्र की कथाएँ पक्ष से ऊपर उठकर सोचें
जैन गीतों की परम्परा भारतीय दर्शनों में आत्मा बोलने की कला सीखिए समाजवाद, सर्वोदय और सत्याग्रह
सर्वोदय
: गांधी का मार्ग
ग्रामदान से ग्राम - स्वराज्य
ये
मूल्य बदलें सर्वोदय और राजनीति सर्वोदय और हृदयपरिवर्तन
शासन और सर्वोदय
जैनसमाज और सर्वोदय सर्वोदय-प्रदर्शनी
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री श्रीरंजन सूरिदेव श्री ज्ञानमुनि जी डॉ० इन्द्रचंन्द्र शास्त्री
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री श्रीरंजन सूरिदेव
श्री भ्रमर कुमार श्री प्यारेलाल श्रीमाल
श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा
श्री मनोहर प्रभाकर
श्री जैनेन्द्र कुमार दादा धर्माधिकारी श्री नेमिशरण मित्तल
श्री रामकृष्ण शर्मा
श्री सतीश कुमार श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा
श्री शीतल प्रसाद तायल सन्त विनोबा अनिल सेनगुप्ता
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अंक ६
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लेख अहिंसा की कसौटी का क्षण प्रकाश पुंज महावीर वीतराग महावीर की दृष्टि गुप्तकाल में जैनधर्म हर क्षेत्र में अनेकान्त का प्रयोग हो श्रमण महावीर का युग सन्देश जीवनचरित्र ग्रन्थ समता और समन्वय की भावना पहले महावीर निर्वाण या बुद्ध निर्वाण काम बनाम बात दासी की गाथा शॉ का सन्देश, मुझे भूल जाओ ? अहिंसा की प्रतिष्ठा का मार्ग भगवान् महावीर का समन्वयवाद अहिंसक भारत हिंसा की ओर शांति की बुनियाद अधूरा समाजवाद अपरिग्रह ही क्यों?
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' श्री माईदयाल जैन श्री ज्ञानमुनि डॉ० अमरचन्द मित्तल मुनि श्री नेमिचन्द्र जी प्रो० विमलदास जैन श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता श्री कस्तूरमल बांठिया श्री माईदयाल जैन श्री कृष्णचन्द्राचार्य पं० दलसुख मालवणिया श्री हस्तिमल जी साधक डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्रीमती राजलक्ष्मी श्री सत्य सुमन श्री सतीश कुमार कुमारी पुष्पा
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३७
लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री सूरजचन्द्र ‘सत्यप्रेमी' श्री प्यारेलाल श्रीमाल मुनि समदर्शी कुमार प्रियदर्शी
ई० सन् १९५९ १९५९ १९५९ १९५९
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ध्यान योग की जैन परम्परा समाज का कोढ़-जिम्मनवार क्या अणुव्रत आन्दोलन असाम्प्रदायिक है ? जीवन के दो पक्ष राजस्थानी लोक कथाओं सम्बन्धी - साहित्य निर्माण में जैनों का योगदान एक दु:खद अवसान आध्यात्मिक साधना और उसकी परम्परायें वह बनजारा जीवन की बुनियाद -विनय वेष का त्यागी बिना पैसे की यात्रा नया विहान-नया समाज पर्युषण की सही आराधना पर्युषण एक चिन्तन सामायिक और तपस्या का रहस्य पर्वराज पर्युषण पर्युषण पर्व के आठ सन्देश
१० १०
श्री अगरचन्द नाहटा श्री रतन पहाड़ी कुमारी इन्दुकला. महात्मा भगवानदीन श्री ज्ञानमुनि जी श्री माईदयाल सतीश कुमार श्री बद्रीप्रसाद स्वामी श्री हीराचन्द्र सूरि विद्यालंकार श्री लक्ष्मीनारायण भारतीय उपाध्याय अमरमुनि जी पं० अमृतलाल शास्त्री मुनि श्री नेमिचन्द्र जी
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१० १० १० १० १० १० १०
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लेख
अंक ११ ११
एकता की ओर एक कदम पर्युषण पर्व का पावन सन्देश क्षमा का आदर्श क्षमा पहला धर्म है जैन एकता क्षमा का पर्व जैन त्यागी वर्ग के सामने एक विकट समस्या अपरिग्रहवाद का यह उपहास क्यों ? इतिहास बोलता है पर्व की आराधना आत्मशुद्धि और साधना का पर्व जीवन में अनेकान्त दिगम्बर आर्या जिनमती की मूर्ति राम की क्षमायाचना सरस्वती का मंदिर युद्ध और उसके साधनों को खतम करो युवक के सामने एक प्रश्न चिन्ह साहित्य भवन के निर्माण का शुभारंभ
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रिषभदास रांका श्री अगरचन्द नाहटा पं० रत्न श्री ज्ञानमुनि जी डॉ० कोमलचन्द जैन श्री भंवरमल सिघी
१० मुनि श्री समदर्शी जी पं० बेचरदास जी दोशी पं० श्री मृगेन्द्रमुनि 'वैनतेय' श्री सत्यदेव विद्यालंकार उपाध्याय अमरमुनि
१० श्री माईदयाल जैन
१० श्री मनोहर मुनि जी श्री अगरचन्द नाहटा पं० मुनि श्री कन्हैयालाल जी 'कमल' १० डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल ११ निकिता त्रुश्चेव श्री अशोक ढड्डा सतीश कुमार
ई० सन् . १९५९
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लेख
भगवान् महावीर का निर्वाणाब्द २५०० आ रहा जैन साहित्य और अनुसंधान की दिशा जो विदा हो रहे हैं !
मानवतावादी समाज का आधार - अहिंसा संन्यास की मर्यादा
वे आपको कितना चाहते हैं ? बुनियादी समस्या और उसका समाधान तेलगू भाषा के अवधानी विद्वानों की परम्परा ऋषिभाषित का अन्तस्तल संस्कृत कवियों के उपनाम
आचार्य चण्डरुद्र जीवन सौरभ जीवन धर्म
स्वच्छता: जीवन का अंग
क्या जातिस्मरण भी नहीं रहा बढ़ते कदम अहिंसा का क्रमिक विकास सब धर्मों की मंजिल एक है
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री गोकुलचन्द
श्री जमनालाल जैन
मुनि श्रीसुशील कुमार जी आचार्य विनोबा श्रीयुत प्रवास
श्री गंगाधर जालान
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री मनोहर मुनि श्री जगन्नाथ पाठक मुनिश्री लक्ष्मीचन्द्र जी
चित्रभानु
श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा किशोरीलाल मशरूवाला श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री राजकमल चौधरी
पं० सुखलाल जी उपाध्याय श्री अमरमुनि,
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अमरमुनि जी श्री अज्ञातशत्रु मुनि श्री नथमल जी काका कालेलकर श्री मनोहरमुनि आचार्य दादा धर्माधिकारी डॉ० मोहनलाल मेहता श्री पूज्य जिनविजयसेनसूरि श्री अगरचन्द नाहटा श्री दुलीचन्द्र जैन पं० अमृतलाल शास्त्री श्री सुरेशमुनि डॉ० मोहनलाल मेहता श्री दिनकर श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' पं० मुनि श्रीमल्ल जी श्री गोकुलचन्द्र जैन
लेख सर्वधर्म समानत्व की कुंजी धर्म का बहिष्कार या परिष्कार संघटन या विघटन अहिंसा-शोधपीठ पंचसूत्री कार्यक्रम जीवन का सही दृष्टिकोण भारतीय विचार प्रवाह की दो धारायें जैन विद्वान् साहित्यिक परम्परा को अक्षुण रखें तेरापंथ सम्प्रदाय के हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रहालय गुरुत्वाकर्षण से परमाणुशक्ति तक भगवान् महावीर की देन अहिंसा का अवतार क्या महावीर सामाजिक पुरुष थे जैनधर्म भगवान् या सामाजिक क्रांतिकारी अहिंसा का व्यावहारिक रूप जैन साहित्य की प्रतिष्ठा
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ई० सन् १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६०
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लेख अहिंसा, संयम और तप अपरिग्रह और आज का जैन समाज इस चर्चा को खतम कीजिए राष्ट्र निर्माण और जैन निशीथचूर्णि पर एक दृष्टि ज्ञानार्णव (ग्रन्थ परिचय) महावीर का कार्य मानवता के दो अखंड प्रहरी मानव संस्कृति और महावीर सम्यक् दृष्टिकोण सत्य पारखी दृष्टि पुरुष और नारी विकास की तीन सीढ़ियाँ मनुष्य जन्म या मानवता महाकवि हस्तिमल्ल मानव साध्य है या साधन युद्ध के लिए जिम्मेवार कौन ? क्या थे ? क्या हैं ? क्या होना है ?
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री जमनालाल जैन मुनि श्री समदर्शी श्री कस्तूरमल बांठिया श्री माईदयाल जैन श्री विजय मुनि श्री अगरचन्द नाहटा श्री शंकरराव देव श्री भरतसिंह उपाध्याय डॉ. देवेन्द्र कुमार जैन मुनिश्री श्रीमल्ल जी श्री सुबोध मुनि, श्री विमलदास जैन मनिश्री कन्हैयालाल 'कमल' श्री भागचन्द जैन प्रो० नेमिचरण मित्तल आचार्य जे० सी० कुमारप्पा श्री कस्तूरमल बांठिया
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अंक
लेख प्रधानाचार्य या आचार्य श्रमण संघ के सामने एक सवाल ! जैनाचार्य श्री काशीराम जी धार्मिक जीवन की प्रेरणा धर्म और पुरुषार्थ आहार शुद्धि के लिए क्या करें ? निगष्ठनातपुत्त लोंकागच्छीय विद्वानों के तीन संस्कृत ग्रन्थ दुविधा कर्तव्य बोध अध्यात्म साधना कैसी हो आध्यात्मिकखोज पाप क्या है ? असमता मिटाने का उपाय स्वार्थी तो हम भी हैं ? श्री किशनदास कृत 'उपदेश बावनी' उपजीवी समाज
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
- वर्ष श्री सुरेशमुनि शास्त्री मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल' ११ श्री सुमन मुनि उपाध्याय अमर मुनि पं० सुखलाल जी मुनिश्री निर्मल कुमार श्री भरतसिंह उपाध्याय श्री अगरचन्द नाहटा श्री मधुप कुमार डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन आचार्य विनोबा पं० बेचरदास दोशी ११ मुनिश्री श्रीमल्ल जी
११ श्री उमेशमुनि रामप्रवेश शास्त्री अम्बाशंकर नागर
११ श्री भ्रमर जी सोनी
ई० सन् १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६०
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लेख
दिल मा दिवड़ो थाय
पैसों का मूल्य भ० महावीर के निर्वाण दिन का क्या संदेश हो सकता है?
-
जीवन दृष्टि
भारतीय संस्कृति को भ० महावीर की देन भ० महावीर का निर्वाणोत्सव !
हम दूसरों को दूसरों के ही दृष्टिकोण से समझें
जीव सभ्यता
और जगत और संघर्ष
अपभ्रंश
भीगी अखियाँ
साहित्य : उपलब्धियाँ और प्रभाव
आचार्य
सोमदेवसूर
केशी ने पूछा विश्वविज्ञान पार्श्वनाथ के दो पट्टधर नए अपवाद आदर्श गृहस्थी
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री माता जी
श्री लक्ष्मी नारायण 'भारतीय'
पं० बेचरदास जी दोशी
श्री कन्हैयालाल भुरड़िया मुनिश्री समदर्शी जी श्री कस्तूरमल बांठिया
पं० बेचरदास दोशी
भाई श्री बंसीधर जी
डॉ० देवेन्द्र कुमार
श्री नवरत्न कपूर श्री गोकुलचन्द्र जैन
श्री गोकुलचन्द्र जैन
पं० बेचरदास जी दोशी
श्री अमिताभ
मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल'
श्रीमती
कृष्णा
मेहरोत्रा
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लेख
वैराग्यशतक सन् १९६१
श्रमणों का युगधर्म वनस्पति विज्ञान
वनस्पति की गतिशीलता
क्या लोकप्रियता योग्यता की निशानी है।
सत्य और बापू
आचार्य हेमचन्द्र और उसकी साहित्यिक मान्यताएँ
सफलता के तीन तत्त्व
जैन इतिहास लेखकों का आवाहन
वचन-बोध
वैदिक परम्परा
शब्दों की शवपूजा न हो
ठोकर
अपरिग्रह अथवा अकर्मण्यता जनजागरण और जैन महिलायें महिलाओं की मर्यादा
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री अगरचन्द नाहटा
डॉ० नवरत्न कपूर मुनिश्री नेमिचन्द्र जी
श्री पं० बेचरदास दोशी
श्री कोमलचन्द्र शास्त्री
श्री कोमलचन्द्र शास्त्री
श्री रामप्रवेश शास्त्री
डॉ० देवेन्द्र
कुमार
डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री भागचन्द्र जैन
पं० बेचरदास दोशी
मुनि श्री नथमल जी
श्री रतन पहाड़ी
श्री गोपीचन्द धारीवाल श्रीरंजन सूरिदेव श्रीमती शकुन्तला मोहन
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लेख होली का व्यापक आधार शास्त्र और सामाजिक क्रांति श्राप क्या ? वरदान क्या ? एक अज्ञात जैनमुनि का संस्कृति दूतकाव्य-"हंसदूत" पंजाबी में जैन साहित्य की आवश्यकता आचांराग का परिचय जीवन विकास की प्रेरणा : सहयोग तत्वोपदेष्टा महावीर परमार्थनिष्ठ महावीर तीर्थंकर महावीर प्रेमयोगी महावीर प्रणयी महावीर प्रेरणादायी महावीर ध्यान योगी महावीर युगदृष्टा महावीर अन्तरदृष्टा महावीर क्रांतिकारी महावीर मातृ-वत्सल महावीर
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष अंक श्रीअमर मुनि पं० सुखलाल जी
१२ ५ प्रो० नेमिशरण मित्तल श्री अगरचन्द नाहटा १२५ श्री माईदयाल जैन
१२ ५ मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल' १२ पं० श्री प्रकाश मुनि जी १२५ सुश्री कमला जैन
६-७ श्री हरजसराय जैन
१२ श्री कस्तूरमल बांठिया १२ ६-७ मुनि श्री श्रीमल्ल जी १२ ६-७ श्री सतीश कुमार
६-७ श्री लक्ष्मीनारायण भारतीय १२ ६-७ मुनिश्री नथमल जी
६-७ श्री साधक
६-७ श्री मनोहर मुनि जी
६-७ पं० बेचरदास दोशी
६-७ श्री जमनालाल जैन
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लेख महामानव महावीर शीलपरायण महावीर ब्रह्मनिष्ठ महावीर तपोधन महावीर शांतिदूत महावीर महावीर के समकालीन आचार्य साधु शिक्षक बनें
श्रीमद् भागवत में ऋषभदेव जैन साधुओं का संस्थारूपी परिग्रह
विचार शक्ति बसुमती
महाकाव्य
बदलते सामाजिक मूल्य और हमारा चिन्तन
जैन दर्शन का शब्द विज्ञान वीतराग महावीर भारतीय दर्शनों की आत्मा सुख की मूर्ति : दुख की परछाई भारतीय दर्शनों की समन्वय परम्परा उपकारी पशुओं की यह दुर्दशा
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री भ्रमर कुमार मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल'
वैद्य अमरचन्द्र जैन
श्री वृजनन्दन मिश्रा
कुमारी ललिता जैन
श्री गोकुलचन्द जैन
श्री सुबोध मुनि
श्री रमाकान्त झा
श्री माई लाल जैन
श्री माता जी
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री गोकुलचन्द जैन
श्री मनोहर मुनि जी
श्री कृष्णचन्द्राचार्य उपाध्याय श्री अमरमुनि
श्री मानकचन्द डॉ० देवराज पं० अमृतलाल शास्त्री
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लेख
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ई० सन् १९६१ १९६१
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री कस्तूरमल बांठिया मुनिश्री नेमीचन्द जी डॉ० नवरत्न कपूर श्री सूरजचन्द सत्यप्रेमी श्री ज्ञानमुनि जी मुनिश्री नेमिचन्द्र जी श्री अगरचन्द नाहटा श्री सच्चिदानन्द श्री मुनिलाल जैन सुश्री शरबती जैन भाई बंशीधर
महावीर के जीवन पर नया प्रकाश साधुसंस्था और लोकशिक्षण 'नौ' का अंक महावीर का अन्तस्तल अभिमान बुरा है लोकशिक्षण के गुण व योग्यताएँ एक अज्ञात ग्रन्थ की उपलब्धि सात शत्रु, सात मित्र महातपस्वी श्री निहालचन्द्र जी पर्युषण : परिचय और व्याख्या पर्युषण पर्व का मतलब पर्युषण : आत्म चिन्तन से सामाजिक चिंतन की ओर पर्युषण और सामाजिक शुद्धि पर्युषण और बौद्ध धर्म पर्युषण और पश्चाताप संवत्सरी
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री कस्तूरमल बांठिया बीकानेर जैन संघ श्री रामप्रवेश शास्त्री श्री गुलाबचन्द जैन श्री कैलाश चन्द्र शास्त्री श्री मनोहर मुनि शास्त्री श्री गोकुल चन्द श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० नामवर सिंह श्री गोकुलचन्द जैन श्री समीर मुनि 'सुधाकर'
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लेख जैन आगम और विज्ञान सेठ भैरोंदान जी सेठिया गांधी जी और अहिंसा पर्युषण: दस लक्षण सन्त श्री गणेशप्रसाद वर्णी विज्ञान राजनीति के चंगल में के वर्णी जी के स्मारक का प्रश्न ?
अस्वाद व्रत भी तप है संस्कृति क्या है ? सोमदेवसूरि और जैनाभिमत वर्ण-व्यवस्था है विचारणीय प्रश्न
जीवन दृष्टि नई पीढ़ी और धर्म एकदिव्य विभूति मालवीयजी श्रमण : एक व्याख्या समाज का धर्म महावीर की साधना और सिद्धान्त
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श्री विश्व बन्धु
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श्री सागरमल जैन 'साथी' श्री वासुदेवशरण अग्रवाल श्री महेन्द्र कुमार जैन प्रो० देवेन्द्र कुमार जैन कु० विजया जैन
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लेख
मेरे संस्मरण : मालवीय जी विश्व मानव महामना मालवीय महामना की महानता
अद्भुत भिखारी एवं महान दाता
स्व० डॉ० भगवानदास जैनसंस्कृति और विवाह जीवन की सच्ची क्रांति ज्योतिर्मय जीवन समन्वयकार : आचार्य श्री श्रुत और सेवा के प्रतीकः आचार्य श्री प्रथम और अन्तिम दर्शन
एक मधुर स्मृति
आचार्य श्री का पुण्य जीवन
आचार्य श्री आत्माराम जी की आगमसेवा
शास्त्रोद्धार की आवश्यकता श्रद्धांजली अर्पित करने वालों से
अपरिग्रही महावीर
बुद्ध और महावीर का परिनिर्वाण
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री त्रिलोचन पन्त डॉ॰ वासुदेवशरण अग्रवाल प्रो० उदयचन्द्र जैन प्रो० राजदेव त्रिपाठी श्री गुलाबचन्द जैन
श्री गोकुलचन्द जैन
मुनिश्री पद्मविजय जी
श्री विजयमुनि शास्त्री मुनिश्री सन्तबाल
महासती श्री ललित कुमारी जी मुनिश्री शान्तिप्रिय शास्त्री श्री हरजसराय जैन कमल जैन 'दीदी'
श्री अगरचन्द नाहटा आचार्य आत्माराम जी श्री सुरेशमुनि शास्त्री श्री जमनालाल जैन श्री कस्तूरमल बांठिया
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
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भाई श्री बंशीधर जी डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री विजयमुनि शास्त्री श्री माईदयाल जैन श्री महेन्द्रराजा जैन
वर्ष अंक
१३६ ... १३
१३६ १३६ १३६
६
ई० सन् १९६२ १९६२ १९६२ १९६२ । १९६२ १९६२
पृष्ठ १९-२१ २२-२६ २९-३२ ३३-४२ ४३-४५ ४७-५३
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लेख महावीर जयन्ती का अर्थ भगवान् महावीर जन्मकालीन परिस्थितियां महावीर का दर्शन कराइए जैन संस्कृति और महावीर नई राहें भगवान् महावीर जैनधर्म में “एकान्त नियतिवाद और सम्यक् नियति' का भेद मातृभाषा और उसका गौरव जैन शासन तेजस्वी कैसे बने . बुद्ध और महावीर का निर्वाण काव्य में लोकमंगल महावीर का मंगल उपदेश अनेकांत : अहिंसा का व्यापक रूप श्रमण संघ के दस वर्ष आज का फैशन-धूम्रपान आगमों का आनुयोगिक वर्गीकरण श्रीमद् राजचन्द्र का परिचय
७-८ . ७-८
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पं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री डॉ० वासुदेव शरण अग्रवाल मुनिश्री नथमल जी श्री कस्तूरमल बांठिया श्री गंगासागर राय डॉ० हरिशंकर वर्मा डॉ० जगदीशचन्द्र जैन डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री सरदारमल जैन मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल' श्री रतिलाल दीपचन्द देसाई
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लेख
प्राकृत भाषा के चार कर्मग्रन्थ
क्षमापना दिन
श्रमण संस्कृति में क्षमा
वीतराग की उपासना
धर्ममय समाज रचना की आधारशिला क्षमापना
गांधीजी : व्यक्तित्व और नेतृत्व जैन चेयर की आवश्यकता अरविन्द का अनेकान्त दर्शन सुधार का मूलमंत्र
जीवन तो संयम ही है
काव्य
का प्रयोजन : एक विमर्श
व्रत का मूल्य संथारा आत्महत्या नहीं है हिंसा का बोलबाला भगवान् महावीर और दीवाली भगवान् महावीर का निर्वाण उपाध्याय कवि श्री अमर मुनि
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री अगरचन्द नाहटा श्री लक्ष्मीनारायण भारतीय
श्री कानजी भाई पटेल
श्री ज्ञानमुनि जी मुनिश्री नेमिचन्द जी
श्री श्रीप्रकाश
श्री शरद कुमार 'साधक'
श्री श्रीप्रकाश दुबे श्री जुगलकिशोर मुख्तार प्रो० दरबारी लाल कोठिया
श्री गंगासागर राय
डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री
श्री दलसुख मालवणिया
श्री ताराचन्द्र मेहता
डॉ॰ ज्योति प्रसाद जैन
श्री महेन्द्र कुमार शास्त्री श्री विजय मुनि जी
वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक शीत ऋतु का आहार-विहार
वैद्यराज सुंदरलाल जैन शान्तिपर्व का आचारदर्शन
श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा अनेकान्त : अहिंसा
डॉ० जगदीशचन्द्र शास्त्री दर्शन और धर्म
पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री भेद में अभेद का सर्जक स्याद्वाद
श्री छगनलाल शास्त्री ख्याल का भविष्य
श्री प्यारेलाल श्रीमाल धर्म और विद्या विकास का मार्ग
पं० सुखलाल जी धर्म क्षेत्रे हिम क्षेत्रे
श्री कानजी भाई पटेल रोगों का इलाज
श्री दुर्गाशंकर द्विवेदी जैनों ने भी युग का आह्वान सुना
श्री कस्तूरमल बांठिया जैन परम्परा का आदिकाल (क्रमश:)
डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री जैन और बौद्ध आगमों में विवाह विधि
श्री कोमलचन्द्र जैन महात्मा भगवानदीन जी
श्री जमनालाल जैन संसार की हिंसामय परिस्थिति और हम
श्री सतीश कुमार स्मृति पुरुष : श्री पूज्य गणेश लाल जी महाराज मुनिश्री श्रीमल्लजी, श्री जिनवल्लभसूरि की प्राकृत साहित्य सेवा श्री अगरचन्द नाहटा समाजसेवी स्व० नन्हेमल जी जैन
श्री माईदयाल जैन जैन परम्परा का आदिकाल (क्रमश:) ' डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
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लेख
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक महात्मा भगवानदीन जी मुनि समदर्शी डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव मुनि समदर्शी उपाध्याय श्री अमरमुनि श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' डॉ० मंगलदेव शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा श्री समीरमुनि 'सुधाकर' श्री कस्तूरमल बांठिया पं० मुनि श्रीमल्ल जी सुश्री शशिप्रभा जैन पं० चैनसुख दास जैन डॉ० बूलचन्द श्री श्रीप्रकाश दुबे डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी मुनि श्री नेमिचन्द्र जी
सेठ रतनलाल जी हिन्दी जैन कवियों का आत्म-स्वातंत्र्य साधना की अमर ज्योति । भगवान् महावीर का अध्यात्म दर्शन जैनधर्म : भ० महावीर की कसौटी पर भगवान् महावीर की महामानवता जैन परम्परा का आदिकाल सबके कल्याण में अपना कल्याण भगवान् महावीर और हरिकेशी अहिंसा निउणा दिट्ठा श्रमण भ० महावीर का दीक्षा-दर्शन शांति के अग्रदूत-भ० महावीर धर्म का सर्वोदय स्वरूप विश्व अहिंसा संघ और प्रवृत्तियाँ कर्म और अनिश्वरवाद भगवान महावीर और उनका उपदेश भगवान् महावीर और धर्म क्रांति
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष महात्मा भगवानदीन
१४ डॉ० देवेन्द्र कुमार
१४ श्री भागचन्द जैन
१४ श्री अगरचन्द नाहटा
१४ डॉ० गंगासागर राय डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री शरद कुमार ‘साधक' मुनि श्री नेमिचन्द्र जी पं० मुनि श्री कन्हैयालालजी 'कमल' १४ श्री सरदारमल जैन श्री उमाशंकर त्रिपाठी 'बन्धुजी' १४ मुनि श्री नन्दीषेण विजय श्री प्रतेशचन्द जैन श्री जयभिक्खु पं० मुनि श्री रामप्रसाद जी मुनि श्री पद्मचन्द जी शास्त्री १४ उपाध्याय अमरमुनि . पं० मुनिश्री श्रीमल्ल जी महाराज १४
मैं महावीर को याद क्यों करता हूँ भगवान् महावीर के समसामयिक आचार्य मौलिक चिन्तन की आवश्यकता । भारतीय आचार्यों की दृष्टि में काव्य के हेतु स्वामी जी धनीराम जी महाराज अहिंसा से कोई विरोध नहीं शुद्धि प्रयोग की झांकी पद्मलेश्या के रस का उपमेय मद्य क्यों ? रक्षाबंधन भाई साहब जैन धर्म का दृष्टिकोण क्या आप स्वीकार करेंगे धन्य यशोदा, तुम्हे ! गुरुदेव की जीवन रेखाएँ कृपालु गुरुदेव श्रद्धेय वाचस्पतिजी: एक पुण्य स्मृति संस्मरणात्मक श्रद्धांजलि
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अंक ई० सन् ८ १९६३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री प्रकाश मुनि जी 'विशारद' श्री किशोरीलाल जैन श्री समीर मुनि श्री विमल जैन 'अंशु' पं० श्री ज्ञानमुनि जी पं० बेचरदास जी श्री कस्तूरीलाल जैन श्री मधुकर मुनि श्री हरजसराय जैन श्री विजयमनि शास्त्री श्री शादीलाल जैन श्री प्रेमचन्द जी महाराज मैडमे लुइस वैस श्री सुदर्शन मुनि जी श्री श्रीप्रकाश दुबे श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' डॉ० गोपीचन्द धाड़ीवाल
लेख संयममूर्ति गुरुदेव कुछ संस्मरण और श्रद्धा के फूल श्री व्याख्यान वाचस्पति जी महाराज स्वामी श्री मदनलाल जी स्थानकवासी समाज का दुर्भाग्य श्री मदनलाल जी महाराज संयम और त्याग की मूर्ति वंदन हो अगणित त्याग-पत्र का स्पष्टीकरण वाणी का जादूगर मेरी कुछ अनुभूतियाँ चरणारविन्द में एक महत्त्वपूर्ण भेंट भाव-विभोर श्रद्धांजलि स्वामी विवेकानन्द जैनधर्म और उनका सामाजिक दृष्टिकोण चीनी आक्रमण: अहिंसा को चुनौती
अंक ई० सन् ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३ ११-१२ १९६३
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लेख प्राच्यभारती का अधिवेशन रघुवंश की अज्ञात जैन टीका पूज्यश्री मंगल ऋषि जी दुर्भाग्य में से सौभाग्य प्राप्त करें डॉ० भयाणी के व्याख्यान चातुर्मास व्यवस्था में सुधार कीजिए हम क्रान्ति का आह्वान करें पूज्य श्री जिनविजयेन्द्र सूरि जी प्रत्येक आत्मा परमात्मा है श्री अतरचन्द जैन साधुओं का शिथिलाचार साहित्य और साहित्यिक सस्ता और सुलभ भोजन २६वां प्राच्यविद्या विश्व सम्मेलन शुद्धि प्रयोग की झांकी मेरी पंजाब यात्रा ऋषिभाषित का परीक्षण वसंत ऋतु का आहार-विहार
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० नवरत्न कपूर श्री अगरचन्द नाहटा श्री कृष्णचन्द्राचार्य मुनिश्री संतबाल जी श्री श्रीप्रकाश दुबे श्री अन्नराज जैन श्री चांदमल कर्णावट श्री शंकरमुनि पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री ओमप्रकाश अग्रवाल श्री सौभाग्यमल जैन संत विनोबा डॉ० कौशल किशोर जैन डॉ० नारायण हेमनदास सम्तानी मुनि श्री नेमिचन्द जी श्री श्रीप्रकाश दुबे श्री मनोहरमुनि शास्त्री वैद्यराज श्री सुन्दरलाल जैन
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लेख
तीर्थंकर और उनकी शिक्षाएं पुण्डरीक का दृष्टांत स्याद्वाद और अनेकान्तवाद
श्रमण परम्परा में धर्म और उसका महत्त्व
धर्म और सहिष्णुता
महावीर का तप कर्म
मुनि वारिषेण और उनका सम्यकत्त्व भगवान् महावीर के जीवनचरित्र और उन पर
विभिन्न परम्पराओं का प्रभाव
धार्मिक एकता वर्धमान से महावीर कैसे बने भगवान् महावीर के बाद श्री रत्नमुनिः जीवन परिचय आगरा में श्रीरत्नमुनि शताब्दी समारोह तुलनात्मक दर्शन पर दो दृष्टियाँ समता के संदेशदाता : भगवान् महावीर वर्धमान महावीर के जीवन का एक भ्रान्त दृश्य
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री महेन्द्र कुमार शास्त्री श्री श्रीप्रकाश दुबे पं० दरबारीलाल कोठिया
श्री रामजी भाई पटेल डॉ० ज्योति प्रसाद जैन
डॉ० मोहनलाल मेहता श्रीरंजन सूरिदेव
श्री कस्तूरमल बांठिया मुनि श्री नेमिचन्दजी
श्री जिनविजयसेन सूरि
श्री समीर मुनिं 'सुधाकर'
श्री विजय मुनि
श्री कृष्णचन्द्र श्री श्रीप्रकाश दुबे
श्री लक्ष्मीनारायण भारतीय डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक प्रो० कानजी भाई पटेल वैद्यराज श्री सुन्दरलाल जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री हरजसराय जैन पं० बेचरदास दोशी डॉ० मोहनलाल मेहता काका कालेलकर श्री वृजनन्दन विजयेन्द्र ‘दर्शी श्री ज्ञानमुनि श्री महावीरचन्द धारीवाल श्री गुलाबचन्द जैन पं० बेचरदास दोशी
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पृष्ठ ४८-५७ ५९-६२ ६३-६४ ६६-६८ २-६ ७-१५ १६-१९ २०-२३ २४-२७ २८-३२
उत्तराध्ययन सूत्र- धार्मिक काव्य ग्रीष्म ऋतु का आहार-विहार मेघदूतम् की एक अज्ञात बालावबोध पंजिका सुहृदय श्री मुनिलाल जैनी स्थानांग और समवायांग (क्रमश:) शिवशर्मसूरिकृत 'कर्म प्रकृति'
अहिंसा के तीन क्षेत्र (क्रमश:) पंचयाम धर्म का एक पर्यवेक्षण मील का पत्थर भगवान महावीर के आठ सन्देश सर्वोदय और जैन दृष्टिकोण उद्भट विद्वान् पं० बेचरदास दोशी स्थानांग व समवायांग रायपसेणिय उपांग और उसका रचनाकाल (क्रमश:) अहिंसा के तीन क्षेत्र क्रोध और क्षमा वैराग्य क्या है ?
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श्री कस्तूरमल बांठिया काका कालेलकर समीरमुनि स्व० छोटालाल हरजीवन सुशील
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनि नेमिचन्द्र श्री ऋषभचन्द्र मुनि बसन्तविजय श्री कस्तूरमल बांठिया मुनि श्री संतबाल जी श्री रत्नचन्द जैन शास्त्री डॉ० मोहनलाल मेहता श्री नरेन्द्र जैन श्री पारसमल 'प्रसून श्री कस्तूरमल बांठिया श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता श्री ज्ञानमुनि उपाध्याय हस्तीमल जी
लेख भगवान् महावीर और समता का आचरण जैनधर्म और आज की दुनिया भगवान् महावीर की देन रायपसेणिय और उसका रचनाकाल (क्रमश:) आत्मबलीसाधक और दैवीतत्त्व क्रांतिकारी महावीर जैनदृष्टि से चारित्र विकास (क्रमश:) भगवान् महावीर की अहिंसा । क्षमा शांति के ये सुशीतल स्रोत रायपसेणिय और उसका रचनाकाल (क्रमश:) भगवद्गीता और जैनधर्म जैनदृष्टि से चारित्र विकास अहिंसा की लोकप्रियता जैन समाज में फोटो प्रचार हमारे कवल (ग्रास) को मुर्गी के अण्डे की उपमा क्यों संस्कृति का स्वरूप
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ई० सन् १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४
पृष्ठ ३०-३४ ३५-३६ ३७-४० २-८ ९-१२ १३-१६ १७-२३ २४-२६ २७-२८ ३-१० ११-१२ १३-१८
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मुनि कन्हैयालाल 'कमल' श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री विमल जैन श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
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अंक १२
ई० सन् ___ पृष्ठ १९६४ ३५-३७ १९६४ ३-११ १९६४ १२-१९
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डॉ० मोहनलाल मेहता
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लेख भगवान महावीर और नारी जाति रायपसेणियउपांग और उसका रचनाकाल सत्य के आवरण या मूर्छायें कर्म प्राभृत अथवा षटखंडागमएक परिचय (क्रमश:) "डॉ० गोविन्द त्रिगुणायक का जैन दर्शन व संत कवि" सम्बन्धी वक्तव्य रायपसेणियउपांग और उसका रचनाकाल अद्वेष दर्शन अंगग्रन्थों का बाह्यरूप अण्डे खाना भी हिंसा ही है जैनधर्म की आचारसंहिता कर्मप्राभत अथवा षटखंडागमः एक परिचय (क्रमश:) लवण एवं अंकुश की देवविजय का भौगोलिक परिचय द्वीपसागर प्रज्ञप्ति
श्री अगरचन्द नाहटा श्री कस्तरमल बांठिया काका कालेलकर T० बेचरदास दोशी श्री शिवनारायण सक्सेना श्री रिखबचंद 'लहरी'
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१९६४ १९६४
२८-३६ ३-११ १२-१४ १५-२२ २३-२५ २६-२८
१९६४
१९६४ १९६४
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डॉ. मोहनलाल मेहता
१६
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१९६४
२९-३२
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डॉ० ऋषभ चन्द्र श्री अगरचन्द नाहटा
१९६५ १९६५
३-१५ १८-१९
१६
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० के० भुजबलि शास्त्री मुनि दुलहराज जी
वर्ष
अंक ३ ३
ई० सन् १९६५ १९६५
६१ पृष्ठ २०-११
१६
१६ १६३
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डॉ० मोहनलाल मेहता श्री माँ, अरविन्दाश्रम पं० सुखलाल संघवी डॉ० देवेन्द्र कुमार पं० दलसुख मालवणिया श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल
लेख डणायक रविकीर्ति उपदेश विधि कर्मप्राभृत अथवा षटखंडागम - एक परिचय (क्रमश:) त्याग का मनोविज्ञान पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान की कार्यदिशा जैनदर्शन और भक्ति-एक थीसिस । भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर
क्या जैनधर्म जीवित रह सकता है ? - रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का
हिन्दी साहित्य पर प्रभाव ६ कर्मप्राभृत अथवा षटखंडागम
एक परिचय (क्रमश:) रायपसेणियउपांग और उसका रचनाकाल की समीक्षा श्रमण संस्कृति का हार्द रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव (क्रमश:)
१९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५
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२३-२८ २९-३३ ३४-३६ ३-८ ९-२१ २२-२५
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श्री प्रेमचन्द जैन शास्त्री
१६
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१९६५
२६-३१
डॉ० मोहनलाल मेहता
१९६५
३२-३७
मुनि कल्याणविजय श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय'
१९६५३८ । १९६५ २-११
६
५
श्री प्रेमचन्द शास्त्री
__ १६
५
१९६५
१२-१७
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पृष्ठ
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनिश्री दुलहराज डॉ० मोहनलाल मेहता Shri Ramchandra Jain श्री शिवनारायण पाण्डेय डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री
वर्ष १६ १६
अंक ५ ५
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ई० सन् १९६५ ।। १९६५ १९६५ १९६५ १९६५
१९-२२ २३-२८ ३-८ ९-११
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६
लेख विस्मृत परम्परायें कर्मप्राभृत अथवा षट्खंडागम- एक परिचय (क्रमश:) Ahimsa in the Ancient East वीरों का श्रृंगार : अहिंसा क्रांतिदर्शी महावीर रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव (क्रमश:) अतिशय क्षेत्र पपौरा कर्मप्राभृत अथवा षट्खंडागम- एक परिचय पुनरुत्थान
हमारी प्रवृत्तियाँ और उनका मूल्यांकन 3 श्रावकप्रज्ञप्ति के रचयिता कौन ?
दर्शन और धर्म नन्दीसूत्र की एक जैनेतर टीका रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव अहिंसा पउमचरियं में वर्णित राम की वनयात्रा (क्रमश:)
श्री प्रेमचन्द्र जैन शास्त्री डॉ० अमृतलाल शास्त्री डॉ० मोहनलाल मेहता श्री विद्याभिशु ‘आधुनिक' डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री पं० बालचन्द्र शास्त्री श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा
१६६
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१९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५
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१०-१२ १३-१४
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श्री प्रेमचन्द्र जैन शास्त्री श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल डॉ० के० ऋषभचन्द्र
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१९६५ १९६५ १९६५
१५-१९ २०-२८ ३-८
1
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लेख
जल में लागी लाय सचेल-अचेल हमारे पतन का मुख्य कारणः हिंसा मूल्यों का संकट और आध्यात्मिकता विवाह - भारतीयेत्तर परम्परायें (क्रमश:) सोमदेवकृत यशस्तिलक
दर्शन और विज्ञान : एक चिन्तन पउमचरियं में वर्णित राम की वनयात्रा विवाह - भारतीयेतर परम्परायें
कल्याणसागरसूरि को प्रेषित सचित्र विज्ञप्तिलेख
आत्म विज्ञान
विगत हजार वर्ष के जैन इतिहास
का सिंहावलोकन (क्रमश:)
अहिंसा की महानता
कषायप्राभृत भौतिकवाद व अध्यात्मवाद विगत हजार वर्ष के जैन इतिहास
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री समीर मुनि 'सुधाकर' मुनि दुलहराज
श्री शिवनारायण सक्सेना
डॉ॰ देवेन्द्र कुमार
डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा
श्री गोकुलचन्द जैन
श्री गणेशमुनि शास्त्री
डॉ० के० ऋषभचन्द्र
डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल
श्री कस्तूरमल बांठिया
डॉ० शिवनारायण सक्सेना
डॉ० मोहनलाल मेहता
श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल
वर्ष
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६४
लेख
का सिंहावलोकन (क्रमश:) अद्भुत दान पउमचरियं के
कुछ
भौगोलिक स्थल
कषायप्राभृत हृदय का माधुर्य-करुणा
आत्म शुद्धि का पर्व - पर्युषण
विगत हजार वर्ष के जैन इतिहास का सिंहावलोकन
धर्म का मूल आधार - अहिंसा
रामकथा - विषयक कतिपय भ्रांत धारणायें
आचार्य ब्रह्मचर्य की गुप्ति पुष्पदन्त की रामकथा आस्रव व बंध
दिवाकर का प्रमाण: एक अनुशीलन
ज्योतिर्धर महावीर श्रीमद्देवचन्द्र रचित कर्मसाहित्य जैन संस्कृति और परिवार व्यवस्था महान् साहित्यकार आचार्य हरिभद्रसूरि
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री विद्याभिक्षु
डॉ० के० ऋषभचन्द्र डॉ० मोहनलाल मेहता
मुनि श्री विनयचन्द जी
श्री सरदारमल जैन
श्री
बांठिया
कस्तूरमल
श्री शिवनारायण सक्सेना
डॉ० के० ऋषभचन्द्र श्रीरंजन सूरिदेव
उपाध्याय श्री हस्तिमल जी
डॉ० देवेन्द्रकुमार
श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल
देवेन्द्र शास्त्री
श्री अगरचन्द नाहटा प्रेमसुमन जैन डॉ० ज्योति प्रसाद जैन
वर्ष
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वर्ष
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अंक १-२ १-२ १-२ १-२ ३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक दिगम्बर परम्परा में श्रावक के गुण और भेद श्री कस्तूरमल बांठिया जैन और बौद्धआगमों में गणिका
श्री कोमलचन्द जैन लब्धियां
श्री अम्बालाल प्रेमचंद शाह उपासक प्रतिमायें
डॉ० मोहनलाल मेहता पउमसिरीचरिउ के मूलस्रोत्र (क्रमश:)
डॉ० के० ऋषभचन्द्र ' समाजशास्त्र की पृष्ठभूमि में जैनों के सम्प्रदाय श्री लक्ष्मी नारायण 'भारतीय' संघर्ष और आंलिगन
डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री जैनधर्म में मानवतावाद
श्री कस्तूरचन्द ललवानी Concept of Aimsa in the Shantiparvan Shri Bashistha Narayan Sinha श्वेताम्बर-परम्परा में श्रावक के गुण और भेद श्री कस्तूरमल बांठिया पउमसिरिचरिउ के मूल स्रोत्र
डॉ० के० ऋषभचन्द्र धर्म : मेरी दृष्टि में
मुनि श्री नेमिचन्द्र जी लब्धिफल
श्री अम्बालाल प्रेमचन्द शाह अपभ्रंश की पूर्वस्वयंभूयुगीन कविता
डॉ० देवेन्द्र कुमार संवर और निर्जरा
श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल धर्म और विज्ञान
आचार्य रजनीश संस्कृत साहित्य के इतिहास के जैन सम्बन्धित संशोधन श्री अगरचन्द नाहटा
पृष्ठ ५६-६६ ६७-७२ ७३-८४ ८५-८८ ३-८ ११-१९ २०-२४ २५-३२ ३३-४० ३-१४ १६-२३ २४-२८ २९-३९
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लेख
डॉ० जैकोबी और वासी चन्दन कल्प (क्रमश:) Risabhadeva: A study
श्रावक के
गुण और भेद (क्रमश:)
अपूर्वरक्षा
मोक्ष
जैन समाज द्वारा काव्य सेवा
डॉ० जैकोबी और वासी चन्दनकल्प (क्रमश:)
उत्सर्ग और अपवाद
श्रावक
के गुण और भेद (क्रमश:)
डॉ० जैकोबी और वासी चन्दनकल्प (क्रमश:) आचारांग में उल्लिखित परमत विश्वव्यवस्था और सिद्धान्तत्रयी
जैन समाज व्यवस्था श्रावक के गुण और भेद
डॉ० जैकोबी और वासी चन्दनकल्प (क्रमशः ) आर्षप्राकृत का व्याकरण (क्रमश:) जैन उपाश्रय व्यवस्था और कर्मचारीतंत्र
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
मुनि श्री महेन्द्र कुमारजी 'द्वितीय'
Dr. Bashistha Narayan Sinha श्री कस्तूसल बांठिया श्री विद्याभिक्षु
श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल श्री रूपचन्द जैन
मुनिश्री महेन्द्र कुमारजी (द्वितीय) मुनिश्री पुण्यविजय जी श्री कस्तूरमल बांठिया मुनिश्री महेन्द्र कुमारजी (द्वितीय) पं० बेचरदास दोशी
श्री अजित मुनि 'निर्मल'
श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्री कस्तूरमल बांठिया
मुनिश्री महेन्द्र कुमारजी (द्वितीय) पं० बेचरदास दोशी
श्री कृष्णलाल शर्मा
वर्ष
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६७
वर्ष
अंक १७८ १७ ९
पृष्ठ ३४-३९
२-७
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनि श्री न्याय विजयजी डॉ० देवेन्द्र कुमार डॉ० के० ऋषभ चन्द्र पं० बेचरदास दोशी श्री अजित मुनि काका कालेलकर डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० जगदीशचन्द्र जैन
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ई० सन् १९६६ १९६६ १९६६ १९६६ १९६६ १९६६ १९६६ १९६६
८-११ १२-१४ १७ १८-२१ २२-२७ २८-३१
१७ १७
लेख
समग्र जैन संघ को नम्र विज्ञप्ति . हेमचन्द्र और भारतीय काव्यालोचना पउमचरियं : संक्षिप्त कथावस्तु आर्षप्राकृत का व्याकरण पुष्कर के सम्बन्ध में शोध अहिंसा की परिणति समन्वय और सत्याग्रह गुणव्रत पिण्डनियुक्ति श्वेताम्बर जैनों के पूजाविधियों का इतिहास (क्रमश:) न्यायोचित विचारों का अभिनन्दन पउमंचरियं : संक्षिप्त कथावस्तु (क्रमश:) महर्षि अरविन्द-जैन दर्शन की दृष्टि में निम्रन्थ-निर्ग्रन्थी संघ श्वेताम्बर जैनों के पूजाविधियों का इतिहास (क्रमश:) वीरनन्दी और उनका चन्द्रप्रभचरित .
श्री कस्तूरमल बांठिया पं० श्री जुगल किशोर मुख्तार डॉ० के० ऋषभ चन्द्र श्री लक्ष्मीचन्द जैन मुनिश्री पुण्यविजय जी
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श्री कस्तूरमल बांठिया पं० अमृतलाल शास्त्री
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१९६६ १९६६
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लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० के० ऋषभचन्द्र श्री सुदर्शन लाल जैन डॉ० के० ऋषभचन्द्र
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अंक ११ ११ १२
ई० सन् १९६६ १९६६ १९६६
पृष्ठ २६-३० ३१-३८ ३-८
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पउमचरियं : संक्षिप्त कथावस्तु यज्ञ : एक अनुचिन्तन (क्रमश:) पउमचरियं : संक्षिप्त कथावस्तु 'महावीरचर्या' ग्रन्थ सम्बन्धी महापंडित राहुल जी के दो पत्र जैन समाज का धर्म प्रचार यज्ञ : एक अनुचिन्तन धर्म का एक आधार : स्वस्थ समाज रचना अपभ्रंश की शोध कहानी राक्षस : एक मानव वंश भारतीय विद्याविद् डॉ० ज्हान ज्या बुहलर थुल्लवंश की एक अपूर्ण प्रशस्ति सेवा : एक विश्लेषण अहिंसा की साधना आचारांग के कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द जैनधर्म और व्यावसायिक पूंजीवाद : वेबर की अनुदृष्टि
श्री अगरचन्द नाहटा श्री समीर मुनि 'सुधाकर' श्री सुदर्शनलाल जैन साध्वी श्री मंजुला डॉ० देवेन्द्र कुमार डॉ० के० ऋषभचन्द्र श्री कस्तूरमल बांठिया श्री भंवरलाल नाहटा श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल साध्वी श्री कनकप्रभा
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श्री कृष्णलाल शर्मा
१-२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्री नन्दलाल मारु श्री लक्ष्मीनारायण श्री कस्तूरमल बांठिया पं० बेचरदास दोशी डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
ई० सन् १९६६ १९६६ १९६७ ।
१८
वर्ष अंक १८ १-२
१-२ १८३ १८ १८३ १८ ३
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पृष्ठ । ७३-७७ ७८-७९ ३-९ १०-२३ २९-३१ ३२-३६
१९६७ १९६७ १९६७
लेख
अहिंसा : एक विश्लेषण __ क्या लोकाशाह विद्वान् नहीं थे ?
जैनधर्म और नारी श्रावक किसे कहा जाय
आर्ष प्राकृत का व्याकरण ए विश्व का निर्माण तत्त्व : द्रव्य
“कुवलयमाला" मध्ययुग के आदिकाल की एक जैन कथा विद्याधर : एक मानव जाति आचार्य हेमचन्द्र के पट्टधर आचार्य रामचन्द्र - के अनुपलब्ध नाटकों की खोज अत्यावश्यक जैन सिद्धान्त और समाजव्यापी प्रयोग जैन संस्कृति का विस्तार पउमचरियं में अनार्य जातियां प्रज्ञाचक्षु राजकवि श्रीपाल की एक अज्ञात रचना-शतार्थी आत्म निरीक्षण
श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० के० ऋषभ चंद्र
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२-१७ १८-२०
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श्री अगरचन्द नाहटा मुनि नेमिचन्द्र श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री डॉ० के० ऋषभ चन्द्र
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श्री अगरचन्द नाहटा श्री पारसमल 'प्रसून'
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
+
लेखक
अंक
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मन
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श्री नन्दलाल मारु डॉ० मोहनलाल मेहता
१८६
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लेख अहिंसा का जैन दृष्टि से विश्लेषण कषाय प्राभूत की व्याख्यायें मनिरामसिंह कृत 'पाहडदोहा' : एक अध्ययन अहिंसा : एक विश्लेषण आगम प्रकाशन में सहयोग कौन और कैसे करे ? बौद्ध और जैन आगमों में जननी ज्ञान तपस्वी मुनि श्री पुण्यविजय जी महावीर और बुद्ध : कैवल्य और बोधि पुलिस अष्टलक्षी में उल्लिखित अप्राप्य रचनायें जैनमुनि और मांसाहार परिहार श्री सिद्धर्षिगणि कृत उपमितिभवप्रपंचाकथा आर्षप्राकृत का व्याकरण अक्षय तृतीया : एक चिन्तन जैन और बौद्ध आगमों में जननी- एक पहलू अहिंसा : एक विश्लेषण जैनधर्म में सामाजिक प्रवृत्ति की प्रेरणा
श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० कोमलचन्द जैन श्री रतिलाल दीपचंद देसाई मुनि श्री नगराज जी पं० बेचरदास दोशी श्री अगरचन्द नाहटा श्री कस्तूरमल बांठिया श्री गोपीचंद धाड़ीवाल पं० बेचरदास दोशी श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री सौ० सुधा राखे । श्री गोपीचंद धाड़ीवाल मुनि श्री नथमल
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१९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७ १९६७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक बौद्ध और जैन आगमों में पुत्रवधु
डॉ० कोमलचन्द जैन महाकवि स्वयंभू और तुलसीदास
श्री प्रेमसुमन जैन - रोटी शब्द की चर्चा
पं० बेचरदास दोशी क्या रावण के दस मुख थे?
डॉ० के० ऋषभ चन्द्र श्रमण और श्रमणोपासक ।
श्री कस्तूरमल बांठिया ग जैन संस्कृति और प्रचार : एक चिन्तन
श्री गजेन्द्र मुनि कुवलयमालाकहा का कथा स्थापत्य संयोजन श्री प्रेमसमन जैन रामकथा के वानर : एक मानवजाति
डॉ० के० ऋषभ चन्द्र बौद्ध और जैन आगमों में जननी : एक स्पष्टीकरण डॉ० कोमलचन्द जैन भारतीय साहित्य और आयुर्वेद
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री आचार्य हेमचन्द्र के योगशास्त्र पर एक प्राचीन टीका
श्री जुगल किशोर मुख्तार श्री सिद्धर्षिगणि कृत उपमितिभवप्रपंचाकथा से संकलित 'धर्म की महिमा'
श्री गोपीचंद धाड़ीवाल जिनसेन का पार्श्वभ्युदय : मेघदूत का माखौल डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव अहिंसा : एक विश्लेषण
श्री नन्दलाल मारु पउमचरिउ की अवान्तर कथाओं में भौगोलिक सामग्री
डॉ० के० ऋषभ चन्द्र
पृष्ठ २४-३३ ३-१४ १५-१९ २२-२४ २५-२९ ३०-३६ ३-८ ९-१२ १५-१९ २०-३३
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११ ११ ११
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७२
लेख
आचार्य हरिभद्रसूरि प्राकृत के एक सशक्त कथाकार अष्टलक्षी में उल्लिखित जयसुन्दरसूरि की शतार्थी की खोज आवश्यक श्रीरंजन सूरिदेव की कुछ मोटी भूलें पुष्पदन्त का कृष्ण काव्य तप क्या है ।
बौद्ध और जैन आगमों में जननी
श्रमण : अतीत के झरोखे में
अध्यात्मवाद : एक अध्ययन
श्रमण भगवान् महावीर का जन्मस्थान
पेथड़रास के कर्ता कौन बौद्ध और जैन आगमों में नारी जीवन : एक और स्पष्टीकरण मगध साम्राज्य का प्रथम सम्राट श्रेणिक
लेखक
श्री प्रेमसुमन जैन
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री जुगलकिशोर मुख्तार डॉ० देवेन्द्र कुमार पं० बेचरदास दोशी
सौ० सुधा राखे
सम्यग्दर्शन
श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल
भगवान् महावीर की २५वीं निर्वाणशती कैसे मनायें श्री नन्दलाल मारु पार्वाभ्युदयकाव्य विचार-वितर्क
डॉ० श्रीरंजन सूरि देव
अपभ्रंश कथाकाव्यों का हिन्दी प्रेमाख्यानों के
शिल्प पर प्रभाव
श्री प्रेमचन्द जैन
श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री श्री नरेश चन्द्र मिश्र 'भंजन'
श्री सनत्कुमार रंगाटिया
डॉ० कोमलचन्द जैन
श्री गणेश प्रसाद जैन
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लेख
एक प्रतिक्रिया
आचार्य हेमचन्द्र और जैन संस्कृति भगवान् महावीर कालीन वैशाली में जैनधर्म प्रसिद्धि प्राप्त श्वेताम्बर जैनों की कुछ कृत्रिम कृतियां जिनचन्द्रसूरिरचित श्रावकसामाचारी की पूरी प्रति की खोज
समराइच्चकहा का अविकल गुर्जरानुवाद
जैन शिक्षा : उद्देश्य और पद्धतियाँ जैन संस्कृति और राजनीति समवायांगसूत्र में विसंगति लंका में जैन धर्म
मुनिरामसिंह का उग्र अध्यात्मवाद
सप्तक्षेत्रिरासु
अर्थकथानक : हिन्दी भाषा का प्रथम आत्मचरित जैनों में मूर्ति और उसकी पूजा पद्धतियों में विकास और विकार
जैन धर्मानुसार जीव, प्राण और हिंसा
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
डॉ० देवेन्द्र कुमार डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री शांतिलाल मांडलिक
श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री अगरचन्द नाहटा श्री कस्तूरमल बांठिया
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री
श्री नन्दलाल मारु
श्री डी० जी० महाजन डॉ० देवेन्द्र कुमार डॉ० सनत्कुमार रंगाटिया श्री गणेशमुनि शास्त्री
श्री कस्तूरमल बांठिया
डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा
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७४
लेख
संसार का अन्तरंग प्रदेश
मंगलकलश कथा नई पीढी और धर्म
अभव्यजीव नवग्रैवेयक तक कैसे जाता है ?
विद्याविलासरास
आचार्य वादिराजसूरि
पं० रामचन्द्रगणिरचित सुमुखनृपति काव्य Some Important Prakrit Work मानवमूल्यों का काव्य भविसयत्तकहा
प्राकृत का अध्ययन
श्रवणबेलगोला के शिलालेख, दक्षिणभारत में और गोम्मटेश्वर
जैनधर्म
महावीर का वीरत्व
श्री बालाभाई वीरचन्द देसाई 'जयभिक्खू' भारतीय वाङ्गमय में प्राकृतभाषा का महत्त्व कवि रत्नाकर और रत्नाकरशतक अभय कुमार श्रेणिकरास (क्रमश:) दसधर्म योग साधना है
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल
श्री भंवरलाल नाहटा श्री नन्दलाल मारु श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री सनत्कुमार रंगाटिया
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
श्री अगरचन्द नाहटा
Dr. M. L. Mehta
डॉ० देवेन्द्र कुमार डॉ० सुनीति कुमार चाटुर्ज्या
श्री गणेश प्रसाद जैन डॉ० भानीराम वर्मा श्री कस्तूरमल बांठिया
पं० बेचरदास दोशी
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० श्रीसनत्कुमार रंगाटिया श्री अर्हसबंडोबा दि
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक महाराष्ट्री प्राकृत
पं० बेचरदास दोशी अहिंसा के इतिहास में निरामिषता
श्री गणेशमुनि शास्त्री
१९ आचार्य कुन्दकुन्द और उनका साहित्य डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा अभयकुमारश्रेणिकरास
डॉ० सनत्कुमार रंगाटिया भारतीय विश्वविद्यालयों में जैन साहित्य और संस्कृति विषयक शोध कार्य
डॉ० गोकुलचन्द जैन ___ १९ वास्तविक्तावाद और जैनदर्शन
मुनि श्री महेन्द्र कुमार 'द्वितीय' जैनधर्म की प्राचीनता
श्री शांतिलाल मांडलिक श्री जय भिक्खू के ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद श्री कस्तूरमल बांठिया ग्वालियर के तोमरवंशीय राजा
.. डॉ० राजाराम जैन जैन वाङ्गमय में आयुर्वेद
श्रीरंजन सूरिदेव Progress of Prakrit &Jain Studies Dr. Nath Mal Tatia आचार्य सिद्धसेन दिवाकर की साहित्य साधना श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
२० मुनिमेषकुमार-रचित किरातमहाकाव्य की अवचूरि श्री अगरचन्द नाहटा जैन महाकवि पं० बनारसीदास का रहस्यवाद श्री गणेश प्रसाद जैन
२० महाकवि रत्नाकर के कतिपय अध्यात्मगीत पं० के० भुजबलि शास्त्री Compendia of Dịșțivāda
Dr. M.L. Mehta
२० भगवान् महावीर के जीवनचरित्र
श्री कस्तूरमल बांठिया
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लेख राजस्थानी के विकास में अपभ्रंश का योगदान डॉ० नेमिचन्द्र जी शास्त्री और 'अरिहा' शब्द रूपी और अरूपी कवि वीर और उनका जंबूसामिचरिउ जैन साहित्य के इतिहास की पूर्वपीठिका एकपत्र धर्म और अधर्म श्रमण संस्कृति का सार भोग तृष्णा हर्षकुलरचित कमलपंचशतिका जैनपुराणों में रामकथा आकाश भारतीय संस्कृति में दान का महत्त्व (क्रमश:) पालि क्या बोलचाल की भाषा थी जैनधर्म की प्राचीनता (क्रमश:)
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रमेशचन्द्र जैन पं० बेचरदास दोशी डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री कस्तूरमल बांठिया श्री कैलाशचन्द्र जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल श्री अगरचन्द नाहटा श्री गणेश प्रसाद जैन डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ. देवेन्द्र मुनि शास्त्री डॉ० कोमलचन्द जैन डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा डॉ० मोहनलाल मेहता श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री
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भारतीय संस्कृति में दान का महत्त्व
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सनत्कुमार रंगाटिया डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्री डी० जी० महाजन श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा Dr. Harihar Singh डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा Dr. Harihar Singh डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री डॉ० सुदर्शनलाल जैन डॉ० राजाराम जैन डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० देवेन्द्र मुनि शास्त्री डॉ० सुदर्शनलाल जैन
लेख अज्ञात कवि कृत शीलसंधि जैनधर्म की प्राचीनता (क्रमशः) तमिल क्षेत्रीय जैन योगदान जिनराजसूरि कृत नैषधमहाकाव्यवृत्ति जैनधर्म की प्राचीनता (क्रमश:) Jainism in Gujarat जैनधर्म और बिहार पुद्गल जैनधर्म की प्राचीनता Jainism in Gujarat सिरिपालचरिउ : संदर्भ और शिल्प स्याद्वाद: एक परिशीलन (क्रमश:) आचार्य हरिभद्र और धर्मसंग्रहणी (क्रमश:) राजा डूंगरसिंह तोमर परमाणु स्याद्वाद- एक परिशीलन आचार्य हरिभद्र और धर्मसंग्रहणी
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अंक ११
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक संवेगरंगशाला क्या देवभद्रसूरि-रचित और अनुपलब्ध है ? श्री अगरचन्द नाहटा श्रीकृष्णः एक समीक्षात्मक अध्ययन (क्रमश:) श्री धन्यकुमार राजेश Jaina System of Education as revealed from the Nisitha Curni Dr. Madhu Sen महावीर और गांधी का अहिंसादर्शनजनजीवन के सन्दर्भ में
श्रीरंजन सूरिदेव स्याद्वाद एक परिशीलन
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री विग्रहगति एवं अन्तराभव
डॉ० कोमलचन्द जैन श्रीकृष्ण : एक समीक्षात्मक अध्ययन
श्री धन्यकुमार राजेश संवेगरंगशाला - एक स्पष्टीकरण
प्रो० हीरालाल रसिकलाल कापड़िया Jaina System of Education as revealed from the Nisitha Curni Dr. Madhu Sen सावयपण्णत्ति :एक तुलनात्मक अध्ययन (क्रमश:) पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री युवक के प्रति
श्री चन्दनमल चांद दक्षिण भारत में जैनधर्म और संस्कृति
श्री गणेश प्रसाद जैन कृतिकर्म के बारह प्रकार
मुनि श्री नथमल जी संवेगरंगशाला नामक दो ग्रन्थ नहीं एक ही है श्री अगरचन्द नाहटा सावयपण्णत्ति :एक तुलनात्मक अध्ययन (क्रमश:) पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री
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लेख
भगवान् नेमिनाथ के समय सम्बन्धी संशोधन महावीर निर्वाण सम्वत् में शताब्दियों की भूल
Tirthakshetras in Jainism
सावयपण्णत्ति : एक तुलनात्मक अध्ययन ( क्रमशः) पं० मुनिविजय चन्द्रकृत ग्रहदीपिका
मूलाचार
जैन पौराणिक साहित्य में युद्ध उपाध्याय भक्तिलाभ रचित न्यायसार अवचूर्णि सावयपण्णत्ति : एक तुलनात्मक अध्ययन ( क्रमशः)
जैन रत्न शास्त्र
जैन और वैदिक साहित्य में परा विद्या
जैन
तत्त्वों पर शूब्रिंग के विचार
सावयपण्णत्ति : एक तुलनात्मक अध्ययन ( क्रमशः) पद्ममंदिर रचित बालावबोध प्रवचनसार का
नहीं प्रवचनसारोद्धार का है
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री अगरचन्द नाहटा श्री धन्यकुमार राजेश
Dr. Harihar Singh पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री प्रेमचन्द जैन
श्री धन्यकुमार जैन
श्री अगरचन्द नाहटा
पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री पं० अम्बालाल प्रेमचन्द शाह श्री धन्यकुमार राजेश श्री कस्तूरमल बांठिया
पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री
श्री अगरचन्द नाहटा
भारतीय प्रतीक परम्परा में जैन साहित्य का योगदान डॉ० प्रेमचन्द जैन
शास्त्रों की प्रामाणिकता
मांडव : एक प्राचीन जैनतीर्थ (क्रमश:)
डॉ० मोहनलाल मेहता
श्री शांतिलाल मांडलिक
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक महाकवि पुष्पदंत : एक परिचय
श्री गणेश प्रसाद जैन सावयपण्णत्ति :एक तुलनात्मक अध्ययन (क्रमश:) पं० बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री गजेटियर आफ इंडिया (१९६५) में जैनी और जैनधर्म श्री सुबोध कुमार जैन श्रमण संस्कृति में अहिंसा के प्राचीन संदर्भ डॉ० भागचन्द जैन
क्या रामकथा का वर्तमान रूप कल्पित है श्री धन्यकुमार राजेश हुए बुन्देलखण्डी भाषा में प्राकृत के देशीशब्द डॉ० कोमलचन्द जैन मांडव- एक प्राचीन जैनतीर्थ ।
श्री शांतिलाल मांडलिक जयप्रभसूरिरचित कुमारसंभवटीका
श्री अगरचन्द नाहटा सर्वज्ञता : एक चिन्तन
डॉ० मोहनलाल मेहता जैन रासक परिभाषा, विकास और काव्यरूप डॉ० प्रेमचन्द जैन श्रमण संस्कृति में अहिंसा के प्राचीन संदर्भ । डॉ० भागचन्द जैन क्या रामकथा का वर्तमान रूप कल्पित है श्री धन्यकुमार राजेश अंगविज्जा
श्री श्रीनारायण शास्त्री प्राकृत के विकास में बिहार की देन (क्रमश:) श्रीरंजन सूरिदेव क्या 'व्याख्यापप्रज्ञप्ति का १५वां शतक प्रक्षिप्त है ?
डॉ० मोहनलाल मेहता जैन साहित्य का बृहद् इतिहास भाग ५ के कतिपय सशोधन श्री अगरचन्द नाहटा
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री गणेश प्रसाद जैन श्री उदय जैन
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ई० सन् १९७० १९७०
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लेख कवि पुष्पदन्त की रामकथा अहिंसा का विराट रूप जैन आचारशास्त्र की गतिशीलता का समाजशास्त्रीय अध्ययन पुराण बनाम कथा साहित्य : एक प्रश्नचिन्ह प्राकृत के विकास में बिहार की देन भक्तामरस्तोत्रके श्लोकों की संख्या ४४या ४८ भारतवर्ष के मूलनिवासी श्रमण जिनमार्ग जैनसाहित्य में स्तूपनिर्माण की प्रथा पावा कहां ? गंगा के उत्तर में या दक्षिण में भम्तामरस्तोत्र के पाद पूर्तिरूप स्तवकाव्य श्रमण संस्कृति की प्राचीनता हेल्मुथ फोन ग्लासनप और जैनधर्म उत्तर भारतीय शिल्प में महावीर ऋषभपुत्र भरत और भारत पुष्पदन्त और सूर का कृष्णलीला चित्रण
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श्री धन्यकुमार राजेश डॉ० प्रेमचन्द जैन श्रीरंजन सूरिदेव श्री अगरचन्द नाहटा श्री गणेश प्रसाद जैन श्री कस्तूरचंद ललवानी डॉ० हरिहर सिंह मुनिश्री महेन्द्र कुमारजी 'प्रथम' श्री अगरचन्द नाहटा श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री सुबोध कुमार जैन श्री मारुति नंदन तिवारी श्री गणेश प्रसाद जैन डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री मारुति नन्दन तिवारी
अंक १
ई० सन् १९७०
पृष्ठ १२-१७
२२ १ २२१ २२ १ २२ १ २२ २२ २
लेख दक्षिण भारतीय शिल्प में तीर्थंकर महावीर २४ तीर्थंकरों के नामों में नाथ शब्द का प्रयोग कब से। जैन-बौद्ध सम्मत कर्म सिद्धान्त महावीर की निर्वाण भूमि पावा की स्थिति प्रवृत्ति मार्ग और निवृत्ति मार्ग । हरिवंशपुराणकालीन समाज और संस्कृति प्राकृत 'पउमचरिय' : रामचरित वाग्भट्टालंकार साधुवन्दना के रचयिता कर्म का स्वरूप अपभ्रंश जैन साहित्य (क्रमश:) अध्यात्मवादियों से Sarasvati in Jaina Sculpture श्रीपालचरित की कथा अपभ्रंश जैन साहित्य (क्रमश:) भक्तामरस्तोत्र की सचित्र प्रतियां द्राविण
श्री अगरचन्द नाहटा श्री रामप्रसाद त्रिपाठी पं० कपिलदेव गिरि सुबोध कुमार जैन श्री धन्यकुमार राजेश श्रीरंजन सूरिदेव पं० अमृतलाल शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री पं० उदय जैन Dr. M. N. Tiwari डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा श्री गणेश प्रसाद जैन
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Sarasvati in Jaina Sculpture प्राकृत जैन कथा साहित्य (क्रमश:) कर्मवाद का अन्य वाद उड़ीसी नृत्य और जैन सम्राट खारवेल
जैन पुराणों में पुनर्जन्म की कथाएँ (क्रमशः) । प्राकृत और उसका विकास स्त्रोत
जैन पुराणों में पुनर्जन्म की कथाएँ (क्रमश:) प्राकृत जैन कथा साहित्य जैन साहित्य में शिशु कर्मों का फल देने वाला कम्प्यूटर आगम साहित्य में कर्मवाद भगवान् अरिष्टनेमि की ऐतिहासिकता तीर्थक्षेत्र शत्रुजय दास, दस्यु और पणि Sociology in Jain Literature सिरिपालचरिउ : एक मूल्याकंन मांडव : एक प्राचीन जैनतीर्थ
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक Dr. M. N. Tiwari श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री डॉ. मोहनलाल मेहता श्री सुबोध कुमार जैन श्री धन्यकुमार राजेश श्रीरंजन सूरिदेव श्री धन्यकुमार राजेश श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री उदयचन्द जैन प्रो० जी० आर० जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ० हरिहर सिंह श्री गणेश प्रसाद जैन Dr. L. K. Bharatiya डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री तेजसिंह गौड़
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लेख
जैनदर्शन में अहिंसा
एक अप्रकाशित प्राचीन प्राकृत सूत्र या अध्ययन Jain Influence on Shri Ramanujacharya मोक्ष मीमांसा में जैनदर्शन का योगदान जैनकृष्ण साहित्य (क्रमश:)
अजीवद्रव्य
श्रीहेमविजयगणि और विजयप्रशस्तिमहाकाव्य
असुर
जिनचन्द्रसूरिकृत क्षपक शिक्षा का विषय पुण्य और पाप
महावैयाकरण आचार्य हेमचन्द्र जैनकृष्ण साहित्य जैनेतर दर्शनों में अहिंसा
प्राकृत व्याकरण और भोजपुरी का 'केर' प्रत्यय (क्रमश:)
आचार्य हेमचन्द्र और कुमार पालचरित षडावश्यक में सामायिक
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल
श्री अगरचन्द नाहटा
श्री धन्यकुमार श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
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हुकुमचन्द श्री उदयचन्द जैन
श्री गणेश प्रसाद जैन
श्री अगरचन्द नाहटा
डॉ० मोहनलाल मेहता
श्रीरंजन सूरिदेव
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल
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पं० कपिलदेव गिरि
श्री उदयचंद जैन
श्री हुकुमचंद संगवे
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११-१६
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लेख
प्रयाग - एक महान जैन क्षेत्र
वहित और अहित
प्राकृत व्याकरण और भोजपुरी का 'केर' प्रत्यय
उच्चगोत्र और नीचगोत्र
चण्डकौशिक का उपसर्गस्थान योगीपहाड़ी
जैनधर्म में शक्ति पूजा का स्वरूप
चतुर्विंशतिस्तव का भेद और एक अतिरिक्तगाथा बंगला आदि भाषाओं के सम्बन्धवाची प्रत्यय Jain Concept of Liberation पौराणिक साहित्य में राजनीति णायकुमारचरिउ की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आचार्य हरिभद्रसूरि का दार्शनिक दृष्टिकोण
कुरलकाव्य
महावीर की निर्वाण भूमि पावा की वर्तमान स्थिति कर्म की मर्यादा
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री सुबोध कुमार जैन
श्री गणेश प्रसाद जैन
पं० कपिलदेव गिरि
डॉ० मोहनलाल मेहता
श्री भंवरलाल नाहटा
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल
श्री अगरचन्द नाहटा
पं० कपिलदेव गिरि Shri I.B. Pandey श्री धन्यकुमार राजेश श्रीरंजन सूरिदेव
कु० सुशीला जैन
श्री फूलचन्द जैन 'प्रेमी'
श्री कन्हैयालाल सरावगी
डॉ० मोहनलाल मेहता
भविसयत्तकहा तथा अपभ्रंश कथाकाव्य-कुछ प्रतिस्थापनायें डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन
जैनधर्म में उपासना
दानवीरता का कीर्तिमान - वस्तुपाल
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल श्री चम्पालाल सिंघई
वर्ष
२२
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३-५
६-११
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लेख
अंक २
२३
२३३
२३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री उदयचन्द जैन डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री रंजन सूरिदेव श्री अगरचन्द नाहटा श्री चम्पालाल सिंघई कु० प्रमिला पाण्डेय तेजसिंह गौड श्री उदयचन्द जैन श्री प्रेमकुमार अग्रवाल Shri I.B. Pandey श्री उदयचन्द जैन 'प्रभाकर' श्री जिनवर प्रसाद जैन कु० सुशीला सिंह डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन कु० प्रमिला पाण्डेय श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री प्रेमकुमार अग्रवाल
मूलाराधना में समाधिमरण अपभ्रंश चरितकाव्य तथा कथाकाव्य प्रमेय : एक अनुचिंतन भ० नेमिनाथ का समय-एक विचारणीय समस्या जैनों में सती प्रथा जैन दर्शन में कर्मवाद की अवधारणा उज्जयिनी और जैनधर्म निक्षेप में नय योजना
जैन मूर्तियों का क्रमिक विकास Nature and Role of Devotion in Jaina Sadana वासुपूज्यचरितम् - एक अध्ययन पावापुर लेश्या- एक विश्लेषण जैनतीर्थंकर और भिल्ल प्रजाति जैनधर्म में भक्ति का स्थान जैनधर्म भौगोलिक सीमा में आबद्ध क्यों ? श्रमण संस्कृति में मोक्ष की अवधारणा
२३
ई० सन् १९७१ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२
पृष्ठ २१-३० ३-१० ११-१४ १५-१९ २०-२१ २२-२७ ३-१२ १३-१७ १८-२१ २२-२८ ३-१० ११-१९ २०-२४ २५-२७ २८-३३ ३४-३८ ३-९
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८७
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री उदयचन्द जैन
२३ श्री चम्पालाल सिंघई ___२३
ई० सन् १९७२ १९७२
पृष्ठ १०-१७ १८-२०
श्री बलवन्द सिंह मेहता श्री गणेश प्रसाद जैन डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० कोमलचन्द जैन श्री प्यारेलाल श्रीमाल
लेख वासुपूज्यचरित-एक अध्ययन गुप्त सम्राटों का धर्म समभाव परम्परागत पावा ही भगवान् महावीर की निर्वाण भूमि बनारसीदास का रसदर्शन अन्तरायकर्म का कार्य श्रमण संस्कृति और नारी जैनपदों में रागों का प्रयोग जैनग्रन्थों और पुराणों के भौगोलिक वर्णन का तुलनात्मक अध्ययन प्रसाद और तीर्थंकर पद्मचरित और हरिवंशपुराण जैनधर्म : वैदिक धर्म के संदर्भ में कुवलयमालाकहा में उल्लिखित कडंग, चन्द्र और तार द्वीप सात लाख श्लोक परिमित संस्कृत साहित्य के निर्माता जैनाचार्य विजयलावण्यसूरि
२३६ २३६ २३७ २३७ २३ ७
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१९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२
२१-३० ३१-४१ ३-५ ६-१० ११-१४
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श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० देवेन्द्र कमार जैन श्री रमेशचन्द जैन श्रीरंजन सूरिदेव
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१९७२ १९७२ १९७२ १९७२
१५-२० २१-२४ ३-७ ८-१२
श्री प्रेमसुमन जैन
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श्री अगरचन्द नाहटा
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लेख
वर्ष
अंक ८
ई० सन् १९७२
पृष्ठ २४-२८
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक जैनधर्म : एक अवलोकन
डॉ० के० एच० त्रिवेदी अपभ्रंश का विकासक्रम तथा जैन साहित्यकारों की देन
श्रीमती मीना भारती कर्मयोगी कृष्ण के आगामी भव
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री वेदोत्तरकालीन आत्मविद्या और जैनधर्म डॉ० अजित शुकदेव प्राणप्रिय काव्य के रचयिता व रचनाकाल श्री अगरचन्द नाहटा गर्भापहरण- एक समस्या
डॉ० रतिलाल म० शाह भगवान् महावीर के निर्वाण का २५००वां वर्ष डॉ० गोपीचन्द धाड़ीवाल श्रमण और वैदिक साहित्य में स्वर्ग और नरक श्री धन्यकुमार जैन ग्वालियर के तोमरकालीन दानवीर
श्री चम्पालाल सिंघई कल्चुरीकालीन भ० शांतिनाथ की प्रतिमाएँ ___ श्री शिवकुमार नामदेव श्रमण संस्कृति की मूल संवेदना
डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन जैनदर्शन में स्याद्ववाद और उसका महत्त्व श्री रामजी अनासक्ति
डॉ० अजित शुकदेव गर्भापहरण सम्बन्धी कुछ बातें
श्री अगरचन्द नाहटा Jaina Temples in Karanataka
Dr. K. B. Shastri श्रमण भगवान् महावीर
पं० बेचरदास दोशी पद्मचरित की भाषा और शैली
श्री रमेशचन्द्र जैन
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२३
१९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२
२९-३४ ३-९ १०-१६ १७-२० २१-२५ २६-३१ ३-९ १०-१३ १४-१५ १६-१७ १८-२२ २३-२६ २७-२८ २९-३० ३-९ १०-१८
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अंक ११ ११ ११
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक जैन और वैष्णव काव्य परम्परा में राम श्री रामदयाल जैन _ महो० समयसुन्दर का एक संग्रहग्रंथ : गाथासहस्त्री श्री अगरचन्द नाहटा प्राचीन जैन साहित्य में उत्सव महोत्सव
डॉ० झिनकू यादव विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० ऋषभ चन्द्र पउमचरिउ-परंपरा, संदर्भ और शिल्प
डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन जैन तर्क शास्त्र में सन्निकर्ष प्रमाणवाद
श्री लालचन्द जैन जैन शिल्पकला और मथुरा
कु० सुधा जैन . विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद डॉ० के० ऋषभ चन्द्र गर्भापहरण -सम्बन्धी स्पष्टीकरण
श्री रतिलाल म० शाह भगवान् अरिष्टनेमि और कर्मयोगी कृष्ण श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री वर्ण विचार
श्री रमेशचन्द्र जैन जैन एवं न्याय दर्शन में कर्म सिद्धान्त
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल षट्दर्शनसमुच्चय के लघुटीकाकार समितिलकसूरि श्री अगरचन्द नाहटा समराइच्चकहा में चार्वाक दर्शन
श्री झिनकू यादव विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरीसट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र प्रमाण स्वरूप विमर्श (क्रमश:)
डॉ० सुदर्शनलाल जैन राजगृह
श्री गणेश प्रसाद जैन
ई० सन् १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२
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वर्ष
अंक
ई० सन्
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१९७२ १९७२
२८-२९ ३०-३४
२४
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक क्या कृष्णगच्छ की स्थापना सम्वत् १३९१ में हुई थी?
श्री अगरचन्द नाहटा विश्वेश्वरकृत शृंगारमंजरीसट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र मिथ्यात्त्व इन जैनिज्म एण्ड शंकर : ए कम्परेटिव स्टडी
ललित किशोरलाल श्रीवास्तव प्रमाण स्वरूप विमर्श
डॉ० सुदर्शनलाल जैन क्षत्रचूड़ामणि में उल्लिखित कतिपय नीतिकाव्य श्री उदयचन्द जैन 'प्रभाकर' त्रिरत्न : मोक्ष के सोपान
श्रीरंजन सूरिदेव जैनदर्शन में ज्ञान का स्वरूप
श्री रामजी सिंह विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरीसट्टक का अनुवाद (क्रमश:)
डॉ० के० आर० चन्द्र गोम्मट आइडोल्स ऑफ कर्णाटक
पं० के० भुजबलि शास्त्री पुनर्जन्मसिद्धान्त की व्यापकता
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री पउमचरिउ और रामचरितमानस : एक तुलनात्मक अध्ययन
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन आषुतोष म्यूजियम में नागौर का एक सचित्र विज्ञप्तिपत्र
श्री अगरचन्द भंवरलाल नाहटा प्राचीन जैनग्रन्थों में कृषि
डॉ० अच्छेलाल यादव
२४ ३ २४३ २४ ३
१९७२ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३
३५-४१ ३-११ १२-२१ २२-२६ २७-३२
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वर्ष २४
अंक ४
ई० सन् १९७३
पृष्ठ २८-३१
२४ २४ २४
४ ५ ५
२४
२४
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक राष्ट्रभाषा के आद्यजनक भगवान् महावीर . डॉ० रतिलाल म० शाह विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी· सट्टक का अनुवाद (क्रमश:)
डॉ० के० आर० चन्द्र पद्मचरित और उपमचरिउ
श्री रमेशचन्द जैन जैन धर्म की प्राचीनता और विशेषता
कुमारी मंजुला मेहता सर्वांगसुन्दरी कथानक
डॉ० के० आर० चन्द्र ग्यारह गणधर सम्बन्धी ज्ञातव्य बातें
श्री अगरचन्द भंवरलाल नाहटा क्या स्त्रियां तीर्थंकर के सामने बैठती नहीं ? श्री नन्दलाल मारु । जैनदर्शन में कर्म का स्वरूप
डॉ० राधेश्याम श्रीवास्तव विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र महावीर और उनके सिद्धान्त
श्री देवेन्द्र कुमार जैन जैन परम्परा में ध्यान-योग
श्री धन्यकुमार राजेश प्राचीन भारत में अपराध और दंड
डॉ० प्रमोद मोहन पाण्डेय विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र जैन मिस्टीसिज्म (क्रमश:)
प्रो० यू० ए० असरानी भारतीय साहित्य की रमणीय काव्य रचना: गउडवहो
श्रीरंजन सूरिदेव
२४
२४
१९७३ ३२-३७ १९७३।
३-७ १९७३ ८-१५ १९७३ १६-२१ १९७३ २२-२६ १९७३ २७-३० १९७३ ३१-३५ १९७३ ३६-३८ १९७३ ३-८ १९७३ ९-१६ १९७३ १७-२१ १९७३ २२-२६ १९७३ २७-३८
२४ ५ २४६ २४६ २४६ २४ २४ ६
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३-७
१९७३
३-७
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९२
लेख
लेखक
जैनदर्शन में योग का प्रत्यय कन्नड़ में जैन साहित्य
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल
पं० के० भुजबली शास्त्री
श्री अगरचंद नाहटा
भक्तामर की एक और सचित्रप्रति विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र
स्वयंभू की गणधर परम्परा
डॉ० देवेन्द्र कुमार
जैन
जैन मिस्टीसिज्म
श्रमण : अतीत के झरोखे में
पश्चिम भारत का जैन संस्कृत साहित्य को योगदान जैन संस्कृति के प्रतीक मौर्यकालीन अभिलेख
प्रो० यू० ए० असरानी
श्री प्रेमसुमन जैन
डॉ० पुष्पमित्र जैन डॉ० देवेन्द्र कुमार
जैन
तीर्थंकर और दुःखवाद विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद (क्रमश:) डॉ० के० आर० चन्द्र
Dr. M. L. Mehta
डॉ० प्रमोद मोहन पाण्डेय श्री कन्हैयालाल सरावगी
Prakrit Bhasyas
आगमों में राजा एवं राजनीति पर स्त्रियों का प्रभाव प्राचीन भारतवर्ष में गणतंत्र का आदर्श अद्धमागहाए भाषाए भासंति अरिहा विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद Jaina View of Kevalin
भारतीय कथा साहित्य में पद्मचरित का स्थान
श्री नन्दलाल मारु
डॉ० के० आर० चन्द्र
Dr. L. K. L. Srivastava श्री रमेशचन्द्र जैन
वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० अजित शुकदेव
वर्ष
अंक १०
ई० सन् १९७३
९३ पृष्ठ । १२-१७
२४
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१०
२४
श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन डॉ० मनोहरलाल दलाल डॉ० रामजी सिंह श्री कन्हैयालाल सरावगी
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१९७३ ।। १८-२४ १९७३ २५-२७ १९७३
२८-३१ १९७३ ३२-३६ १९७३ ३-९
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लेख जैन धर्म में भावना दान, शील, तप, भाव के रचयिता और दानकुलक पाठ महाकवि स्वयंभू के काव्य विचार
भारत का प्राचीन जैन केन्द्र : कसरावद गा जैन दर्शन में मोक्षोपाय।
आत्मा : बौद्ध एवं जैन दृष्टि महाकथा कुवलयमाला के रचनाकार का उद्देश्य
और पात्रों का आयोजन दक्षिण भारत में जैन धर्म, साहित्य और तीर्थ क्षेत्र पद्मचरित में शकुनविद्या वंडगच्छ के युगप्रधान दादा मुनिशेखरसूरि महाकवि स्वयंभू का प्रकृति दर्शन प्राचीन भारतीय श्रमण एवं श्रमणचर्या षद्रव्य - एक परिचय
जैन मंदिर व स्तूप दर्शाण में जैनधर्म
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डॉ० के० आर० चन्द्र श्री गणेश प्रसाद जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री अंगरचन्द नाहटा डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री डॉ० झिनकू यादव श्री रमेशमुनि शास्त्री कु० सुधा जैन डॉ० मनोहर लाल दलाल
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१९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० रतिलाल म० शाह श्री अजित मुनि डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन
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अंक १२ १२ १-२
ई० सन् १९७३ १९७३ १९७३
पृष्ठ २५-३० ३१-३२ ३-१३
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श्री मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० रमेशचन्द्र जैन
१९७३ १९७३ १९७३
१४-२१ २२-२८ २९-३४
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१-२
लेख जैनधर्म में तांत्रिक साधना का प्रवेश स्था० जैन साध्वी संघ का पारम्परिक इतिहास स्वयंभू और उनका पउमचरिउ उड़ीसा में जैनकला एवं प्रतिमा-विज्ञान की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि स्याद्वाद-एक पर्यवेक्षण भट्टारक सकलकीर्ति और उनकी सद्भाषितावली समराइच्चकहा की संक्षिप्त कथावस्तु और उसका सांस्कृतिक महत्त्व तीर्थंकर-प्रतिमाओं का उद्भव और विकास Contribution of Jainism to Indian Philosophy प्राकृत के प्रबन्ध-काव्य : संस्कृत-प्रबन्ध काव्यों के सन्दर्भ में जैन सिद्धान्त में 'योग' और 'आस्व' भगवान् महावीर के युग का जैन सम्राट महाराजा चेटक आचार्य भद्रबाहु और हरिभद्र की अज्ञात रचनाएँ मृत्यु एवं संलेखना महाकवि स्वयंभू और नारी
१-२
डॉ० झिनकू यादव श्री हरिहर सिंह Dr. M.L. Mehta
१९७३ १९७३ १९७३
३५-४२ ४३-५२ ५३-५८
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१-२
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३
श्रीरंजन सूरिदेव आचार्य अनन्त प्रसाद जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० हुकुमचन्द संगवे डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन
२५ २५ २५ २५
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१९७४ १९७४ १९७४ । १९७४ १९७४ १९७४ १९७४
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३-१० ११-१९ २०-२४ २५-३१ ३२-३९ ३-७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री शिवकुमार नामदेव कु० मंजुला मेहता डॉ० प्रमोद कुमार श्री रमेश मुनि शास्त्री आचार्य राजकुमार जैन श्री जमनालाल जैन श्री रामजी सिंह कु० सुधा जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ० रमेश चन्द्र जैन
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लेख
जैन दर्शन में पुद्गल द्रव्य __पावा: कसौटी पर . तीर्थंकर प्रतिमाओं की विशेषताएँ महावीर-सम्बन्धी साहित्य जैन कर्म सिद्धान्त निक्षेपवाद : एक परिदृष्टि महावीर का धर्म : सर्वोदय-तीर्थ महावीर और उनकी देशना जैनधर्म में नीतिधर्म और साधना प्राचीन भारत में जैन चित्रकला प्रमाणवाद : एक पर्यवक्षण । पं० जोधराज कासलीवाल और उनका सुखंविलास विदिशा में प्राप्त जैन प्रतिमाएँ और रामगुप्त की ऐतिहासिकता पउमचरिउ में नारी कुंभारिया तीर्थं का कलापूर्ण महावीर मंदिर पच्चीसवीं निर्वाण-शताब्दी के आयोजनों में आगम-वाचना भी हो
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ई० सन् १९७४ १९७४ १९७४ । १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४
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पृष्ठ ८-१५ १६-२३ २४-२६ २७-३२ ३-९ १०-१५ १६-२० २१-२४ २५-३० ३१-३४ ३-१३ १४-१७
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श्री शिवकुमार नामदेव डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री नन्दलाल मारु
१९७४ १९७४ १९७४ १९७४
१८-२३ २४-२७ २८-३१ ३२-३५
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वर्ष २५ २५
अंक ७ ७
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ई० सन् १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० रमेश चन्द्र जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री शिवकुमार नामदेव श्री एल० के० एल० श्रीवास्तव श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री शिवकुमार नामदेव कन्हैयालाल सरावगी डॉ० रमेशचन्द्र जैन डा० मनोहरलाल दलाल कु० सुधा जैन
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लेख पद्मचरित : एक महाकाव्य प्रमाणवाद : एक पर्यवेक्षण कलचुरि-नरेश और जैनधर्म जैनदर्शन में सर्वज्ञता का स्वरूप संडेरगच्छीय ईश्वरसूरि की प्राप्त एवं अप्राप्त रचनाएँ श्रमण धर्म द्विसन्धानमहाकाव्य में राज्य और राजा का स्वरूप प्रमाणवाद : एक पर्यवेक्षण धुबेला संग्रहालय की अद्वितीय जैन प्रतिमाएँ वर्तमान युग के संदर्भ में भगवान् महावीर के उपदेश पद्मचरित में वस्त्र और आभूषण पुराणों में ऋषभदेव जैन साहित्य और संस्कृति का जनजीवन Jain and Buddhist Tradition Regarding the origins of Ajatsattu's war with the Vajjis- A New Interpretation निश्चय और व्यवहार : पुण्य और पाप
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पृष्ठ ३-६ ७-१८ १९-२२ २३-२८ २९-३२ १८-२३ ८-१२ १३-२२ २४-२७ २८-३४ ३-१० ११-१४ १५-१८
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१९७४ १९७४
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Dr. J. P. Sharma पं० दलसुख मालवणिया
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श्रमण : अतीत के झरोखे में। लेखक पं० बेचरदास दोशी मुनि बुद्धमल्ल जी श्री शिवकुमार नामदेव
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अंक १० १० १०
ई० सन १९७४ १९७४ १९७४
पृष्ठ । ११-१३ १४-१८ २४-२६
लेख नालंदा या नागलंदा पुद्गल : एक विवेचन कलचुरि-कला में जैन शासन देवियों की मूर्तियों Jain and Buddhist Tradition Regarding the origins of Ajatsattu's war with the Vajjis- A New Interpretataion अपभ्रंश और देशीतत्त्व वराङ्गचरित में राजनीति प्राचीन ऐतिहासिक नगरी : जूना (बाड़मेर)
जैन धर्म में तप का स्वरूप और महत्त्व निश्चय और व्यवहार वीर हनुमान : स्वयंभू कवि की दृष्टि में जैन शिल्प का एक विशिष्ट प्रकार : सहस्रकूट जैन कला-तीर्थ : खजुराहो व्यक्ति पहले या समाज भगवान् महावीर की मंगल विरासत श्रमण भगवान् महावीर
Dr. J. P. Sharma डॉ. देवेन्द्र कुमार जैन डॉ. रमेश चन्द्र जैन श्री भूरचन्द जैन श्री रामजी सिंह पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री श्रीरंजन सूरिदेव श्री अगरचंद नाहटा श्री शिवकुमार नामदेव श्री कन्हैयालाल सरावगी पं० सुखलाल जी पं० बेचरदास दोशी
* * * * * * * * * * * *
१९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४
२७-३६ ३-८ ८-१६ १७-२१ २२-२७ ३-८ ९-१५ १६-२१
२२-२७
१२ १२ १२ १२. १-२ १-२
२८-३१ ३-९ १०-१७
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९८
अंक
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२६ २६ २६
१-२ १-२ १-२
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२६
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लेख भगवान् महावीर : समता-धर्म के प्ररूपक आगमिक साहित्य में महावीर-चरित्र महावीर क्षत्रिय पुत्र थे या ब्राह्मण पुत्र? भारतीय पुरातत्त्व तथा कला में भगवान् महावीर कम्भारिया का महावीर-मन्दिर महावीर-सम्बन्धी एक अज्ञात संस्कृत चरित्र महावीरोपदिष्ट परिग्रह परिमाण व्रत भगवान् महावीर का तत्त्व ज्ञान कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ (क्रमश:) जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप (क्रमश:) जैन दर्शन में नारी मुक्ति जैनधर्म आस्तिक या नास्तिक? (क्रमश:) जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
ई० सन् १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७४ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५
२६
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० दलसुख मालवणिया डॉ० कोमलचन्द जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्री शिवकुमार नामदेव श्री हरिहर सिंह श्री अगरचन्द नाहटा श्री जमनालाल जैन कु० मंजुला मेहता डॉ० के० आर० चन्द्र श्री रमेश मुनि शास्त्री कु० चन्द्रलेखा पंत श्री कन्हैयालाल सरावगी डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन डॉ० के० आर० चन्द्र श्री रमेश मुनि शास्त्री डॉ० प्रमोद कुमार
पृष्ठ १८-२७ २८-३३ ३४-३८ ३८-४६ ४७-५२ ५२-५६ ५७-६२ ६३-६७ ३-८ ९-१३ १४-१८ १९-२५ २६-३३
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२६
१-२
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३.
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२६ २६३
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कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ(क्रमश:) जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप (क्रमश:) जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप
ه
४ ४
१९७५ . १९७५
१९७५
३-८ ९-१३ १४-२०
२६
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लेख जैनधर्म आस्तिक या नास्तिक? जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक - श्री कन्हैयालाल सरावगी डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन
वर्ष २६ २६
अंक ४
ई० सन् १९७५ १९७५
९९ पृष्ठ । २१-२५ २६-३०
२६ २६
५ ५
जैन दर्शन में बन्ध का स्वरूप : वैज्ञानिक अवधारणाओं के सन्दर्भ में मरुधरा का ऐतिहासिक जैनतीर्थ : नाकोड़ा जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप (क्रमश:) जैन न्याय दर्शन : समन्वय का मार्ग जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
१९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५
३-९ ।। १०-१५ १६-२२ २३-२७ २८-३१
२६
श्री अनिलकुमार गुप्त श्री भूरचन्द जैन श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री रमेशचन्द्र जैन डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्री रमेश मुनि शास्त्री डॉ० के० आर० चन्द्र श्री रतिलाल म० शाह श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन
३-६
२६
मल्लिषेण और उनकी स्याद्वादमंजरी जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप (क्रमश:) कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ (क्रमश:) महावीर विवाहित थे या अविवाहित? । राजस्थान में महावीर के दो उपसर्ग स्थल जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
६
१९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५
७-९ १०-११ १२-१६ १७-२०
२६
६
१९७५
२१-२५
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१००
लेख Problem of Suffering as Conceived in Jainism वरांगचरित में अठारह श्रेणियों के प्रधान : एक विश्लेषण सिरोही के प्राचीन जैन मन्दिर जैन धर्म में सरस्वती जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप (क्रमश:) कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ (क्रमश:) जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
अंक ६ ७ ७ ७ ७
9
ई० सन् १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५
पृष्ठ २६-२९ ३-८ ९-१२ १३-१४ १५-१८ १९-२१
9
9
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष Dr. B.N. Tripathi २६ डॉ० रमेशचन्द्र जैन २६ श्री भूरचन्द जैन
२६ श्रीमती सधा जैन
२६ श्री रमेशमुनि शास्त्री २६ डॉ० के० आर० चन्द्र डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन
२६ Dr. B.N. Tripathi २६ डॉ० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' श्री रतिलाल म० शाह २६८ डॉ० के० आर० चन्द्र २६ . श्री रमेशमुनि शास्त्री २६ डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन ___ २६ श्री फूलचन्द जैन ‘प्रेमी' २६ श्री प्रेमचन्द रावका
२६ .
७ ७
9
9
१९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५
Problem of Suffering as Conceived in Jainism श्रमण-साहित्य में वर्णित विविध सम्प्रदाय भगवान् महावीर की निर्वाण-भूमि- कौन सी पावा कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ (क्रमश:) जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
२२-२६ २७-३२ ३-१३ १४-१८ १९-२२ २३-२९
9
9
८ ८
9
9
मूलाचार में मुनि की आहार-चर्या हिन्दी काव्यों में महावीर
१९७५ १९७५ १९७५
३०-३२ ३-१३ १४-२०
९
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१०१
अंक ९
ई० सन् १९७५
पृष्ठ २१-२५
२६
९
१९७५ १९७५
२६-२८ २९-३३
२६
१९७५ १९७५
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ डॉ० के० आर० चन्द्र श्रीमालपुराण में भ० महावीर और गणधर गौतम का विकृत वर्णन
श्री अगरचन्द नाहटा मेड़ता-फलौदी पार्श्वनाथ तीर्थ
श्री भूरचन्द जैन भरतेशवैभव में प्रतिपादित सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था (क्रमश:)
श्री सुपार्श्वकुमार जैन भगवान् महावीर का ईश्वरवाद
डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा आचार्य हेमचन्द्रः जीवन, व्यक्तिव एवं कृतित्व श्री अभयकुमार जैन गीता के राजस्थानी अनुवादक जैनकवि थिरपाल श्री अगरचन्द नाहटा The Iconography of the Jaina yakshini Chakresvari Shri M.N. P. Tiwari भरतेशवैभव में प्रतिपादित सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था
श्री सुपार्श्वकुमार जैन जैन साधना-पद्धति में सम्यग्दर्शन (क्रमश:) श्री रमेशमुनि शास्त्री जैन रास की दुर्लभ हस्तलिखित प्रति: विक्रम लीलावती चौपाई डॉ० सुरेन्द्रकुमार आर्य कारीतलाई की जैन द्विमूर्तिका प्रतिमाएँ
श्री शिवकुमार नामदेव जैनकवि जटमल कृत प्रेमविलासकथा
श्री अशोककुमार मिश्र शिल्पकला एवं प्राकृतिक वैभव का प्रतीक : जैसलमेर का अमर सागर
श्री भूरचन्द जैन
२६
१९७५
३-८ ९-१२ १३-१८ १९-२३ २४-३३
१९७५ १९७५
२६ २६ २६
११ ११ ११
१९७५ १९७५ १९७५ ।। १९७५ १९७५
३-८ ९-१२ १३-१४ १५-१९ २०-२३
१९७५
२४-२७
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१०२
वर्ष
अंक
२६ २६ २६
१२ १२ १२
ई० सन् १९७५ १९७५ १९७५ । १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५
२६
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक जैन साधना-पद्धति में सम्यग्दर्शन
श्री रमेशमुनि शास्त्री श्रावक में षटकर्म
डॉ. रमेशचन्द्र जैन मानतुंगसूरिरचित पंचपरमेष्ठिस्तोत्र
श्री अगरचन्द नाहटा जैन सरस्वती हंसवाहना या मयूरवाहना?
श्री शिवकुमार नामदेव हीराणंदसूरि का विद्याविलास और उस पर आधारित रचनाएँ __श्री अशोककुमार मिश्र जैन दर्शन का स्याद्वाद सिद्धान्त
श्री अभयकुमार जैन जैन साहित्य में जनपद
डॉ० अच्छेलाल ब्राह्मी लिपि और ऋषभनाथ
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
डॉ० मोहनलाल मेहता एवं
श्री जमनालाल जैन संस्कृत और प्राकृत का समानान्तर अध्ययन
श्री श्रीरंजन सूरिदेव जालोर में महावीर-मन्दिर की शिल्प सामग्री का मूर्ति- श्री मारूति नन्दन प्र.तिवारी वैज्ञानिक अध्ययन जैनशास्त्रों में वर्णित १८ श्रेणियों का उल्लेख
श्री ज्ञानचन्द विक्रमलीलावतीचौपाईविषयक विशेष ज्ञातव्य
श्री अगरचन्द नाहटा जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन
पृष्ठ ३-६ ७-१३ १४-१७ १८-२० २१-२६ ३-१४ १५-२४ २५-२८ २९-३१
२७ २७ २७
२७ २७
१९७५ १९७५
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१९७५ १९७५
१८-२१ २२-२३
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वर्ष
अंक
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१९७५ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६
سه سه سه سه
२८-३५ ३-८ ९-१४ १५-१८ १९-२२ २३-२६
२७ २७ २७
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक Latitude of the Moon as determined in Jaina Astronomy
Dr. S.D. Sharma and
Shri S.S. Lishk जैन तर्क-शास्त्र में बौद्ध प्रत्यक्ष प्रमाणवाद (क्रमश:) श्री लालचन्द जैन महाकवि पुष्पदंत की भक्ति चेतना
डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन श्रमण-धर्म : एक विश्लेषण ।
श्री रमेशमुनि शास्त्री जैन आगमों में जननी एवं दीक्षा
डॉ० कोमलचन्द जैन विख्यात जैन तीर्थः प्रभास पाटन
श्री भूरचन्द जैन . जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
डॉ० मोहनलाल मेहता एवं
श्री जमनालाल जैन पुष्पदन्त का कृष्ण-काव्य : एक अनुशीलन (क्रमश:) कु. प्रेमलता जैन जैन तर्क शास्त्र में बौद्ध प्रत्यक्ष प्रमाणवाद (क्रमश:) श्री लालचन्द जैन जैन राजनीति में दूतों और गुप्तचरों का स्वरूप (क्रमश:) डॉ० रमेशचन्द्र जैन जैन दर्शन में बंध और मुक्ति
श्री हरेराम सिंह जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
डॉ० मोहनलाल मेहता एवं
श्री जमनालाल जैन पुष्पदन्त का कृष्ण-काव्य : एक अनुशीलन कु० प्रेमलता जैन प्राकृत भद्रबाहु संहिता का अर्धकाण्ड
श्री अगरचन्द नाहटा
२७ २७ २७.
३ ४ ४
१९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ । १९७६
२७-३० ३-९ १०-१५ १६-२४ २५-३० ३१-३३
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१९७६ १९७६
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१०४
लेख
जैन तर्क शास्त्र में बौद्ध प्रत्यक्ष प्रमाणवाद (क्रमश:)
चन्दन - मलयागिरि
दिगम्बर रहना क्या महावीर का आचार था ? जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
श्रमण-आचार: एक परिचय
जैनधर्म एवं बौद्धधर्म-परस्पर पूरक जैन तर्कशास्त्र में बौद्ध प्रत्यक्ष प्रमाणवाद मूर्त-अंकनों में तीर्थंकर महावीर के जीवन-दृश्य राजस्थान में महावीर - मन्दिर
जैनागम-प
-पदानुक्रम (क्रमश:)
वैशाली का सन्त राजकुमार कवि-स्वरूप : जैन आलंकारिकों की दृष्टि में राणकपुर
के जैन मन्दिर त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में महावीर - चरित कालिदास के काव्यों में अहिंसा और जैनत्व
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री लालचन्द जैन
पं० अशोककुमार मिश्र
श्री रतिलाल म० शाह डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन
श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० कोमलचन्द जैन
श्री लालचन्द जैन
श्री मारुति नन्दन प्र० तिवारी
श्री अगरचन्द नाहटा
डॉ० मोहनलाल मेहता एवं
श्री जमनालाल जैन
श्री कन्हैयालाल सरावगी
श्री कमलेशकुमार जैन
श्री
जैन
भूरचन्द कु० मंजुला मेहता
श्री प्रेमचन्द रावका
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वर्ष
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ई० सन्
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१०५
लेख जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
ई० सन् १९७६
पृष्ठ
२७
२७-३०
· आदिपुराण में राजनीति
लेश्या: एक विश्लेषण हरिकलशरचित दिल्ली-मेवात देश चैत्य-परिपाटी ' शुंग-कुषाणकालीन जैन शिल्पकला
जैन तीर्थ राता महावीर जी जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
१९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६
३-१३ १४-१७ १८-२१ २२-२५ २६-२८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा श्री शिवकुमार नामदेव २७ श्री भूरचन्द जैन
२७ डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन
२७ श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री गुरुचरणसिंह मोंगिया श्री अशोककुमार मिश्र श्री मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी २७ डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री अभयकुमार जैन
og vuuuu vooroo or å å
२७
भारतीय चिन्तन में मोक्ष और मोक्षमार्ग (क्रमश:) जैन साहित्य और सास्कृतिक संवेदना छीहल की एक दुलर्भ प्रबन्ध कृति जैनयक्ष गोमुख का प्रतिमा-निरूपण जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
१९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६
२९-३० ३-१० ११-२१ २२-२८ २९-३६
. भारतीय चिन्तन में मोक्ष एवं मोक्षमार्ग (क्रमश:)
आचार्य हेमचन्द्र : एक महान् वैयाकरण
१० १०
१९७६ १९७६ १९७६
३७-३८ ३-७ ८-१३
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१०६
लेख
कर्णाटक में जैन शिल्पकला का विकास १२वीं शताब्दी की एक तीर्थमाला सौराष्ट्र का प्राचीन जैन तीर्थ तालध्वज गिरि जैनागम-पदानुक्रम (क्रमश:)
२७ २७
अंक १० १०
ई० सन् १९७६ १९७६ १९७६
पृष्ठ १४-१८ १९-२३ २४-२८
२७
१९७६
२७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री शिवकुमार नामदेव श्री अगरचन्द नाहटा श्री भूरचन्द जैन डॉ० मोहन लाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० सुरेन्द्रकुमार आर्य आचार्य राजकुमार जैन डॉ० शान्ति जैन डॉ० मोहनलाल मेहता एवं श्री जमनालाल जैन श्री कन्हैयालाल सरावगी डॉ० शिवकुमार नामदेव श्री कमलेशकुमार जैन श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० मोहनलाल मेहता एवं
भारतीय चिन्तन में मोक्ष एवं मोक्षमार्ग (क्रमश:) भारतीय भाषा और अपभ्रंश झारड़ा की जैन देवियों की अप्रकाशित प्रतिमाएँ जैन विद्वानों के कुछ हिन्दी वैद्यक ग्रन्थ निर्वाण : उपनिषद् से जैन दर्शन तक जैनागम पदानुक्रम (क्रमश:)
२७
२९-३१ ३-८ ९-१२ १३-१४ १५-२४ २५-२९
१९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६
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१९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६
भाषा और साहित्य भारत में प्राचीन जैन गुफाएँ रस-विवेचन : अनुयोगद्वारसूत्र में कुन्दकुन्दाचार्य की साहित्यिक उद्भावनाएँ जैनागम पदानुक्रम
३०-३२ ३-१४ १५-२२ २३-२९ ३०-३२
२७
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अंक ११
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ई० सन् १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६
२८ १ २८ १ २८१ २८१
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक
श्री जमनालाल जैन सेवा: स्वरूप और दर्शन
श्री रमेश मुनि शास्त्री पुष्पदन्त की रामकथा की विशेषताएँ
कु० प्रेमलता जैन शासन-प्रभावक आचार्य जिनप्रभसूरि
श्री अगरचन्द नाहटा वर्धमान जैन आगम-मन्दिर
श्री भूरचन्द जैन महोपाध्याय समयसुन्दर-रचित कथा-कोश
श्री भंवरलाल नाहटा The Eight Dikpalas as Depicted in the Jaina temple at Kumbharia
Shri Harihar Singh मानव-संस्कृति का विकास
श्री कन्हैयालाल सरावगी जैन वास्तुकला : संक्षिप्त विवेचन
डॉ० शिवकुमार नामदेव कीर्तिवर्द्धनकृत सदयवत्स-सावलिंगा चउपई
डॉ० अशोककुमार मिश्र सन्देशरासक में उल्लिखित वनस्पतियों के नाम श्री श्रीरजंन सूरिदेव जैन साहित्य और शिल्प में वाग्देवी सरस्वती श्री मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी गुणस्थान : मनोदशाओं का आध्यात्मिक विश्लेषण (क्रमश:) श्री अभय कुमार जैन . त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में रसोद्भावना
कु० मंजुला मेहता हरियाणा के सुकवि मालदेव की नवोपलब्ध रचनाएँ श्री अगरचन्द नाहटा पार्श्वभ्युदय में प्रकृति-चित्रण
डॉ० रमेशचन्द्र जैन
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१९७६ १९७६ १९७६ १९७६ १९७६ ।। १९७६ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० प्रकाशचन्द्र जैन श्री अभयकुमार जैन श्री मारुति नन्दन प्र० तिवारी श्री रमेश मुनि शास्त्री श्री भूरचन्द जैन
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ई० सन् १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७
पृष्ठ ३१-२४ ३-८ ९-१८ १९-२१ २२-२६ २७-२९
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१०८ लेख अकलंकदेव की दार्शनिक कृतियाँ आदीश जिन गुणस्थान-मनोदशाओं का आध्यात्मिक विश्लेषण जैनसाहित्य और शिल्प में रामकथा शब्दों की अर्थमीमांसा ऐतिहासिक जैन तीर्थ नांदिया प्राकृतभाषा के कुछ ध्वनि-परिवर्तनों की ध्वनि वैज्ञानिक व्याख्या अन्तराल गति श्रावस्ती का जैन राजा सुहलदेव प्राकृत हिन्दी कोश के महान् प्रणेता : पं० हरगोविन्ददास माणिक्यनन्दिविरचित परीक्षामुख Sixteen Vidyadevis as depicted in Temple at Kumbharia प्राचीन प्राकृत ग्रन्थों में उपलब्ध भगवान् महावीर का जीवन-चरित त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में गणधरवाद व्युत्सर्ग आवश्यक
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२८
३-७
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्री गणेशप्रसाद जैन श्री अगरचंद नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता
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१९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७
८-१३ १४-१८ १९-२२ २३-२४
Dr. Harihar Singh
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डॉ० के० आर० चन्द्र कु० मंजुला महेता श्री रमेशमुनि शास्त्री
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अंक २८६ २८६ २८६ २८ ७
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लेख प्राकृत साहित्य में श्रीदेवी की लोक-परम्परा प्राचीन जैन तीर्थ : करेड़ा पार्श्वनाथ सोलंकी-काल के जैन मन्दिरों में जैनतर चित्रण वादिराजसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व पार्वाभ्युदय में श्रृंगार रस उत्तर प्रदेश में मध्ययुगीन जैन शिल्पकला का विकास तीर्थंकरों की निश्चित संख्या क्यों ? हेमचन्द्राचार्य की साहित्य साधना भगवान् महावीर का अचेल धर्म क्या जैनधर्म रहस्यवादी है ? संस्कृत शब्द और प्राकृत-अपभ्रंश प्राचीन जैनतीर्थ श्री गांगाणी मेवाड़ में चित्रित कल्पसूत्र की एक विशिष्ट प्रति Jain Temple Sculptures of Gujarat आचार्य हेमचन्द्र : एक महान् काव्यकार सांख्य और जैन दर्शन राजस्थान में मध्ययुगीन जैन प्रतिमाएँ
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रमेश जैन श्री भूरचन्द जैन डॉ० हरिहर सिंह श्री उदयचन्द्र 'प्रभाकर' डॉ० रमेशचन्द्र जैन डॉ० शिव कुमार नामदेव श्री रतिलाल म० शाह डॉ०मोहनलाल मेहता पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री डॉ० प्रद्युम्नकुमार जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री भूरचन्द जी श्री अगरचन्द नाहटा Dr. Harihar Singh श्री अभयकुमार जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन डॉ० शिवकुमार नामदेव
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ई० सन् १९७७ १९७७ १९७७ । १९७७ ।। १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७
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११०
अंक ९
२८
ई० सन् १९७७ १९७७ १९७७ १९७७
१९७७
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक मन और संज्ञा
श्री रमेशमुनि शास्त्री भांडवा जैन तीर्थ
श्री भूरचन्द जैन जैन धर्म और बौद्ध धर्म
डॉ० रमेशचन्द्र जैन कविवर देवीदास : जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व ___ श्री अभयकुमार जैन बीकानेरी चित्र-शैली का सर्वाधिक चित्रोंवाला कल्पसूत्र श्री अगरचंद नाहटा कुम्भारिया जैनतीर्थ
श्री भूरचन्द जैन धर्म की छानने की आवश्यकता
श्री रतिलाल म० शाह पार्श्वनाथचरित में प्रतिपादित समाज
श्री जयकुमार जैन जैन-दर्शन में पुद्गल-स्कन्ध
श्री रमेशमुनि शास्त्री परमानन्द विलास : एक परिचय
श्री अभयकुमार जैन श्रमण-संघ
डॉ० मोहनलाल मेहता कुंभारिया के जैन अभिलेखों का सांस्कृतिक अध्ययन (क्रमश:)
डॉ० हरिहर सिंह उत्तराध्ययन का अनेकान्तिक पक्ष
प्रो० श्रीरंजन सूरिदेव आचार्य : स्वरूप और दर्शन
श्री रमेशमुनि शास्त्री सप्तसन्धानमहाकाव्य में ज्योतिष
श्री श्रेयांसकुमार जैन शब्दरत्न-महोदधि नामक संस्कृत-गुजराती जैन-कोश श्री अगरचंद नाहटा कुंभारिया के जैन अभिलेखों का सांस्कृतिक अध्ययन डॉ० हरिहर सिंह
पृष्ठ २५-२८ २९-३२ ३-११ १२-१९ २०-२४ २५-२८ २९-३५ ३-९ १०-१२ १३-१७
१९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७
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१९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री जयकुमार जैन श्री जमनालाल जैन
वर्ष २९ २९ २९ २९
अंक १ १ १ १
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लेख संस्कृत साहित्य में अभ्युदय नामन्त जैन काव्य विपाकसूत्र के आख्यान : एक विहंगावलोकन तर्कप्रधान संस्कृत वाङ्मय के आदि प्रेरक : सिद्धसेन दिवाकर मेघविजय के समस्यापूर्ति काव्य
जैन दर्शन में समता चित्तौड़ का जैन कीर्तिस्तम्भ आगमिक प्रकरण जैन दर्शन आचेलक्य कल्प-एक चिन्तन दशाश्रुतस्कन्ध के विविध संस्करण एवं टीकाएं पार्श्वनाथचरित में राजनीति और शासन-व्यवस्था प्राचीन जैन तीर्थ ओसियाँ उत्तराध्ययन : नामकरण व कर्तव्य क्या ‘रूपकमाला' नामक रचनाएँ अलंकार शास्त्र सम्बन्धी हैं ? जैनकला विषयक साहित्य Origin and Development of Tirthankara Images योग का जनतन्त्रीकरण
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श्री मोहन रत्नेश श्री श्रेयांसकुमार जैन श्री अभयकुमार जैन श्री भूरचन्द जैन डॉ. मोहनलाल मेहता श्री उदय मुनि श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा श्री जयकुमार जैन श्री भूरचन्द जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन Dr. Harihar Singh प्रो० श्रीरंजन सूरिदेव
ई० सन् १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७८ १९७८ १९७८ १९७८ १९७८
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११२
लेख
शान्त रस : मान्यता और स्थान श्रमरस का स्रोत : श्रावक
संप्रतिकालीन आहाड़ के मंदिर का जीर्णोद्धार- स्तवन
टीका और टीकाकार मतिकीर्ति
दशाश्रुतस्कन्ध की बृहद सामायिक : सौ सयाने एकमत आगम - साहित्य में क्षेत्र प्रमाण- प्रणाली मालपुरा की विख्यात जैन दादावाड़ी महाकवि जिनहर्ष और उनकी कविता तारंगा का अजितनाथ मंदिर
जैन आलंकारिकों की रसविषयक मान्यताएँ अज्ञात प्राचीन जैनतीर्थ : कसरावद
सिद्धियोग का महत्त्व समयसार - आचार-मीमांसा
रामसनेही सम्प्रदाय के रेणशाखा के दो सरावगी आचार्य
वर्ण और जातिवाद: जैनदृष्टि
भगवान् महावीर की साधना एवं देशना
जैन सिद्धान्त
भौतिकवाद एवं समयसार की सप्तभंगी व्याख्या
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
जैन
श्री जयकुमार श्री जमनालाल जैन
श्री भंवरलाल नाहटा
श्री अगरचंद नाहटा श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री रमेशमुनि शास्त्री
श्री भूरचन्द जैन
श्री मोहन 'रत्नेश'
डॉ० हरिहर सिंह
डॉ० कमलेशकुमार जैन श्री लक्ष्मीचन्द जैन
पं० के० भुजबली शास्त्री
डॉ० दयानन्द भार्गव
श्री अगरचन्द नाहटा श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री भूरचन्द जैन
डॉ० मोहनलाल मेहता
डॉ० केवल कृष्ण मित्तल
वर्ष
२९
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री गणेशप्रसाद जैन श्री श्रेयांसकुमार जैन
वर्ष
* * *
अंक ८
ई० सन् १९७८ १९७८
११३ पृष्ठ । २१-२५ २६-३१
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२९
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९
लेख जैन तीर्थंकरों का जन्म क्षत्रियकुल में ही क्यों ? काव्यशास्त्रियों की दृष्टि में श्लेष पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के मार्गदर्शक पं० सुखलालजी
समयसार सप्तदशांगी टीका में गणितीय न्याय एवं दर्शन - कर्मशास्त्रविद् रामदेवगणि और उनकी रचनाएँ
जैन आगम साहित्य में जनपद आष्टा की परमारकालीन अप्रकाशित जैन प्रतिमाएँ जैनतीर्थ शंखेश्वर पार्श्वनाथ
समयसार सप्तदशांगी टीका: एक साहित्यिक मूल्याकंन के वैदिक धर्म और जैन धर्म है नयवाद : एक दृष्टि
जैन रक्षापर्व : वात्सल्य पूर्णिमा Kundakundas View-Points in the Samayasara The Nature of object in Jaina Philosophy श्रावक के मूलगुण प्राचीन पांडुलिपियों का संपादन : कुछ प्रश्न और हल विशालकीर्तिरचित प्रक्रियासारकौमुदी
श्री गुलाबचन्द जैन डॉ० लक्ष्मीचंद जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० मायारानी आर्य श्री भूरचन्द जैन डॉ० नेमिचंद जैन पं० के० भुजबली शास्त्री श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री भूरचन्द जैन Dr. M.L. Mehta Shree A. Majumdar श्री सनतकुमार जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा
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११४ लेख
अंक
ई० सन्
१९७८
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री विनोद राय । डॉ० भूपसिंह राजपूत श्री देवीप्रसाद मिश्र श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री भूरचन्द जैन श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री नरेन्द्रकुमार जैन डॉ० शिवकुमार नामदेव Dr. Mohan Lal Mehta डॉ० मोहनलाल मेहता श्री नरेन्द्रकुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री भूरचन्द जैन डॉ. मोहनलाल मेहता श्री सनतकुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा
जैनदृष्टि से ज्ञान-निरूपण • चन्द्रावती की जैन प्रतिमाएँ : एक परिचयात्मक सर्वेक्षण
ज्योतिषशास्त्र और सन्मति वर्धमान महावीर जैन पुराणों में समता ग्यारह प्रतिमा (व्रत) और एकादशी ' पालनपुर का प्राचीन प्रहलविया जैन मन्दिर
श्रमण परम्परा : एक विवेचन समन्तभद्र द्वारा क्षणिकवाद की समीक्षा
कलचुरिकालीन जैन शिल्प-संपदा & The Purvas
जैनधर्म की प्राचीनता तथा इतिहास समन्तभद्र द्वारा क्षणिकवाद की समीक्षा कतिपय जैनेतर ग्रन्थों की अज्ञात जैन टीकाएँ मांडोली का गुरु मन्दिर जैनकला एवं स्थापत्य शीलव्रत : एक विवेचन जयसिंहसूरिरचित अप्रसिद्ध ऋषभदेव और वीरचरित्र
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पृष्ठ २९-३५ ३६-३८ ३-११ १२-१७ १८-२३ २४-२७ ३-१० ११-२२ २३-३२ ३३-३५ ३-१६ १७-२५ २६-३१ ३२-३६ ३-९ १०-१८ १९-२३
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११५
__ वर्ष
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
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५
लेख युगल काव्य मुनिश्री चौथमल जी की जन्म-शताब्दी पंचास्तिकाय के टीकाकार और टीकाएँ जैन व्याकरण शास्त्र में शोध की संभावनाएँ
जैन दार्शनिक साहित्य में अभाव प्रमाण-एक मीमांसा ' जैन धर्म दर्शन का स्त्रोत-साहित्य
पुराणप्रतिपादित शीलव्रत सिंहदेवरचित एक विलक्षण महावीरस्तोत्र धार्मिक एवं पर्यटन स्थल गिरनार क्या जैन दर्शन नास्तिक दर्शन है? जैन श्रावकाचार (क्रमश:) जैनधर्म में शुभ और अशुभ की अवधारणा जौनपुर की बड़ी मस्जिद क्या जैन मंदिर है ? पातंजल तथा जैन योग : स्वरूप एवं प्रकार जैन श्रावकाचार (क्रमश:) जैनधर्म और भक्ति ध्वन्यालोक एवं दशरूपक की दो प्राकृत गाथाएँ-एक चिन्तन
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री भंवरलाल नाहटा श्री गुलाबचन्द जैन डॉ० लालचन्द जैन श्री रामकृष्ण पुरोहित श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० मोहनलाल मेहता श्री सनतकुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री भूरचन्द जैन डॉ० लालचन्द जैन डॉ० मोहनलाल मेहता सुभाषचन्द जैन श्री अगरचन्द नाहटा कु० मंगला दूगड़ डॉ० मोहनलाल मेहता - श्री गुलाबचन्द जैन
श्री विश्वनाथ पाठक
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११६
लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री नरेन्द्रकुमार जैन
पृष्ठ ।
अंक ८
ई० सन् १९७९
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जैन तथा अन्य भारतीय दर्शनों में सर्वज्ञता विचार (क्रमश:) प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों का मनोवैज्ञानिक विकास एवं उनके दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय जैन श्रावकाचार स्वयंभू का कृष्णकाव्य और सूरकाव्य के अध्ययन की समस्याएँ जैन तथा अन्य भारतीय दर्शनों में सर्वज्ञता विचार जैन दर्शन में ब्रह्माद्वैतवाद समताशील भगवान महावीर जिनदत्तसूरि का शकुनशास्त्र एवं हरिभद्र सूरि का व्यवहारकल्प
ब्रह्माद्वैतवाद का समालोचनात्मक परिशीलन ह तीर्थंकर महावीर
विनयप्रभकृत जैन व्याकरण ग्रंथ- शब्ददीपिका निर्जरा तत्त्व-एक विश्लेषण प्राचीन जैन तीर्थ-करेड़ा पार्श्वनाथ पर्युषण : संभावनाओं की खोज जैन साधना के मनोवैज्ञानिक आधार जैनधर्म में कर्मयोग का स्वरूप
डॉ० सागरमल जैन डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री नरेन्द्रकुमार जैन डॉ० लालचन्द जैन मुनिश्री महेन्द्रकुमार (प्रथम) श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० लालचन्द जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री भूरचन्द जैन डॉ० नेमिचन्द जैन डॉ० सागरमल जैन श्री कन्हैयालाल सरावगी
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१४-२० २१-३२ ३३-३५ ३-१० ११-२६ २७-३० ३१-३३ ३-१३ १४-१६ १७-२१ २२-२९ ३०-३४ ३-७
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लेख
स्याद्वाद
सोमदेवकृत उपासकाध्ययन में शीलव्रत (क्रमश:)
आगमिक व्याख्याएँ
आधुनिक सन्दर्भ में जैन दर्शन
सोमदेवकृत उपासकाध्ययन में शीलव्रत
जैन आगम साहित्य में प्रमाणवाद हर्ष कीर्ति सूरि रचित धातु तरंगिणी वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं के अर्थ पर पुनर्विचार (क्रमश:) समाज में महिलाओं की उपेक्षा एक विचारणीय विषय गृहस्थ के अष्टमूल गुण- तुलनात्मक अध्ययन जैन वाङ्गमय का संगीत पक्ष
देवचन्द्रकृत यंत्रपद्धति का वस्त्र टिप्पणक बुद्ध और महावीर
भारत का सर्व प्राचीन संवत्
भगवान् महावीर का विचार तथा कृतित्व समस्त विश्व के लिए अनुपम धरोहर
श्रमण : अतीत के झरोखे
लेखक
कु० कुसुम जैन
श्री सनतकुमार जैन
डॉ० मोहनलाल मेहता
श्री बृजकिशोर पाण्डेय
श्री सनतकुमार जैन
श्री गणेशमुनि शास्त्री
श्री अगर चन्द नाहटा
पं० विश्वनाथ पाठक डॉ० प्रेमचन्द जैन
श्री अशोक पाराशर
श्री प्यारेलाल श्रीमाल
'सरसं पंडित'
श्री अगरचन्द नाहटा
डॉ० देवसहाय त्रिवेद पं० के० भुजबली शास्त्री
डॉ० रामकुमार वर्मा
वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० विश्वनाथ पाठक डॉ० लालचन्द जैन श्री रत्नेश कुसुमाकर डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मनि जी
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ई० सन् १९७९ १९७९ १९७९ १९८० १९८०
पृष्ठ ३-८ ९-२२ २३-२७ ३-२१ २२-२५
or
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or
लेख वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं पर पुनर्विचार ब्रह्माद्वैतवाद का समालोचनात्मक परिशीलन एलाचार्य मुनि श्री विद्यानन्द जी का सामाजिक दर्शन अहिंसा का अर्थ, विस्तार, संभावना और सीमाक्षेत्र
माँस का मूल्य ए बालकों के संस्कार निर्माण में अभिभावक,
शिक्षक एवं समाज की भूमिका धर्म क्या है (क्रमश:) त्याग का मूल्य हिंसा-अहिंसा का जैन दर्शन उतार चढ़ाव के बीच उभरती अहिंसा आत्मा और परमात्मा धर्म क्या है सामायिक का मूल्य सुख-दुःख जैन धर्म में भक्ति का स्थान महावीर संदेश दार्शनिक दृष्टि
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डॉ० सागरमल जैन डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मुनि डॉ० मोहनलाल मेहता श्री शरदकुमार साधक डॉ० सागरमल जैन डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मुनि श्री कन्हैयालाल सरावगी डॉ० सागरमल जैन श्री हरिओम सिंह
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लेख
अध्यात्मवाद और भौतिकवाद जीवन दर्शन
ईश्वर और आत्मा : जैन दृष्टि
जैन तीर्थंकरों का जन्म - क्षत्रिय कुल में ही क्यों
जीवन और विवेक
धर्म क्या है
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
डॉ० सागरमल जैन
उपाध्याय अमर मुनि प्रो० श्रीरंजन सूरिदेव श्री गणेशप्रसाद जैन
श्री डोंगरे महाराज
डॉ० सागरमल जैन
उपाध्याय अमर मुनि
श्री ऋषभचन्द जैन फौजदार
सोने की चमक अनेकान्त-एक दृष्टि महत्त्वपूर्ण जैन कला के प्रति जैन समाज की उपेक्षावृति श्री अगरचंद नाहटा
श्री गुलाबचन्द जैन
आर्यारत्न श्री विचक्षण श्री जी म० सा० संयम : जीवन का सम्यक् दृष्टिकोण अधूरी जोड़ी
डॉ० सागरमल जैन
जैनधर्म की प्रासंगिकता भेद विज्ञान : मुक्ति का सिंहद्वार नाथ कौन ?
भिक्षुणी संघ की उत्पत्ति एवं विकास जैन दर्शन में मुक्ति की अवधारणा
उपाध्याय अमर मुनि जी डॉ० निजामुद्दीन
डॉ० सागरमल जैन
उपाध्याय अमर मुनि जी
डॉ० अरुण प्रताप सिंह
श्री पांडेय रामदास गंभीर
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लेख मन की लड़ाई क्या भगवान् महावीर के विचारों से विश्वशांति संभव है ? अनेकान्तवाद की व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता पर्युषण उदायन का पर्युषण साधना में श्रद्धा का स्थान ‘पर्वराज-दस लक्षणी' पर्युषण पर्व जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित एवं लोकहित का प्रश्न मनुष्य की परिभाषा शान्ति की खोज में पंडित कौन जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित और लोकहित का प्रश्न सेवाव्रत नंदीषण अनेकान्तवाद की व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता तीर्थंकर महावीर का निर्वाण दिवस 'दीपावली' ममता दुःख का जनक लोभ
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक उपाध्याय अमर मुनि डॉ० (कु०) मंजुला मेहता श्री शीतलचन्द जैन श्री मधुकर मुनि उपाध्याय अमर मुनि आचार्य श्री आनन्द ऋषि श्री गणेशप्रसाद जैन डॉ० सागरमल जैन श्री महावीरप्रसाद गैरोला श्री प्रवीण ऋषि जी महात्मा भगवानदीन डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मुनि जी डॉ० सनतकुमार जैन गणेशप्रसाद जैन महात्मा भगवानदीन आचार्य श्री आनन्द ऋषि
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ई० सन् १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८०
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लेख राजा मेघरथ का बलिदान प्राणीमात्र के विकास का आधार : जैन धर्म अनमोलवाणी-संकलन कर्मों का फल साहित्य में गोम्मटेश्वर बाहुबलि शिल्प में गोम्मटेश्वर बाहुबलि बाहुबलि : चक्रवर्ती का विजेता कीर्ति के शत्रु; क्रोध और कुशील महाकवि पुष्पदन्त और गोम्मटेश्वर बाहुबलि कल्पना का स्वर्ग या स्वर्ग की कल्पना सदाचार मानदण्ड और जैन धर्म दार्शनिक क्षितिज का दीप्तिमान नक्षत्र चक्षुष्मान पं० सुखलाल जी विद्या-वारिधि एवं प्रज्ञा-पुत्र भारतीय दर्शनों का समन्वयवादी स्थितप्रज्ञ पुरुष पं० सुखलाल जी- एक संस्मरण
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक उपाध्याय अमर मनि डॉ० महेन्द्रसागर प्रचंडिया महात्मा चेतनदास जी डॉ० आदित्य प्रचण्डिया डॉ० सागरमल जैन डॉ० मारुति नन्दन प्र० तिवारी उपाध्याय अमर मुनि आनन्द ऋषि जी म० सा० डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री सौभाग्यमल जैन डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय श्री अमर मुनि जी उपाध्याय महेन्द्र कुमार जी मुनिश्री नगराज जी पं० श्री विजयमुनि जी श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री रमेशमुनि जी शास्त्री
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लेख दार्शनिक पुरुष प्रज्ञापुरुष सदा जागृत नरवीर
अंक ५
पृष्ठ
३४
३२
ई० सन् १९८१ १९८१ १९८१
ک ک
३५ ३६
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनिश्री रामकृष्ण साध्वीश्री विचक्षण श्री जी साध्वीश्री मृगावती एवं साध्वी श्री सुव्रता श्री जी श्री जैनेन्द्र कुमार श्री यशपाल जैन डॉ० रामजी सिंह पं० के० भुजबलि शास्त्री साहू श्रेयांसप्रसाद जैन सेठ श्री अचलसिंह जी श्री शादीलाल जैन श्री चिमनभाई चकुभाई शाह विद्यानन्द मुनि बेचरदास दोशी श्री गुलाबचन्द जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ० जयकुमार जैन
ک ک ک
३९-४० ४१-४३ ४४-४६ ४७ ४८-४९
स्मृति नन्दन ग गुणों के आगार
भारतीय मनीषा के उज्जवलतम् प्रतीक पं० सुखलाल जी पं० रत्न विद्वान् सुखलाल जी-एक सुखद संस्मरण पुरुषार्थ के प्रतीक पं० सुखलाल जी सरस्वती पुत्र स्व. पंडित जी-एक चलते फिरते विश्व-कोष समदर्शी दार्शनिक विद्वत् रत्नमाला का एक अमूल्य रत्न अनन्य साथी का वियोग प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल जी: एक परिचय पं० सुखलाल जी के तीन व्याख्यानमालाओं के पठनीय ग्रंथ जैन, बौद्ध और वैदिक साहित्य-एक तुलनात्मक अध्ययन प्राचीन भारतीय वाङ्मय में पार्श्वचरित
५०
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३२५ १९८१ ३२ ५ १९८१ ३२५
१९८१ १९८१ १९८१
१९८१ ३२५
१९८१
१९८१ ३२ ५ १९८१ ३२५ १९८१
१९८१ ५ १९८१
द्वितीय भाग १९८१ ३२ द्वितीय भाग १९८१
१-२८ २९-४५
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पृष्ठ । ४६-५१ ५२-६१ ६२-६९ ७०-७७ ७८-८६ २-९
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक शम्बूक आख्यान (जैन तथा जैनेतर सामग्री का तुलनात्मक अध्ययन) श्री विमलचन्द शुक्ल आचार्य शाकटायन (पाल्यकीर्ति) और पाणिनि श्री रामकृष्ण पुरोहित मुनि श्रीदेशपाल : जीवन और कृतित्व
डॉ० सनत्कुमार रंगाटिया मेरुतुंग के जैनमेघदूत का एक समीक्षात्मक अध्ययन श्री रविशंकर मिश्र जैनाचार्यों द्वारा आयुर्वेद साहित्य में योगदान
आचार्य राजकुमार जैन महावीर का दर्शन- सामाजिक परिप्रेक्ष्य में
डॉ० सागरमल जैन महावीर का अखण्ड व्यक्तित्व
उपाध्याय श्री अमरमुनि जी भगवान् महावीर का उपदेश और आधुनिक समाज पं० दलसुख भाई मालवणिया महावीर की वाणी
श्री कपूरचन्द जैन महावीर का संयम और उनका साधनामय जीवन कु० सविता जैन चक्रवर्तियों के चक्रवर्ती श्रमण महावीर
श्री वेदप्रकाश सी० त्रिपाठी मनुष्य प्रकृति से शाकाहारी
डॉ० महेन्द्रसागर प्रचण्डिया स्वाध्याय : एक आत्मचिन्तन
श्री राजकुमार छाजेड़ 'राजन' भगवान् महावीर और उनके द्वारा प्रतिपादित धर्म श्री ऋषभचन्द फौजदार दयामूर्ति : धर्मरुचि अनगार
उपाध्याय श्री अमर मुनि तीर्थंकर
डॉ० बी० सी० जैन चमत्कार को नमस्कार
डॉ० रतन कुमार जैन
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अंक ई० सन् द्वितीय भाग १९८१ द्वितीय भाग १९८१ द्वितीय भाग १९८१ द्वितीय भाग १९८१ द्वितीय भाग १९८१
१९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१
१९८१ ७ १९८१
१७-२२ २३-२६ २७-३०
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.१२४
लेख जैन आचार में इन्द्रियदमन की मनोवैज्ञानिकता सम्राट और साम्राज्य सोमदेवसूरि की अर्थनीति-एक समाजवादी दृष्टिकोण उपरीयाली का विख्यात जैन तीर्थ
जैन दर्शन में प्रमाण (विशेष शोध-निबन्ध) गुग बौद्ध एवं जैन अहिंसा का तुलनात्मक अध्ययन
बलिदान की अमरगाथा लोद्रवा-जैसलमेर तीर्थ पर श्री घण्टाकर्ण-महावीर मन्दिर जैन दर्शन में अनेकान्तवाद का स्वरूप जैन कवि विक्रम और उनका नेमिदूतकाव्य जैन दर्शन और मार्क्सवाद सफल हुआ सम्यक्त्व पराक्रम पर्युषण : आत्म-संक्रान्ति का अद्वितीय अध्याय मानव धर्म का सार सांस्कृतिक पर्व की सामाजिक उपयोगिता जीवन का सत्य पर्युषण : आत्मा की उपासना का पर्व
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष अंक रतनचन्द जैन
३२८ डॉ० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' ३२ श्री कृष्णमुरारी पांडेय ३२ श्री भूरचन्द जैन
३२ ८ डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा डॉ० भागचन्द जैन
३२ ९ उपाध्याय श्री अमरमुनि जी श्री भूरचन्द जैन
३२९ श्री भिखारीराम यादव
३२ १० श्री रविशंकर मिश्र
३२ १० श्री हरिओम् सिंह
३२ १० राजमल पवैया
३२ ११ डॉ० नरेन्द्र भानावत
३२ ११ श्री जगदीश सहाय
३२ ११ साध्वीश्री अर्णिमा श्री जी डॉ० रतनकुमार जैन ___३२ ११ मुनि श्री रामकृष्ण
ई० सन् __ पृष्ठ १९८१ १-१६ १९८१ १७-२३ १९८१ २४-२५ १९८१ ।। २६-२८ १९८१
१-३४ १९८१ १९८१ १७-२३ १९८१ २४-२६ १९८१ १-८ १९८१
९-१४ १९८१ १६-२० १९८१ १९८१ १९८१
६-१५ १९८१ १६-२० १९८१ २१-२५ १९८१ २६-३०
२-५
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अंक
ई० सन्
१२५ पृष्ठ ३१-३२
१९८१
३२ ३२
३२
लेख सच्ची क्षमा अपने को पहचानिये श्वेताम्बर साहित्य में राम कथा विमलसूरि के पउमचरिउ का भौगोलिक अध्ययन अललित जैन साहित्य का अनुवाद : कुछ समस्याएँ फलवर्द्धिका पार्श्वनाथ तीर्थ-एक ऐतिहासिक दृष्टि नय और निक्षेप-एक विश्लेषण नैतिकता का आधार ज्ञानदीप की शिखा महावीर-कालीन वैशाली नर्क का प्रश्न अपनी परमात्म शक्ति को पहचानें ज्ञान भी सम्पदा है कानों सुनी सो झूठ सब जैनधर्म में अहिंसा सिर्फ फैशन की खातिर स्नेह के धागे लोद्रवा का कलात्मक कल्पवृक्ष
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक साध्वीश्री कानकुमारी जी महात्मा भगवानदीन जी डॉ० सागरमल जैन डॉ० कामता प्रसाद मिश्र डॉ० नंदलाल जैन श्री शिवप्रसाद डॉ० कृपाशंकर व्यास जगदीश सहाय राजमल पवैया श्रीरंजन सूरिदेव श्री सौभाग्यमल जैन श्री सौभाग्यमल जैन मुनि रामकृष्ण डॉ० रतन कुमार जैन श्री रामदेव राम यादव श्री प्रकाश मेहता श्री अमरमुनि जी श्री भूरचन्द जैन
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१९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८१ १९८२ १९८२
७-११ १२-२० २१-२६ २७-३१ ३५-४८ १-१८ १९ २०-२५ २६-२९ २-६
३३ ३३१ ३३ १ ३३ २ ३३ २ ३३ २ ३३ २ ३३ २
७-११
१२-१५ १६-२२ २३-२४ २-७ १०-१३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक
वर्ष अंक जैन दर्शन में प्रत्यक्ष का स्वरूप (विशेष शोध-निबन्ध) डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा ३३ श्रोत्र इन्द्रिय की प्राप्यकारिता : एक समीक्षा
श्री नंदलाल जैन
३३ स्याद्वादः एक भाषायी पद्धति
श्री भिखारीराम यादव ३३ जैन धर्म में आत्मतत्त्व निरूपण
प्रो० रामदेव राम यादव जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि
डॉ० आदित्य प्रचण्डिया दीति ३३ र जैन भिक्षुणी-संघ और उसमें नारियों के प्रवेश के कारण श्री अरुण कुमार सिंह भगवान् श्री अजितनाथ
श्री भूरचन्द जैन भिगमंगों-मन
डॉ० रतनकुमार जैन नैतिक आचरण विधि : सोरेन की गार्ड और जैन दर्शन पाण्डेय रामदास गम्भीर सत्ता का दर्प
उपाध्याय अमरमुनि जी अहिंसा परमोधर्मः
रविशंकर मिश्र
३३ ५ दशरूपक की एक अव्याख्यात्मक गाथा
पं० विश्वनाथ पाठक श्रमण भगवान् महावीर के चारित्रिक अलंकरण रविशंकर मिश्र
३३६ महावीर के सिद्धान्त-युगीन सन्दर्भ में
डॉ० सागरमल जैन
३३६ क्रान्तदर्शी महावीर
उपाध्याय अमरमुनि जी दुर्दान्त दस्यु दया का देवता बना
श्री वीरेन्द्रकुमार जैन
३३६ भगवान् महावीर और युवा-अध्यात्म
श्री जमनालाल जैन
३३६
ई० सन् १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२
पृष्ठ १-२४ २५-३२ ३३-३८ १-९ १०-११ १२-१६ १७-२० २१-२८ ३-१२ १३-१६ १७-१९ २०-२१
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३-२७ २८-३८ ३९-५० ५१-५५
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१२७
वर्ष ३३६
अंक
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३३६
३३ ६ ३३७ ३३
लेख अकबर और जैनधर्म ४५ आगम और मूलसूत्र की मान्यता पर विचार संस्कृत दूतकाव्यों के निर्माण में जैन कवियों का योगदान विदेशों में जैन साहित्य : अध्ययन और अनुसंधान ज्ञान-प्रमाण्य और जैन दर्शन आचार्य मानतुंगसूरिविरचित भक्तामर-काव्य धर्म परिवर्तन-श्रमण धर्मों की भूमिका और निदान बिना विचारे जो करै साधु मर्यादा क्या? कितनी? महावीर का संयम और उनका साधनामय जीवन
दशरूपक का एक अपभ्रंश दोहा : कुछ तथ्य _ 'प्राणप्रिय काव्य' का रचनाकाल, श्लोक- संख्या और सम्प्रदाय
जैनधर्म एक सम्प्रदायातीत धर्म जीवन-दृष्टि संस्कृत-व्याकरण शास्त्र में जैनचार्यों का योगदान प्रतिक्रिया है दु:ख जैन धर्म में मोक्ष का स्वरूप ढंढण ऋषि की तितिक्षा
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० ओमप्रकाश सिंह श्री अगरचन्द नाहटा रविशंकर मिश्र डॉ० भागचन्द भास्कर भिखारीराम यादव राजमल पवैया महेन्द्रकुमार फुसकेले उपाध्याय अमरमुनि सौभाग्यमल जैन कु० सविता जैन डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन श्री अगरचंद नाहटा डॉ. निजामुद्दीन उपाध्याय अमरमुनि जी श्रीराम यादव युवाचार्य महाप्रज्ञ विनोदकुमार तिवारी उपाध्याय अमरमुनि
ई० सन् १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२
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पृष्ठ । ५६-६० ६१-६३ १-१५ १०-२८ २९-३६ १-४ ५-११ १२-१४ १५-१८ १९-२३ २४-२६ २७-२९ ३-७ ८-१० ११-२० २-६ ७-१० ११-१४
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१२८ लेख
जैन मुनि क्या कुछ कर सकता है? 2 मध्य प्रदेश के गुना जिले का जैन पुरातत्त्व
पर्युषण पर्व : क्या, कब, क्यों और कैसे असली दुकान/नकली दुकान सुख का सागर अमृत जीता, विष हारा सिरोही जिले में जैन धर्म दशरूपकावलोक में उद्धृत अपभ्रंश उदाहरण आत्मसुख सभी सुखों का राजा संवत्सरी महापर्व : स्वरूप और अपेक्षाएँ सनत्कुमार का सौन्दर्य
जैन हरिवंश पुराण-एक सांस्कृतिक अध्ययन महावीर की विहार भूमि-मगध और उसकी संस्कृति चिन्तन : सम्यक् जीवन दृष्टि श्रमण संस्कृति की पृष्ठभूमि धर्म और युवा पीढ़ी बलभद्र और हरिण
5 : : 8 8 8 8 8 8 * * * *
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
अंक मन्नूलाल जैन डॉ०शिवप्रसाद
३३ ९ डॉ० सागरमल जैन
३३ १० डॉ० सागरमल जैन
३३१० डॉ. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' । उपाध्याय अमरमुनि डॉ० सोहनलाल पटनी हरिवल्लभ भयाणी आचार्य आनन्द ऋषि जी ३३ मुनि नगराज जी उपाध्याय अमरमुनि जी लल्लू पाठक
३३ गणेशप्रसाद जैन
३३ डॉ० हुकुमचन्द संगवे श्रीमती उर्मिला जैन
३३ १२ श्रीमती बीना निर्मल ३३ १२ उपाध्याय अमरमुनि जी ३३ १२
ई० सन् १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२
पृष्ठ १५-१८ १९-२३ १-१९ २०-२१ २२-२४ २५-२९ ३२-३७ ३८ ३-५ ६-९ १०-१४ १५-२२ २३-२७ २८-३१ ३-५ ७-८ ९-११
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अंक
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३४
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक है जैन दर्शन के अन्तर्गत जीव तत्त्व का स्वरूप विनोदकुमार तिवारी संयुक्त निकाय में जैन सन्दर्भ
विजयकुमार जैन भगवान् महावीर
उपाध्याय अमरमुनि जी तीर्थंकर महावीर का निर्वाण पर्व 'दीपावली' एक समीक्षा गणेशप्रसाद जैन । उपाध्याय श्री अमरमुनि जी : एक ज्योर्तिमय व्यक्तित्व मुनि समदर्शी गा आज का युवक धर्म से विमुख क्यों?
माणकचन्द पींचा “भारती" कवि देपाल की अन्य रचनायें
श्री अगरचन्द नाहटा व्यक्ति और समाज
डॉ० सागरमल जैन प्रातिभ ज्ञानात्मक चिन्तन: सापेक्ष चिन्तन
पाण्डेय रामदास गंभीर मन की शक्ति बनाम सामायिक
युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ जैन एकता का प्रश्न
डॉ० सागरमल जैन है जैन एकता संभव कैसे?
मुनि रूपचन्द जैन धर्म और युवावर्ग
प्यारेलाल श्रीमाल ‘सरस पंडित' ब्रह्मदत्त
मुनि श्री महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' हुबली का श्री शांतिनाथ मंदिर
श्री भूरचन्द जैन धर्म क्या है ?
डॉ० सागरमल जैन o जैनधर्म में अरिहन्त और तीर्थंकर की अवधारणा श्री रमेशचन्द्र गुप्त
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१२९ पृष्ठ १२-१५ १६-२३ ५-१४ १५-२० २१-२५ २६-२८ २९-३३ ३-४ ५-१७ १८-२२ १-२७ २८-३२ ३५-३९ ४०-४२ ४३-४५ २-४ ५-९
ई० सन् १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३
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अंक ४
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक आचार्य आनन्द ऋषि मुनि महेन्द्रकुमार 'प्रथम' डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० प्रतिभा जैन आचार्य आनन्द ऋषि कस्तूरीनाथ गोस्वामी डॉ० रतनचन्द्र जैन मुनि महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' गणेशप्रसाद जैन श्री हर्षचन्द्र डॉ० प्रेमसुमन जैन मुनि महेन्द्रकुमार डॉ० विनोद कुमार तिवारी श्री के० रिषभचन्द्र श्री राजदेव दुबे युवाचार्य महाप्रज्ञ मुनि ललितप्रभ सागर गणेशप्रसाद जैन
लेख आत्मबोध का क्षण नन्दीसेन जैन दृष्टि में चारित्र अनेकान्तवाद सदाचार का महत्त्व वर्तमान अशान्ति का एक मात्र समाधान अहिंसा बन्ध के कार्य में मिथ्यात्व और कषाय की भूमिकाएँ अभी तो सबेरा ही है ? वैराग्यमूलक एक ऐतिहासिक प्रेमकाव्य : तरंगवती जैनत्व का गौरव और हम जैन भौगोलिक स्थानों की पहचान आनन्द जैन दर्शन में अजीव तत्त्व का स्थान जैन विद्या के अध्ययन एवं संशोधन केन्द्रों की स्थापना चरित्र निर्माण में आचार-पद्धति का योगदान. अहिंसा की समस्याएँ जैनधर्म में भक्ति का स्वरूप समाधिमरण
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ई० सन् १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३
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पृष्ठ १०-११ १२-१६ १७-२१ २-९ ११-१२ १३-१६ २-८ १०-१३ १४-२४ २-५ ६-११ १२-१७ १८-२१ २२-२५ २६-३२ २-४ ५-७
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ई० सन् १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक गणेश ललवाणी मुनि सुखलाल भूरचन्द जैन डॉ० सागरमल जैन डॉ० आदित्य प्रचण्डिया श्री धर्मचन्द जैन मुनिश्री चन्द्रप्रभ सागर डॉ० सागरमल जैन मुनि ललितप्रभ सागर मुनि महेन्द्र कुमार जी 'प्रथम' स्व० श्री अगरचन्द नाहटा श्री जसकरण डागा उपाध्याय अमर मुनि श्री जिनेन्द्र कुमार डॉ० निजामुद्दीन मुनि महेन्द्र कुमार डॉ० सुदर्शनलाल जैन
लेख राज्य का त्यागः त्यागी से भय स्वप्न और विचार बंगलौर का आदिनाथ जैन मंदिर जैन अध्यात्मवाद : आधुनिक संदर्भ में धर्म और धार्मिक जैन स्तोत्रों में नवधा भक्ति क्षमा-वाणी दशलक्षण/दशलक्षण धर्म के शांति का अमोध अस्त्र-क्षमा क्षमा की शक्ति जैन एकता का स्वरूप व उसके उपाय जैन एकता : सूत्र व सुझाव भगवान् महावीर का निर्वाण-कल्याणक क्या हम अपराधी नहीं हैं ? भगवान् महावीर और विश्वशांति भाग्यवान् अन्धा पुरुष जैनदर्शन में मोक्ष का स्वरूप :भारतीय दर्शनों के परिप्रेक्ष्य में
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लेख वीरवर्धमानचरित में शान्तरस विमर्श तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ अहिंसा की सार्थकता जैन आचार-पद्धति में अहिंसा कर्म का स्वरूप भगवान् बाहुबली के प्रति जैन धर्म दर्शन में अराधना का महत्त्व यशस्तिलकचम्पू और जैनधर्म सामायिक और ध्यान वसुराजा सद्विचार हेतु मौलिक प्रक्रिया जैन संस्कृति में सत्य की अवधारणा
पृष्ठ २५-२८ २-५ ८-१२ १३-२० ५-७ ८-१० ११-१४ १५-२८ ४-८
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ई० सन् १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्रीमती उर्मिला जैन श्री गणेशप्रसाद जैन श्री सौभाग्यमल जैन डॉ० राजदेव दुबे श्री रवीन्द्रनाथ मिश्र दिलीप सुराणा गुलाबचन्द जैन डॉ० (कु०) सत्यभामा डॉ० आदित्य प्रचण्डिया मुनि महेन्द्र कुमार सौभाग्य मुनि 'कुमुद डॉ० राजदेव दुबे एवं प्रमोद कुमार सिंह श्री मिश्रीलाल जैन श्री मिश्रीलाल जैन श्री मिश्रीलाल जैन श्री रविशंकर मिश्र
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उत्तराध्ययनसूत्र समणसुत्तं
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२-२६ २७-४१ ४२-५९ १-२
समयसार
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श्रमण भगवान् महावीर के चारित्रिक अलंकरण
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
लेखक
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अंक ३५६ ३५६ ३५ ६
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१३३ पृष्ठ ३-१४ १५-१९ २०-२२ २४-२६ २७-२८ २९-३१
उपाध्याय अमरमुनि स्व० जिनेन्द्रवर्णी मुनिश्री नगराज जी दर्शनाचार्य मुनि योगेशकुमार डॉ० आदित्य प्रचण्डिया श्यामवृक्ष मौर्य मुनि योगेश कुमार श्री सौभाग्य मुनिजी 'कुमुद'
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ई० सन् १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४ १९८४
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११-१४
महावीर का जीवन-दर्शन . महावीर जयन्ती भगवान् महावीर के आदर्शों और यथार्थ की पृष्ठभूमि नारी उत्क्रान्ति के मसीहा भगवान् महावीर वर्तमान सन्दर्भ और भगवान् महावीर की अहिंसा भगवान् महावीर की व्यापक दृष्टि । आचारांग में सोऽहम् की अवधारणा का अर्थ ध्यान साधना का दिशाबोध जैनदर्शन और अरविन्द दर्शन में एकत्व और अनेकत्व सम्बन्धी विचार हिन्दी जैन कवि छत्रपति : व्यक्तित्व तथा कृतित्व जैन आगमों में विद्वत् गोष्ठी अपना और पराया सूत्रकृतांग में प्रस्तुत तज्जीव तच्छरीवाद जैन एवं बौद्ध धर्म में भिक्षुणी संघ की स्थापना धर्म का भान तपश्चर्या-उपवास पूज्य आचार्य श्री कांशीराम जी महाराज स्मृति विशेषांक
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कु० ममता गुप्ता डॉ० आदित्य प्रचण्डिया ‘दीति' श्री सौभाग्यमल जैन मुनिश्री महेन्द्र कुमार प्रथम श्रीमती मंजू सिंह अरुण प्रताप सिंह डॉ० आदित्य प्रचण्डिया चिमनलाल चकुभाई शाह
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१७-१८ २०-२२ १-४१
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लेख
शुद्धि, चिकित्सा और सिद्धि का महान् पर्व-संवत्सरी प्रेम की सरिता प्रवाहित करने वाला पर्व
अध्यात्म-आवास/पर्युषण सिद्धि का पथ : आर्जवधर्म तप का उपादेय : कर्मों की निर्जरा
भगवान् महावीर की साधना
मानव जाति के अभ्युदय का पर्व 'दीपावली' भारतीय संस्कृति के विकास में श्रमण धारा का महत्त्व आत्म परिमाण (विस्तार क्षेत्र) जैन दर्शन के सन्दर्भ में तत्त्वार्थ राजवार्तिक में वर्णित बौद्धादिमत
नागदत्त
शान्तरस : जैनकाव्यों का प्रमुख रस
धर्म का स्वरूप बन्दर का रोना
आडम्बरप्रिय नहीं धर्मप्रिय बनो
राष्ट्रीय विकास-यात्रा में जैनधर्म एवं जैन पत्रकारों का योगदान
पाप का घट
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
युवाचार्य महाप्रज्ञ
मुनि मणिप्रभसागर दर्शनाचार्य मुनि योगेशकुमार
श्रीमती अलका प्रचण्डिया 'दीति'
डॉ० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति'
उपाध्याय अमरमुनि दर्शनाचार्य योगेशकुमार डॉ० कोमलचन्द्र जैन
दर्शनाचार्य मुनि योगेशकुमार डॉ० उदयचन्द जैन मुनिश्री महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम'
डॉ० मंगल प्रकाश मेहता भंडारी सरदारचंद जैन
मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी 'प्रथम'
श्री सौभाग्य मुनि जी 'कुमुद'
जिनेन्द्र कुमार मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी 'प्रथम'
वर्ष
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लेख
भगवान् महावीर निर्वाण स्थली दुर्बल को सताना क्षत्रियधर्म नहीं
धर्म को समाज सेवा से जोड़ा जाय सुबुद्धि और दुर्बुद्धि संवेदनहीनता से सुलगती सभ्यता परम तत्त्व : आचार्य विनोबा भावे की दृष्टि में अन्तः प्रज्ञा-शक्ति
जैन दर्शन में कथन की सत्यता
सच्ची सनाथता
जैन संतकाव्य में संयम : आधुनिकपरिस्थितियों का समाधान राष्ट्रीय एकता और साहित्य हुबली अचलगच्छ जैन देरासर मुलाकात महावीर से
महामानव महावीर का जीवन प्रदेय सुमन रख भरोसा महावीर का
भगवान् महावीर : जीवन सम्बन्धी प्रमुख घटनाएँ
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
अनन्त प्रसाद जैन
आचार्य आनन्द ऋषि जी
जिनेन्द्र कुमार मुनिश्री महेन्द्रकुमारजी 'प्रथम' मुनि राजेन्द्रकुमार 'रत्नेश'
डॉ० नरेन्द्र बहादुर दर्शनाचार्य मुनि योगेशकुमार सुश्री अर्चना पाण्डेय
डॉ० रविशंकर मिश्र
डॉ० बहादुर सिंह डॉ० नगेन्द्र श्री भूरचंद जैन
श्री शरद कुमार साधक
डॉ. आदित्य प्रचण्डिया उत्सवलाल तिवारी 'सुमन' डॉ० मंगलप्रकाश मेहता
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लेख दर्शन और ज्ञान जब चारित्र में आया भगवान् महावीर का आदर्श जीवन तीर्थंकर महावीर की जन्मभूमि : विदेह का कुण्डपुर स्वभाव-परिवर्तन जैनधर्म एवं गुरु-मन्दिर आभूषण भार स्वरूप है अपराध की औषधि : क्षमा एक महान् विरासत की सहमति में उठा हाथ दृढ़प्रतिज्ञ केशव एकता? एकता? एकता? भाग्य बनाम पुरुषार्थ शब्द का वाच्यार्थ जाति या व्यक्ति श्रावक गंगदत्त जैन कर्म-सिद्धान्त का क्रमिक-विकास जैनदर्शन में आत्म स्वरूप तीर्थंकर महावीर की शिक्षाओं का सामाजिक महत्त्व धर्म एवं दर्शन-एक गवेषणात्मक विवेचन
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री महेन्द्र सागर प्रचण्यिा पूनमचन्द मुणोत जैन गणेश प्रसाद जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ जसवन्तलाल मेहता श्री सौभाग्यमुनि जी 'कुमुद' श्री कृष्ण 'जुगनू' महेन्द्र कुमार फुसकुले मुनिश्री महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' राजेन्द्रकुमार श्रीमाल डॉ. सागरमल जैन कु. अर्चना पाण्डेय मुनिश्री महेन्द्रकुमार 'प्रथम' श्री रवीन्द्रनाथ मिश्र डॉ० उदयचन्द जैन डॉ० विनोदकुमार तिवारी मुनि राजेन्द्रकुमार रत्नेश
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लेख
जैन कर्म - सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास
तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार की अवधारणा का तुलनात्मक अध्ययन रमेशचन्द्र गुप्त पर्युषण और हमारा कर्त्तव्य
महापर्व पर्युषण का पावन सन्देश: अपने आप को परखें
संवत्सरी की सर्वमान्य तारीख
भारतीय दर्शनों में अहिंसा
श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा का स्वरूप
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री रवीन्द्रनाथ मिश्र
वसुदेवहिण्डी में रामकथा
पर्वाराधन की एकरूपता का प्रश्न प्राचीन जैन साहित्य में शिक्षा का स्वरूप जैन संस्कृति का दिव्य सन्देश - अनेकान्त जैन पर्व दीपावली : उत्पत्ति एवं महत्त्व जैन दिवाकर मुनिश्री चौथमल जी महाराज सिद्धक्षेत्र बावनगजा जी
आचार्य सोमदेव का व्यक्तित्व तथा कर्तृव्य संस्कृत काव्यशास्त्र के विकास में प्राकृत की भूमिका जैन दर्शन के सन्दर्भ में भाषा की उत्पत्ति
स्व० श्री अगरचन्द नाहटा
आचार्य आनन्दऋषि जी महाराज
दिलीप सुराणा रत्नलाल जैन
डॉ० सागरमल जैन
गणेशप्रसाद जैन
श्री सौभाग्य मुनि 'कुमुद' डॉ० राजदेव दुबे मुनि ज्योतिर्धर
डॉ॰ विनोदकुमार तिवारी
विपिन जारोली
नेमिचन्द जैन
० मीनाक्षी शर्मा
कु० धनीराम अवस्थी कु० अर्चना पाण्डेय
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक समन्तभद्र डॉ० सागरमल जैन विजय कुमार डॉ० डी० आर० भण्डारी डॉ. विनोद कुमार तिवारी सुभाष मुनि 'सुमन' महेन्द्रनाथ सिंह। श्रीमती कमलप्रभा जैन डॉ० सागरमल जैन केवल मुनि जी रामहंस चतुर्वेदी सुभाष मुनि 'सुमन' साध्वी प्रियदर्शनाजी सौभाग्यमल जैन 'वकील' श्री कृष्ण 'जुगनू' विजय कुमार राजकुमार जैन
लेख वीरावतार महावीर का जीवन दर्शन जैनदर्शन में बंधन-मोक्ष जैन नीति दर्शन एवं उसका व्यावहारिक पक्ष
जैन दर्शन की पृष्ठभूमि में ईश्वर का अस्तित्व ए महावीर और बुद्ध
धम्मपद और उत्तराध्ययन का एक तुलनात्मक अध्ययन प्राचीन जैन साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन-एक अध्ययन जैन विद्या के निष्काम सेवक : लाला हरजसराय जी जैन चरित्र की दृढ़ता जैनागमों में वर्णित नागपूजा सर्वधर्म समभाव और स्याद्वाद जैन साधना पद्धति में ध्यानयोग क्षमा में विश्व बन्धुत्व इन्द्रियनिग्रह से मोक्ष-प्राप्ति जैन दर्शन में जीव का स्वरूप महत्तरा श्री जी का महाप्रयाण
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन मुनिश्री नगराज जी गणेशप्रसाद जैन श्रीमती वीणानिर्मल जैन आचार्य विजयेन्द्र सूरि डॉ० सौभाग्यमल जैन 'वकील डॉ० विनोद कुमार तिवारी डॉ० सुभाष कोठारी डॉ. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' सौभाग्यमल जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ डॉ० विनोद कुमार तिवारी श्री रज्जन कुमार श्री भूरचन्द जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ देवेन्द्रमुनि शास्त्री (लेखक का नाम उद्धत नहीं है)
लेख धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान तीर्थंकर महावीर की तलस्पर्शी अहिंसा दृष्टि तीर्थंकर महावीर की निर्वाण भूमि ‘पावा' धर्म और आधुनिकता महावीर विहार मीमांसा डॉ. वाल्टेर शुबिंग की जैन विद्या की सेवा तीर्थंकर पार्श्वनाथ : प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता उपासकदशांगसूत्र का आलोचनात्मक अध्ययन भोले नही भले बनिये युवा-दृष्टिकोण शुद्ध-अशुद्ध भावधारा आज के सन्दर्भ में जैन पंचव्रतों की उपयोगिता (क्रमश:) समाधिमरण की अवधारणा : उत्तराध्ययन-सूत्र के परिप्रेक्ष्य में पुरातत्त्वविद् स्व० अगरचन्द नाहटा जैन साहित्य में चैतन्य केन्द्रों का निरूपण भारतीय संस्कृति की अन्तरात्मा मध्यप्रदेश एवं जैन धर्म
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लेख
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० उम्मेदमल मुनोत डॉ० ब्रजनारायण शर्मा डॉ० रमेशचन्द जैन मुनि राजेन्द्रकुमार 'रत्नेश डॉ० विनोदकुमार तिवारी श्री अगरचन्द नाहटा श्री रज्जन कुमार दर्शनाचार्य मुनि योगेश श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० राजदेव दुबे डॉ० कपूरचन्द जैन सौभाग्यमल जैन डॉ० कस्तूरीमल गोस्वामी अम्बिकादत्त शर्मा रत्नलाल जैन अशोककुमार सिंह रमेशकुमार जैन
गतिशील स्वच्छ मन वरदान है ? प्राणातिपात विरमण: अहिंसा की उपादेयता प्राकृत भाषा और जैन आगम प्लेटो और जैन दर्शन आज के सन्दर्भ में जैन पंचव्रतों की उपयोगिता श्वेताम्बर पण्डित परम्परा ज्ञानीजनों का मरण : भक्त प्रत्याख्यान मरण युवाचित्त धर्म से विमुख क्यों? जैन साहित्य के महान् सेवक : हीरालाल कापड़िया वैदिक वाङ्मय और पुरातत्त्व में तीर्थंकर ऋषभदेव पुरुदेवचम्पू का आलोचनात्मक अध्ययन श्रमण संस्था और समाज आहार दर्शन जैन दर्शन में जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया संस्कृत साहित्य में कर्मवाद प्रबन्धकोश में उपलब्ध आर्थिक विवरण भगवान् पार्श्वनाथ का निर्वाण पर्व
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेखक
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जैन एवं बौद्ध दर्शन
सुभाषमुनि 'सुमन' हिंसक और अहिंसक युद्ध
अशोककुमार सिंह जैन धर्म में निर्जरा तप
डॉ० मुकुलराज मेहता आत्म-अनात्म द्वन्द्वात्मिकी
संन्यासी राम आचारांग में समाज और संस्कृति
स्व० डॉ० परमेष्ठीदास जैन हुए आचारांग का दार्शनिक पक्ष
स्व० डॉ० परमेष्ठीदास जैन उत्तर भारत की सामाजिक संरचना - जैन आगम साहित्य के सन्दर्भ में उमेशचन्द्र सिंह मरण के विविध प्रकार
रज्जन कुमार महावीर का अपरिग्रह सिद्धान्त : सामाजिक न्याय का अमोघमन्त्र डॉ० कमलचन्द सोगाणी जैन तत्त्व विद्या में पुद्गल की अवधारणा
अम्बिकादत्त शर्मा महावीर और गाँधी की जीवन दृष्टि : सत्य की शोध दरियाव सिंह मेहता 'जिज्ञासु' आचारांग सूत्र : एक विश्लेषण
डॉ० सागरमल जैन गुजरात में जैनधर्म
स्व० मुनिश्री जिनविजय जी तत्त्वसूत्र
संन्यासी राम हरिभद्र के धर्म-दर्शन में क्रान्तिकारी तत्त्व : . सम्बोध प्रकरण के सन्दर्भ में।
डॉ० सागरमल जैन हरिभद्र की क्रान्तदर्शी दृष्टि, धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में डॉ० सागरमल जैन
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१४२ लेख हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत : एक चिन्तन प्रलय से एकलय की ओर जगत सत्य या मिथ्या समाधिमरण का स्वरूप जैन एवं बौद्ध धर्मों के वैदिक स्वरूप राजस्थानी एवं हिन्दी जैन साहित्य जैनधर्म में समाधिमरण की अवधारणा प्राचीन भारतीय सैन्य विज्ञान एवं युद्धनीति हिन्दू तथा जैन राजनैतिक आदर्शों का समीक्षात्मक अध्ययन पश्चाताप जैनधर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय : यापनीय (क्रमश:) आचार्य अमितगति : व्यक्तिव एवं कृतित्व जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगी नय की आगमिक व्याख्या जैन साहित्य में कृष्ण कथा जैन धर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय : यापनीय पश्चाताप : एक विवेचन भावात्मक एकता : प्रकृति और जीवन का सत्य
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन मुनि राजेन्द्र कुमार रत्नेश कन्हैया लाल सरावगी रज्जन कुमार डॉ० राजेन्द्र प्रसाद कश्यप
श्री भँवरलाल नाहटा रज्जन कुमार इन्द्रेशचन्द्र सिंह कु० प्रतिभा जैन भँवरलाल नाहटा प्रो० सागरमल जैन डॉ० कुसुम जैन डॉ० भिखारीराम यादव श्रीमती रीता सिंह प्रो० सागरमल जैन श्री भंवरलाल नाहटा डॉ. नरेन्द्र भानावत
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लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री हजारीमल बांठिया
अंक १२
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مر
पुरातत्त्वाचार्य पद्मश्री स्व० मुनि जिनविजय जी
आचारांग के शस्त्रपरिज्ञा अध्ययन में प्रतिपादित- षड्जीवनिकाय सम्बन्धी अहिंसा
काशी के कतिपय ऐतिहासिक तथ्य अन्तर-यात्रा पाण्डवचरित्र का तुलनात्मक अध्ययन धम्मपद और उत्तराध्ययन का निरोधवादी दृष्टिकोण हरिभद्रसूरि का समय-निर्णय (क्रमश:) हरिभद्रसूरि का समय-निर्णय अष्टलक्षी : संसार का एक अद्भुत ग्रंथ अनेकान्तदर्शन जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान भावडारगच्छ का संक्षिप्त इतिहास जैन धर्म मानवतावादी दृष्टिकोण : एक मूल्यांकन आनन्दघन जी खरतरगच्छ में दीक्षित थे पुरानी हिन्दी (मरुगूर्जर) के प्राचीनतम कवि धनपाल जैन लेखों का सांस्कृतिक अध्ययन
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डॉ० फूलचन्द जैन ३९ १२ श्री अमृतलाल शास्त्री ३९ १२ मुनि राजेन्द्र कुमार 'रत्नेश' कल्याणी देवी जायसवाल ३९ १२ डॉ. महेन्द्रनाथ सिंह ३९ १२ स्व० मुनिश्री जिनविजयजी स्व० मुनिश्री जिनविजयजी महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर मुनिश्री नगराज जी डॉ० मुकुलराज मेहता ४० डॉ० शिव प्रसाद
४० ३ डॉ० ललितकिशोरलाल श्रीवास्तव ४० श्री भंवरलाल नाहटा
४०४ डॉ० शितिकण्ठ मिश्र ४० ४ श्री नारायण दुबे
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पृष्ठ २७-३४ ३५-४१ ३-९ १०-१४ १५-४३ १-८ ९-१९
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक जैन दर्शनों में आवश्यक साधना
कु० कमला जोशी कर्म की विचित्रता-मनोविज्ञान की भाषा में
डॉ० रत्नलाल जैन पार्श्वकालीन जैनधर्म
डॉ० विनोद कुमार तिवारी महाकवि माघ ओसवाल थे?
श्री माँगीलाल भूतोड़िया कोरंट गच्छ
डॉ० शिवप्रसाद भगवान् महावीर की मंगल विरासत
पं० सुखलाल संघवी अध्यात्म और विज्ञान
प्रो० सागरमल जैन कल्पप्रदीप में उल्लिखित भगवान् महावीर के कतिपय तीर्थक्षेत्र
डॉ० शिव प्रसाद भगवान् महावीर की प्रमुख आर्यिकाएँ
डॉ. अशोक कुमार सिंह नाणकीय गच्छ
डॉ० शिव प्रसाद उत्तराध्ययन में मोक्ष की अवधारणा
डॉ. महेन्द्र नाथ सिंह भारतीय संस्कृति और श्रमण परम्परा
श्री सौभाग्यमल जैन वेदान्त दर्शन और जैन दर्शन
डॉ० सुदर्शनलाल जैन जैन एवं मीमांसा दर्शन में कर्म की अवधारणा डॉ० कृष्णा जैन सांख्य दर्शन और जैन दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन डॉ० सुदर्शनलाल जैन आहार-विहार में उत्सर्ग - अपवाद मार्ग का समन्वय डॉ० सुदर्शनलाल जैन जैनागमवर्णित तीर्थंकरों की भिक्षुणियाँ
डॉ० अशोक कुमार सिंह
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१४५ पृष्ठ १-७ ८-१३ १४-१९ २०-२९
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक चौबीसवें तीर्थंकर भगवान् महावीर का जन्म स्थान डॉ० सीताराम राय ओसवाल और पार्थापत्य सम्बन्धों पर टिप्पणी श्री भंवरलाल नाहटा जैन परम्परा में महाभारत कथा
डॉ० कल्याणी देवी जायसवाल संगीत समयसार का आलोचनात्मक अध्ययन लक्ष्मीबाला अग्रवाल संवत्सरी
डॉ० गोकुलचन्द जैन पर्युषण पर्व का मतलब
भाई बंशीधर पर्युषण और सामाजिक शुद्धि
मुनि नेमिचन्द्र प्राचीन जैन साहित्य के प्रारम्भिक निष्ठासूत्र
पं० दलसुख भाई मालवणिया जैन एवं बौद्ध दर्शनों में कर्म की विचित्रता
रत्नलाल जैन कल्पप्रदीप में उल्लिखित 'खेड़ा' गुजरात का नहीं राजस्थान का है श्री भंवरलाल नाहटा
धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान श्रीमती संगीता झा है जैनदर्शन में परीषह जय का स्वरूप एवं महत्त्व कु० कमला जोशी आचार्य हेमचन्द्र एक युग पुरुष
डॉ० सागरमल जैन संलेखना के विभिन्न पर्यायवाची शब्द
डॉ० रज्जन कुमार विश्वचेतना के मनस्वी सन्त विजयवल्लभ सूरि पंन्यास नित्यानन्द विजय युद्ध और युद्धनीति
इन्द्रेशचन्द्र सिंह स्याद्वाद और सप्तभंगी : एक चिन्तन
प्रो० सागरमल जैन धर्मघोषगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
डॉ० शिव प्रसाद
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ई० सन् १९९०
पृष्ठ १०५-११२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक जैनधर्म में मानव
डॉ० रज्जन कुमार एवं
डॉ० सुनीता कुमारी जैनधर्म में तीर्थ की अवधारणा
प्रो० सागरमल जैन जैन संस्कृति और श्रमण परम्परा
प्रो० शान्ताराम भालचन्द्र देव मानव व्यक्तित्व का वर्गीकरण
डॉ० त्रिवेणी प्रसाद सिंह सूत्रकृतांग में वर्णित दार्शनिक विचार
डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय पार्श्वनाथ जन्मभूमि मंदिर, वाराणसी का पुरातत्त्वीय वैभव प्रो० सागरमल जैन प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक अध्ययन
प्रवेश भारद्वाज जैन परम्परा का ऐतिहासिक विश्लेषण
प्रो० सागरमल जैन सत् का स्वरूप : अनेकान्तवाद और व्यवहारवाद की दृष्टि में
डॉ० राजेन्द्र कुमार सिंह भारतीय राजनीति में जैन संस्कृति का योगदान इन्द्रेशचन्द्र सिंह आचार्य हरिभद्र का योगदान
श्री धनंजय मिश्र पश्चिमी भारत के जैन तीर्थ
डॉ० शिव प्रसाद सिया and असिया Two Prakrit forms and Pischel on them Dinanath Sharma भट्ट अकलंककृत लघीयस्त्रय : एक दार्शनिक अध्ययन हेमन्त कुमार जैन जैनधर्म में नारी की भूमिका
प्रो० सागरमल जैन
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१-२८ २९-४० ४१-५० ५१-७६ ७७-८८ ८९-१००
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४-६ ४-६
४१
७-९
७-९ ७-९
४१
ov ovov
१९९० १७-२५ १९९० २७-३४ १९९० ३५-४४ १९९०
४५-७८ १९९० ७९-८२ १९९०८३-९० १९९० १-४८
७९ ७-९ १०-१२
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________________
लेख
वर्ष ४१
अंक १०-१२
। १४७ पृष्ठ । ४९-५६
ई० सन् १९९०
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक क्षेत्रज्ञ शब्द के विविध रूपों की कथा और उसका अर्धमागधी रूपान्तर डॉ० के० आर० चन्द्र हरिभद्र की श्रावकप्रज्ञप्ति में वर्णित अहिंसा : आधुनिक सन्दर्भ में
डॉ० अरुण प्रताप सिंह ईश्वरत्व : जैन और योग-एक तुलनात्मक अध्ययन
डॉ० ललित किशोर लाल श्रीवास्तव जैन आगम साहित्य में वर्णित दास-प्रथा
डॉ० इन्द्रेशचन्द्र सिंह जैनाचार्य राजशेखरसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्त्व डॉ० अशोक कुमार सिंह शाजापुर का पुरातात्त्विक महत्त्व
प्रो० कृष्णदत्त बाजपेयी जैनधर्म के धार्मिक अनुष्ठान एवं कलातत्त्व
डॉ० सागरमल जैन जैन श्रमण साधना : एक परिचय
डॉ० सुभाष कोठारी तीर्थंकर महावीर जन्मना ब्राह्मण या क्षत्रिय
श्री सौभाग्यमल जैन समयसार के अनुसार आत्मा का कर्तृत्व-अकर्तृत्व एवं भोक्तृत्व-अभोक्तृत्व
____डॉ० श्रीप्रकाश जी पाण्डेय भरतमुनि द्वारा प्राकृत को संस्कृत के साथ प्रदत्त सम्मान और गौरवपूर्ण स्थान
डॉ० के० आर० चन्द्र पाण्डवपुराण में राजनैतिक स्थिति
रीता बिश्नोई इषुकारीय अध्ययन (उत्तराध्ययन) एवं शांतिपर्व (महाभारत) का पिता-पुत्र संवाद
डॉ० अरुण प्रताप सिंह
१०-१२ १९९० १०-१२ १९९० १०-१२ १९९० १०-१२ १९९० १०-१२ १९९० १-३ १९९१
५७-७० ७१-८४ ८५-९२ ९३-११० १११-११४ १-२९ ३३-५० ५१-५५
१-३
१९९१
४२
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५७-७०
१९९१ १९९१
७१-७४ ७५-८६
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१९९१
८७-९२
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१४८
लेख
जैन भाषा दर्शन की समस्याएं उपदेशमाला (धर्मदास गणि) एक समीक्षा
अर्हं परमात्मने नमः
प्राकृत व्याकरण : वररुचि बनाम हेमचन्द्रअन्धानुकरण या विशिष्ट प्रदान
बसन्तविलासकार बालचन्द्रसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्त्व अन्य प्रमुख भारतीय दर्शनों एवं जैन दर्शन में
कर्मबन्ध का तुलनात्मक स्वरूप ऋग्वेद में अहिंसा के सन्दर्भ
जैन आगमों में वर्णित जातिगत समता
आचारांग में अनाशक्ति
जैन अभिलेखों की भाषाओं का स्वरूप एवं विविधताएं
महावीर निर्वाण भूमि पावा- एक विमर्श समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक
परिप्रेक्ष्य में समीक्षा
पंचपरमेष्ठि मन्त्र का कर्तृत्व और दशवैकालिक मूल अर्धमागधी के स्वरूप की पुनर्रचना
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्रीमती अर्चनारानी पाण्डेय
दीनानाथ शर्मा
प्रो० कल्याणमल लोढ़ा
के० आर० चन्द्र डॉ० यदुनाथ प्रसाद दुबे
कु० कमला जोशी
डॉ० प्रतिभा त्रिपाठी
डॉ० इन्द्रेश चन्द्र सिंह
डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय
डॉ० एस० एन० दुबे
श्री भगवतीप्रसाद खेतान
० सागरमल जैन
साध्वी (डॉ०) सुरेखा श्री
डॉ० के० आर० चन्द्र
डॉ०
वर्ष
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४२
४२
४२
४२
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चे चे चे चे चे चे
४२
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अंक
१-३
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ई० सन्
१९९१
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१९९१
पृष्ठ
९३-९६
१७-१००
१-१०
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३३-४३
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८९-९२
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९९-१०१
१-१०
११-१५
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१४९
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन
अंक ७-१२
ई० सन् १९९१
पृष्ठ । १७२४
श्री भंवरलाल नाहटा
४२
७-१२
१९९१
२५-३४
७-१२
४२
७-१२ ७-१२ ७-१२
लेख उच्चैर्नागर शाखा के उत्पत्ति स्थान एवं उमास्वाति के जन्मस्थल की पहचान सूडा-सहेली की प्रेमकथा जैन सम्मत आत्मस्वरूप का अन्य भारतीय दर्शनों से तुलनात्मक विवेचन अपभ्रंश के जैन पुराण और पुराणकार कोटिशिला तीर्थ का भौगोलिक अभिज्ञान उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
मूल्य और मूल्य बोध की सापेक्षता का सिद्धांत है गुणस्थान सिद्धांत का उद्भव एवं विकास
चन्द्रवेध्यक(प्रकीर्णक) एक आलोचनात्मक परिचय श्रमण एवं ब्राह्मण परम्परा में परमेष्ठी पद ऋषिभाषित का सामाजिक दर्शन | पर्यावरण एवं अहिंसा स्याद्वाद की समन्वयात्मक दृष्टि युगपुरुष आचार्य सम्राट आनन्द ऋषि जी म० गुणस्थान सिद्धांत का उद्भव एवं विकास
४२ ४३
१-३
४३
डॉ० (श्रीमती) कमला पंत रीता बिश्नोई डॉ० कस्तूरचन्द जैन डॉ० शिव प्रसाद डॉ० सागरमल जैन डॉ० सागरमल जैन श्री सुरेश सिसोदिया साध्वी (डॉ०) सुरेखा श्री साध्वी (डॉ०) प्रमोद कुमारी डॉ० डी०आर० भण्डारी डॉ० (कु०) रत्ना श्रीवास्तव उपाचार्य देवेन्द्र मुनि डॉ० सागरमल जैन
१-३ १-३
१९९१ १९९१ १९९१ १९९१ १९९२ १९९२ १९९२ १९९२ १९९२ १९९२ १९९२ १९९२ १९९२
३५-४३ ४५-५६ ५७-६० ६१-१८२ १-२२ २३-४३ ४५-५३ ५५-६७ ६९-७९ ८१-९० ९१-१०२ १०३-१०५ १-२६
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प
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३
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१-३
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१५०
४३
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४३
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक जैनदर्शन में शब्दार्थ सम्बन्ध
डॉ० सुदर्शनलाल जैन जालिहरगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
डॉ० शिवप्रसाद प्राकृत जैनागम परम्परा में गृहस्थाचार तथा उसकी पारिभाषिक शब्दावली डॉ० कमलेश जैन त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में प्रतिपादित सांस्कृतिक जीवन डॉ० उमेशचन्द्र श्रीवास्तव
जैनधर्म और दर्शन की प्रासंगिकता-वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डॉ० इन्दु ' वैदिक साहित्य में जैन-परम्परा
प्रो० दयानन्द भागर्व श्वेताम्बर मूलसंघ एवं माथुर संघ-एक विमर्श डॉ० सागरमल जैन जैन दृष्टि में नारी की अवधारणा
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव पूर्णिमागच्छ का संक्षिप्त इतिहास
डॉ० शिवप्रसाद कवि छल्ह कृत अरडकमल्ल का चार भाषाओं में वर्णन श्री भंवरलाल नाहटा द्वादशार नयचक्र का दार्शनिक अध्ययन
जितेन्द्र बी० शाह जैन कर्म-सिद्धान्त और मनोविज्ञानं
डॉ० रत्नलाल जैन जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान
डॉ० सागरमल जैन प्रागैतिहासिक भारत में सामाजिक मूल्य और परम्पराएं। डॉ० जगदीशचन्द्र जैन जैन एवं बौद्ध दर्शन में प्रमाण-विवेचन
डॉ० धर्मचन्द जैन १ क्षेत्रज्ञ शब्द का स्वीकार्य प्राचीनतम अर्धमागधी रूप डॉ० के० आर० चन्द्र अण्णाहुड की प्राचीन टीकाएं
डॉ० महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज'
४३
अंक ई० सन् ४-६ १९९२ ४-६ १९९२ ४-६ १९९२ ४-६ १९९२
१९९२ ७-९ १९९२ ७-९ १९९२ ७-९ १९९२ ७-९ १९९२ ।।
१९९२ ७-९ १९९२
१९९२ १०-१२ १९९२ १०-१२ १९९२ १०-१२ १९९२ १०-१२ १९९२ १०-१२ १९९२
पृष्ठ २७-३९ ४१-४६ ४७-६८ ६९-८४ १-८ ९-१३ १५-२३ २५-२८ २९-५१ ५३-५८ ५९-६३ ६५-७० १-१२ १३-१९ २१-४० ४१-४४ ४५-४८
४३ ४३
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४३
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४३
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४३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
१५१
४३
अंक ई० सन् १०-१२ १९९२ १०-१२ १९९२ १-३ १९९३ १-३ १९९३
पृष्ठ ४९-६६ ६७-६९ १-७ ८-२७
९
३
४४ ४४
लेख
लेखक पूर्णिमागच्छ-प्रधान शाखा अपरनाम ढंढेरिया शाखा का संक्षिप्त इतिहास डॉ० शिवप्रसाद 3 जैन दार्शनिक साहित्य में ईश्वरवाद की समालोचना श्रीमती मंजुला भट्टाचार्या । 'आत्मोपलब्धि की कला-ध्यान
महोपाध्याय मुनि चन्द्रप्रभसागर आचार्य हरिभद्र और उनका योग
डॉ० कमल जैन डॉ० ईश्वरदयाल जैन कृत "जैन निर्वाण परम्परा और " परिवृत" लेख में 'आत्मा की माप-जोख' शीर्षक के अन्तर्गत उठाये गये प्रश्नों के उत्तर
श्री पुखराज भण्डरी पल्लवनरेश महेन्द्रवर्मन “प्रथम" कृत मत्तविलास प्रहसन में वर्णित धर्म और समाज
दिनेशचन्द्र चौबीसा सार्धपूर्णिमागच्छ का इतिहास
डॉ० शिवप्रसाद आचार्य हरिभद्र और उनका साहित्य
डॉ० कमल जैन षड्जीवनिकाय में त्रस एवं स्थावर के वर्गीकरण की समस्या डॉ० सागरमल जैन
४४
१-३
१९९३
२८-३४
४४
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१९९३ १९९३ १९९३ १९९३
३५-४१ ४२-५९ १-१२ १३-२१
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४-६
डॉ० शिवप्रसाद डॉ० केशवप्रसाद गुप्त
४४ ४४
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१९९३ १९९३
२२-३५ ३६-५८
४४
३
पूर्णिमापक्ष-भीमपल्लीयाशाखा का इतिहास वसन्तविलास महाकाव्य का काव्य-सौन्दर्य महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक दृष्टि : भागवद्गीता और जैनधर्म के परिप्रेक्ष्य में
डॉ० सागरमल जैन
४४
७-९
१९९३
१-१०
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१५२
लेख
वृत्ति : बोध और विरोध
जैन परम्परा के विकास में स्त्रियों का योगदान अशोक के अभिलेखों में अनेकांतवादी चिन्तन: एक समीक्षा हिन्दू एवं जैन परम्परा में समाधिमरण : एक समीक्षा प्राचीन जैन ग्रन्थों में कर्म सिद्धान्त का विकास क्रम हिन्दी जैन साहित्य के विस्मृत बुन्देली कवि : देवीदास मूक सेविका : विजयाबहन
बृहत्कल्पसूत्रभाष्य का सांस्कृतिक अध्ययन त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रः
एक कलापरक अध्ययन काशी के घाट : कलात्मक एवं सांस्कृतिक अध्ययन
जैन धर्म - दर्शन का सारतत्व भगवान् महावीर का जीवन और दर्शन
जैनधर्म में भक्ति की अवधारणा
जैनधर्म में स्वाध्याय का अर्थ एवं स्थान
जैन साधना में ध्यान
अर्धमागधी आगम साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा जैन कर्म सिद्धान्त : एक विश्लेषण
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर
डॉ० अरुण प्रताप सिंह
डॉ० अरुण प्रताप सिंह
० अरुण प्रताप सिंह
डॉ०
डॉ० अशोक सिंह
डॉ० (श्रीमती) विद्यावती जैन
शरद कुमार साधक
डॉ० महेन्द्र प्रताप सिंह
डॉ. शुभा पाठक डॉ० हरिशंकर
० सागरमल जैन
डॉ० सागरमल जैन
डॉ०
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वर्ष
४४
४४
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जे ने नेते ते ते ते रे रे
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३७-४३
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८०-९३
९४ - १२७
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१५३
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
अंक
४-६
ई० सन् पृष्ठ । १९९४ १२९-१३४ १९९४ १३५-१४३ १९९४ १४४-१६१ १९९४ १६२-१७२
४-६
४-६
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१९९४
१७३-१७८
४-६
लेख भारतीय संस्कृति का समन्वित स्वरूप पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या और जैनधर्म जैनधर्म और सामाजिक समता जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और वर्तमान सन्दर्भ खजुराहो की कला और जैनाचार्यों की - समन्वयात्मक एवं सहिष्णु दृष्टि महापण्डित राहुल सांकृत्यायन के जैनधर्म सम्बन्धी मन्तव्यों की समालोचना ऋग्वेद में अर्हत् और ऋषभवाची ऋचायें:एक अध्ययन निर्युक्त साहित्य : एक पुनर्चिन्तन जैन एवं बौद्ध पारिभाषिक शब्दों के अर्थ-निर्धारण और अनुवाद की समस्या जैन आगमों में हुआ भाषिक स्वरूप परिवर्तन : एक विमर्श भगवान् महावीर की निर्वाण तिथि पर पुनर्विचार कर्म की नैतिकता का आधार-तत्त्वार्थसूत्र के प्रसङ्ग में रामचन्द्रसूरि और उनका साहित्य प्राकृत की बृहत्कथा “वसुदेवहिण्डी' में वर्णित कृष्ण
४-६
१९९४ १९९४ १९९४ १९९४
१७९-१८४ १८५-२०२ २०३-२३३ २३४-२३८
४-६
"
४-६
४५
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४५
७-९
१९९४ २३९-२५३ १९९४ २५४-२६८ १९९४ १-९ १९९४ १०-२२ १९९४ २३-३०
डॉ. रत्ना श्रीवास्तव डॉ० कृष्णपाल त्रिपाठी डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
४५
७-९
४५
७-९
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________________
१५४
लेख
अंक ७-९
ई० सन् १९९४
पृष्ठ ३१-५१
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक मडाडागच्छ का इतिहास : एक अध्ययन
डॉ० शिवप्रसाद सन्दर्भ एवं भाषायी दृष्टि से आचारांग के उपोद्धात में प्रयुक्त प्रथम वाक्य के पाठ की प्राचीनता पर कुछ विचार डॉ० के० आर० चन्द्र बारहभावना : एक अनुशीलन
डॉ० कमलेश कुमार जैन भारतीय दर्शन में मोक्ष की अवधारणा
डॉ० राजीव प्रचण्डिया कर्म और कर्मबन्ध
डॉ० नन्दलाल जैन महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक समीक्षा
डॉ. जगदीशचन्द्र जैन आचार्य सम्राट पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज एक अशुमाली श्री हीरालाल जैन जैन महापुराण : एक कलापरक अध्ययन
डॉ० कुमुद गिरि अर्धमागधी आगम साहित्य
डॉ० सागरमल जैन प्राचीन जैन आगमों में चार्वाक दर्शन का प्रस्तुतीकरण डॉ० सागरमल जैन महावीर के समकालीन विभिन्न आत्मवाद एवं उसमें जैन आत्मवाद का वैशिष्ट्य
डॉ० सागरमल जैन सकरात्मक अहिंसा की भूमिका तीर्थंकर और ईश्वर के सम्प्रत्ययों का तुलनात्मक विवेचन मन-शक्ति, स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण जैन दर्शन में नैतिकता की सापेक्षता
७-९ १९९४ ७-९ १९९४ १०-१२ १९९४ १०-१२ १९९४ १०-१२ १९९४ १०-१२ १९९४ १०-१२ १९९४ १-३ १९९५ १-३ १९९५
५२-५९ ५५-६१ १-९ । १०-२२ २३-२५ २६-३२ ३३-३६ १-४५ ४६-५८
१९९५ ५९-६८ १९९५ ६९-८६ १९९५ ८७-९२ १९९५ ९७-१२२ १९९५ १२३-१३३
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अंक
ई० सन्
१५५ पृष्ठ १३४-१४९ १५०-१६५
४-६
४-६
७-९ ७-९
१९९५ १६६-१६९ १९९५ १-६ १९९५ ७-९ १९९५ २०-६५
७-९
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक सदाचार के शाश्वत मानदण्ड है जैन धर्म का लेश्या-सिद्धान्त : एक विमर्श
प्रज्ञापुरुष पं० जगन्नाथ जी उपाध्याय की दृष्टि में बुद्ध व्यक्ति नहीं प्रक्रिया युगीन परिवेश में महावीर स्वामी के सिद्धान्त भक्तामरस्तोत्र : एक अध्ययन
डॉ० हरिशंकर पाण्डेय नागेन्द्रगच्छ का इतिहास
डॉ० शिवप्रसाद अर्धमागधी भाषा में सम्बोधन का एकविस्मृत शब्द-प्रयोग ‘आउसन्ते'
डॉ० के० आर० चन्द्र चातुर्मास : स्वरूप और परम्पराएँ
श्री कलानाथ शास्त्री वाचक श्रीवल्लभरचित 'विदग्धमुखमंडन' की दर्पण टीका की पूरी प्रति अन्वेषणीय है
स्व० अगरचन्द नाहटा द्रौपदी कथानक का जैन और हिन्दू स्रोतों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन
श्रीमती शीला सिंह गांधी जी के मित्र और मार्गदर्शक : श्रीमद्राजचन्द्र डॉ० सुरेन्द्र वर्मा भगवान् महावीर की निर्वाण तिथि : एक पुनर्विचार डॉ० अरुण प्रताप सिंह तरंगलोला और उसके रचयिता से सम्बन्धित-प्रान्तियों का निवारण पं० विश्वनाथ पाठक
७-९
१९९५ १९९५
६६-६९ ७०-७३
७-९
७-९
१९९५ ७४-७५
७-९ १९९५ ७६-८२ १०-१२ १९९५ १-४ १०-१२ १९९५ ५-१४ १०-१२ १९९५ १५-२३
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१५६
लेख 'संदेशरासक' में पर्यावरण के तत्त्व हारीजगच्छ समकालीन जैन समाज में नारी
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० शिवप्रसाद डॉ० प्रतिभा जैन डॉ० धूपनाथ प्रसाद
अंक ई० सन् १०-१२ १९९५ १०-१२ १९९५ १०-१२ १९९५ १०-१२ १९९५
पृष्ठ २४-२७ २८-३३ ३४-४१ ४२-४३
कालचक्र
असीम कुमार मिश्र
१०-१२
१९९५
४४-५१
४६
डॉ० (श्रीमती) कमल जैन Dr. Surendra Verma Dr. S. P. Naranga
१०-१२ १९९५ ५२-६३ 10-12 1995 81-86 10-12 1995 87-89
ऐतिहासिक अध्ययन के जैन स्रोत और उनकी प्रामाणिकता : एक अध्ययन प्राचीन जैन कथा साहित्य का उद्भव,विकास
और वसुदेवहिंडी Meaning and Typology of Violence Paņis and Jainas Sadhna of Mahāvīra as Depicted in Upadhānaśruta Select Vyāntara Devatās in Early Indian Art and Literature Sri Hanumāna in Padmapurāņa जैनधर्म और हिन्दूधर्म (सनातन धर्म) का पारस्परिक सम्बन्ध
Dr. A. K. Singh
10-12
1995
90-98
Dr. Nandini Mehta Surendra Kumar Garga
46 46
10-12 10-12
1995 1995
99-103 . 104-117
डॉ० सागरमल जैन
४७
१-३
१९९६
३-१०
Page #166
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१५७
वर्ष
अंक १-३
४७
'४७
३
ई० सन् १९९६ १९९६ १९९६ १९९६
पृष्ठ ११-१९ २१-४६ ४७-५९ ६०-६४
४७
१-३
४७
47
99-114
47
5
115-119
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक प्राचीन जैन आगमों में राजस्व व्यवस्था
डॉ० अनिल कुमार सिंह जैनदर्शन में पुरुषार्थ चतुष्टय
प्रो० सुरेन्द्र वर्मा वैदिक एवं श्रमण परम्परा में ध्यान
डॉ० रज्जन कुमार धूमावली-प्रकरणम्
साध्वी अतुलप्रभा Yapaniya Sect: An Introduction
Prof. S.M.Jain &
Trans Dr. A. K. Singh Jain Archaeology and Epigraphy
Prof. K. D. Bajpai पाणिनीय व्याकरण का सरलीकरण और आचार्य हेमचन्द्र श्यामधर शुक्ल वसुदेवहिंडी का समीक्षात्मक अध्ययन
डॉ० कमल जैन हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ का संक्षिप्त इतिहास डॉ० शिवप्रसाद The Story of the Origin of Yāpaniya Sect Prof. S. M. Jain
Trans. Dr. A. K. Singh Philosophical Aspect of Non-violence Dr. Bashishtha Narayan Sinha जैन आगम और गुणस्थान सिद्धान्त
डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय जैन धर्म और प्रयाग
डॉ० कृष्णलाल त्रिपाठी जीरापल्लीगच्छ का इतिहास
डॉ० शिवप्रसाद आधुनिक विज्ञान, ध्यान एवं सामायिक
४७
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1996 1996 १९९६ १९९६ १९९६ 1996
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1996
४७
७-९
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१९९६ १९९६ १९९६
84-111 ३-१४ १५-२२ २३-३३ ३४-४३
समल अग्रवाल
४७
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________________
अंक ७-९
ई० सन् १९९६
पृष्ठ ४४-४८
७-९
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५५-५८
47 47
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक त्रिरत्न, सर्वोदय और सम्पूर्ण क्रान्ति ।
डॉ० धूपनाथ प्रसाद महात्मा गांधी का मानवतावादी राजनैतिक चिन्तन और जैनदर्शन : एक समीक्षात्मक अध्ययन
डॉ० ऊषा सिंह Metrical Studies of Daśāśrutaskandha Niryukti in the light of its parallels
Dr. Ashok Kumar Singh Sadhaka, Sadhana & Sadhya
Priya Jain द्वन्द्व और द्वन्द्व निवारण (जैन दर्शन के विशेष प्रसङ्ग में) डॉ० सुरेन्द्र वर्मा अनेकान्तवाद और उसकी व्यावहारिकता
डॉ० विजय कुमार स्थानाङ्ग एवं समवायाङ्ग में पुनरावृत्ति की समस्या डॉ० अशोककुमार सिंह तित्थोगाली (तिर्थोद्गालिक) प्रकीर्णक की गाथा संख्या का निर्धारण
अतुलकुमार प्रसाद सिंह पिप्पलगच्छ का इतिहास
डॉ. शिवप्रसाद Spiritual Practices of Lord Mahāvīra
Yuacharya Dr. Shiv Muni Relevance of Non-Violence in Modern life Dulichand Jain तनाव : कारण एवं निवारण
डॉ० सुधा जैन योगनिधान
डॉ० कुन्दनलाल जैन दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति में इंङ्गित दृष्टांत
डॉ० अशोककुमार सिंह अणगार वन्दन
डॉ० (श्रीमती) मुन्नी जैन
7-9 1996 7-9 1996 १०-१२ १९९६ १०-१२ १९९६ १०-१२ १९९६
59-76 77-84 १-१३ १३-३५ ३६-५२
४७
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१०-१२ १९९६ १०-१२ १९९६ 10-12 1996 10-12 1996 १-३ १९९७
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५३-६४ ६५-८२ 83-100 101-109 १-२० । २१-३२ ४७-५९ ६०-७०
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लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० रामप्रवेश कुमार Prof. S. C. Pande डॉ० शिव प्रसाद डॉ० सागरमल जैन
वर्ष ४८
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ई० सन् १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७ १९९७
१५९ पृष्ठ ७१-७५ ७६-८२ ८३-११७ १-१९ २०-२९ ३०-५९ ६०-७० ७१-७६ ७७-११२ ११३-१३२ १३३-१४०
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जैन चम्पूकाव्य एक परिचय Ācārya Hemacandra and Ardhamāgadhi पिप्पलगच्छ का इतिहास जैनधर्म में सामाजिक चिन्तन अध्यात्म और विज्ञान जैन, बौद्ध और हिन्दूधर्म का पारस्परिक प्रभाव आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष । सम्राट अकबर और जैनधर्म जैनधर्म में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न स्त्रीमुक्ति, अन्यतैर्थिकमुक्ति एवं सवस्रमुक्ति का प्रश्न
प्रमाण-लक्षण-निरूपण में प्रमाण-मीमांसा का अवदान __पं० महेन्द्रकुमार 'न्यायाचार्य' द्वारा सम्पादित
एवं अनूदित षड्दर्शनसमुच्चय की समीक्षा आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्त्व, रचनाकाल एवं रचयिता जैनधर्म में आध्यात्मिक विकास The Heritage of Last Arhat Mahavira
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१४१-१४६
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Charlotte Krause Amarchand
Mahavira
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सीताराम दुबे डॉ० शिवप्रसाद सं० डॉ० मुन्नी जैन कु० भारती महेन्द्र कुमार जैन 'मस्त' Dr. A. K. Singh Dr. Rajjan Kumar डॉ० सागरमल जैन । डॉ० अशोक कुमार सिंह डॉ० के० आर० चन्द्र
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अंक ई० सन्
१९९७ ७-९ १९९७ ७-९ १९९७ ७-९ १९९७
१९९७ 7-9 1997 7-9 1997 १०-१२ १९९७ १०-१२ १९९७ १०-१२ १९९७
पृष्ठ १-१३ १४-५० ५१-६७ ६८-८० ८२-८५ 89-103 104-108 १-२८ ३१-४४ ४५-५२
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लेख स्याद्वाद की अवधारणा : उद्भव एवं विकास ब्रह्माणगच्छ का इतिहास पंचेन्द्रिय संवाद : एक आध्यात्मिक रूपक काव्य प्रद्युम्नचरित में प्रयुक्त छन्द-एक अध्ययन जैनों में साध्वी प्रतिमा की प्रतिष्ठा-पूजा व वन्दन Nirgrantha Doctrine of Karma: A Historical Perspective Guņavrata and Upāsakadaśānga जैन आगमों की मूलभाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी दशाश्रुतस्कंधनियुक्ति : अन्तरावलोकन षट्प्राभृत के रचनाकार और उसका रचनाकाल जैन आगमों में धर्म-अधर्म (द्रव्य) : एक ऐतिहासिक विवेचन पंचकारण समवाय अड्डालिजीय गच्छ जर्मन जैन श्राविका डॉ० शार्लोटे क्राउझे Aștakaprakaraña: An Introduction Navatattvaprakarana
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डॉ० विजय कुमार डॉ० रतनचन्द्र जैन डॉ० शिवप्रसाद श्री हजारीमल बांठिया Dr. Ashok Kumar Singh Dr. Shriprakash Pandey
१०-१२ १९९७ १०-१२ १९९७ १०-१२ १९९७ १०-१२ १९९७ 10-12 1997 -10-12 1997
५३-७२ ७३-८० ८१-८२ ८३-९२ 107-118 1-28
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श्रमण लेखकानुसार लेख सूची
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख अगरचंद नाहटा अष्टलक्षी में उल्लेखित अप्राप्य रचनायें अष्टलक्षी में उल्लेखित जयसुन्दरसूरि की शतार्थी की खोज आवश्यक अस्वाद व्रत भी तप है आगम मर्यादा और संतों के वर्षावास आचार्य भद्रबाहु और हरिभद्र की अज्ञात रचनाएं आचार्य हेमचन्द्र के पट्टधर आचार्य रामचन्द्र के अनुपलब्ध नाटकों की खोज अत्यावश्यक आचार्य श्री आत्माराम जी की आगम सेवा आत्म शोधन का महान् पर्व : पर्युषण आशुतोष म्युजियम में नागौर का एक सचित्र विज्ञप्तिपत्र
ओसवंश-स्थापना के समय संबन्धी महत्त्वपूर्ण उल्लेख है उपा० भक्तिलाभरचित न्यायसार अवचूर्णि
एक अप्रकाशित प्राचीन प्राकृत सूत्र या अध्ययन एक अज्ञात ग्रन्थ की उपलब्धि
एक अज्ञात जैनमुनि का संस्कृत दूत काव्य ६ कतिपय जैनेतर ग्रन्थों की अज्ञात जैन टीकाएं
कुंभारिया तीर्थ का कलापूर्ण महावीर मंदिर कर्मशास्त्रविद् रामदेवगणि और उनकी रचनाएँ
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९-११ २७-२८ २५-३१ २६-३३ २५-३१ २१-२५ ४० ७-१३ १५-१९ २७-३३ १९-२१ २३-२५ २९-३० १७-२० २६-३१ २८-३१ ११-१९
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लेख
कल्याणसागरसूरि को प्रेषित सचित्र विज्ञप्ति लेख
कवि देपाल की अन्य रचनाऐं
श्रमण : अतीत के झरोखे में
क्या कृष्णगच्छ की स्थापना सम्वत् १३९१ ई० में हुई थी ? क्या 'रूपकमाला' नामक रचनाएँ अलंकार शास्त्र सम्बन्धी हैं ?
काव्यकल्पलतावृत्ति
गर्भापहरण सम्बंधी कुछ बातें
गीता के राजस्थानी अनुवादक जैन कवि थिरपाल गीतासंज्ञक जैन रचनाएं
ग्यारह गणधर सम्बंधी ज्ञातव्य बातें
चतुर्विंशतिस्तव का पाठ भेद और एक अतिरिक्त गाथा
चन्द्रवेध्यक
आदि-सूत्र अनुपलब्ध नहीं हैं
२४ तीर्थंकरों के नामों में नाथ शब्द का प्रयोग कब
जयप्रभसूरि रचित कुमारसंभव टीका
जयसिंहसूरि रचित अप्रसिद्ध ऋषभदेव और वीरचरित्र युगल काव्य
ज्योतिर्धर दो जैन विद्वान् हरिभद्र और यशोविजय जिनचन्द्रसूरिरचित श्रावक सामाचारी की पूरी प्रति की खोज जिनचन्द्रसूरिकृत क्षपक शिक्षा का विषय
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वर्ष
पृष्ठ । ३१-३३ ९-११ १५-१८ ३२-३४ ३५-३८
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख जिनदत्तसूरि का शकुनशास्त्र एवं हरिभद्रसूरि का व्यवहारकल्प जिनधर्म का तमाशा जिनराजसूरिकृत नैषधमहाकाव्यवृत्ति श्री जिनवल्लभसूरि की प्राकृत साहित्य सेवा जीवन चरित्र ग्रन्थ " जैन आगमों का महत्त्व और अपना कर्तव्य
जैन एकता का स्वरूप व उसके उपाय जैन कला प्रदर्शनी
जैन ग्रन्थों और पुराणों के भौगोलिक वर्णन का तुलनात्मक अध्ययन के जैन रास साहित्य ॐ जैन शिल्प का एक विशिष्ट प्रकार : सहस्रकूट हैं जैन साहित्य का बृहद इतिहास भाग ५ के कतिपय संशोधन
जैन ज्ञान भण्डारों के प्रकाशित सूची ग्रन्थ जौनपुर की बड़ी मस्जिद क्या जैन मंदिर है ? जैनागमों में महावीर के जीवनवृत्त की सामग्री गोविन्द त्रिगुणायक का 'जैन दर्शन व संत कवि' सम्बन्धी वक्तव्य तेरापंथ सम्प्रदाय के हस्तलिखित ग्रन्थ-संग्रहालय
ई० सन् १९७९ १९५४ १९६९ १९६३ १९५९ १९५० १९८३ १९५७ १९७२ १९५६
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१९७० १९५३ १९७९ १९५६ १९६४ १९६०
१-२१ ३६-३८ १५-२० १५-१६ १६-२१ २०-२३ ७३-७९ ३३-३५ ३४-३८ २८-३६ २३-२५
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
पृष्ठ २४-२७
लेख
तेलगूभाषा के अवधानी विद्वानों की परम्परा के दशाश्रुतस्कन्ध की बृहद् टीका और टीकाकार मतिकीर्ति
दशाश्रुतस्कन्ध के विविध संस्करण एवं टीकाएँ देवचन्द्रकृत यंत्र प्रकृति का वस्त्र टिप्पणक । दानशील, तप, भाव के रचयिता और दानकुलक का पाठ दान सम्बन्धी मान्यता पर विचार दिगम्बर आर्या जिनमती की मूर्ति दिल मां दिवड़ो थाय द्वीपसागरप्रज्ञप्ति नन्दीसूत्र की एक जैनेतर टीका मुनि विनयचन्द्रकृत ग्रहदीपिका पं० रामचंद्र गणिरचित सुमुखनृपतिकाव्य पं० सुखलाल जी के तीन व्याख्यानमालाओं के पठनीय ग्रंथ पद्ममंदिररचित बालावबोध प्रवचनसार का नहीं प्रवचनसारोद्वार का है पर्युषण और हमारा कर्तव्य
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ई० सन् १९५९ १९७८ १९७७ १९७९ १९७३ १९५५ १९५९ १९६० १९६५ १९६५ १९७० १९६८ १९८१ १९७० १९५७ १९८५ १९५९
२१-२४ २८-२९ १८-२४ ३-१० ३१-३२ ८-९ १८-१९ १३-१४ १५-१७ ३०-३१ ५७ ३०-३१ ९-१४ ६-१२ २५-२६
पर्युषण पर्व का पावन संदेश
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
ई० सन् १९५६ १९५२ १९६७ १९६२ १९७६ १९७७ १९५९
१९५३
लेख पर्युषण पर्व पर दो महत्तपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान पल्लीवालगच्छीय शांतिसूरि का समय एवं प्रतिष्ठा प्रज्ञाचक्षु राजकवि श्रीपाल की एक अज्ञात रचना-शतार्थी प्राकृत भाषा के चार कर्मग्रन्थ प्राकृत भद्रबाहुसंहिता का अर्धकाण्ड प्राकृत-हिन्दी कोश के महान् प्रणेता : पं० हरगोविन्ददास प्राकृत और उसका साहित्य प्राकृत साहित्य के इतिहास के प्रकाशन की आवश्यकता प्राचीन जैन राजस्थानी गद्य साहित्य प्राणप्रिय काव्य का रचनाकाल, श्लोक संख्या और सम्प्रदाय
प्राणप्रिय काव्य के रचयिता व रचनाकाल है ४५ आगम और मूलसूत्र की मान्यता पर विचार
पैंतालीस और बत्तीस सूत्रों की मान्यता पर विचार १२वीं शताब्दी की एक तीर्थमाला बीकानेरी चित्र-शैली का सर्वाधिक चित्रों वाला कल्पसूत्र बीसवीं सदी का जैन इतिहास भक्तामर की एक और सचित्रप्रति
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पृष्ठ ३७-३९ ३१-३३ ६-८ २४-२५ १०-१४ १९-२२ १३-१९ २१-२७ ११-१८ २७-२९ १७-२० ६१-६३ २४-२९ १९-२३ २०-२४ २०-२४ २१-२४
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
ई० सन्
१९७१
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लेख भक्तामरस्तोत्र की सचित्रप्रतियाँ भक्तामरस्तोत्र के बाद पूर्तिरूप स्तवकाव्य भक्तामरस्तोत्र के श्लोकों की संख्या ४४ या ४८ भगवान् नेमिनाथ का समय-एक विचारणीय समस्या भगवान् नेमिनाथ के समय सम्बन्धी संशोधन " भागवद्गीता और जैनधर्म है महत्त्वपूर्ण जैन कला के प्रति जैन समाज की उपेक्षा वृत्ति * मानतुंगसूरिरचित पंचपरमेष्ठिस्तोत्र
महावीरचर्या ग्रन्थ सम्बंधी महापंडित राहुल जी के दो पत्र महावीर-सम्बन्धी एक अज्ञात संस्कृत चरित्र महावीर स्तुति महो० समयसुंदर का एक संग्रहग्रन्थ-'गाथासहस्री' मुनि मेघकुमार-रचित किरातमहाकाव्य की अवचूरि मेघदूत की एक अज्ञात् बालबोधिका पंजिका
मेवाड़ में चित्रित कल्पसूत्र की एक विशिष्ट प्रति है मौलिक चिन्तन की आवश्यकता रघुवंश की अज्ञात जैन टीका
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पृष्ठ १३-१९ २५-२९ २७-३१ १५-१९ १२-१३ ११-१२ १३-१४ १४-१७ ९-१० ५२-५६ १३-१५ २३-२८ १५-१७ ६३-६४ २४-२६ २०-२३ ३१-३२
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लेख
राजस्थान में महावीर के दो उपसर्ग स्थल राजस्थान में महावीर मंदिर राजस्थानी जैन साहित्य
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
राजस्थानी लोक कथाओं सम्बन्धी साहित्य-निर्माण में जैनों का योगदान रामसनेही सम्प्रदाय के रेणशाखा के दो सरावगी आचार्य लंदन में कतिपय अप्राप्य जैन ग्रन्थ
लिखाई का सस्तापन
लोकागच्छीय विद्वानों के तीन संस्कृत ग्रन्थ लोक साहित्य के आदिसर्जक जैन विद्वान् वडगच्छ के युगप्रधान दादा - मुनिशेखरसूरि वसुमतीमा
वाचक श्रीवल्लभ रचित 'विदग्धमुखमण्डन' की दर्पण टीका की पूरी प्रति अन्वेषणीय
विक्रमलीलावतीचौपाईविषयक विशेष ज्ञातव्य
विद्ववर विनयसागर आद्यपक्षीय नहीं, पिप्पलक शाखा के थे
विनयप्रभकृत जैन व्याकरण ग्रंथ शब्ददीपिका विलासकीर्तिरचित प्रक्रियासारकौमुदी
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
वैराग्यशतक शब्दरत्नमहोदधि नामक संस्कृत गुजराती जैन-कोश श्वेताम्बर पण्डित परम्परा शासनप्रभावक जिनप्रभसूरि षदर्शनसमुच्चय के लघुटीकाकार-सोमतिलकसूरि संडेरगच्छीय ईश्वरसूरि की प्राप्त एवं अप्राप्त रचनाएं संवेगरंगशाला क्या देवभद्रसूरि रचित और अनुपलब्ध है? संवेगरंगशाला नामक दो ग्रन्थ नहीं एक ही है। संस्कृत साहित्य के इतिहास के जैन सम्बन्धित संशोधन सबके कल्याण में अपना कल्याण स्वर्गीय हीरालाल कापडिया सात लाख श्लोक परिमित संस्कृत साहित्य के निर्माता जैनाचार्य विजयलावण्यसूरि साधुवन्दना के रचयिता सिंहदेवरचित एक विलक्षण महावीरस्तोत्र हमारी भक्ति निष्ठा कैसी हो? । हरिकलशरचित दिल्ली-मेवात देश चैत्यपरिपाटी हरियाणा के सुकवि मालदेव की नवोपलब्ध रचनाएँ
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ई० सन् पृष्ठ १९६० ३२-३३ १९७७ २२-२४ १९८७ १०-१३ १९७६ १३-२० १९७२ . २०-२३ १९७४
२९-३२ १९६९ २३-२६ १९६९ ३४ १९६६ २२-२६ १९६३ २१-२८ १९८७ २३-२६ १९७२ १९-२३ १९७० २९-३२ १९७९ २०-२५ १९५५ १९७६ १८-२१ १९७७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख
अंक १२
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पृष्ठ । ३५-३८ २०-२२ ५९-६२ ३३-३७ २६-२८
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हर्षकीर्तिसूरिरचित धातुतंरगिणी हर्षकुलचरित कमलपंचशतिका . ज्ञानार्णव (ग्रन्थ परिचय)
श्रीमद्देवचन्द्ररचित कर्म साहित्य श्रीमालपुराण में भगवान् महावीर और गणधर गौतम का विकृत वर्णन अचल सिंह सरस्वती पुत्र अच्छेलाल यादव जैन साहित्य में जनपद प्राचीन जैन ग्रंथों में कृषि श्री अजातशत्रु धर्म का बहिष्कार या परिष्कार श्री अजित मुनि पुष्कर के सम्बन्ध में शोध विश्व व्यवस्था और सिद्धान्तत्रयी स्था० जैन साध्वीसंघ का पारम्परिक इतिहास अजित शुकदेव शर्मा
१९७५ १९७३
१५-२४ २४-२७
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अंक
ई० सन् १९७२ १९७२ १९७३
पृष्ठ २३-२६ १०-१६ १२-१७
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६०-६४
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख अनासक्ति वेदोत्तरकालीन आत्मविद्या और जैनधर्म जैनधर्म में भावना साध्वी श्री अणिमा श्री जी सांस्कृतिक पर्व की सामाजिक उपयोगिता साध्वी अतुलप्रभा धूमावली-प्रकरणम् अतुल कुमार प्रसाद सिंह तित्थोगाली (तिर्थोद्गालिक) प्रकीर्णक की गाथा संख्या का निर्धारण अनन्त प्रसाद जैन भगवान् महावीर की निर्वाण-स्थली जैन सिद्धान्त में योग और आस्रव अन्नराज जैन चातुर्मास व्यवस्था में सुधार कीजिये अनिल कुमार गुप्त जैन दर्शन में बन्ध का स्वरूप: वैज्ञानिक अवधारणाओं के सन्दर्भ में अनिल कुमार सिंह प्राचीन जैन आगमों में राजस्व व्यवस्था
१०-१२ १९९६
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१९८५ १९७४
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१९७५
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
१७१
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
लेख अनिल सेन गुप्ता सर्वोदय प्रदर्शनी अभय कुमार जैन आचार्य हेमचन्द्र : एक महान् काव्यकार
१९५९
४०-४२
आचार्य हेमचन्द्र : जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व कविवर देवीदास : जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व गुणस्थान : मनोदशाओं का आध्यात्मिक विश्लेषण (क्रमश:)
१९७७ १९७६ १९७५ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७७ १९७५
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३-१३ ८-१३ १३-१८ १२-१९ ३-१४ ९-१८ १३-१७ २३-३३ ३-१४
परमानन्दविलास : एक परिचय जैन दर्शन में समता जैन दर्शन का स्याद्वाद सिद्धान्त अभय मुनि जी महाराज पथ-भ्रष्ट मन-निग्रह श्री अमरचन्द्र उज्जयिनी
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक ६-७ ९
ई० सन् १९६१ १९५६
पृष्ठ ५४-५३ ३-६
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१६-२२
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लेख ब्रह्मनिष्ठ महावीर जैन साहित्य में कलिङ्ग अमरचंद मित्तल गुप्तकाल में जैनधर्म उपाध्याय श्री अमरमुनि अधूरी जोड़ी अमरवाणी अमृत जीता, विष हारा आचार्य : एक मधुर शास्ता उदयन का पर्युषण श्रधेय वाचस्पति जी : एक पुण्य स्मृति क्रान्तिदर्शी महावीर जीवन की कला जीवन दर्शन जीवन-दृष्टि ढंढ़ण ऋषि की तितिक्षा त्याग का मूल्य
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख दयामूर्ति : धर्मरुचि अनगार दार्शनिक क्षितिज का दीप्तिमान नक्षत्र धार्मिक जीवन की प्रेरणा नाथ कौन ?
पर्व की आराधना , बलभद्र और हरिण
बलिदान की अमर गाथा के बाहबलि : चक्रवर्ती का विजेता बिना विचारे जो करै भगवान् महावीर
भगवान् महावीर का अध्यात्म दर्शन है भगवान् महावीर का निर्वाण-कल्याणक भगवान् महावीर की साधना भारतीय दर्शनों की आत्मा भारतीय संस्कृति का प्रहरी मन की लड़ाई पहावीर का अखण्ड व्यक्तित्व
ई० सन् १९८१ १९८१ १९६० १९८० १९५९ १९८२ १९८१ १९८१ १९८१ १९८२ १९६३ १९८३ १९८४
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१७३ पृष्ठ ५-७ ११-१३ ९-१२ १२-१६ १७-१९ ९-११ १७-२३ २१-२७ १२-१४ ५-१४
१. ६-७ १
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२-६ १-१० ९-११ २६-२८ १३-१६ ११-१६
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
१८ २-७
लेख महावीर का जीवन दर्शन हु माँस का मूल्य
राजा मेघरथ का बलिदान सब धर्मों की मंजिल एक है
सत्ता का दर्प - सनत् कुमार का सौन्दर्य
सर्वधर्म समानत्व की कुंजी स्नेह के धागे सामायिक और तपस्या का रहस्य सामायिक का मूल्य
सेवाव्रती नंदीषेण ₹ सोने की चमक
होली का व्यापक आधार पं० अमृतलाल शास्त्री
अतिशय क्षेत्र पपौरा है उपकारी पशुओं की यह दुर्दशा
काशी के कतिपय ऐतिहासिक तथ्य पर्वराज पर्युषण
ई० सन् पृष्ठ १९८४ ३-१४ १९८० २२-२५ १९८१ १३-१५ १९६० १६-१७ १९८२ १३-१६ १९८२
१०-१४ १९६० १९८२ १९५९ ११-१२ १९८० ६-८ १९८०
१४-१७ १९८० ८-९ १९६१
७-८ ७८
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१९६५ १९६१ १९८८ १९५९
१८-२२ २६-२९ १६-१८ १५-१६
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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ई० सन् १९५७ १९६० १९५६ १९५६ १९७०
१७५ पृष्ठ ३३-३४ १२ १८-२० ४-७ २०-२८
१९६९
१८-२५
लेख भगवान् महावीर की दिव्य देशना भगवान् महावीर की देन भोजन और उसका समय वाग्भट्टालंकार वाग्भट्टालंकार वीरनन्दी और उनका चन्द्रप्रभचरित पं० अम्बालाल प्रेमचन्द शाह लब्धिफल लब्धियाँ जैनरत्नशास्त्र अम्बाशंकर नागर श्री किशनदासकृत 'उपदेशबावनी' अमिताभ पार्श्वनाथ के दो पट्टधर अम्बिकादत्त शर्मा जैन तत्त्वविद्या में पुद्गल' की अवधारणा जैन दर्शन में जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया
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२
२९-३९ ७३-८४ २९-३२
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। १७६
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
अंक
ई० सन् पृष्ठ
४
१९५३
८-१०
लेख अरविंद क्रोध आदि वृत्तियों पर विजय कैसे? अरुण प्रताप सिंह अशोक के अभिलेखों में अनेकांतवादी चिन्तन : एक समीक्षा इषुकारीय अध्ययन (उत्तराध्ययन) एवं शांतिपर्व- (महाभारत) का पिता-पुत्र संवाद
जैन एवं बौद्ध धर्म में भिक्षुणी संघ की स्थापना के जैन परम्परा के विकास में स्त्रियों का योगदान ए जैन भिक्षुणी-संघ और उसमें नारियों के प्रवेश के कारण
भगवान् महावीर की निर्वाण तिथि : एक पुनर्विचार के भिक्षुणी संघ की उत्पत्ति एवं विकास है हरिभद्र की श्रावक प्रज्ञप्ति में वर्णित अहिंसा : आधुनिक संदर्भ में हिन्दू एवं जैन परम्परा में समाधिमरण : एक समीक्षा अर्चना पाण्डेय
जैन दर्शन के संदर्भ में भाषा की उत्पत्ति ६ जैन दर्शन में कथन की सत्यता
जैन भाषा दर्शन की समस्याएँ शब्द का वाच्यार्थ जाति या व्यक्ति
१०-१२ १९९३ १-३ १९९१ ९ १९८४ १०-१२ १९९३ ४ १९८२ १०-१२ १९९५ ९ १९८० १०-१२ १९९० १०-१२ १९९३
८-१३ ८७-९२ १-१६ १-७ १२-१६ १-४ १७-२० ५७-७० १४-१८
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१९८६ १९८५ १९९१ १९८५
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
अंक
ई० सन्
१७७ पृष्ठ ।
१०
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३१-३६
११
१९८४
१७-१८
१९५०
१९-२१
लेख अर्हदास बंडोबा दिगे दसधर्म योग साधना है अलका प्रचण्डिया 'दीति' सिद्धि का पथ : आर्जवधर्म अवधकिशोर नारायण जैन मूर्ति कला अत्रिदेव गुप्त उपवास से लाभ गाय का दूध भारतीय चिकित्सा शास्त्र
शाक विचार है अशोक चढड्डा
युवकों के सामने एक प्रश्न चिन्ह अशोककुमार मिश्र कीर्तिवर्द्धनकृत सदयवत्स सावलिंगा चउपई चन्दन मलयागिरि छीहल की एक दुर्लभ प्रबन्ध कृति
१९५४ १९५८ १९५३
२७-३० १६-१८ २९-३४ ३६-३१
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१९७६ १९७६ १९७६
२२-२६ २०-२५ २२-२८
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१७८
लेख
जैन कवि जटमलकृत प्रेमविलास कथा
हीराणंदसूरि का विद्याविलास और उस पर आधरित रचनाएँ
अशोक पराशर
गृहस्थ के अष्टमूल गुण- तुलनात्मक अध्ययन
अशोक कुमार सिंह
प्रबन्धकोश में उपलब्ध आर्थिक विवरण प्राचीन जैन ग्रंथों में कर्मसिद्धांत का विकासक्रम जैनागमवर्णित तीर्थंकरों की भिक्षुणियाँ जैनाचार्य राजशेखरसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व दशाश्रुतस्कन्धनिर्युक्ति में इंङ्गित दृष्टांत दशाश्रुतस्कन्धनिर्युक्ति : अन्तरावलोकन भगवान् महावीर की प्रमुख आर्यिकाएं
स्थानाङ्ग एवं समवायाङ्ग में पुनरावृत्ति की समस्या
हिंसक और अहिंसक युद्ध
श्रमण : अतीत के झरोखे में
असीम कुमार मिश्र
ऐतिहासिक अध्ययन के जैन स्रोत और उनकी प्रामाणिकता : एक अध्ययन मुनि आईदान जी
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१-३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख जीवन के दो रूप-धन और धर्म मनुष्य की प्रगति के प्रति भयंकर विद्रोह मुनियों का आदर्श त्याग नारी का महत्त्व निःशस्त्रीकरण साध्वी समाज से श्रमण जीवन का बदलता हुआ इतिहास (क्रमश:)
अंक २ ६ ७-८ ३
ई० सन् १९५६ १९५४ १९५२ १९५४ १९५८ १९५३ १९५६ १९५६ १९५८
१७९ पृष्ठ । १६-१८ १८-१९ ७-८ ३०-३६ १७-२२ २१-२२ ३०-३५ २९-३४ ३५-३७
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१९६२
४१
श्री विनयचन्द दुर्लभ जी आचार्य आत्मारामजी शास्त्रोद्धार की आवश्यकता आदित्य प्रचण्डिया कर्मों का फल जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि तप का उपादेय : कर्मों की निर्जरा धर्म और धार्मिक धर्म का मान
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१९८० १९८२ १९८४ १९८३ १९८४
२०-२१ १०-११ १९-२० २०-२१ १७-१८
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१८०
लेख
भोले नहीं भले बनिये
महामानव महावीर का जीवन प्रदेय
वर्तमान सन्दर्भ और भगवान् महावीर की अहिंसा
सम्राट और साम्राज्य
सामायिक और ध्यान
सुख का सागर
हिन्दी जैन कवि छत्रपति : व्यक्तित्व तथा कृतित्व भदन्त आनन्द कौसल्यायन
भगवान् बुद्ध
आचार्य आनन्द ऋषि
आत्म
बोध का क्षण
आत्म सुख सभी सुखों का राजा कीर्ति के शत्रु, क्रोध और कुशील दुःख का जनक लोभ
दुर्बल को सताना क्षत्रिय धर्म नहीं
महापर्व पर्युषण का पावन सन्देश : अपने आप को परखें
सदाचार का महत्त्व
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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वर्ष
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१०-११
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१४-१५
११-१२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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अंक
ई० सन् १९८०
१८१ पृष्ठ १२-१८
११
१९५७
२३-२८
७-८ ८
१९५७ १९८७
९-११ २३-२५
लेख साधना में श्रद्धा का स्थान आरती पात्रा व्यावहारिक क्रियाएँ - इन्द्रचन्द्र जैन
स्थूलभद्र श्री शान्तिभाई वनमाली सेठ का अमृतोत्सव इन्द्रचन्द्र शास्त्री अभय का अराधक आचार्य हेमचंद्र और जैन संस्कृति आचारांग की दार्शनिक मान्यतायें आप सम्यग् दृष्टि हैं या मिथ्यादृष्टि आर्यरक्षित आस्तिक और नास्तिक किसकी जय केवलज्ञान सम्बन्धी कुछ बातें गुरु नानक चरित्र के मापदण्ड
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१-८ ३-५ १-६ ३२-३६ १९-२२ २७-३० ३३-३७ १९-२२ १२-२५ २१-२२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
१८२ लेख जनतंत्र के महान् उपासक भगवान् महावीर जैन आगमों का मन्थन
पृष्ठ | ३-७ ३५-३७ २९-३०
जैन परम्परा जैन परम्परा का आदिकाल
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जैन साहित्य का विहंगावलोकन जैन साहित्य के विषय में अजैन विद्वानों की दृष्टियाँ जैन साहित्य के संकेत चिन्ह जैन साहित्य सेवा नरसिंह मेहता पितृहीन त्यागपूर्वक उपभोग करो महात्मा हुसेन बसराई महावीर का दर्शन कराइए महावीर की जय
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ई० सन् १९५७ १९५३ १९५३ १९५९ १९६३ १९६३ १९६३ १९५३ १९५३ १९५३ १९५८ १९५४ १९५४ १९५५ १९५४ १९६२ १९५४
९-१७ ९-१७ १२-१८ ८-१४ २५-२८ ३०-३८ १३-१५ १७-२० २५-२९ २८-३१ २१-२८ २९-३२ ३१-३३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
१८३
अंक ७-८ १२ १
लेख महावीर से पहले का जैन इतिहास मेरी बम्बई यात्रा वज्रस्वामी वैशाली के गणतंत्र की एक झाँकी संघर्ष और आलिंगन संसार के धर्मों का उदय सत्य के आवरण या मूर्छाएं सन्त एकनाथ के जीवन प्रसंग सफलता के तीन तत्त्व सम्यकदृष्टि और मिथ्या दृष्टि
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ई० सन् १९५३ १९५३ १९५६ १९५४ १९६६ १९५४ १९६४ १९५४ १९६१ १९५४ १९५४ १९५१ १९६३ १९५३ १९५३ १९५४ १९५०
पृष्ठ ३०-३४ ११-१५ ८-११ २८-३० २५-३२ २०-२५ १२-१९ ११-१९ २८-३० ३-१० ४-११ ११-१४ २८-३१ २५-३१ २९-३५ ११-२० १७-२३
सम्यग् ज्ञान और मिथ्या ज्ञान स्वामी श्री धनीराम जी महाराज सिद्धसेन दिवाकर
सूत्रकृतांग में वर्णित मत-मतांतर
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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ई० सन् १९५० १९६२ १९५१ १९५३ १९६५
पृष्ठ २९-३२ १७-१९ १५-२० ५-१३ ३२-३६
श्रमण और ब्राह्मण श्रमण संघ के दस वर्ष श्री जैनेन्द्र गुरुकुल, पंचकूला हम किधर बह रहे हैं ? हमारी प्रवृत्तियाँ और उनका मूल्यांकन इन्द्रेश चन्द्र सिंह जैन आगम साहित्य में वर्णित दास-प्रथा जैन आगमों में वर्णित जातिगत समता प्राचीन भारतीय सैन्य विज्ञान एवं युद्धनीति : जैन स्रोतों के आधार पर . भारतीय राजनीति में जैन संस्कृति का योगदान युद्ध और युद्ध नीति
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८५-९२ ६३-७२ ९-१७ २७-३४ २६-३६
१२
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१-८
जैनधर्म और दर्शन की प्रासंगिकता-वर्तमान परिपेक्ष्य में इन्दुला आध्यात्मिक साधना और उसकी परम्पराएँ इला खासनवीस बच्चों की मूलभूत आवश्यकताएँ
१०
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९-१६
५
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१५-२०
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लेख
इलाचन्द जोशी
कालकाचार्य
(महासती) उज्जवल कुमारी सामायिक की सार्थकता उत्सवलाल तिवारी
सुमन रख भरोसा महावीर का
पं० उदयचन्द जैन
आचार्य हेमचन्द्र और कुमारपालचरित
आध्यात्मवादियों से
अहिंसा का विराट रूप
जैन
जैन साहित्य में शिशु
तत्त्वार्थराजवार्तिक में वर्णित बौद्धादिमत
पर्युषण और बौद्ध धर्म
निक्षेप में नय योजना
महामना की महानता मूलाराधना में समाधिमरण
वादिराजसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
दर्शन में आत्मस्वरूप
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख वासुपूज्यचरितम् : एक अध्ययन
ई० सन् ९१७२ १९७२ १९५२ १९७१ १९७३
पृष्ठ ३-१० १०-१७ १६-१८ २२-२९ १२-२१
१९७७
१४-१७
हमारे समाज की भावी पीढ़ी श्री हेमविजयगणि और विजयप्रशस्तिमहाकाव्य क्षत्रचूड़ामणि में उल्लिखित कतिपयनीतिवाक्य उदय मुनि जैनदर्शन उमाशंकर त्रिपाठी बुनियादी सुधार भाई साहब शिक्षा का जहर शिक्षा के दो रूप शिक्षा के साधन उर्मिला जैन वीरवर्धमानचरित में शान्तरस विमर्श श्रमण संस्कृति की पृष्ठभूमि
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१९५०
१९६३ १९५६ १९५५ १९५१
१७-२० १५-१८ ३० २७ १३-१७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
वर्ष उमेशचन्द्र सिंह उत्तरभारत की सामाजिक एवं आर्थिक संरचना : जैन आगम साहित्य के सन्दर्भ में उमेशचन्द्र श्रीवास्तव त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में प्रतिपादित-सांस्कृतिक जीवन उम्मेदमल मुनोत गतिशील स्वच्छ मन वरदान है उमेश मुनि असमता मिटाने का उपाय. उषा सिंह महात्मा गाँधी का मानवतावादी राजनीतिक चिन्तन और जैनदर्शन-एक समीक्षात्मक अध्ययन उषा मेहरा मॉन्तेसरी शिक्षा-पद्धति ए० एम० योस्तन अहिंसा और शिशु मॉन्तेसरी आन्दोलन मॉन्तेसरी शिक्षा के ५० वर्ष
११
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
१०
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३०-३२
८
१९५५
१९-३५
३-४ ७-८
१९५७ १९५७
१०-१४ ४-७
१८८ लेख एस० आर० कृष्णन् लेखक और विश्वशान्ति एस०कान्त सच्चा वैभव एस० आर० स्वामी शिशु और संस्कृति शिक्षा और उसका उद्देश्य एस० सी० उपाध्याय कुषाणकालीन मथुरा की जैन सभ्यता एस० एन० दुबे जैन अभिलेखों की भाषाओं का स्वरूप एवं विविधताएं एस० एस० गुप्त एक दुनियाँ और एक धर्म ऋषभचन्द्र जैन धर्म और आज की दुनियाँ लवण एवं अंकुश की देव विजय का भौगोलिक परिचय अनेकान्त एक दृष्टि
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श्रमण : अतीत के झरोखे में।
लेख
अंक ९
ई० सन् १९८१
१८९ पृष्ठ २-४
११
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२२-२४ २८-३२ १५-१८ ६९-७२
९
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२
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३५-३६
भगवान् महावीर और उनके द्वारा प्रतिपादित धर्म ऋषभदास रांका एकता की ओर एक कदम मंदिरों के झगड़े और जैन समाज संस्कृति की दुहाई समता के प्रतीक महावीर
ओमप्रकाश अग्रवाल श्री अतरचन्द जैन ओमप्रकाश सिंह अकबर और जैनधर्म आज का युग महावीर का युग है साध्वी श्री कनकप्रभा आचारांग के कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द | मुनि कनकविजय नेपाल के शाहवंश और उनके पूर्वज मुनिश्री कन्हैयालाल 'कमल' आगमों के आनुयोगिक-वर्गीकरण
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक ५ ११ २ १०
ई० सन् १९६६ १९५७ १९६० १९६३
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लेख आचारांग का परिचय कषाय विजय का महापर्व नए अपवाद पद्मलेश्या के रस का उपमेय मद्य क्यों ? पर्युषण और पश्चात्ताप पर्युषण मीमांसा भगवान् महावीर का व्यक्तित्व मनुष्य जन्म या मानवता राम की क्षमायाचना
श्रमण संघ के सामने एक सवाल ! है हमारे कवल (ग्रास) को मुर्गी के अण्डे की उपमा क्यों ?
कन्हैयालाल भुरडिया भारतीय संस्कृति को भगवान् महावीर की देन कन्हैयालाल सरावगी आत्मा : बौद्ध एवं जैन दृष्टि ग्यारह प्रतिमा (व्रत) और एकादशी जगतः सत्य या मिथ्या
पृष्ठ २७-३५ ३-५ ।। २२-२ ९-११ २८ १७-२१ १७-२३ ४१-४४ ३३-३४ २६-२९ ३०-३२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख जैनधर्म आस्तिक या नास्तिक
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जैनधर्म में कर्मयोग का स्वरूप जैनधर्म भौगोलिक सीमा में आबद्ध क्यों ? नयवाद : एक दृष्टि पावा : कसौटी पर प्राचीन भारतवर्ष में गणतंत्र का आदर्श भाषा और साहित्य महावीर की निर्वाण-भूमि पावा की वर्तमान स्थिति मानव संस्कृति का विकास
वर्ण और जातिवाद : जैन दृष्टि 3 वर्तमान युग के सन्दर्भ में भगवान् महावीर के उपदेश
वैशाली का सन्त राजकुमार व्यक्ति पहले या समाज शीलपरायण महावीर श्रमण जीवन में अधिकरण का उपशमन सामायिक : सौ सयाने एकमत सुख-दु:ख
१९१ पृष्ठ १९-२५ २१-२५ १५-२० ८४-३८ १४-१८ १६-२३ ९-१२ ३-१४ ३०-३१ ३-१५ १७-२० २८-३४ ३-७ २८-३१ ५२-५३ २३-२७ १०-१७ ९-१३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
पं० कपिलदेव गिरि ___प्राकृत व्याकरण और भोजपुरी का 'केर' प्रत्यय
१९७१ १९७१ १९७१ १९७४
२९-३८ २४-३८ १८-२९
-
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७-१३ २३-२६
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बंगला आदि भाषाओं के सम्बन्धवाची प्रत्यय महावीर की निर्वाण भूमि पावा की स्थिति कपूरचन्द जैन पुरुदेवचम्पू का आलोचनात्मक परिशीलन महावीर की वाणी कमलचन्द सौगानी महावीर का अपरिग्रह सिद्धान्त : सामाजिक न्याय का अमोघ मन्त्र कमल जैन आचार्य हरिभद्र एवं उनका योग आचार्य हरिभद्र और उनका साहित्य प्राचीन जैन कथा साहित्य का उद्भव, विकास और वसुदेवहिंडी प्राचीन जैन साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन : एक अध्ययन वसुदेवहिंडी का समीक्षात्मक अध्ययन कमला माताजी अन्धेरा दीप तले
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१-३ १९९३ ४-६ १९९३ १०-१२ १९९५ ८-९ १९८६ ४-६ १९९६
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१९३
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अंक
ई० सन्
पृष्ठ
१९६१ १९६२
७-१० ३६-३७
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१९९१
३५-४३
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख कमला जैन तत्त्वोपदेष्टा महावीर आचार्य श्री का पुण्य जीवन कमला पंत जैन सम्मत आत्मस्वरूप का अन्य भारतीय दर्शनों से तुलनात्मक विवेचन कमला जोशी 1 अन्य प्रमुख भारतीय दर्शनों एवं जैन दर्शन में कर्मबन्ध का तुलनात्मक स्वरूप * जैन दर्शन में आवश्यक साधना
जैन दर्शन में परीषह जय का स्वरूप एवं महत्त्व शिशु की निद्रा इ कमलेश कुमार जैन
जैन आलंकारिकों की रस विषयक मान्यताएँ कवि-स्वरूप : जैन आलंकारिकों की दृष्टि में प्राकृत जैनागम परम्परा में गृहस्थाचार तथा उसकी पारिभाषिक शब्दावली बारहभावना : एक अनुशीलन रस-विवेचन : अनुयोगद्वारसूत्र में
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१४-२४ ८-१२ ४७-६८ ५६-६१ २३-२९
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
ई० सन्
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१९५७
४०-४३
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३८ ।
लेख कलादेवी जैन अक्षय तृतीया कलानाथ शास्त्री चातुर्मास : स्वरूप और परम्पराएँ
कल्याणमल लोढ़ा । अहँ परमात्मने नमः मुनि कल्याण विजय रायपसेणिय उपांग और उसका रचनाकाल' की समीक्षा कल्याणी देवी जायसवाल क जैन परम्परा में महाभारत कथा । पाण्डवचरित का तुलनात्मक अध्ययन
कस्तूरचन्द जैन कोटिशिला तीर्थ का भौगोलिक अभिज्ञान
जैन धर्म में मानवतावाद है कस्तूरमल बांठिया
अहिंसा निउणा दिट्ठा अधिमास और पर्युषण
१९८९ १९८८
१४-१९ २२-२७
१२
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१९९१ १९६६
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
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अभव्यजीव नवौवेयक तक कैसे जाता है? अहिंसक मधु आगम प्रकाशन में सहयोग कौन और कैसे करे? आगम वाचना का सवाल इस चर्चा को खत्म कीजिये "कुवलयमाला" मध्ययुग के आदिकाल की एक जैन कथा क्या जाति स्मरण भी नहीं रहा क्या थे? क्या हैं? क्या होना है? छद्मस्थानां च मतिभ्रमः जनमार्ग . जैन इतिहास लेखकों को आह्वान जैन आगम और विज्ञान जैन तत्त्वों में शूबिंग के विचार जैनमुनि और माँसाहार परिहार जैन साहित्य के इतिहास की पूर्व पीठिका जैनों ने भी युग का आह्वान सुना जैनों में मूर्ति और उसकी पूजा पद्धतियों में विकास और विकार
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ई० सन् १९६८ १९५६ १९६७ १९५८ १९६० १९६७ १९६० १९६० १९५८ १९७०
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१९५ पृष्ठ ७-११ २४-२९ १६-२५ ६८-७० ४४-४७ २-१७ २९-३४ १७-२१ २६-३० ३-१५ ३१-३३ ३६-४० १६-२३ १४-२५ १८-२४ ३३-३७ ६-१७
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१९६१ १९७० १९६७ १९६९ १९६३ १९६८
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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पृष्ठ १२-१४
लेख तीर्थंकर महावीर तीर्थंकरवाद दिगम्बर परम्परा में श्रावक के गुण और भेद पहले महावीर निर्वाण या बुद्ध निर्वाण । गग प्रसिद्धिप्राप्त श्वेताम्बर जैनों की कुछ कृत्रिम कृतियाँ
प्रत्यालोचना-महावीर का अन्तस्थल बुद्ध और महावीर का परिनिर्वाण
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७-८
ई० सन् १९६१ १९५६ १९६५ १९५९ १९६८ १९५५ १९६२ १९६२ १९५९ १९६६ १९६१ १९६४ १९६९ १९५६ १९५६ १९६४ १९६४
भगवान् महावीर का निर्वाणाब्द २५०० आ रहा है भारतीय विद्याविद् डॉ० जॉन जार्ज बुहलर महावीर के जीवन पर नया प्रकाश भगवान् महावीर के जीवन-चरित्र
५६-६२ १०-२१ ९-३० ३३-३६ ८-१३ २५-२६ २८-३२ १३-२० ३१-३३ ४९-६३ ५-२२ २२-२९ ४-१५ ९-१६ २-८
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महावीर भूले?
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का रचनाकाल-क्रमश:
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
१९७ पृष्ठ ३-१० ३-११
३-११
विगत हजार वर्ष के जैन इतिहास का सिंहावलोकन-क्रमश:
ई० सन् १९६४ १९६४ १९६४ १९६५ १९६५ १९६५ १९६७ १९६७ १९६६
श्रमण और श्रमणोपासक श्रावक किसे कहा जाय श्रावक के गुण एवं भेद-क्रमशः
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३-११ ३-१४ ३-१९ २५-२९ १०-२३ ३-११
३-१०
श्री जयभिक्खु के ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद श्री लालाभाई वीरचन्द देसाई ‘जयभिक्खु' शास्त्र वाचना की आज फिर आवश्यकता है श्वेताम्बर जैनों के पूजाविधियों का इतिहास (क्रमश:)
१९६६ १९६८ १९६८ १९५७ १९६६ १९६६ १९६६
२५-३४ २८-३७ ४-७ ४-५ २-१४ ३-१४
श्वेताम्बर-परम्परा में श्रावक के गुण और भेद
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१९८
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
अंक
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ई० सन् १९६८ १९५८ १९६०
पृष्ठ ६-१८ १७-२० ७-१२
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समराइच्चकहा का अविकल गुर्जरानुवाद हम अनेकान्तवादी हैं या एकान्तवादी ?
हम दूसरों को दूसरों के ही दृष्टिकोण से समझें ___कस्तूरीनाथ गोस्वामी
आहार दर्शन वर्तमान अशान्ति का एकमात्र समाधान अहिंसा कस्तूरीलाल जैन संयम और त्याग की मूर्ति काका कालेलकर अद्वेष दर्शन अहिंसा की परिणति-समन्वय और सत्याग्रह अहिंसा की साधना अहिंसा के तीन क्षेत्र-क्रमशः
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अहिंसा-शोधपीठ तर्क और भावना धर्म के स्थान पर संस्कृति
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लेख
साध्वी श्री कानकुमारी जी
सच्ची क्षमा कानजी भाई पटेल उत्तराध्ययनसूत्र : धार्मिक काव्य धर्म क्षेत्रे हिम क्षेत्रे
श्रमण संस्कृति में क्षमा
श्रमण परम्परा में धर्म और उसका महत्त्व
कांता जैन
स्त्रिी शिक्षा भगवान् मुनिश्री
महावीर का आदर्श और हम
कांति सागर जी
कवि रत्न श्री अमरमुनि जी मगध में दीपमालिका
कामता प्रसाद मिश्र
विमलसूरि के पउमचरिउ का भौगोलिक अध्ययन
किशोरी लाल जैन
कुछ संस्मरण और श्रद्धा के फूल
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२००
लेख
किशोरी लाल मशरूवाला नारी की प्रतिष्ठा शुद्ध व्यवहार का आन्दोलन सोमनाथ
स्वच्छता : जीवन का अंग
कृपाशंकर व्यास
नय और निक्षेप - एक विश्लेषण कृष्णचन्द्राचार्य
आगरा में श्री रत्नमुनि शताब्दी समारोह
जैनत्व की कसौटी ३. धर्मबन्धु हर्बर्ट वारन पूज्य श्री मंगल ऋषि जी वीतराग महावीर
श्रमण संस्कृति का भावी विकास
सबसे पहला पाठ साधु समाज की प्रतिष्ठा
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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अंक
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लेख श्री कृष्ण 'जुगनू' अपराध की औषधि : क्षमा इन्द्रियनिग्रह से मोक्ष-प्राप्ति कृष्णदत्त बाजपेयी शाजापुर का पुरातात्त्विक महत्त्व
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कृष्णमुरारी पाण्डेय सोमदेवसूरि की अर्थनीति-एक समाजवादी दृष्टिकोण कृष्णलाल त्रिपाठी जैन धर्म और प्रयाग रामचन्द्रसूरि और उनका साहित्य कृष्णलाल शर्मा जैनधर्म और व्यावसायिक पूँजीवाद : वेबर की अनुदृष्टि जैन उपाश्रय व्यवस्था और कर्मचारी तंत्र कृष्णा मेहरोत्रा आदर्श गृहस्थी कुमार प्रियदर्शी जीवन के दो पक्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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अंक ११-१२
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नई समाज व्यवस्था कुन्दनलाल जैन योग निधान कुमुद गिरि जैन महापुराण : एक कलापरक अध्ययन कुसुम जैन आचार्य अमितगति : व्यक्तित्व और कृतित्त्व स्याद्वाद केवलकृष्ण मित्तल भौतिकवाद एवं समयसार की सप्तभंगी व्याख्या के० एच० त्रिवेदी जैनधर्म-एक अवलोकन केवल मुनि चारित्र की दृढ़ता के० आर० चन्द्र अर्धमागधी भाषा में सम्बोधन का एक विस्मृत शब्द-प्रयोग 'आउसन्ते' कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर कथाएँ (क्रमश:)
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लेख
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क्या रावण के दस मुख थे ?
क्षेत्रज्ञ शब्द का स्वीकार्य प्राचीनतम अर्धमागधी रूप
क्षेत्रज्ञ शब्द के विविध रूपों की कथा और उसका अर्धमागधी रूपान्तर जैन विद्या के अध्ययन एवं संशोधन केन्द्रों की स्थापना पउमचरियं के कुछ भौगोलिक स्थल
पउमचरियं की अवान्तर कथाओं में भौगोलिक सामाग्री पउमचरियं : संक्षिप्त कथावस्तु (क्रमश:)
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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पउमचरियं में अनार्य जातियाँ पउमसिरीचरिउ के मूल स्रोत पउमचरियं में वर्णित राम की वनयात्रा - क्रमशः
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प्राकृत व्याकरण: वररुचि बनाम हेमचन्द्र : अंधानुकरण या विशिष्ट प्रदान प्राचीन प्राकृत ग्रंथों में उपलब्ध भगवान् महावीर का जीवन-चरित्र भरतमुनि द्वारा प्राकृत को संस्कृत के साथ प्रदत्त-सम्मान और गौरवपूर्ण स्थान महाकथा कुवलयमाला के रचनाकार का उद्देश्य और पात्रों का आयोजन मूल अर्धमागधी के स्वरूप की पुनर्रचना राक्षस : एक मानव वंश रामकथा-विषयक कतिपय भ्रान्त-धारणायें विद्याधर : एक मानव जाति विश्वेश्वरकृत शृंगारमंजरी सट्टक का अनुवाद क्रमश:
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राम कथा के वानर : एक मानव जाति षट्प्राभृत के रचनाकार और उसका रचनाकाल सर्वांगसुन्दरी-कथानक सन्दर्भ एवं भाषायी दृष्टि से आचारांग के उपोद्धात में प्रयुक्त प्रथम वाक्य के पाठ की प्राचीनता पर कुछ विचार के० भुजबली शास्त्री कन्नड़ में जैन साहित्य गोम्मट आइडोल्स ऑफ कर्णाटक
जैन कन्नड़ वाङ्गमय पंडितरल विद्वान् सुखलाल जी एक सुखद संस्मरण महाकवि रत्नाकर के कतिपय अध्यात्म-गीत वैदिक धर्म तथा जैन धर्म सिद्धि योग का महत्त्व
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
ई० सन्
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३६-५८
२०६ लेख केशवप्रसाद गुप्त वसन्तविलासमहाकाव्य का काव्य-सौन्दर्य के० एस० धरणेन्द्रैया कन्नड़ संस्कृति को जैनों की देन
कैलाशचंद्र जैन ए एक पत्र
कैलाशचन्द्र शास्त्री अहिंसक महावीर एक समस्या कश्मीर की सैर - क्रमश:
१९५३
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४८-५० २१-२५ ३३-३६ २९-३० २५-२७ ९-१३
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दर्शन और धर्म निश्चय और व्यवहार प्रत्येक आत्मा परमात्मा है भगवान् महावीर का अचेलधर्म भगवान् महावीर के जीवन की एक झलक
M
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लेख
युद्ध
श्रमण
और सन्त श्री गणेश प्रसाद वर्णी
कोमलचन्द जैन
आगमिक साहित्य में महावीर चरित्र क्षमा पहला धर्म है
जैन आगमों में जननी एवं दीक्षा जैन और बौद्ध आगमों में गणिका जैन और बौद्ध आगमों में विवाह पद्धति जैनधर्म एवं बौद्धधर्म-परस्पर पूरक पालि क्या बोलचाल की भाषा थी ? बुन्देलखण्डी भाषा में प्राकृत के देशी शब्द
और जैन आगमों में नारी जीवन : एक और स्पष्टीकरण
बौद्ध
बौद्ध और जैन आगमों में जननी
बौद्ध और जैन आगमों में जननी : एक स्पष्टीकरण
बौद्ध और जैन आगमों में पुत्रवधू
भारतीय संस्कृति के विकास में श्रमण धारा का महत्त्व विग्रहगति एवं अन्तराभव
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
३० सन् १९७२
पृष्ठ ६-१०
लेख श्रमण संस्कृति और नारी कोमलचन्द्र शास्त्री क्या लोकप्रियता योग्यता की निशानी है वनस्पति की गतिशीलता कोमल जैन प्रभावशाली व्यक्तित्त्व (मनोवैज्ञानिक लेख) कौशल किशोर जैन सस्ता और सुलभ भोजन खलील जिब्रान
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गंगाधर जालान बुनियादी समस्या और उसका समाधान गंगासागर राय काव्य का प्रयोजन : एक विमर्श काव्य में लोक मंगल भारतीय आचार्यों की दृष्टि में काव्य के हेतु गजेन्द्र मुनि जैन संस्कृति और प्रचार : एक चिन्तन
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लेख
गणेश प्रसाद जैन
असुर
ऋषभ पुत्र भरत और भारत कवि पुष्पदन्त की रामकथा जैन तीर्थंकरों का जन्म क्षत्रियकुल में ही क्यों ? - क्रमशः
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जैन पुराणों में राम कथा
जैन महाकवि पं० बनारसीदास का रहस्यवाद तीर्थंकर महावीर का निर्वाण दिवस 'दीपावली'
तीर्थंकर
तीर्थंकर महावीर का निर्वाण पर्व 'दीपावली' : एक समीक्षा महावीर की जन्म भूमि : विदेह का कुण्डपुर
तीर्थंकर महावीर की निर्वाण भूमि 'पावा'
तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ
दक्षिण भारत में जैनधर्म और संस्कृति
दक्षिण भारत में जैनधर्म, साहित्य और तीर्थ क्षेत्र दास, दस्यु और पणि द्राविण
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लेख
पर्वराज-दस लक्षणी पर्युषण पर्व भारतवर्ष के मूल निवासी श्रमण मगध साम्राज्य का प्रथम सम्राट श्रेणिक महाकवि पुष्पदन्त : एक परिचय महाकवि बनारसीदास का रस दर्शन
महावीर की विहारभूमि-मगध और उसकी संस्कृति
राजगृह
वसुदेवहिण्डी में रामकथा वहित और अहि
वैराग्यमूलक एक ऐतिहासिक प्रेमकाव्य : तरंगवती
समाधिमरण
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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श्रवणबेलगोला के शिलालेख, दक्षिण भारत में जैनधर्म और गोम्मटेश्वर
श्रावस्ती का जैन राजा सुहलदेव गणेश मुनि शास्त्री अहिंसा के इतिहास में निरामिषता जैन आगम साहित्य में प्रमाणवाद दर्शन और विज्ञान : एक चिन्तन
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख
गणेश ललवानी के राज्य का त्याग : त्यागी से भय
गुरुचरण सिंह मोंगिया जैन साहित्य और सांस्कृतिक संवेदना गुलाबचन्द्र चौधरी अखिल भारतीय प्राच्यविद्या महासम्मेलन अपरिग्रह के तीन उपदेष्टा आचार्य विद्यानन्द आचार्य हेमचन्द्र
आर्यों से पहले की संस्कृति है इतिहास की पुनरावृत्ति : एक भ्रामक धारणा नारी के अतीत की झांकी-सतीप्रथा भगवान् महावीर का जन्म और निर्वाण भूमि भगवान् महावीर और उनका उपदेश भगवान् महावीर का व्यक्तित्व संस्कृति-एक विश्लेषण श्रमण संस्कृति का केन्द्र-विपुलाचल और उसका पड़ोस
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अंक
ई० सन्
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१६-२३ ३७-३८ २४-३१ ११-१४ १४-१५ ३-५
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख गुलाबचन्द्र जैन आर्यारत्न श्री विचक्षण श्री जी म०सा० उद्भट विद्वान् पं० बेचरदास दोशी जैनधर्म और भक्ति
जैनधर्म दर्शन में आराधना का महत्त्व र पर्युषण : दस लक्षण पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के मार्गदर्शक पं० सुखलाल जी प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल जी : एक परिचय बौद्ध ग्रन्थों में जैन धर्म मुनिश्री चौथमल जी की जन्म शताब्दी स्व० डॉ० भगवानदास गोपीचन्द धारीवाल अपरिग्रह अथवा अकर्मण्यता अहिंसा अहिंसा : एक विश्लेषण अहिंसा की साधना आत्म विज्ञान
१९८० १९६३ १९७८ १९८३ १९६० १९७७ १९८० १९५६ १९७८ १९६१
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१८-२८ २४-२७ ३८-४०
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
२१३
लेख आस्रव व बंध क्या जैनधर्म जीवित रह सकता है ? चीनी आक्रमण : अहिंसा को चुनौती भगवान् महावीर के निर्वाण का २५००वां वर्ष भोग तृष्णा भौतिकवाद व अध्यात्मवाद
ई० सन् १९६५ १९६४ १९६३ १९७१ १९६८ १९६४ १९६५ १९६६ १९६७ १९६७ १९६६ १९६६
पृष्ठ । १९-२५ २२-२५ २१-२४ २६-३१ १८-१९ २२-२९ १४-१९ १०-१७ २३-२५ २७-३१ २६-३१ १८-२२
मोक्ष
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संवर और निर्जरा संसार का अन्तरंग प्रदेश सम्यग्दर्शन श्री सिद्धर्षिगणिकृत उपमितिभवप्रपंचाकथा श्री सिद्धर्षिगणिकृत उपमितिभवप्रपंचाकथा से संकलित "धर्म की महिमा" गोकुल चन्द जैन आचार्य सोमदेवसूरि केशी ने पूछा जैन संस्कृति और विवाह जैन साहित्य और अनुसंधान की दिशा
१९६० १९६० १९६१ १९५९
३१-३३ ११-१३ ८-२१ ३३-३५
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
ई० सन् १९५९ १९६० १९६७ १९६० १९६० १९८८ १९६४ १९६१
पृष्ठ ३२-३४ २१-२२ २४-२८ ६५-६९ २३-२४
लेख जैन साहित्य की प्रतिष्ठा बदलते सामाजिक मूल्य और हमारा चिन्तन भारतीय विश्वविद्यालयों में जैन शोध-कार्य महावीर के समकालीन आचार्य वर्णी जी के स्मारक का प्रश्न ? संवत्सरी सोमदेवकृत यशस्तिलक सोमदेवसूरि और जैनाभिमत वर्ण-व्यवस्था चन्दनमल चांद युवक के प्रति महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर अष्टलक्षी : संसार का एक अद्भुत ग्रन्थ आत्मोपलब्धि की कला : ध्यान वृत्ति : बोध और विरोध क्षमा-वाणी चन्द्रलेखा पंत जैन दर्शन में नारी मुक्ति
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लेख
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चन्द्रशंकर शुक्ल स्याद्वाद की सर्वप्रियता चन्द्रशेखर शास्त्री प्राचीन भारत में संस्कृतियों का संघर्ष
चन्द्रिका सिंह उपासक ग सारनाथ-काशी की तपोभूमि सारनाथ के भग्नावशेष चम्पालाल सिंघई
ग्वालियर के तोमरकालीन दानवीर है गुप्त सम्राटों का धर्म समभाव
जैनों में सती प्रथा है दानवीरता का कीर्तिमान-वस्तुपाल
चांदमल कर्णावट हम क्रान्ति का आह्वान करें चित्र भानु है जीवन सौरभ चिमनलाल चकुभाई शाह तपश्चर्या-उपवास
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१९७१ १९७१ १९७१ १९७२
१०-१३ १८-२० २०-२१ १७-२०
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२१६
लेख
समदर्शी दार्शनिक महात्मा चेतनदास जी
अनमोल वाणी-संकलन चैनसुखदास जैन धर्म का सर्वोदय स्वरूप छगनलाल शास्त्री
भेद में अभेद का सर्जक स्याद्वाद छोटालाल हरजीवन सुशील
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वैराग्य क्या है जमनालाल अपरिग्रह की नई दशा अपरिग्रही महावीर अहिंसा, संयम और तप
गंगा का जल लेय अरघ गंगा को दीना
जो विदा हो रहे हैं
भगवान् महावीर और युवा अध्यात्म महात्मा भगवानदीन जी
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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२१७ पृष्ठ २१-२४ ५७-६२ ४५-४७ ९-१४ १३-२२ १३-१७
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१३-१६
लेख महावीर और उनकी देशना महावीरोपदिष्ट परिग्रह परिमाण व्रत मातृ-वत्सल महावीर विपाकसूत्र के आख्यान : एक विहंगावलोकन
श्रमरस का स्रोत : श्रावक गए हमें सामाजिक मूल्यों को बदलना है
भिक्षु जगदीश काश्यप भिक्षुसंघ और समाज सेवा लोक कल्याण के लिए श्रमण संस्कृति जगदीशचन्द्र जैन अनेकान्त : अहिंसा अनेकांत : अहिंसा का व्यापक रूप प्रागैतिहासिक भारत में सामाजिक मूल्य एवं परम्पराएँ महावीर निर्वाण भूमि पावा : एक समीक्षा पिण्ड नियुक्ति जगदीश सहाय नैतिकता का आधार
१९४९ १९४९
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१०-१२ १०-१२ ९.
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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२१८ लेख मानव धर्म का सार जगन्नाथ पाठक संस्कृत कवियों के उपनाम जयकुमार जैन पार्श्वनाथचरित में प्रतिपादित समाज पार्श्वनाथचरित में राजनीति और शासन-व्यवस्था प्राचीन भारतीय वाङ्मय में पार्श्वचरित शान्त रस : मान्यता और स्थान संस्कृत साहित्य में अभ्युदय नामान्त जैन काव्य जयचन्द्र बाफणा चंदनबाला और मृगावती जयन्त मुनि पर्युषण का सामाजिक महत्त्व मुनिश्री जयन्ती लाल जी ज्ञान की खोज में जयभगवान जी एडवोकेट आत्मा की महिमा
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१९७६ १९७७ १९८० १९७७ १९७७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
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१७-२१ १३-२१ २१-२४ ३४-३९ २५-३१
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जयभगवान जैन पर्व और धर्म चर्या जय भिक्खु परिनिर्वाण
मैं स्वयं र अहमदाबाद के भामाशाह
सांपू सरोवर धन्य यशोदा, तुम्हें जसकरण डागा जैन एकता : सूत्र व सुझाव जसवन्तलाल मेहता जैनधर्म एवं गुरु मन्दिर मुनि ज्योतिर जैन संस्कृति का दिव्य सन्देश-अनेकान्त ज्योतिप्रसाद जैन जैनकला विषयक साहित्य धर्म और सहिष्णुता
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लेख
भगवान् महावीर और दीवाली
भगवान् महावीर के जीवन का एक भ्रान्त दृश्य महान् साहित्यकार आचार्य हरिभद्रसूरि
महावीर का अन्तस्तल
जितेन्द्र बी० शाह
द्वादशारनयचक्र का दार्शनिक अध्ययन
जिनवर प्रसाद जैन
पावापुर
जिनेन्द्र कुमार क्या हम अपराधी नहीं
धर्म को समाज सेवा से जोड़ा जाय
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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राष्ट्रीय विकास यात्रा में जैन धर्म एवं जैन पत्रकारों का योगदान
जिनेन्द्र कुमार
स्मृति नन्दन जिनेन्द्रवर्णी महावीर जयन्ती मुनिश्री जिनविजय जी गुजरात का जैनधर्म
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख • जैन कथा साहित्य का सार्वजनीन महत्त्व
हरिभद्रसूरि का समय-निर्णय - क्रमश:
ई० सन् १९५३ १९८८ १९८८
२२१ पृष्ठ २९-३८ १-३२ १-३०
१९५९ १९६३
२०-२२ ६९-७०
१९७०
३०-३२
पूज्य जिनविजयसेन सूरि जैन विद्वान् साहित्यिक परम्परा को अक्षुण रखें वर्धमान से महावीर कैसे बने ? जी० आर०जैन कर्मों का फल देनेवाला कम्प्यूटर जुगलकिशोर मुख्तार आचार्य हेमचन्द्र के योगशास्त्र पर एक प्राचीन टीका न्यायोचित विचारों का अभिनन्दन सुधार का मूलमंत्र श्रीरंजन सूरिदेव की कुछ मोटी भूलें जे०सी० कुमारप्पा युद्ध के लिए जिम्मेदार कौन जे०एन० भारती अपने व्यक्तित्व की परख कीजिये
१९६६ १९६५ १९६१ १९६६
२-१७ १०-२१ ९-१६ ३०
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२९-३३ ६-१२ ३५-४२ २४-२७
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लेख झिनकू यादव प्राचीन जैन साहित्य में उत्सव-महोत्सव प्राचीन भारतीय श्रमण एवं श्रमण चर्या ममराइच्चकहा की संक्षिप्त कथावस्तु और उसका सांस्कृतिक महत्त्व समराइच्चकहा में चार्वाक दर्शन टालस्टाय धर्म का तत्त्व डी०पी० महाजन तमिलक्षेत्रीय जैन योगदान लंका में जैनधर्म डी०आर० भण्डारी जैन नीति-दर्शन एवं उसका व्यावहारिक पक्ष पर्यावरण एवं अहिंसा डोंगरे महाराज जीवन और विवेक ताराचन्द्र मेहता हिंसा का बोलबाला
१९६८ १९६७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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११-१२
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लेख ताजमल बोथरा मूल में भूल तेज सिंह गौड़ उज्जयिनी और जैनधर्म मांडव : एक प्राचीन तीर्थ दयानन्द भार्गव वैदिक साहित्य में जैनपरम्परा समयसार : आचार-मीमांसा दरबारीलाल कोठिया स्याद्वाद और अनेकान्तवाद जीवन तो संयम ही है दरियावसिंह मेहता 'जिज्ञासु' महावीर और गांधी की जीवन दृष्टि : सत्य की शोध दलसुख मालवणिया असंयत जीव का जीना चाहना राग है आगम झूठे हैं क्या ? आचारांगसूत्र ; क्रमशः
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आत्महित बनाम परहित उपशमन का आध्यात्मिक पर्व एकान्तपाप और एकान्तपुण्य क्या मैं जैन हूँ? चातुर्मास जंगम आगम संशोधन मंदिर । जैन और हिन्दू
जैन साहित्य का इतिहास और इसकी प्रगति
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख जैन साहित्य का सिंहावलोकन दक्षिण हिन्दुस्तान और जैनधर्म - धर्म का पुनरुद्धार और संस्कृति का नवनिर्माण निश्चय और व्यवहार : पुण्य और पाप
न्याय सम्पन्न विभव हुए पार्श्वनाथ विद्याश्रम-एक सांस्कृतिक अनुष्ठान
प्राचीन जैन साहित्य के प्रारम्भिक निष्ठासूत्र बनारस से जैनों का सम्बन्ध बौद्धधर्म भक्तिमार्ग का सिंहावलोकन भगवान् महावीर का उपदेश और आधुनिक समाज भगवान् महावीर का मार्ग भगवान् महावीर के गणधर भगवान् महावीर : समता-धर्म के प्ररूपक भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर भौतिकता और अध्यात्म का समन्वय मलधारी अभयदेव और हेमचन्द्राचार्य
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
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विद्यामूर्ति पं० सुखलाल जी महावीर भूले शॉ का सन्देश मुझे भूल जाओ संथारा आत्महत्या नहीं संन्यासमार्ग और महावीर दिनकर
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जैनधर्म
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दिनेशचन्द्र चौबीसा पल्लवनरेश महेन्द्रवर्मन "प्रथम" कृत मत्तविलासप्रहसन में वर्णित-धर्म और समाज ४४ दिलीप सुराणा भगवान् बाहुबलि के प्रति संवत्सरी की सर्वमान्य तारीख दीनानाथ शर्मा उपदेशमाला (धर्मदासगणिकृत) एक समीक्षा दुर्गाशंकर द्विवेदी रोगों का इलाज
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लेख मुनि दुलहराज उपदेश विधि विस्मृत परम्पराएँ सचेल-अचेल दुलीचन्द्र जैन गुरुत्वाकर्षण से परमाणु शक्ति तक देवराज भारतीय दर्शनों की समन्वय परम्परा देवसहाय त्रिवेद बुद्ध और महावीर देवी प्रसाद मिश्र जैन पुराणों में समता देवेन्द्रकुमार जैन अपभ्रंश और देशीतत्त्व अपभ्रंश की पूर्वस्वयंभूयुगीन कविता अपभ्रंश की शोध कहानी
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
पृष्ठ २१-२५ ३१-३३ २२-२६ ३४-३६
लेख अपभ्रंश साहित्य : उपलब्धियाँ और प्रभाव अपने को जानिये आचार्य हेमचन्द्र और उनकी साहित्यिक मान्यताएँ इतिहास की पुनरावृत्ति-यथार्थ दर्शन एक प्रतिक्रिया कवि वीर और उनका जंबूसामिचरिउ क्रांतिदर्शी महावीर 'जी' की आत्मकथा जैन तीर्थंकर और भिल्ल प्रजाति जैन दर्शन और भक्ति : एक थीसिस तीर्थंकर और दुःखवाद तीर्थंकर महावीर दशरूपक का एक अपभ्रंश दोहा : कुछ तथ्य पउमचरिउ और रामचरितमानस : एक तुलनात्मक अध्ययन पउमचरिउ में नारी पउमचरिउ परम्परा, संदर्भ और शिल्प पर्युषण : आत्म चिन्तन से सामाजिक चिन्तन की ओर
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देवेन्द्रकुमार शास्त्री
पुनीत स्मरण .. पुष्पदन्त क्या पुष्पभाट थे ?
पुष्पदन्त और सूर का कृष्ण लीला-चित्रण
पुष्पदन्त का कृष्ण काव्य ठा पुष्पदन्त की रामकथा
प्रसाद और तीर्थंकर प्राकृत भाषा के कुछ ध्वनि-परिवर्तनों की ध्वनि वैज्ञानिक व्याख्या प्राचीन पांडुलिपियों का संपादन : कुछ प्रश्न और हल ब्राह्मी लिपि और ऋषभनाथ भगवान् महावीर की जीवन साधना भविसयत्तकहा तथा अपभ्रंश कथाकाव्य कुछ प्रतिस्थापनायें भारतीय आर्यभाषा और अपभ्रंश भारतीय समाज का आध्यात्मिक दर्शन महाकवि पुष्पदन्त और गोम्मटेश्वर बाहुबलि महाकवि पुष्पदन्त की भक्ति चेतना महाकवि स्वयंभू का प्रकृति दर्शन
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लेख महाकवि स्वयंभू और नारी महाकवि स्वयंभू के काव्य विचार मानवमूल्यों की काव्यकथा-भविसयत्तकहा मानव संस्कृति और महावीर
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मुनिराम सिंह का उग्रअध्यात्मवाद मूल्यों का संकट और आध्यात्मिकता मैं महावीर को याद क्यों करता हूँ शुभ कामना संस्कृत शब्द और प्राकृत अपभ्रंश समन्वय या सफाई समाज का धर्म साधु समाज और निवृत्ति सिद्धि विनिश्चय और अकलंक स्वयंभू और उनका पउमचरिउ स्वयंभू का कृष्णकाव्य और सूरकाव्य के अध्ययन की समस्याएँ स्वयंभू की गणधर परम्परा
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लेख श्रद्धा का क्षेत्र श्रमण संस्कृति की मूल संवेदना श्री तारण स्वामी श्रीपालचरित की कथा सिरिपालचरिउ : एक मूल्यांकन सिरिपालचरिउ : संदर्भ और शिल्प हम सौ वर्ष जी सकते हैं ? हेमचन्द्र और भारतीय काव्यालोचना अध्यात्मवाद : एक अध्ययन अपभ्रंश जैन साहित्य
ई० सन् १९५२ १९७२ १९५० १९७१ १९७१
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अक्षय तृतीया : एक चिन्तन आचार्य सिद्धसेन दिवाकर की साहित्य साधना उत्तराध्ययन : नामकरण व कर्तृत्व कर्मयोगी कृष्ण के आगामी भव ज्योतिर्धर महावीर जैन कृष्ण साहित्य
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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जैन, बौद्ध और वैदिक साहित्य-एक तुलनात्मक अध्ययन जैन संस्कृति और राजनीति जैन संस्कृति का विस्तार दर्शन और धर्म पुनर्जन्म सिद्धान्त की व्यापकता प्रमाणवाद : एक पर्यवेक्षण
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प्राकृत जैन कथा साहित्य
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भगवान् अरिष्टनेमि और कर्मयोगी कृष्ण भगवान् अरिष्टनेमि की ऐतिहासिकता भगवान् महावीर के युग का जैन सम्राट महाराजा चेटक भारतीय चिन्तन में मोक्ष और मोक्षमार्ग
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
भारतीय संस्कृति की अन्तरात्मा भारतीय संस्कृति में दान का महत्त्व
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३
भारतीय साहित्य और आयुर्वेद महावीर और उनके सिद्धान्त युगपुरुष आचार्य सम्राट आनन्द ऋषि जी म० संस्कृति का स्वरूप पं० सुखलाल जी - एक संस्मरण सेवा : एक विश्लेषण स्याद्वाद एक परिशीलन
ई० सन् १९८७ १९६९ १९६९ १९६७ १९७३ १९९२ १९६४ १९८२ १९६६ १९६९ १९६९ १९६९ १९६९ १९७०
२३३ पृष्ठ ६-८ ८-१६ १०-२० २०-२३ ३-८ १०३-१०५ ३३-३४ २८-३२ २६-४२ १५-२० ८-१५ १३-२१ ८-१७ ३-१२
श्रमण संस्कृति का सार श्रमण संस्कृति की प्राचीनता धनंजय मिश्र आचार्य हरिभद्र का योगदर्शन
७-९
१९९०
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लेख
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धनदेव कुमार 'सुमन' ऐसा क्यों? जैन शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा धनपति डंकलिया प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल संघवी धनीराम अवस्थी संस्कृत काव्यशास्त्र के विकास में प्राकृत की भूमिका धन्यकुमार राजेश क्या रामकथा का वर्तमान रुप कल्पित है
१९५६
३७-३९
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१९६९ १९७०
जैन
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आचारशास्त्र की गतिशीलता का समाजशास्त्रीय अध्ययन जैन और वैदिक साहित्य में पराविद्या जैन परम्परा में ध्यान योग जैन पुराणों में पुनर्जन्म की कथायें
१९७० १९७० १९७३ १९७१
१०-१९ १८-२७ ३-१२ ५-१५ ९-१६ २३-३१ १०-१५ ५-१७ ३-१३ १४-२१
१९७१
जैन पौराणिक साहित्य में युद्ध पौराणिक साहित्य में राजनीति महावीर निर्वाण सम्वत् में शताब्दियों की भूल
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१९७० १९७१
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
२३५ पृष्ठ ३-९
मोक्ष मीमांसा में जैन दर्शन का योगदान श्रमण और वैदिक साहित्य में स्वर्ग और नरक श्रीकृष्ण : एक समीक्षात्मक अध्ययन
ई० सन् १९६९ १९७२ १९६९ १९६९ १९७०
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हरिवंशपुराणकालीन समाज और संस्कृति ग भिक्षु धर्मरक्षित
बौद्ध धर्म का छठां संगायन धर्मचन्द्र जैन जैन एवं बौद्ध दर्शन में प्रमाण-विवेचन जैन स्रोतों में नवधा भक्ति धर्मचन्द 'मुखर' भगवान् महावीर-जीवन और सिद्धांत दादा धर्माधिकारी जीवन का सही दृष्टिकोण सर्वोदय: गाँधी का मार्ग धर्मेन्द्रकुमार कांकरिया भावनाओं का जीवन पर प्रभाव
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लेख धीरजलाल टोकरशी शाह ईर्यापथ-प्रतिक्रमण धीरेन्द्र वर्मा
खोज सम्बन्धी कुछ अनुभव और समस्यायें ग धूपनाथ प्रसाद त्रिरत्न, सर्वोदय और सम्पूर्ण क्रान्ति कालचक्र नगराज जी अनेकान्त दर्शन
भगवान् महावीर की तलस्पर्शिनी अहिंसा-दृष्टि है भगवान् महावीर के आदर्श और यथार्थ की पृष्ठ भूमि
महावीर और बुद्ध : कैवल्य और बोधि विद्यावारिधि एवं प्रज्ञापुत्र संवत्सरी महापर्व : स्वरूप और अपेक्षाएँ नगेन्द्र राष्ट्रीय एकता और साहित्य
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लेख
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२६-३३ २०-२३ २१-२३ २८-३० १५-१९ २९-३१
मुनिश्री नथमल जी कृतिकर्म के बारह प्रकार जैन धर्म में सामाजिक प्रवृत्ति की प्रेरणा जैन शासन तेजस्वी कैसे बने ? ध्यान योगी महावीर शब्दों की शवपूजा न हो संघटन या विघटन नंदलाल जैन अललित जैन साहित्य का अनुवाद : कुछ समस्याएँ कर्म और कर्म बन्ध श्रोतेन्द्रिय की प्राप्यकारिता : एक समीक्षा नंदलाल मारू अद्धमागहाए भाषाए भासंति अरिहा अहिंसा : एक : विश्लेषण अहिंसा का जैन दृष्टि से विश्लेषण क्या लोकाशाह विद्वान् नहीं थे ? क्या स्त्रियाँ तीर्थंकर के सामने बैठती नहीं ? नई पीढ़ी और धर्म
१०-१२
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श्रमण : अतीत के झरोखे लेख पच्चीसवीं निर्वाण-शताब्दी के आयोजनों में आगम-वाचना भी हो भगवान् महावीर की २५वीं निर्वाणशती कैसे मनायें ? समवायांगसूत्र में विसंगति मुनिश्री नन्दीषेण विजय जैनधर्म का दृष्टिकोण नृपराज शादीलाल जैन भारत जैन महामण्डल के ४५वें अधिवेशन पर अध्यक्षीय भाषण नरेन्द्रकुमार जैन जैन तथा अन्य भारतीय दर्शनों में सर्वज्ञता विचार
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१९-२१
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भगवान् महावीर की अहिंसा विश्वशांति का आचार गाँधीवाद समन्तभद्र द्वारा क्षणिकवाद की समीक्षा
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१९७९ १९७९ १९६४ १९५४ १९७८ १९७८
३-१३ ३-१० २४-२६ ३७-४० ११-२२ १७-२५
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नरेन्द्र गुप्त गांधी जी की दृष्टि में अहिंसा का अर्थ नरेशचंद्र जैन भगवान् महावीर और वर्तमान युग
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लेख
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वर्धमान : चिन्तन खण्ड नरेन्द्र बहादुर परम तत्त्व : आचार्य विनोबा भावे की दृष्टि में नरेन्द्र भानावत पर्युषण : आत्म संक्रान्ति का अद्वितीय अध्याय भावात्मक एकता, प्रकृति और जीवन का सत्य नवरत्न कपूर नौ का अंक प्राच्यभारती का अधिवेशन भीगी अंखियाँ सन् १९६१ मुनिश्री न्याय विजयजी समस्त जैन संघ को नम्र विज्ञप्ति नामवर सिंह संस्कृति क्या है? नारायण हेमनदास सम्तानी २६वाँ प्राच्यविद्या विश्व-सम्मेलन
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१९६१ १९६३ १९६० १९६१
९-१६ २६-३० २७-३० ६-७
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अंक
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लेख निकिता खुश्चेव युद्ध और उसके साधनों को खत्म करो निजामुद्दीन जैनधर्म-एक सम्प्रदायातीत धर्म जैनधर्म की प्रासंगिकता भगवान् महावीर और विश्व शांति पंन्यास नित्यानन्द विजय विश्व चेतना के मनस्वी सन्त विजयवल्लभ मुनिश्री निर्मल कुमार आहार शुद्धि के लिए क्या करें ? निर्मल कुमार जैन संघर्ष करना होगा निर्मला प्रीतिप्रेम ईसाइयों का महापर्व - क्रिसमस वर्मा में होली का त्यौहार नेमिचंद्र जैन पर्युषण : संभावनाओं की खोज
१९६०
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१९५५ १९५५
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लेख
नेमिचंद्र जैन
समयसार सप्तदशांगी टीका : एक साहित्यिक मूल्यांकन
सिद्धक्षेत्र बावनगजा जी
नेमिचंद्र शास्त्री
व्रत का मूल्य मुनि नेमिचंद्र
जैन सिद्धान्तों का समाजव्यापी प्रयोग
धर्म : मेरी दृष्टि में
धार्मिक एकता धर्ममय
पर्युषण और सामाजिक शुद्धि
समाज रचना की आधारशिला : क्षमापना
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भगवान् महावीर और धर्मक्रांति
भगवान् महावीर और समता का आचरण
भगवान् महावीर सामाजिक और आर्थिक क्रांति के जनक
लोक शिक्षण के गुण व योग्यताएँ विकास के नये पहाड़े सीखिए शुद्धि प्रयोग की झांकी
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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के साधु संस्था और लोकशिक्षण
श्रमणों का युगधर्म हर क्षेत्र में अनेकान्तवाद का प्रयोग हो क्षमापना नेमिशरण मित्तल ग्रामदान से ग्राम-स्वराज्य मानवसाध्य है या साधन श्राप क्या ? वरदान क्या ? प्रकाशचन्द जैन आदीश जिन प्रकाश मुनि जी जीवन विकास की प्रेरणा : सहयोग संयममूर्ति गुरुदेव प्रकाश मेहता सिर्फ फैशन की खातिर
२०-२४ ९-११ १३-१४
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लेख प्रतिभा जैन अनेकांतवाद समकालीन जैन समाज में नारी हिन्दू तथा जैन राजनैतिक आदर्शों का समीक्षात्मक अध्ययन प्रतिभा त्रिपाठी ऋग्वेद में अहिंसा के सन्दर्भ प्रीतेशचन्द्र जैन क्या आप स्वीकार करेंगे प्रद्युम्नकुमार जैन क्या जैनधर्म रहस्यवादी है ? प्रभाकर गुप्त धर्म निरपेक्ष या ईश्वर निरपेक्ष प्रभुदास बालूभाई पटवारी बाल संन्यास दीक्षा प्रतिबन्धक बिल उचित है प्रमिला पाण्डेय जैनदर्शन में कर्मवाद की अवधारणा जैन धर्म में भक्ति का स्थान
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प्रमोद कुमार जैन कर्म-सिद्धान्त जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप साध्वी (डॉ०) प्रमोद कुमारी ऋषिभाषित का सामाजिक दर्शन प्रमोदमोहन पाण्डेय आगमों में राजा एवं राजनीति पर स्त्रियों का प्रभाव प्राचीन भारत में अपराध और दंड प्रवासी धर्म करते पाप तो होता ही है
वे आपको कितना चाहते हैं ? ३ प्रवीण ऋषि जी
शान्ति की खोज में प्रवेश भारद्वाज प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक वैभव है साध्वी प्रियदर्शना जी
जैन साधना पद्धति में ध्यान योग
१९५२
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लेख
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प्रिंस क्रोपाटकिन जिन्दगी किसे कहते हैं ? प्रेमकुमार अग्रवाल जैन एवं न्याय दर्शन में कर्म सिद्धान्त जैन दर्शन में अहिंसा जैन दर्शन में योग का प्रत्यय जैन धर्म में उपासना जैन धर्म में शक्तिपूजा का स्वरूप जैन मूर्तियों का क्रमिक विकास जैनेतर दर्शनों में अहिंसा श्रमण संस्कृति में मोक्ष की अवधारणा प्रेमकुमारी दिवाकर नारी जागरण विवाह और कन्या का अधिकार प्रेमचंद जैन अपभ्रंश कथाकाव्यों का हिन्दी प्रेमाख्यानों के शिल्प पर प्रभाव जैन रासरासक - परिभाषा, विकास और काव्यरूप
१९७१ १९७१ १९७२ १९७१ १९७२
१२-१९ १३-२२ ८-१२ १२-१७ ९-१२ १८-२१ २०-२८ ३-९
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लेख
प्रेमचन्द्र जी महाराज चरणारविन्द में
पुराण बनाम कथा साहित्य : एक प्रश्न चिन्ह
भारतीय प्रतीक परम्परा में जैन साहित्य का योगदान
मुनिराम सिंह कृत 'पाहुडदोहा' एक अध्ययन
मूलाचार
रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव
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समाज में महिलाओं की उपेक्षा एक विचारणीय विषय
प्रेमचन्द रांवका
कालिदास के काव्यों में अहिंसा और जैनत्व
हिन्दी काव्यों में महावीर
प्रेमजी
संसार की चार उपमाएँ
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लेख
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ई० सन् १९५८
प्रेमलता गुप्त घृणा, प्रेम और स्वास्थ्य प्रेमलता जैन पुष्पदन्त का कृष्ण काव्य : एक अनुशीलन
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१९७६ १९७६ १९७६
३-९ ३-९ ५-१२
पुष्पदन्त की रामकथा की विशेषताएँ प्रेमसुमन जैन आचार्य हरिभद्रसूरि : प्राकृत के एक सशक्त रचनाकार कुवलयमालाकहा का कथा-स्थापत्य-संयोजन कुवलयमालाकहा में उल्लिखित कडंग, चन्द्र और तारद्वीप जैन भौगोलिक स्थानों की पहचान जैन संस्कृति और परिवार व्यवस्था पश्चिम भारत का जैन संस्कृत साहित्य को योगदान महाकवि स्वयंभू और तुलसीदास पृथ्वीराज जैन आचार्य कालक और 'हंसमयूर' तलाक नारी और त्याग मार्ग
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लेख नैतिक उत्थान और शिक्षण संस्थायें भगवान् महावीर की धर्म-क्रांति भगवान् महावीर और जातिभेद मानव जीवन का आधार युगपुरुष भगवान् महावीर श्रमण संस्कृति और नया संविधान श्री आत्मारामजी और हिन्दी भाषा साम्प्रदायिक कदाग्रह साम्यवाद और श्रमण विचारधारा हजरत मुहम्मद और इस्लाम प्यारेलाल श्रीमाल ख्याल का भविष्य जैनगीतों की परम्परा जैनधर्म और युवावर्ग जैन पदों में रागों का प्रयोग जैन वांगमय का संगीत पक्ष समाज का कोढ़-जिम्मनवार
ई० सन् १९५२ १९५७ १९५० १९५० १९५१ १९५० १९५४ १९४९ १९४९ १९५०
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अंक
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११-१२
१९६३ १९६२
३०-३२ २५-२७
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३६-३८
लेख मुनिश्री पद्मचन्द्र जी शास्त्री कृपालु गुरुदेव जीवन की सच्ची क्रान्ति पद्मनाभ जैनी स्वामी समन्तभद्र जी पन्नालाल धर्मालंकार जैन समाज और वैशाली परमेष्ठीदास जैन आचारांग का दार्शनिक पक्ष आचारांग में समाज और संस्कृति पारसमल 'प्रसन आत्म निरीक्षण आधुनिक विज्ञान, ध्यान एवं सामायिक क्षमा शांति के ये सुशीतल स्रोत । पीटर फ्रीमैन कौन भूखे मरेंगे पी० एल० वैद्य असाम्प्रदायिक जैन साहित्य
१९८७ १९८७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख पी० एस० कुमारस्वामी राजा जैनधर्म की देन पुखराज भण्डारी डॉ० ईश्वरदयाल कृत "जैन निर्वाण : परम्परा और परिवृत्त' लेख में आत्मा की माप-जोख शीर्षक के अन्तर्गत उठाये गये प्रश्नों के उत्तर मुनिश्री पुण्यविजय जी उत्सर्ग और अपवाद जैन ज्ञान भण्डारों पर एक दृष्टिपात जैसलमेर भण्डार का उद्धार निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी संघ पूनमचन्द मुणोत जैन भगवान् महावीर का आदर्श जीवन पुष्पमित्र जैन जैन संस्कृति के प्रतीक-मौर्यकालीन अभिलेख
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पुष्पा
अपरिग्रह ही क्यों? मानव
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख फूलचन्द जैन 'प्रेमी' आचारांग के शस्त्र परिज्ञा अध्ययन में प्रतिपादित षट् जीवनिकाय सम्बन्धी अहिंसा । कुरल काव्य मूलाचार में मुनि की आहार-चर्या फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री क्या धन-सम्पत्ति आदि कर्म के फल हैं जैनधर्म और वर्ण व्यवस्था
१९८८ १९७१ १९७५
८-१५ २४-२९ ३-१३
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१९५१ १९५१ १९५१ १९६२ १९५३ १९५०
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जैनधर्म में एकान्त नियतिवाद और सम्यक् नियति का भेद जैन पुराण साहित्य संस्कृति का अर्थ फूलचंदजी 'श्रमण' धर्म पुरुष और कर्म पुरुष पर्युषण पर्व की आराधना भद्रबाहु का कालमान शास्त्रीय पैमाने श्रमण भगवान् महावीर की शिष्य संपदा
१९५५ १९५५
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
अंक
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३१-३४ १८-२२
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बद्रीप्रसाद स्वामी नया विहान-नया समाज बरट्रेन्ड रसल अतीत धर्म और साधु संस्था बृजकिशोर पाण्डेय आधुनिक सन्दर्भ में जैन दर्शन बृजनन्दन मिश्र तपोधन महावीर पंचयाम धर्म : एक पर्यवेक्षण ब्रजनारायण शर्मा प्राणातिपात विरमण : अहिंसा की उपादेयता बृजेश कुमारी घरों में बच्चे बलवन्तसिंह मेहता परम्परागत पावा ही भगवान् महावीर की निर्वाण भूमि बंशीधर पर्युषण पर्व का मतलब
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख
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ई० सन् १९८९ १९६२ १९६०
१९-२० १७-२०
महावीर जयन्ती का अर्थ सभ्यता का संघर्ष बशिष्ठनारायण सिन्हा अन्तरालगति अहिंसा : एक विश्लेषण
आचार्य कुन्दकुन्द और उनका साहित्य जीवन धर्म जैनधर्म की प्राचीनता -क्रमशः
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१९७७ १९६६ १९६७ १९६८ १९६० १९६९ १९६९ १९६९ १९६९ १९६८ १९८२ १९८१ १९६० १९६६
८-१३ ७३-७७ १०-१५ १५-२१ २३-२६ २२-२९ २७-३२ १९-२७ २३-२७ १८-२२ १-२४ १-३४ २१-२४ ३२-३६
जैन धर्मानुसार जीव,प्राण और हिंसा जैन दर्शन में प्रत्यक्ष का स्वरूप (विशेष शोध निबन्ध) जैन दर्शन में प्रमाण (विशेष शोधनिबन्ध) जैन व्याख्या और विचार जैन समाज व्यवस्था
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२५४
श्रमण : अतीत के झरोखे में
पृष्ठ
९-१२
लेख भगवान् महावीर का ईश्वरवाद भगवान् महावीर का समन्वयवाद भारतीय दर्शनों में आत्मा महाभारत का आचार दर्शन मल्लिषेण और उनकी स्याद्वादमुञ्जरी विवाह-भारतीयेतर परम्परायें -क्रमश:
ई० सन् १९७५ १९५९ १९५९ १९६२ १९७५ १९६५ १९६५ १९५९
४६-५० १९-२६ २७-३६
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२४-३२ १९-२८ ३२-३४
१९५८
९-२१
सर्वोदय और हृदयपरिवर्तन बसन्तकुमार चट्टोपाध्याय श्रमण संस्कृति के मौलिक उपादान मुनि बसन्तविजय भगवान् महावीर की देन बालचन्द सिद्धान्तशास्त्री सावयपण्णति : एक तुलनात्मक अध्ययन -क्रमश:
१०
१९६४
३७-४०
५-१२
१९६९ १९६९ १९७० १९७०
५-११
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२२-२८ २४-२९
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
अंक
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ई० सन् १९७० १९६५
२५५ पृष्ठ २०-२७ ३-७
:
१९८२
७-८
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१९८१
८-१०
१९७४
१४-१८
श्रावकप्रज्ञप्ति के रचयिता कौन ? बीना निर्मल धर्म और युवा पीढ़ी बी०सी० जैन तीर्थंकर बुद्धमल्ल जी मुनि पुद्गल : एक विवेचन बूलचन्द जैन विश्व अहिंसा संघ और प्रवृत्तियां बेचरदास दोशी अंग ग्रंथों का बाह्य रूप अनन्य साथी का वियोग अब कहाँ तक अस्पृश्यता और जैन धर्म आगमों के सम्पादन में कुछ विचार योग्य प्रश्न आचारांग में उल्लेखित ‘परमत'
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१९६४ १९८१ १९५५ १९५५ १९५३
१५-२२ ५४ ८-१४ ३४-३८ २५-२९ २१-२४
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७
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२५६
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख आध्यात्मिक खोज आर्षप्राकृत का व्याकरण
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ई० सन् १९६० १९६६ १९६६ १९६७ १९६७ १९६१ १९६० १९६० १९५९ १९५७
क्रांतिकारी महावीर जीव और जगत् जीवन दृष्टि जैन त्यागी वर्ग के सामने एक विकट समस्या जैन धर्म विषयक भ्रातियां जैन संस्कृति और मिथ्यात्व डॉ० नेमिचन्द्र जी शास्त्री और 'अरिहा' शब्द तप क्या है ? नालन्दा या नागलन्दा
Arrai - AAMA 92
पृष्ठ १३-१५ १९-३६ १२-१४ २९-३१ ३-६ ४१-४४ १३-१५ १८-२० ४०-४५ १९-२७ ४० ३२-३६ १४-१९ ११-१३ ७-८ ६-१६ ५-८
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१९५४
१९६९ १९६७ १९७४ १९६७ १९६८ १९६८
पुलिस
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भारतीय वाङ्गमय में प्राकृत भाषा का महत्त्व महाराष्ट्री प्राकृत
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख रूढ़िच्छेदक महावीर रोटी शब्द की चर्चा वनस्पति विज्ञान विश्व विज्ञान वैदिक परम्परा का प्रभाव स्थानांग और समवायांग
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ई० सन् १९५२ १९६७ १९६१ १९६० १९६१ १९६४ १९६४ १९७२ १९७४ १९६३
२५७ पृष्ठ ३२-३७ १५-१९ १०-११ १६-१९ ९-१४ २-६ २-८
श्रमण भगवान् महावीर
३-९
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११-१२
१०-१७ ६५-६६
३१-३२
मदनलाल जी महाराज बैजनाथ शर्मा मानव और शांति भगतराम जैन हरिजन मंदिर प्रवेश भग्न हृदय दान की आत्मकथा भगवानदास केसरी भगवान् महावीर की जन्मभूमि
१९५४ १९५६
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२५८
लेख
भगवानदीन जी अपने को पहचानिये
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जवाहर और विनोबा : दो धाराएँ
पंडित कौन ?
ममता
समाजोन्नति सोपान के ग्यारह डंडे (क्रमश:)
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भगवानलाल मांकड़
जीवन रहस्य
भरतसिंह उपाध्याय निगण्ठनातपुत्त
मानवता के दो अखंड प्रहरी
भ्रमर कुमार पक्ष से ऊपर उठकर सोचें महामानव महावीर
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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वर्ष
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ई० सन्
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:
१९६०३३-३५
:
३५-३७
१९५९ १९५५ १९५८
:
९-१२
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख भ्रमर जी सोनी उपजीवी समाज भंवरमल सिंघी जैन एकता मैं मुक्ति चाहता हूँ सार्वजनिक जीवन की शव परीक्षा भंवरलाल नाहटा आनन्दघन जी खरतरगच्छ में दीक्षित थे ओसवाल और पार्थापत्य सम्बन्धों पर टिप्पणी कल्पप्रदीप में उल्लिखित 'खेड़ा' गुजरात का नहीं राजस्थान का है कवि छल्ल कृत अरडकमल का चार भाषाओं में वर्णन । चण्डकौशिक उपसर्ग स्थान योगीपहाड़ी थुल्लवंश की एक अपूर्ण प्रशस्ति पश्चाताप पश्चाताप : एक विवेचन मंगल कलश कथा महोपाध्याय समयसुन्दररचित कथा-कोश राजस्थानी एवं हिन्दी जैन साहित्य
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१९८९ १९८९ १९८९ १९९२ १९७१ १९६६ १९८८ १९८८
२-१२ ८-१३ २५-२८ ५३-५८ ५-८ २१-१५ २३-२४ २२-२४ २६-३४ २४-२७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
ई० सन् १९७८ १९९१
पृष्ठ । २३-३० २५-३४
७-१२
१९५७
८-११
लेख संप्रतिकालीन आहाड़ के मंदिर का जीर्णोद्वार-स्तवन सूडा सहेली की प्रेमकथा भाई लाल जैन अलबर्ट स्वीट्जर भागचन्द जैन जीवन संग्राम बौद्ध एवं जैन अहिंसा का तुलनात्मक अध्ययन भगवान् महावीर के समसामयिक आचार्य महाकवि हस्तिमल्ल विदेशों में जैन साहित्य : अध्ययन और अनुसंधान श्रमण संस्कृति में अहिंसा के प्राचीन संदर्भ
२६-२७
१९५८ १९८१ १९६३ १९६३ १९८२ १९७० १९७० १९७५
९-१६ ४७-४९ १६-२८ ३-९ १०-१७ ३-१३
श्रमण-साहित्य में वर्णित विविध सम्प्रदाय भारती कुमारी प्रद्युम्नचरित में प्रयुक्त छन्द- एक अध्ययन भिखारीराम यादव जैन तर्क शास्त्र के सप्तभंगी नय की आगमिक व्याख्या जैन दर्शन में अनेकान्तवाद का स्वरूप
७-९
१९९७
६८-८०
१-२६
१९८८ १९८१
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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ई० सन् १९८२
पृष्ठ । ३३-३८
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१९७९
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३०-३४
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१९७८
लेख स्याद्वादः एक भाषायी पद्धति ज्ञान-प्रमाण्य और जैन दर्शन भुजबलि शास्त्री भारत का सर्व प्राचीन संवत् भूपराज जैन महावीर और क्षमा भूपसिंह राजपूत ज्योतिशास्त्र और सन्मति वर्धमान महावीर भूरचन्द जैन
उपरीयाली का विख्यात् जैनतीर्थ • ऐतिहासिक जैन तीर्थ नांदिया
कुम्भारिया जैनतीर्थ चित्तौड़ का जैन कीर्तिस्तम्भ जैन तीर्थ राता महावीर जी
जैनतीर्थ शंखेश्वर पार्श्वनाथ : जैन रक्षापर्व: वात्सल्य पूर्णिमा
धार्मिक एवं पर्यटन स्थल : गिरनार पालनपुर का प्राचीन प्रहलविया जैन मन्दिर
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१९८१ १९७७ १९७७ १९७७ १९७६ १९७८ १९७८ १९७९ १९७८
२६-२८ २७-२९ २५-२८ ३४-३५ २६-२८ २५-२९ १९-२२ २६-२९ २४-२७
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२६२
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
प्राचीन ऐतिहासिक नगरी : जूना (बाड़मेर) प्राचीन जैन तीर्थ ओसियाँ प्राचीन जैन तीर्थ : करेड़ा पार्श्वनाथ
प्राचीन जैनतीर्थ श्री गांगाणी पुरातत्त्वविद् स्व० श्री अगरचन्द जी नाहटा बैंगलोर का आदिनाथ जैन मन्दिर भगवान् श्री अजितनाथ भगवान् महावीर की साधना एवं देशना भांडवा जैन तीर्थ मरुधरा का ऐतिहासिक जैनतीर्थ : नाकोड़ा मालपुरा की विख्यात जैन दादावाड़ी मेड़ता-फलौदी पार्श्वनाथ तीर्थ मांडाली का गुरुमन्दिर राणकपुर के जैन मन्दिर लोद्रवा का कलात्मक कल्पवृक्ष लोद्रवा-जैसलमेर तीर्थ पर श्री घण्टाकर्ण महावीर मन्दिर वर्धमान जैन आगम-मन्दिर
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ई० सन् १९७४ १९७७ १९७७ १९७९ १९७७ १९८७ १९८३ १९८२ १९७८ १९७७ १९७५ १९७८ १९७५ १९७८ १९७६ १९८२ १९८१ १९७६
पृष्ठ १७-२१ ३०-३२ २६-२९ ३०-३४ २१-२३ २०-२३ २२-२३ १७-२० २१-२७ २९-३२ १०-१५ २२-२३ २९-३३ ३२-३६ १३-१५ १०-१३ २०-२६ २१-२३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख विख्यात जैन तीर्थ : प्रभासपाटन शिल्पकला एवं प्राकृतिक वैभव का प्रतीक : जैसलमेर का अमरसागर सिरोही के प्राचीन जैन मन्दिर सौराष्ट्र का प्राचीन जैनतीर्थ तालध्वज गिरि हुबली का अचलगच्छ जैन देरासर हुबली का श्री शान्तिनाथ मंदिर मदनलाल जैन अहिंसा भगवान् महावीर मुनि मणिप्रभ सागर
प्रेम की सरिता प्रवाहित करने वाला पर्व है मधुकर मुनि
ई० सन् १९७६ १९७५ १९७५ १९७६ १९८५ १९८३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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मनोहरलाल दलाल पुराणों में ऋषभदेव भारत का प्राचीन जैन केन्द्र : कसरावद मनोहर प्रभाकर बोलने की कला सीखिए मन्नूलाल जैन जैन मुनि क्या कुछ कर सकता है ? मनोहर मुनि जी अन्तर्दृष्टा महावीर ऋषिभाषित का अन्तस्थल ऋषिभाषित का परीक्षण जमाली का मतभेद जीवन में अनेकान्त
जैन दर्शन का शब्द विज्ञान है पंच सूत्री कार्यक्रम
विज्ञान राजनीति के चंगुल में श्रमण संस्कृति की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि
१९६१
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१९६० १९६४ १९५८ १९५९ १९६१ १९६० १९६१ १९५७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख ममता गुप्ता जैन दर्शन और अरविन्द दर्शन में एकत्व और अनेकत्व सम्बन्धी विचार मशरूवाला आत्मा का बल
युवाचार्य महाप्रज्ञ गुग अंहिसा की समस्याएँ
जैन साहित्य में चैतन्य केन्द्रों का निरूपण प्रतिक्रिया है दु:ख मन की शक्ति बनाम सामायिक शुद्ध-अशुद्ध भावधारा शुद्धि चिकित्सा और सिद्धि का महान् पर्व संवत्सरी स्वभाव-परिवर्तन महावीर चंद धारीवाल सर्वोदय और जैनदृष्टिकोण महावीरप्रसाद गैरोला मनुष्य की परिभाषा महावीरप्रसाद 'प्रेमी' वैशाली और भगवान् महावीर का दिव्य संदेश
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१९८३ १९८७ १९८२ १९८२ १९८४ १९८४ १९८५
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१४-२३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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अंक
ई० सन् १९५५
पृष्ठ ५१-५३
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१४-१५
१९५५
३३-३७ ११-१३
लेख सन्मति महावीर और 'सर्वोदय' महेन्द्रकुमार जी चक्षुष्मान् पं० सुखलाल जी महेन्द्रकुमार जैन
विश्व कैलेण्डर हुए श्रमण : एक व्याख्या
महेन्द्रकुमार 'न्यायाचार्य' जैन अनुसंधान का दृष्टिकोण जैन इतिहास की एक झलक जैन मन्दिर और हरिजन
जैन संस्कृति ३ दीपावली की जैन परम्परा
महावीर के उपदेश मंगलमय महावीर शास्त्र की मर्यादा सफेद धोती संस्कृति का आधार व्यक्ति-स्वातंत्र्य हिन्दू-बनाम-जैन
१९५३ १९५६
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१५-१६ ३-८ २५-३० ३-१३ ९-११ २५-२७ २३-२४ २५-२९ २१-२४ ३३-३६ ३८-४०
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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पृष्ठ
१९८५ १९८२
११-१४ ५-११
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१९९२
४५-४८
लेख महेन्द्रकुमार फुसकुले एक महान् विरासत की सहमति में उठा हाथ धर्म परिवर्तन-श्रमण धर्मों की भूमिका और निदान महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज'
अष्टपाहुड़ की प्राचीन टीकाएँ ग महेन्द्रकुमार जैन 'मस्त'
जैनों में साध्वी प्रतिमा की प्रतिष्ठा-पूजा व वन्दन महेन्द्रकुमार शास्त्री तीर्थंकर और उनकी शिक्षायें भगवान् महावीर का निर्वाण मुनि महेन्द्रकुमार नागदत्त
१९९७
८२-८५
१९६४ १९६२
७-१० ९-१३
पाप का घट
१९८४ १९८५ १९८३ १९८२
२-७ ११-१३ १४-१६ १२-१७
भाग्यवान अन्धा पुरुष
आनन्द है मुनिश्री महेन्द्रकुमार 'प्रथम'
श्रावक गंगदत्त दृढ़ प्रतिज्ञ केशव
१९८५ १९८५
१४-१५ १५-२१
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लेख सुबुद्धि और दुर्बुद्धि
पावा कहाँ ? गंगा के उत्तर या दक्षिण में अपना और पराया क्षमा की शक्ति बन्दर का रोना
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समताशील भगवान् महावीर
ब्रह्मदत्त नन्दीसेन
अभी तो सबेरा ही है ?
महेन्द्रकुमार जी 'द्वितीय'
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डॉ० जैकोबी और वासी चन्दन कल्प-क्रमशः
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वास्तविकतावाद और जैन दर्शन महेशदान सिंह चौहान दिवाभोजन ही क्यों ?
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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१९८९ १९८६ १९८८
३५-३८ १-९ २८-२९
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लेख महेन्द्रनाथ सिंह उत्तराध्ययन में मोक्ष की अवधारणा धम्मपद और उत्तराध्ययन का एक तुलनात्मक अध्ययन धम्मपद और उत्तराध्ययनसूत्र का निरोधवादी दृष्टिकोण महेशशरण सक्सेना महात्मा कन्फ्यूशियस महेन्द्र राजा अध्ययन : एक सुझाव अपने व्यक्तित्व की परख कीजिये आधुनिक पुस्तकालय आधुनिक पुस्तकालयों में पुस्तकसूची
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१९५६ १९५४ १९५५ १९५५ १९५६ १९५६ १९५३ १९५५ १९६२ १९५७ १९५७
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जैन लोककथा साहित्य : एक अध्ययन पुस्तक की व्यवस्था भगवान् महावीर मारिआ मॉन्तेसरि बालक की व्यवस्था प्रियता
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक ७-८
ई० सन् १९५७ १९५२
पृष्ठ ३१-३४ २२-२४
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१६-१८ ३२-३४ १८-१९
लेख वहाबी विद्रोह संसार का इतिहास-तीन शब्दों में महेन्द्रसागर प्रचंडिया प्राणी मात्र के विकास का आधार जैन धर्म
मनुष्य प्रकृति से शाकाहारी ' दर्शन और ज्ञान जब चारित्र में आया
माँ (अरविन्दाश्रम) विचार शक्ति पैसों का मूल्य त्याग का मनोविज्ञान माईदयाल जैन आत्म शुद्धि और साधना का पर्व जैन साधु और हरिजन जैन साधुओं का संस्थारूपी परिग्रह नई राहें प्रकाश पुंज महावीर पंजाबी में जैन साहित्य की आवश्यकता मूक साहित्य-सेवी श्री पन्नालाल जी
१९६१ १९६० १९६५
१२-१४ १०-११ २९-३३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख राष्ट्र निर्माण और जैन समाज सेवी स्व० नन्हेमल जी जैन मांगीलाल भूतोड़िया ओसवाल और पार्थापत्य सम्बन्ध महाकवि माघ ओसवाल थे ? । मानक चन्द सुख की मूर्ति : दुःख की परछाई मानकचंद पींचा "भारती" । आज का युवक धर्म से विमुख क्यों ? मायारानी आर्य
आष्टा की परमारकालीन अप्रकाशित जैन प्रतिमाएँ है मारुतिनंदन तिवारी
उत्तर भारतीय शिल्प में महावीर उड़ीसा में जैन कला एवं प्रतिमा-विज्ञान की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि जालौर में महावीर मन्दिर की शिल्प सामग्री का मूर्ति वैज्ञानिक अध्ययन जैन यक्ष गोमुख का प्रतिमा निरूपण जैन साहित्य और शिल्प में रामकथा जैन साहित्य और शिल्प में वाग्देवी सरस्वती
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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ई० सन् १९७० १९७६ १९८२
पृष्ठ १२-१७ २१-२५ १०-२०
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लेख दक्षिण भारतीय शिल्प में महावीर मूर्त अंकनों में तीर्थंकर महावीर के जीवन-दृश्य शिल्प में गोम्मटेश्वर बाहुबलि मिश्रीलाल जैन उत्तराध्ययनसूत्र समणसुत्तं समयसार मीना भारती अपभ्रंश का विकास कार्य तथा जैन साहित्यकारों की देन
मीनाक्षी शर्मा • आचार्य सोमदेव का व्यक्तित्व तथा कर्तृत्व
मुन्नी जैन अणगार वन्दना बत्तीसी पंचेन्द्रिय संवाद : एक आध्यात्मिक रूपक काव्य मृगावती श्रीजी एवं साध्वी श्री सुब्रता श्री जी सदा जाग्रत नरवीर मृगेन्द्रमुनिजी 'वैनतेय" अपरिग्रहवाद का यह उपहास क्यों ?
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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१६-१७
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लेख __ मोहिनी शर्मा
बंधन से अलंकार भारतीय त्यौहार मोतीलाल सुराना रिश्ता भावना का मोहनलाल दलाल दर्शाण में जैनधर्म मोहनलाल मेहता अकलंकदेव की दार्शनिक कृतियाँ अन्तरायकर्म का कार्य आकाश आगम साहित्य में कर्मवाद आगमिक प्रकरण आगमिक व्याख्याएँ उच्चगोत्र और नीचगोत्र उपासक प्रतिमायें कर्म का स्वरूप कर्म की मर्यादा
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१९७७ १९७२ १९६९ १९७१ १९७७ १९७९ १९७१ १९६५ १९७१ १९७१
३१-३४ ३-५ ५-७ ४-१२ ३-१३ ३-१७ ३-४ ८९-९२ ३-११ ३-५
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७४
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख कर्मप्राभृत अथवा षटखण्डागम : एक परिचय
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ई० सन् १९६४ १९६४ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९७१ १९६५
कर्मवाद व अन्यवाद
१९६५
पृष्ठ २०-२७ २९-३२ २३-२८ ३२-३७ १९-२२ २३-२९ ११-२० १६-२१ २२-२६ १५-२२ ७-९ १५-१६ १२-१९ ३-६ २२-२७ १०-१४ ९-१२ ३-९
कषायप्राभृत की व्याख्यायें काल क्या महावीर सामाजिक पुरुष थे ? क्या व्याख्याप्रज्ञप्ति का १५वां शतक प्रक्षिप्त है ? गणधरवाद गुणव्रत चूर्णियां और चूर्णिकार जैन आगमों में नियुक्तियाँ जैनकला एवं स्थापत्य
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१९६७ १९६९ १९६० १९७० १९५८ १९६६ १९५५
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लेख जैनागम पदानुक्रम
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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२७६
लेख
जैनागमों में ज्ञानवाद जैन दृष्टि से चारित्र विकास
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जैनधर्म की प्राचीनता तथा इतिहास जैनधर्म दर्शन का स्रोत- साहित्य
जैन परम्परा जैन श्रावकाचार
>>
परमाणु पुण्य
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जैन सिद्धान्त दो प्रेमियों की यह दीक्षा
धर्म की उत्पत्ति और उसका अर्थ
धर्म और अधर्म निर्युक्तियाँ और निर्युक्तिकार
निह्नववाद
और पाप
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख पुद्गल
भारतीय विचार प्रवाह की दो धाराएँ भाष्य और भाष्यकार महावीर का तप : कर्म महावीर क्षत्रिय पुत्र थे या ब्राह्मणपुत्र ?
मृत्युञ्जय
माणिक्यनन्दीविरचित परीक्षामुख
रूपी और अरूपी
शतावधानी रत्नचन्द्र पुस्तकालय शास्त्रों की प्रामाणिकता शिवशर्मसूरिकृत कर्म प्रकृति श्रमण धर्म श्रमण संघ
संन्यास का आधार अन्तर्मुखी प्रवृत्ति समता और समन्वय की भावना
सम्यकत्त्व की कसौटी सर्वज्ञता : एक चिन्तन
स्वप्न : एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
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लेख
सौन्दर्य का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण हिंसा-अहिंसा का जैनदर्शन
हेमचन्द्राचार्य की साहित्य साधना मोहन रत्नेश
तर्क प्रधान संस्कृत वाङ्मय के आदि प्रेरक : सिद्धसेन दिवाकर महाकवि जिनहर्ष और उनकी कविता मुकुलराज मेहता
जैनधर्म : निर्जरा एवं तप मुनिलाल जैन
महातपस्वी श्री निहालचन्द जी बैलून में - मैक्स एडालोर एम० के ० भारिल्ल यह अगस्त का महीना मंगलदेव शास्त्री जैन दर्शन की देन
भगवान् महावीर : एक श्रद्धांजलि
भगवान् महावीर की महामानवता भारतीय संस्कृति
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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२७९ पृष्ठ ३-१६
१२-१५
१९८५ १९८४
नगला साड
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१०-१२
१९९२
लेख भारतीय संस्कृति का दृष्टिकोण मंगल प्रकाश मेहता . भगवान् महावीर : जीवन सम्बन्धी प्रमुख घटनाएँ
शान्तरस : जैन काव्यों का प्रमुख रस मंगला सांड पातंजल तथा जैन योग : स्वरूप एवं प्रकार मंजुला भट्टाचार्या जैन दार्शनिक साहित्य में ईश्वरवाद की समालोचना मंजुला मेहता जैनधर्म की प्राचीनता और विशेषता धर्म एक आधार : स्वस्थ समाज रचना क्या भगवान् महावीर के विचारों से विश्वशांति संभव है ? भगवान् महावीर का तत्त्वज्ञान महावीर सम्बन्धी साहित्य त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में गणधरवाद त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में महावीर चरित त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में रसोद्भावना
६७-६९
१९७३ १९६६ १९८१ १९७४ १९७४ १९७७ १९७६ १९७७
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
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१९८४
१५-२३
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२१-३२
लेख मंजूसिंह सूत्रकृतांग में प्रस्तुत तज्जीव तच्छरीरवाद यदुनाथप्रसाद दुबे बसन्तविलासकार बालचन्द्रसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व यमुनादेवी पाठक पारिवारिक जीवन सुखी कैसे हो ? यशपाल जैन गुणों के आगार यशोविजय उपाध्याय सच्चा जैन यू० ए० आसरानी जैन मिस्टीसिज्म
१९५०
२९-३३
१९८१
४१-४३
१९५५
२५-२६
१९७३ १९७३
२७-३८ ३२-४१
योगेश कुमार मुनि अध्यात्म आवास-पर्युषण अन्त: प्रज्ञा-शक्ति आचारांग में सोऽहम की अवधारणा का अर्थ
१९८४ १९८५ १९८४
७-१६ २-४ १-१०
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
ई० सन्
१९८४
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१९८४ १९८४
२८१ पृष्ठ २८-३६ २४-२६ ११-१४ २०-२२
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१९५०
३५-३७
लेख आत्म परिमाण (विस्तार क्षेत्र) जैन दर्शन के सन्दर्भ में नारी उत्क्रान्ति के मसीहा भगवान् महावीर मानव जाति के अभ्युदय का पर्व 'दीपावली' युवाचित धर्म से विमुख क्यों ? मुनिश्री रंगविजय जी सदाचार ही जीवन है रंजन सूरिदेव आचार्य दिवाकर का प्रमाण : एक अनुशीलन आचार्य वादिराजसूरि ईश्वर और आत्मा : जैन दृष्टि उत्तराध्ययन का अनेकान्तिक पक्ष कवि रत्नाकर और रत्नाकरशतक जनजागरण और जैन महिलायें । जिनसेन का पार्श्वभ्युदय : मेघदूत का मखौल जैन दृष्टि में चारित्र जैन दृष्टि में नारी की अवधारणा जैनधर्म और विहार जैनधर्म : एक निर्वचन
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लेख
जैनधर्म : वैदिक धर्म के संदर्भ में जैन वाङ्मय में आयुर्वेद जैन शिक्षा - उद्देश्य एवं पद्धतियाँ णायकुमारचरिउ की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
दीपावली : एक साधना पर्व
पारसनाथ
पार्श्वाभ्युदयकाव्य : विचार-वितर्क
प्रमेय : एक अनुचिन्तन प्राकृत और उसका विकास स्रोत
प्राकृत की बृहत्कथा “वसुदेवहिण्डी” में वर्णित कृष्ण
प्राकृत
प्राकृत
के प्रबन्ध काव्य : संस्कृत - प्रबन्ध काव्यों के सन्दर्भ में
के विकास में बिहार की देन
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प्राकृत 'पउमचरिय' : रामचरित
भगवान् महावीर जन्मकालीन परिस्थितियाँ
भारतीय साहित्य : की रमणीय काव्य रचना : गउडवहो
महावैयाकरण आचार्य हेमचन्द्र
महावीर और गाँधी का अहिंसा दर्शन - जनजीवन के संदर्भ में
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श्रमण : अतीत के झरोखे मे
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लेख महावीरकालीन वैशाली मुनि वारिषेण का सम्यक्तत्व योग का जनतन्त्रीकरण विपाकसूत्र की कथाएँ
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विपाकसूत्र की कहानियाँ वीर हनुमान : स्वयभू कवि की दृष्टि में विश्व का निर्माणतत्व : द्रव्य वीरसंघ और गणधर सन्देशरासक में उल्लिखित (वनस्पतियों के नाम) पर्यावरण के तत्त्व
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ई० सन् १९८१ १९६४ १९७८ १९५८ १९५८ १९५९ १९५८ १९७४ १९६७ १९५७ १९७६ १९९५ १९७५ १९६३ १९७३
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संस्कृत और प्राकृत का समानान्तर अध्ययन हिन्दी जैन कवियों का आत्म-स्वातंत्र्य त्रिरत्न : मोक्ष के सोपान रघुवीरशरण दिवाकर अपरिग्रहवाद -क्रमश:
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परिग्रह मीमांसा महावीर का संदेश यह धर्म प्राण देश है शीलव्रत ग्रहण आचार्य रजनीश धर्म और विज्ञान रज्जन कुमार /सुनीता कुमारी जैनधर्म में मानव
१९५१
*
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१८-२१
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रज्जन कुमार जैनधर्म में समाधिमरण की अवधारणा ज्ञानीजनों का मरण : भक्तप्रत्याख्यानमरण
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख मरण के विविध प्रकार वैदिक एवं श्रमण परम्परा में ध्यान समाधिमरण का स्वरूप समाधिमरण की अवधारणा : उत्तराध्ययनसूत्र के परिप्रेक्ष्य में सल्लेखना के विभिन्न पर्यायवाची शब्द रतनचन्द जैन जैन आचार में इन्द्रियदमन की मनोवैज्ञानिकता पंचकारण समवाय बन्ध के कार्य में मिथ्यात्व और कषाय की भूमिकाएँ रत्नचन्द जैन शास्त्री
क्रांतिकारी महावीर है रत्ना श्रीवास्तव
कर्म की नैतिकता का आधार-तत्त्वार्थ सूत्र के प्रसंग में स्याद्वाद एवं शून्यवाद की समन्वयात्मक दृष्टि रतनकुमार जैन कानों सुनी सो झूठ सब चमत्कार को नमस्कार
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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पृष्ठ २१-२५ २१-२८
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३६-३९ २०-२२ २०-२४
लेख जीवन का सत्य भिगमंगा-मन रतनसागर जैन हमारा आज का जीवन रतन पहाड़ी एक दु:खद अवसान ठोकर व्यक्ति और समाज रत्नलाल जैन कर्म की विचित्रता-मनोविज्ञान की भाषा में जैन कर्म सिद्धान्त और मनोविज्ञान जैन-बौद्ध दर्शनों में कर्म की विचित्रता भारतीय दर्शनों में अहिंसा संस्कार साहित्य में कर्मवाद रत्लेश कुसुमाकर एलाचार्य मुनिश्री विद्यानन्द जी का सामाजिक दर्शन रमाकान्त झा श्रीमद्भागवत में ऋषभदेव
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१९८९ १९९२. १९८९ १९८५ १९८७
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पृष्ठ
१९८७
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१९८३ १९८५
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१९५८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख रमेश कुमार जैन भगवान् पार्श्वनाथ का निर्वाण पर्व रमेशचन्द्र गुप्त जैन धर्म में अरिहन्त और तीर्थंकर की अवधारणा तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार की अवधारणा का तुलनात्मक अध्ययन सर्वोदय रमेशचन्द्र जैन आदिपुराण में राजनीति जैन दर्शन में पुद्गल द्रव्य जैनधर्म और बौद्धधर्म
जैन न्याय दर्शन : समन्वय का मार्ग है जैन राजनीति में दूतों और गुप्तचरों का स्वरूप
द्विसन्धान महाकाव्य में राज्य और राजा का स्वरूप प्राकृत भाषा और जैन आगम प्राकृत साहित्य में श्रीदेवी की लोकपरम्परा पद्मचरित और पउमचरिउ पं० जोधराज कासलीवाल और उनका सुखविलास पद्मचरित और हरिवंशपुराण
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२८८
श्रमण : अतीत के झरोखे में
पृष्ठ
लेख पद्मचरित : एक महाकाव्य पद्मचरित की भाषा और शैली पद्मचरित में वस्त्र और आभूषण पद्मचरित में शकुन विद्या पार्श्वभ्युदय में प्रकृति-चित्रण पार्श्वभ्युदय में शृंगाररस भट्टारक सकलकीर्ति और उनकी सद्भाषितावली भारतीय कथा साहित्य में पद्मचरित का स्थान राजस्थानी के विकास में अपभ्रंश का योगदान वर्ण विचार वराङ्गचरित में अठारह श्रेणियों के प्रधान : एक विश्लेषण वराङ्गचरित में राजनीति श्रावक में षट्कर्म सांख्य और जैन दर्शन रमेशमुनि शास्त्री आगम साहित्य में क्षेत्र प्रमाण प्रणाली आचार्य : स्वरूप और दर्शन आचेलक्य कल्प-एक चिन्तन
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
२८९
ई० सन्
१९७६
लेख कुन्दकुन्दाचार्य की साहित्यिक उद्भावनाएँ जैन आगम साहित्य में जनपद जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप
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१९७८ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७७ १९७८ १९७९
३०-३२ २०-२२ ९-१३ ९-१३ १६-२२ ७-९ १५-१८ २३-२९ १०-१२ २९-३५ २३-३५ ९-१२ ३-६ १०-१५
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जैन दर्शन में पुद्गल स्कन्ध जैन दृष्टि से ज्ञान-निरूपण जैन दार्शनिक साहित्य में अभाव प्रमाण-एक मीमांसा जैन साधना पद्धति में सम्यग्दर्शन
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निक्षेपवाद : एक परिदृष्टि प्रज्ञामूर्ति मन और संज्ञा लेश्या : एक विश्लेषण व्युत्सर्ग आवश्यक
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१९७७ १९७६ १९७७
२५-२८ १४-१७ १७-२०
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________________
२९०
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख शब्दों की अर्थ मीमांसा श्रमण-आचार : एक परिचय श्रमण परम्परा : एक विवेचन श्रमण-धर्म : एक विश्लेषण षड्द्रव्य : एक परिचय सेवा : स्वरूप और दर्शन स्याद्वाद एक पर्यवेक्षण मुनिश्री रामकृष्ण जी पर्युषणपर्व पर एक ऐतिहासिक दृष्टिपात भारत की अहिंसक संस्कृति
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ई० सन् १९७७ १९७६ १९७८ १९७६ १९७३ १९७६ १९७३
पृष्ठ २२-२६ ३-७ ३-१० १५-१८ १३-१५ ३-४ . २२-२८
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१९५६ १९५६ १९५६
१७-२१ २१-२५ २०-२३
१९५२
१९-२२
रसिक त्रिवेदी महाभिनिष्क्रमण रविशंकर मिश्र अहिंसा परमोधर्मः जैन कवि विक्रम और उनका नेमिदूतकाव्य मेरुतुंग के जैन मेघदूत का एक समीक्षात्मक अध्ययन
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१९८२ १९८१ १९८१
१७-१९ ९-१४ ७०-७७
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________________
लेख
श्रमण भगवान् महावीर के चारित्रिक अलंकरण
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सच्ची सनाथता
संस्कृत दूत काव्यों के निर्माण में जैन कवियों का योगदान
रवीन्द्रनाथ मिश्र
कर्म का स्वरूप
जैन कर्म सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास जैन कर्म सिद्धान्त का क्रमिक विकास
राकेश
यह मनमानी कब तक राजकमल चौधरी
बढ़ते कदम राजकुमार छाजेड़
स्वाध्याय : एक आत्म चिन्तन राजकुमार जैन
जैन विद्वानों के कुछ हिन्दी वैद्यक ग्रन्थ जैनाचार्यों द्वारा आयुर्वेद साहित्य में योगदान
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख महत्तरा श्री जी का महाप्रयाण महावीर का धर्म : सर्वोदय तीर्थ रामकुमार वर्मा भगवान् महावीर का विचार तथा कृतित्त्व समस्त विश्व के लिये अनुपम धरोहर राजकुमार जैन 'भारिल्ल' अहिंसा राजदेव त्रिपाठी अद्भुत भिखारी एवं महान् दाता राजदेव दुबे चारित्र निर्माण में आचार-पद्धति का योगदान जैन आचार-पद्धति में अंहिसा प्राचीन जैन साहित्य में शिक्षा का स्वरुप वैदिक वाङ्मय और पुरातत्त्व में तीर्थंकर ऋषभदेव राजदेव दुबे एवं प्रमोद कुमार सिंह जैन संस्कृति में सत्य की अवधारणा राजबली पाण्डेय महामानव की मानसिक भूमिका
१९८३ १९८३ १९८५ १९८७
२६-३२ १३-२० १६-२४
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लेख राजमल पवैया आचार्य मानतुंगसूरि विरचित भक्तामरकाव्य ज्ञानद्वीप की शिखा सफल हुआ सम्यक्त्व पराक्रम . राजलक्ष्मी अहिंसक भारत हिंसा की ओर राजीव प्रचण्डिया भारतीय दर्शन में मोक्ष की अवधारणा राजेन्द्रकुमार श्रीमाल एकता ? एकता ? एकता ? राजेन्द्रकुमार सिंह सत् का स्वरूप: अनेकान्तवाद और व्यवहारवाद की दृष्टि में राजेन्द्र प्रसाद सेवाग्राम कुटीर का संदेश राधेश्याम श्रीवास्तव जैनदर्शन में कर्म का स्वरूप रामकृष्ण जैन अस्पृश्यता का पाप
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लेख रामकृष्ण पुरोहित आचार्य शाकटायन (पाल्यकीर्ति) और पाणिनी जैन व्याकरण शास्त्र में शोध की संभावनाएं रामकृष्ण शर्मा ये मूल्य बदलें राजाराम जैन क्या यही शिक्षा है ? ग्वालियर के तोमरवंशीयराजा राजाडूंगर सिंह तोमर सच्ची साधना का प्रभाव राजेन्द्रप्रसाद कश्यप जैन एवं बौद्ध धर्मों के वैदिक सन्दर्भ मुनि राजेन्द्रकुमार 'रत्नेश' अतयात्रा धर्म एवं दर्शन-एक गवेषणात्मक विवेचन प्रलय से एकलय की ओर प्लेटो तथा जैनदर्शन
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३०-३२ ६-१३ ३०-३६ २८-२९
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संवेदनहीनता से सुलगती सभ्यता मुनि रामकृष्ण अपरिग्रहवाद धर्म कल्याण का मार्ग ज्ञान भी सम्पदा है दार्शनिक पुरुष पर्युषण : आत्मा की उपासना का पर्व सबसे बड़ा प्रश्न-मैं कौन हूँ ? रामचन्द्र महेन्द्र गाँधी सिद्धान्त रामदेव राम यादव जैनधर्म में आत्मतत्त्व निरूपण जैनधर्म में अहिंसा मुनिश्री रामप्रसाद जी गुरुदेव की जीवन-रेखाएं रामप्रवेश कुमार "जैन चम्पूकाव्य"- एक परिचय
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लेख रामप्रवेश शास्त्री गांधी जी और अहिंसा
सत्य और बापू स्वार्थी तो हम भी हैं
रामजी सिंह
जैनधर्म में तप का स्वरूप और महत्त्व
जैनधर्म में नीतिधर्म और साधना जैन दर्शन में ज्ञान का स्वरूप जैन दर्शन में मोक्षोपाय
जैन दर्शन में स्याद्वाद और उसका महत्त्व भारतीय मनीषा के उज्ज्वलतम् प्रतीक पं० सुखलाल रामदास पाण्डेय 'गंभीर'
जी
जैन दर्शन में मुक्ति की अवधारणा
नैतिक आचरण विधि : सोरेन क्रिकेगार्ड और जैनदर्शन
प्रातिभज्ञानात्मक चिन्तन : सापेक्ष चिन्तन
सर्वपल्ली राधाकृष्णन् कर्त्तव्यबोध
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७-१३ १३-१८ ३४-३८
लेख जीवित धर्म रतिलाल दीपचंद देसाई दो क्रान्तिकारी जैन विद्वान् श्रीमद्राजचन्द्र का परिचय ज्ञान तपस्वी मुनिश्री पुण्य विजयजी रतिलाल म० शाह गर्भापहरण-एक समस्या गर्भापहरण-सम्बंधी स्पष्टीकरण जैनधर्म में तांत्रिक साधना का प्रवेश तीर्थंकरों की निश्चित संख्या क्यों ? दिगम्बर रहना क्या महावीर का आचार था ? धर्म को छानने की आवश्यकता भगवान् महावीर की निर्वाण-भूमि : कौन सी पावा महावीर विवाहित थे या अविवाहित राष्ट्रभाषा के आद्यजनक भगवान् महावीर रामदयाल जैन जैन और वैष्णव काव्य परम्परा में राम
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लेख महावीर विवाहित थे या अविवाहित राष्ट्रभाषा के आद्यजनक भगवान् महावीर रामदयाल जैन
जैन और वैष्णव काव्य परम्परा में राम हा रामप्रसाद त्रिपाठी
जैन-बौद्ध सम्मत कर्म सिद्धान्त रामस्वरूप जैन पंजाब में स्त्री शिक्षा रामहंस चतुर्वेदी जैनागमों में वर्णित नागपूजा रिखबचंद लहरी जैनधर्म की आचार संहिता रीता विश्नोई अपभ्रंश के जैनपुराण और पुराणकार पाण्डवपुराण में राजनैतिक स्थिति
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लेख
रीता सिंह • जैन साहित्य में कृष्ण-कथा
मुनिरुपचंद जैन एकता संभव कैसे? जैन समाज द्वारा काव्य सेवा रूपलेखा वर्मा जब आप घर से अकेली निकलें रेणुका चक्रवर्ती क्या आप असुंदर हैं ? लल्लू पाठक जैन हरिवंशपुराण-एक सांस्कृतिक अध्ययन ललितकिशोर लाल श्रीवास्तव ईश्वरत्त्व : जैन और योग-एक तुलनात्मक अध्ययन जैन दर्शन में सर्वज्ञता का स्वरूप जैन धर्म-मानवतावादी दृष्टिकोण : एक मूल्यांकन मिथ्यात्व इन जैनिज्म एण्ड शंकर ए- कम्परेटिव स्टडी
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लेख महासती श्री ललितकुमारी जी श्रुत और सेवा के प्रतीक : आचार्य श्री ललितप्रभ सागर जैनधर्म में भक्ति का स्वरूप शांति का अमोघ अस्त्र-क्षमा ललिता जैन शांतिदूत महावीर मुनिश्री लक्ष्मीचन्द्र जी आचार्य चण्डरुद्र लक्ष्मीचंद जैन अज्ञात प्राचीन जैनतीर्थ : कसरावद महर्षि अरविन्द : जैन दर्शन की दृष्टि में समयसार सप्तदशांगी टीका में गणितीय न्याय एवं दर्शन लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' अहिंसा की कसौटी का क्षण जैनधर्म और उनका सामाजिक दृष्टिकोण जैनधर्म और नारी
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख जैनधर्म भगवान् महावीर की कसौटी पर भगवान् महावीर के उपदेश युगानुकूल हैं लेकिन ? भगवान् महावीर के निर्वाण दिन का क्या संदेश हो सकता है ? भगवान् या सामाजिक क्रांतिकारी पर्युषण : एक चिन्तन पर्युषण और नई प्रतिमाएँ प्रेरणादायी महावीर समता के संदेशदाता : भगवान् महावीर समाज शास्त्र की पृष्ठभूमि में जैनों के सम्प्रदाय श्रमण संस्कृति का हरि क्षमापना दिन लक्ष्मीबाला अग्रवाल संगीत समयसार का आलोचनात्मक अध्ययन लालचन्द्र जैन क्या जैन दर्शन नास्तिक दर्शन है ? जैन तर्क शास्त्र में बौद्ध प्रत्यक्ष प्रमाणवाद
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ई० सन् १९६३ १९५८ १९६० १९६० १९५९ १९६१ १९६१ १९६४ १९६६ १९६५ १९६२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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जैन तर्क शास्त्र में 'सन्निकर्स प्रमाणवाद जैनदर्शन में ब्रह्माद्वैतवाद पंचास्तिकाय के टीकाकार और टीकाएँ ब्रह्माद्वैतवाद का समालोचनात्मक परिशीलन
ई० सन् १९७६ १९७६ १९७२ १९७९ १९७९ १९७९ १९७९
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लालजी राम शुक्ल अहिंसा का व्यापक अर्थ विचारों पर नियन्त्रण के उपाय लुइस वैस एक महत्त्वपूर्ण भेंट वाल्टर शुबिंग जैन साहित्य का नवीन संस्करण वासुदेवशरण अग्रवाल अहिंसा का महान् नियम अहिंसा की युग वाणी
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख ईमानदारी के वातावरण एक दिव्य विभूति मालवीय जी जैन साहित्य का नवीन अनुशीलन जैन साहित्य के इतिहास-निर्माण के सूत्र जैन साहित्य निर्माण की नवीन योजना तप के प्रतीक महावीर प्राचीन मथुरा में जैन धर्म का वैभव .. बत्तीस प्रकार की नाट्यविधि मातृभाषा और उसका गौरव वैशाली और दीर्घप्रज्ञमहावीर
विश्व मानव महामना मालवीय ? 'सत्यं स्वर्गस्य सोपानम्'
सरस्वती का मंदिर साध्वी रत्न श्री विचक्षण श्री जी प्रज्ञा पुरुष विजय कुमार अनेकान्तवाद और उसकी व्यवहारिकता जैन आगमों में धर्म-अधर्म (द्रव्य) : एक ऐतिहासिक विवेचन
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जैन दर्शन में जीव का स्वरूप के जैन दर्शन में बन्धन-मोक्ष विजय कुमार जैन संयुक्त निकाय में जैन सन्दर्भ विजयमुनि शास्त्री आलोचक इन्द्रभूतिगौतम उपाध्याय कवि श्री अमर मुनि घर न लौटा ज्योतिर्मय जीवन जैन संस्कृति और महावीर जीवित साहित्य की वाणी निशीथचूर्णि पर एक दृष्टि मेघकुमार का आध्यात्मिक जागरण योग और भोग वाणी का जादूगर श्री कृष्ण की जीवन झाँकी श्री रत्न मुनि : जीवन परिचय
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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२३-२४
लेख क्षमापना का आदर्श
भारतीय दर्शनों का समन्वयवादी स्थितप्रज्ञ पुरुष - मुनि महाप्रभ विजय जी महाराज
मानव कुछ तो विचार कर विजयेन्द्र 'दर्शी मील का पत्थर आचार्य विजयेन्द्रसूरि महावीर विहार मीमांसा विजयराज सामुद्रिक विज्ञान
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विजया जैन महावीर की साधना और सिद्धान्त विद्याभिक्षु अद्भुत दान अपूर्वरक्षा विद्यानन्द मुनि विद्वत् रत्नमाला का एक अमूल्य रत्न
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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लेख विद्याभिक्षु 'आधुनिक' पुनरुत्थान विद्यावती जैन हिन्दी जैन साहित्य का विस्मृत बुन्देली कवि : देवीदास मुनि विद्याविजय जी सेवा का अर्थ विधुशेखर भट्टाचार्य कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत का उच्च शिक्षण
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मुनि विनयचन्द जी हृदय का माधुर्य-करुणा विनयतोष भट्टाचार्य जैनमूर्तिकला महो० विनयसागर जी अविद पद शतार्थी विनोद कुमार तिवारी आज के सन्दर्भ में जैन पंचव्रतों की उपयोगिता
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लेख
जैन दर्शन की पृष्ठभूमि में ईश्वर का अस्तित्त्व जैन दर्शन के अन्तर्गत जीव तत्त्व का स्वरूप जैन दर्शन में अजीव तत्त्व का स्थान जैनधर्म में मोक्ष का स्वरूप
जैन पर्व दीपावली : उत्पत्ति एवं महत्त्व तीर्थंकर पार्श्वनाथ : प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता तीर्थंकर महावीर की शिक्षाओं का सामाजिक महत्त्व पार्श्वकालीन जैनधर्म
श्री विनोद राय चन्द्रावती की जैन प्रतिमाएँ : एक परिचयात्मक सर्वेक्षण
दुर्बलता का पाप आचार्य विनोबा भावें अध्यात्म साधना कैसी हो अहिंसा और शस्त्रबल जैन समाज और सर्वोदय
प्रेम का अभ्यास संन्यास की मर्यादा
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख साहित्य और साहित्यिक स्त्री जागृति और समन्वय की साधना विपिन जारोली जैन दिवाकर मुनि श्री चौथमल जी म० विमलचन्द शुक्ल शम्बूक आख्यान (जैन तथा जैनेतर सामाग्री का तुलनात्मक अध्ययन) विमल जैन भगवान् महावीर और नारी जाति विमल जैन 'अंशु' स्वामी श्री मदनलाल जी विमलदास कोंदिया जैनधर्म का वैशिष्ट्य महावीर महान् थे विमलदास जैन जैनत्व या जैन चेतना तर्क का क्षेत्र पर्युषण पर्व पार्श्वनाथ विद्याश्रम
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख विकास की तीन सीढ़ियाँ श्रमण महावीर का युग संदेश संस्कृति का प्रश्न ज्ञान सापेक्ष है वीरेन्द्र कुमार जैन दुर्दान्त दस्यु दया का देवता बना विश्व बन्धु जीवन दृष्टि विश्वनाथ पाठक तरंगलोला और उसके रचयिता से सम्बन्धित भ्रान्तियों का निवारण ध्वन्यालोक एवं दशरूपक की दो प्राकृत गाथाएं : एक चिन्तन दशरूपक की एक अण्याख्यात गाथा वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं के अर्थ पर पुनर्विचार वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं पर पुनर्विचार श्रीविज्ञ जैन ज्योतिष तिथि-पत्रिका संवत्सरी और आचार्य श्री सोहनलाल जी म०
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लेख
वीणा निर्मल जैन
धर्म और आधुनिकता वी० वेंकटाचलम् विश्वकैलेण्डर क्यों नहीं अपनाया जाय ?
बेचरदास दोशी हमारा क्रान्तिवारसा
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वेदप्रकाश सी० त्रिपाठी
चक्रवर्तियों के चक्रवर्ती श्रमण महावीर
शंकर मुनि पूज्य श्री जिनविजयेन्द्रसूरि जी शंकर राव देव महावीर का कार्य शकुन्तला मोहन महिलाओं की मर्यादा शरदकुमार 'साधक' अहिंसा से कोई विरोध नहीं
उतार-चढ़ाव के बीच उभरती अहिंसा
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लेख
जैन चेयर की आवश्यकता मुलाकात महावीर से मूक सेविका : विजयाबहन शरबती देवी जैन आत्म निरीक्षण काश : मैं अध्यापिका होती ? भगवान् महावीर और अहिंसा पर्युषण : परिचय और व्याख्या पर्युषण पर्व और आज की नारी शरदचन्द्र मुखर्जी 'अगस्त' की ऐतिहासिकता शशिप्रभा जैन
शांति के अग्रदूत भगवान् महावीर शान्ताराम भालचन्द्र देव जैन संस्कृति और श्रमण परम्परा साहू शांतिप्रसाद जी जैन समाज के लिये नई दिशा
श्रमण : अतीत के झरोखे में
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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३०-३२
३१२ लेख मुनिश्री शान्तिप्रिय शास्त्री प्रथम और अन्तिम दर्शन
शांति जैन निर्वाण : उपनिषद् से जैनदर्शन तक शांतिलाल मांडलिक जैनधर्म की प्राचीनता भगवान् महावीरकालीन वैशाली में जैनधर्म मांडव : एक प्राचीन जैन तीर्थ (क्रमश:)
११
१९७६
२५-२९
or
१९६८ १९६८ १९७० १९७०
१८-२४ ६-८ ५-१४ २४-३०
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११-१२ ११-१२
२१-२२ ८८-९१
शादीलाल जैन अब साधु समाज संभले मेरी कुछ अनुभूतियाँ मोक्ष स्व० पंडित जी एक चलते फिरते विश्वकोश शिवकुमार नामदेव उत्तरप्रदेश में मध्ययुगीन जैन शिल्पकला का विकास कलचुरी-कला में जैन शासन देवियों की मूर्तियाँ
१९५८ १९६३ १९५८ १९८१
ri 92
१९७७ १९७४
१६-२० २४-२६
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# ~ 2 2 9
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
कलचुरीकालीन जैन शिल्प-संपदा * कलचुरीकालीन भगवान् शांतिनाथ की प्रतिमाएँ
कर्णाटक में जैन शिल्पकला का विकास कलचुरी नरेश और जैनधर्म कारीतलाई की जैन द्विमूर्तिका प्रतिमाएँ जैन कलातीर्थ : खजुराहो जैन वास्तुकला : संक्षिप्त विवेचन जैन सरस्वती हंसवाहना या मयूरवाहना तीर्थंकर-प्रतिमाओं की विशेषताएँ धुबेला संग्रहालय की अद्वितीय जैन प्रतिमाएं भारत में प्राचीन जैन गुफाएँ भारतीय पुरातत्त्व तथा कला में भगवान् महावीर राजस्थान में मध्ययुगीन जैन प्रतिमाएँ विदिशा से प्राप्त जैन प्रतिमाएँ और रामगुप्त की ऐतिहासिकता
शुंग-कुषाणकालीन जैन शिल्पकला शिवनाथ रवीन्द्रनाथ के शिक्षा सिद्धान्त और विश्वभारती
ई० सन् १९७८ १९७२ १९७६ १९७४ १९७५ १९७४ १९७६ १९७५ १९७४ १९७४ १९७६ १९७५ १९७७ १९७४ १९७६
३१३ पृष्ठ २३-३२ १४-१५ १४-१८ १९-२२ १५-१९ २२-२७ १६-२१ १८-२० २४-२६ २४-२७ १५-२२ ३८-४६ २०-२४ १८-२३ २२-२५
v
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.
१९५६
३-७
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________________
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
२ १२
१९६४ १९६५
२३-२५ २०-२३
१०-१२ ७-१२
१९९७ १९९१
३१४
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख शिवनारायण सक्सेना अण्डे खाना भी हिंसा ही है धर्म का मूल आधार-अहिंसा शिवप्रसाद
अड्डालिजीयगच्छ ग उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास कल्पप्रदीप में उल्लिखित भगवान् महावीर के कतिपय तीर्थक्षेत्र कोरंटगच्छ जालिहरगच्छ का संक्षिप्त इतिहास जीरापल्लीगच्छ का इतिहास
धर्मघोषगच्छ का संक्षिप्त इतिहास ३ नागेन्द्रगच्छ का इतिहास नाणकीयगच्छ पश्चिमी भारत के जैनतीर्थ पिप्पलगच्छ का इतिहास
१९८९
१९८९ १९९२ १९९६ १९९० १९९५ १९८९ १९९० १९९६ १९९७ १९९२ १९९२
८१-८२ ६१-१८२ २०-२९ १५-४३ ४१-४६ २३-३३ ४५-१०४ २०-६५ २-३४ ४५-७८ ६५-८२ ८३-११७ २९-५१ ४९-६६
...
७-९ १०-१२ १-३ ७-९ १०-१२
पूर्णिमागच्छ का संक्षिप्त इतिहास पूर्णिमागच्छ-प्रधान शाखा अपरनाम ढंढेरिया शाखा का संक्षिप्त इतिहास
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३१५
ई० सन् १९९३ १९८१ १९८९ १९९७ १९९४
पृष्ठ २२-३५ २७-३१ १५-३३ १४-५० ३१-५१ १९-२३ ४२-५९ ३६-६७ २८-३३
२
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख पूर्णिमागच्छ-भीमपल्लीयाशाखा का इतिहास फलवर्द्धिका पार्श्वनाथ तीर्थ : एक ऐतिहासिक दृष्टि भावडारगच्छ का संक्षिप्त इतिहास ब्रह्माणगच्छ। मडाहडागच्छ का इतिहास : एक अध्ययन मध्य प्रदेश के गुना जिले का जैन पुरातत्त्व सार्धपूर्णिमागच्छ का इतिहास हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ का संक्षिप्त इतिहास हारीजगच्छ शितिकण्ठ मिश्र कू पुरानी हिन्दी (मरु-गुर्जर) के प्राचीनतम कवि धनपाल १ शीतलचन्द्र चटर्जी स्वामी विवेकानन्द शीतलचंद जैन अनेकान्तवाद की व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता शीला सिंह द्रौपदी कथानक का जैन और हिन्दू स्त्रोतों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन
१-३ ४-६ १०-१२
१९९३ १९९६ १९९५
४
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१३-१७
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२३-२७
७-९
१९९५
७६-८२
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३१६
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
ई० सन्
पृष्ठ
४-६
१९९६
१९८४
२९-३१
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१८-२६
१९७०
२८-३२
श्यामधर शुक्ल पाणिनीय व्याकरण का सरलीकरण और आचार्य हेमचन्द्र श्यामवृक्ष मौर्य भगवान् महावीर की व्यापक दृष्टि श्रीनारायण दुबे जैन लेखों का सांस्कृतिक अध्ययन श्रीनारायण शास्त्री अंगविज्जा श्रीनारायण सक्सेना अहिंसा की महानता वीरों का श्रृंगार : अहिंसा हमारे पतन का मुख्य कारण : हिंसा श्रीप्रकाश दुबे अरविन्द का अनेकान्त दर्शन कर्म और अनीश्वरवाद गाँधी जी : व्यक्तित्व और नेतृत्व तुलनात्मक दर्शन पर दो दृष्टियाँ पुण्डरीक का दृष्टॉत
१९६५
१९६५ १९६५
१२-१५ ३-८ १६-१९
१९६२ १९६३ १९६२ १९६४ १९६४
६-८ ९-१२ १-३
१७-२१ __ १२-१४
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
E : : 3
ई० सन् १९६३ १९६४ १९६३
३१७ पृष्ठ १९-२० १४-२३ ७-८
१९९१
७-९
* * * *
७३-८८ ३-१४ ५७-७० ५७-७६
१९९१ १९९०
लेख डॉ० भयांणी के व्याख्यान मेरी पंजाब यात्रा स्वामी विवेकानन्द श्रीप्रकाश पाण्डेय आचारांग में अनासक्ति जैन आगम और गुणस्थान सिद्धान्त समयसार के अनुसार आत्मा का कर्तृत्व-अकर्तृत्व एवं भोक्तृत्व-अभोक्तृत्व के सूत्रकृतांग में वर्णित दार्शनिक विचार पं० श्रीमलजी म० सा०
अहिंसा का व्यावहारिक रूप के अहिंसा की तीन धारायें है आचरण या शोधपीठ
पाप क्या है ? प्रेमयोगी महावीर श्रमण भगवान् महावीर का दीक्षा दर्शन संस्मरणात्मक श्रद्धांजलि सम्यक् दृष्टिकोण सत्य पारखी दृष्टि
* : - *
१९६० १९५८ १९५८ १९६० १९६१ १९६३ १९६३ १९६०
२८-३१ ३४-३७ ४१-४६ १९-२१ १५-१६ ४४-४८ ४१-४५ २५-२९
* * *
६-७ ६-७ . ११-१२ ७-८
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
ई० सन् १९६३
पृष्ठ ३०-३२
१९८२
११-२०
१९७८ १९७७ १९७७
३१८ लेख
स्मृति पुरुष : श्री पूज्य गणेशलाल जी महाराज के श्रीराम यादव
संस्कृत व्याकरण शास्त्र में जैनाचार्यों का योगदान श्रेयांसकुमार जैन काव्यशास्त्रियों की दृष्टि में श्लेष मेघविजय के समस्यापूर्ति काव्य सप्तसन्धानमहाकाव्य में ज्योतिष श्रेयांसप्रसाद जैन पुरुषार्थ के प्रतीक पं० सुखलाल जी संगीता झा धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान मुनि श्रीसंतलाल जी आत्मबली साधक और दैवीतत्त्व दुर्भाग्य में से सौभाग्य प्राप्त करें प्रतिज्ञा समन्वयकार : आचार्य श्री संन्यासी राम
२६-३१ १७-२२ १७-२१
१९८१
४८-४९
१९८९
३०-४०
९-१२
१९६४ १९६३ १९५८ १९६२
९-१४ ७३-७४ २३-२५
५
तत्त्वसूत्र
१९८८
१-८
Page #330
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________________
लेख
आत्म-अनात्म द्वन्द्वात्मिकी सच्चिदानन्द सात शत्रु सात मित्र
सतीश कुमार अधूरा समाजवाद अन्न और संकट
अहिंसक शक्तियों का ऐक्य
जैन
साधु की भिक्षा विधि दान की मान्यता
दया
प्रणयी महावीर
संसार की हिंसामय परिस्थिति और हम
समन्वय आश्रम
सर्वोदय और राजनीति
साहित्य भवन के निर्माण का शुभारंभ ( कु० ) सत्य जैन
श्रमण
(कु० ) सत्यभामा यशस्तिलकचम्पू और जैन धर्म
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष ३८
१२
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अंक
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ई० सन्
१९८७
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१९५९
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१९६३
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पृष्ठ
९-१९
३१-३२
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१७-२०
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१७-२०
२९-३१
२४-२७
२३
१५-२८
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में
__अंक
ई० सन्
पृष्ठ
१९५५
३-१२
१९५९ १९५५
११-१६ ३१-३३
३२० लेख स्वामी सत्यभक्तजी प्रतिक्रमण सत्यदेव विद्यालंकार इतिहास बोलता है
जीवन की अंतिम साधना हु (कु०)सत्यवती जैन
विजय नारी का स्थान घर है या बाहर? सत्य सुमन शांति की बुनियाद स्वामी सत्यस्वरूप जी स्वामी केशवानन्द सनत्कुमार रंगाटिया अज्ञात कविकृत शीलसंधि अभयकुमार श्रेणिकरास
. .
१९५० १९५४
३५-३८ ३५
७-८
१९५९
५७-५८
१९५१
२६-३१
१९६९ १९६८ १९६८ १९६८ १९८१
२१-२६ २५-३० २२-२८ १६-२० ६२-६९
पेथड़ास के कर्ता कौन ? मुनि श्री देशपाल : जीवन और कृतित्व
mx
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________________
लेख
विद्याविलासरास सप्तक्षेत्रिरासु सनत् कुमार जैन
अनेककान्तवाद की व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता
पुराण प्रतिपादित शीलव्रत
शीलव्रत : एक विवेचन
श्रावक
के
मूलगुण
सोमदेवकृत उपासकाध्ययन में शीलव्रत
""
सन्तोषकुमार 'चन्द्र' नारी जीवन का आदर्श मुनिश्री समदर्शी
अपरिग्रह और आज का जैन: समाज
उपाध्याय श्री अमरमुनि जी : एक ज्योर्तिमय व्यक्तित्व
मुनि समदर्शी आईदान एक निवेदन
क्या अणुव्रत आन्दोलन असाम्प्रदायिक है ? क्षमा का पर्व
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
१९
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ई० सन्
१९६८
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२३-२८
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४१-४३
२१-२५
१४-१६
२३-२४
३८-३९
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________________
३२२
श्रमण : अतीत के झरोखे में
ई० सन् १९६० १९६३ १९६३
पृष्ठ ३१-३३ ४१-४७ २०-२५
१९८६
१० ११-१२
लेख भगवान् महावीर का निर्वाणोत्सव साधना की अमर ज्योति सेठ रत्नलाल जी समन्तभद्र वीरावतार समीर मुनि क्रोध और क्षमा श्री व्याख्यान वाचस्पति जी महाराज समीर मुनि 'सुधाकर' जल में लागी लाय जैन समाज का धर्म प्रचार भगवान् महावीर और हरिकेशी भगवान् महावीर के बाद विचारणीय प्रश्न संवत्सरी सम्पूर्णानन्द निरामिष भोजन : एक समस्या
१९६४ १९६३
१८-२१ ५४-५५
८
१९६५ १९६६ १९६३ १९६४ १९६१ १९६१
९-१० १२-१४ २९-३१ ७२-७५ १९-२१ ३१-३५
१९५८
२८-३३
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में
३२३
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
२
१९८४
५-७
९
६
लेख सरदारचंद जैन धर्म का स्वरूप सरदारमल जैन आज का फैशन-धूम्रपान आत्म शुद्धि का पर्व -पर्युषण रक्षाबंधन महासती श्रीसरलादेवी जी महाराज सच्चरित्रता क्या है ? हमारा उत्थान कैसे? (कु०) सविता जैन महावीर का संयम और उनका साधनामय जीवन
१९६५ १९६३
२२-२५ ३४-३५ ११-१४
१९५५ १९५७
२५-२६ २१-२३
१९८१ १९८२
२७-३० १९-२३
११-१२
१९५८
३०-३२
आचार्य सर्वे यह नई परम्परा करवट ले रही है सागरमल जैन अध्यात्मवाद और भौतिकवाद अध्यात्म और विज्ञान
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१९८१ १९८९
९-१९
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
३२४ लेख
अर्धमागधी आगम साहित्य अर्धमागधी आगम साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा असली दूकान/नकली दुकान अहिंसा का अर्थ विस्तार, संभावना और सीमा क्षेत्र आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्त्व, रचना काल एवं रचयिता आचारांगसूत्र : एक विश्लेषण आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष
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ई० सन् १९९७ १९९५ १९९४ १९८२ १९८० १९९७ १९८७ १९८९ १९९७ १९८१ १९९१ १९९४ १९९४ १९९२ १९९२ १९८३ १९९७
पृष्ठ २०-२९ १-४५ ८०-९३ २०-२१ ३-२१ १४७-१५६ १-१९ ३-१५ ६०-७०
"
आत्मा और परमात्मा उच्चै गर शाखा उत्पत्ति स्थान एवं उमास्वाति के जन्मस्थल की पहचान ऋग्वेद में अर्हत् और ऋषभवाची ऋचायें : एक अध्ययन खजुराहो की कला और जैनाचार्यों की समन्वयात्मक एवं सहिष्णु दृष्टि गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास
9
-
5
१७-२४ १८५-२०२ १७३-१७८ २३-४३ १-२६ १-१७ १-२८
जैन अध्यात्मवाद : आधुनिक संदर्भ में जैन आगमों की मूलभाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी
४-६ १० १०-१२
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________________
४-६
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और वर्तमान सन्दर्भ जैन आगमों में हुआ भाषिक स्वरूप परिवर्तन : एक विमर्श जैन एकता का प्रश्न जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित एवं लोकहित का प्रश्न जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित एवं लोकहित का प्रश्न जैन एवं बौद्ध पारिभाषिक शब्दों के अर्थ निर्धारण और अनुवाद की समस्यायें जैन कर्म सिद्धान्त : एक विश्लेषण जैन दर्शन में नैतिकता की सापेक्षता जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान जैनधर्म और सामाजिक समता जैनधर्म और हिन्दूधर्म (सनातन धर्म) का पारस्परिक सम्बन्ध जैनधर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय-यापनीय
४-६
१-३ ४-६ १०-१२ ४-६
ई० सन् १९९४ १९९४ १९८३ १९८१ १९८१ १९९४ १९९४ १९९५ १९९२ १९९४ १९९६ १९८८ १९८८ १९९५
३२५ पृष्ठ १६२-१७२ २३९-२५३ १-२७ २-१० ५-१३ २३४-२३८ ९४-१२७ १२३-१३३ १-१२ १४४-१६१ ३-१० १-१६ १-१८ १५०-१६५ १-३९ १-१३ ७७-११२ १५७१६०
जैनधर्म का लेश्या-सिद्धान्त : एक विमर्श जैनधर्म के धार्मिक अनुष्ठान एवं कलातत्त्व जैनधर्म-दर्शन का सारतत्त्व जैनधर्म में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न जैनधर्म में आध्यात्मिक विकास
१९९४ १९९७ ११९७
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________________
३२६
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख जैनधर्म में तीर्थ की अवधारणा जैनधर्म में नारी की भूमिका जैनधर्म में भक्ति का स्थान जैनधर्म में भक्ति की अवधारणा जैनधर्म में सामाजिक चिन्तन जैनधर्म में स्वाध्याय का अर्थ एवं स्थान जैन परम्परा का ऐतिहासिक विश्लेषण जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्म का पारस्परिक प्रभाव जैन विद्या के निष्काम सेवक-लाला हरजसराय जैन जैन साधना के मनोवैज्ञानिक आधार जैन साधना में ध्यान साहित्य में गोम्मटेश्वर बाहुबलि डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री सम्मानित तीर्थंकर और ईश्वर के सम्प्रत्ययों का तुलनात्मक विवेचन दशलक्षण/ दशलक्षण धर्म के धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान धर्म क्या है ?
: : : : : : : : : : : : : g
अंक ई० सन् ४-६ १९९० १०-१२ १९९०
१९८१ १९९४ १९९७ १९९४ १९९०
१९९७ . १९८६
१९७९ १९९४ १९८२ १९८६ १९९५ १९८३ १९८६ १९८१
पृष्ठ १-२८ १-४८ १४-१७ १८-३६ १-१९ ३७-४३ १-१६ ३०-५९ २१-२४ ८-१४ ४४-७९ १-९ २२-२४ ८७-९२ १३-२८ १-२० १-८
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
३२७ पृष्ठ २-५ २-७ २-४ ३१-३४ २०३-२३३ १४१-१४६
४-६
४-६
१०
ई० सन् १९८१ १९८१ १९८३ १९६१ १९९४ १९९७ १९८२ १९९४ १९९० १९९७ १९९५ १९७९ १९९५ १९८१ १९९४ १९९४ १९८४
नई पीढ़ी और धर्म नियुक्ति साहित्य : एक पुनर्चिन्तन । पं० महेन्द्रकुमार 'न्यायाचार्य द्वारा सम्पादित एवं अनूदित षड्दर्शन समुच्चय की समीक्षा पर्युषण पर्व क्या, कब और कैसे ? पर्यावरण की प्रदूषण की समस्या और जैनधर्म पार्श्वनाथ जन्मभूमि मंदिर, वाराणसी की पुरातत्त्वीय वैभव प्रमाण-लक्षण निरूपण में प्रमाण-मीमांसा का अवदान प्रज्ञापुरुष पं० जगन्नाथ जी उपाध्याय की दृष्टि में बुद्ध व्यक्ति नहीं प्रक्रिया प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों का मनोवैज्ञानिक विकास एवं उनके दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय प्राचीन जैन आगमों में चार्वाक दर्शन का प्रस्तुतीकरण बालकों के संस्कार निर्माण में अभिभावक, शिक्षक एवं समाज की भूमिका भगवान् महावीर का जीवन और दर्शन भगवान् महावीर की निर्वाण तिथि पर पुनर्विचार भाग्य बनाम पुरुषार्थ
४-६
४-६
४-६
१३५-१४३ ७७-८८ १३३-१४० १६६-१६९ १४-२० ४६-५८ २६-३८ १४-१७ २५४-२६८
३
.
२-६
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________________
३२८
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
१२९-१३४
९७-१२२ १७९-१८४ १-१० २-९
७-९
भारतीय संस्कृति का समन्वितरूप भेद विज्ञान : मुक्ति का सिंहद्वार मन-शक्ति स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण महापण्डित राहुल सांकृत्यायन के जैनधर्म सम्बन्धी मन्तव्यों की समालोचना महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक दृष्टि : भगवद्गीता और जैनधर्म के परिप्रेक्ष्य में ४४ महावीर का दर्शन-सामाजिक परिप्रेक्ष्य में महावीर का जीवन दर्शन महावीर के समकालीन विभिन्न आत्मवाद एवं उसमें जैन आत्मवाद का वैशिष्ट्य महावीर के सिद्धान्त-युगीन संदर्भ में मूल्य और मूल्यबोध की सापेक्षता का सिद्धांत युगीनपरिवेश में महावीर स्वामी के सिद्धांत व्यक्ति और समाज श्वेताम्बर मूलसंघ एवं माथुर संघ-एक विमर्श श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा का स्वरूप षट्जीवनिकाय में त्रस एवं स्थावर के वर्गीकरण की समस्या संयम : जीवन का सम्यक् दृष्टिकोण
...
ई० सन् १९९४ १९८१ १९९५ १९९४ १९९३ १९८१ १९८६ १९९५ १९८२ १९९२ १९९५ १९८२ १९९२ १९८१ १९८५ १९९३ १९८१
५९-६८ ३-२७ १-२२
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३-४ १५-२३ ७-११
१३-२१ २-१३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
३२९
लेख
ई० सन् १९९५
१-३
४-६
१९९५
४-६
४८
सकारात्मक अहिंसा की भूमिका सदाचार के शाश्वत मानदण्ड सदाचार के मानदण्ड और जैनधर्म समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समीक्षा सम्राट अकबर और जैनधर्म " स्याद्वाद और सप्तभंगी : एक चिन्तन स्त्रीमुक्ति, अन्यतैर्थिकमुक्ति एवं सवस्त्रमुक्ति का प्रश्न हरिभद्र की क्रान्तदर्शी दृष्टि-धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में हरिभद्र के धर्म दर्शन में क्रान्तिकारी तत्त्व 'सम्बोधप्रकरण' के सन्दर्भ में हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत : एक चिन्तन
पृष्ठ ६९-८६ १३४-१४९ २२-२७ ९९-१०१ ७१-७६ ३-४४ ११३-१३२ २१-२५ ९-२० २६-२८
४१
१९८२ १९९१ १९९७ १९९० १९९७ १९८८ १९८८ १९८८
४८
6-द
९
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साधक
८-
७
१९६१ १९५८
३१-३७ २५-२७
६-७
युगदृष्टा महावीर साधुसंतों की सेवा में सिद्धराज ढट्ठा जीवनकला की शोध करें जैनधर्म हम सँभलें
५२-५५
६-७ ११-१२
१९५८ १९५८ १९५८
६०-६३ ३३-३६
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
७-९
१९९७
१-१३
8
१०
१९८९
१-७
३३० लेख सीताराम दुबे स्याद्वाद की अवधारणा : उद्भव एवं विकास सीताराम राय चौबीसवें जैन तीर्थंकर भगवान् महावीर का जन्म स्थान सुखलाल जी संघवी अहिंसा का क्रमिक विकास एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति जैन व्याख्या पद्धति जैन साधना धर्म और पुरुषार्थ धर्म और विद्या का विकास मार्ग धर्म का बीज और उसका विकास पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान की कार्य दिशा भगवान् महावीर के जीवन की विविध भूमिकायें भगवान् महावीर की मंगल विरासत
6 6 6
१९६० १९५३ १९५३ १९५० १९६०
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९-१५ ३-१० ७१-७३ ९-११ १४-१७ ९-१७ ९-१४ ३४-३६
2 0 2 0
९-१६
१९५१ १९६५ १९५२ १९७४ १९८९ १९५३
:
३-९ १-८
मानवमात्र का तीर्थ
:
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________________
लेख
मुनिश्री पुण्यविजय जी के जैसलमेर भण्डार के उद्धार कार्य की रूपरेखा
लखनऊ अभिभाषण
• विकास का मुख्य साधन
""
शास्त्र और शस्त्र
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
शास्त्र रचना का उद्देश्य स्वरूप और पररूप
मुनि
शास्त्र और सामाजिक क्रान्ति सुखलाल स्वप्न और विचार
सुदर्शन
मुनि जी
भावविभोर श्रद्धांजलि सुदर्शनलाल जैन आचार्य हरिभद्र और धर्म संग्रहणी
""
आहार-विहार में उत्सर्ग अपवाद मार्ग का समन्वय जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप : भारतीय दर्शनों के परिप्रेक्ष्य में
जैन दर्शन में शब्दार्थ सम्बन्ध
१
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१
१
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२७-३९
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श्रमण : अतीत के टारोखे में
लेख
प्रमाण स्वरूप विमर्श
यज्ञ : एक अनुचिन्तन
ई० सन् १९७२ १९७३ १९६६ १९६६ १९८९ १९८९
पृष्ठ ३-१५ ३-११ १५-२७ ३१-३८ १०-१६ १-१०
Wrm Mor Mory
वेदान्त दर्शन और जैन दर्शन ' सांख्य दर्शन और जैनदर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन
सुधा जैन जैनधर्म में सरस्वती जैन मंदिर व स्तूप जैन शिल्पकला और मथुरा जैन साहित्य और संस्कृति का जनजीवन पर प्रभाव प्राचीन भारत में जैन चित्रकला सुधा जैन तनाव : कारण एवं निवारण सुधा राखे जैन और बौद्ध आगमों में जननी-एक पहलू बौद्ध और जैन आगमों में जननी
१९७५ १९७३ १९७२ १९७४ १९७४
१३-१४ १६-१९ १६-१९ १५-१८ ३१-३४
१९९७
१-२०
१९६७ १९६७
१४-१७ २०-२६
१-२
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________________
लेख
सुनीतकुमार चाटुर्ज्या प्राकृत का अध्ययन सुन्दरलाल जैन ' वैद्यरत्न'
आरोग्य
किसके साथ क्या न खायें ग्रीष्म ऋतु का आहार-विहार
""
चलिए और खूब चलिए
टमाटर
महावीर का साम्यवाद वर्षा ऋतु का आहार-विहार
"
बसन्त ऋतु का आहार-विहार
21
शीतऋतु का आहार-विहार
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
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१९-२०
३४-३५
१९-२०
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३३४
लेख सुपार्श्वकुमार जैन
भरतेश वैभव में प्रतिपादित सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था
""
सुबोधकुमार जैन उड़ीसी नृत्य और जैन सम्राट खारवेल गजेटियर ऑफ इंडिया में जैनी और जैनधर्म
धर्म का मर्म प्रयाग - एक महान जैन क्षेत्र
प्रवृत्तिमार्ग और निवृत्तिमार्ग
हेल्मुथ और नारी पुरुष साधु शिक्षक बनें
सुभाष कोठारी
फोन ग्लासनप और जैनधर्म
उपासकदशांगसूत्र का आलोचनात्मक अध्ययन
जैन श्रमण साधना: एक परिचय सुभाषचन्द जैन जैनधर्म में
शुभ
और अशुभ
की अवधारणा
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
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१९७०
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७०-७२
८-१३
३३-५०
२३-३२
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________________
लेख
सुभाषमुनि 'सुमन' जैन और बौद्धदर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन
महावीर और बुद्ध
सर्वधर्म समभाव और स्याद्वाद
सुमन मुनि
जैनाचार्य श्री कांशीराम जी सुरेखा जी (साध्वी)
पंचपरमेष्ठिमन्त्र का कर्तृत्व और दशवैकालिक श्रमण एवं ब्राह्मण परम्परा में परमेष्ठी पद
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
सुरेन्द्रकुमार आर्य
जैन रास की दुर्लभ हस्तलिखित प्रति : विक्रमलीलावतीचौपाई झारड़ा की जैन देवियों की अप्रकाशित प्रतिमाएँ सुरेन्द्र वर्मा
जैन दर्शन में पुरुषार्थ चतुष्टय
द्वन्द्व और द्वन्द्व निवारण (जैन दर्शन के विशेष प्रसंग में)
गाँधीजी के मित्र और मार्गदर्शक : श्रीमद्राजचन्द्र
सुरेशचन्द्र गुप्त अपभ्रंश का काव्य सौन्दर्य
३८
३७
३७
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१-१३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
___ अंक
ई० सन्
पृष्ठ
लेख मुनिश्री सुरेशचन्द्र जी शास्त्री अपने को परखिए अहिंसा का अवतार एक नया पुरोहितवाद नया और पुराना प्रधानाचार्य या आचार्य मंजिल अभी दूर है महावीर के ये उत्तराधिकारी श्रमण संघ की शिक्षा-दीक्षा का प्रश्न श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों से हमारे जागरण का शीर्षासन सुरेश सिसोदिया चन्द्रवेध्यक (प्रकीर्णक) एक आलोचनात्मक परिचय मुनिजी सुशीलकुमार मिथिलापति नमिराज हरिकेशिबल धर्म और दर्शन
१९५५ १९६० १९५६ १९५५ १९६० १९५२ १९५५ १९५६ १९६२ १९५२
३९-४१ १३ २७-३१ २०-२२ २३-२५ २४-२६ ५७-६० १६-१७ ४३-४५ १७-२२
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१९५५ १९५४ १९५६
३६-३७ १५-२४ २०-२३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
३३७
लेख
For
ई० सन् १९५६ १९५२ १९५९
पृष्ठ २३-२८ ३५-३७ ७-११
१९५७ १९७१ १९७२
२९-३२ १९-२३ २०-२४
बुझती हुई चिनगारियाँ मानवतावादी समाज का आधार-अहिंसा सुशीला जैन
विद्यालय से माता-पिता का सम्बन्ध ' आचार्य हरिभद्रसूरि का दार्शनिक दृष्टिकोण
लेश्या-एक विश्लेषण सूरजचन्द्र 'सत्यप्रेमी' ध्यान-योग की जैन परम्परा नमस्कारमंत्र का मौलिक परम अर्थ महावीर का अन्तस्तल वर्धमान और हनुमान सोहनलाल पाटनी सिरोही जिले में जैनधर्म सौभाग्यमल जैन अपनी परमात्म शक्ति को पहचानो अहिंसा की सार्थकता
१९५९
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१९५५ १९६१ १९५५
१७-१८ १८-२० १७-१९ २३ ३२-३७
१९८२
१९८१ १९८३
२-६ ८-१२
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेख
कल्पना का स्वर्ग या स्वर्ग की कल्पना क्षमा से विश्व बन्धुत्व जैन आगमों में विद्वत् गोष्ठी तीर्थंकर महावीर जन्मना ब्राह्मण या क्षत्रिय नर्क का प्रश्न भारतीय संस्कृति और श्रमण परम्परा युवा-दृष्टिकोण वाल्टेर शनिंग की जैनविद्या सेवा श्रमण संस्था और समाज साधु मर्यादा क्या? कितनी ? साधुओं का शिथिलाचार सौभाग्य मुनि 'कुमुद आडम्बर प्रिय नहीं धर्म प्रिय बनो आभूषण भार स्वरूप है ध्यान साधना का दिशाबोध पर्वाधन की एक रूपता का प्रश्न सद्विचार हेतु मौलिक प्रक्रिया
< Gun Gm norm <ी.
ई० सन् १९८२ १९८६ १९८४ १९९१ १९८१ १९८९ १९८६ १९८६ १९८७ १९८२ १९६४
पृष्ठ १७-२१ २-४ ६-९ ५१-५५ २६-२९ २-९ १७-२० १९-२१ १४-१९ १५-१८ ९-१३
२-४
२-४
१९८५ १९८५ १९८४ १९८५ १९८३
११-१४ १४-१५ १०-११
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
३३९
अंक
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४
१९५४
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११
१९५२
१-३
१०-१२
१२
लेख
सूर्यदेव शर्मा .. एक आश्चर्यमय ग्रन्थ
हजारीप्रसाद द्विवेदी अपभ्रंश के जैन साहित्य का महत्त्व हजारीमल बांठिया जर्मन जैन श्राविका डॉ० शार्लोटे क्राउझे पुरातत्त्वाचार्य पद्मश्री स्व० मुनि जिनविजय जी वैराग्य के पथ पर हरजसराय जैन एक मधुर स्मृति त्यागपत्र का स्पष्टीकरण दौरे के संस्मरण परमार्थनिष्ठ महावीर महावीर : आत्मविश्वास महावीर का व्यक्तित्त्व सुहृदय श्री मुनिलालजी पार्श्वनाथ विद्याश्रम
१९९७ १९८८ १९५०
८३-९२ १-७ १७-२५
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५ ११-१२
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१९६२ १९६३ १९५३ १९६१ १९५७ १९५१ १९६४ १९५६
४१-४२ १३-१५ ६६-६८ ६३-८०
६-७
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________________
३४०
लेख
हमारी यात्रा के कुछ संस्मरण
हर्षचन्द
जैनत्व का गौरव और हम हरिशंकर पाण्डेय
भक्तामर स्तोत्र : एक अध्ययन हरिशंकर वर्मा महावीर का मंगल उपदेश
हरिहर सिंह कुंम्भारिया का महावीर मन्दिर
कुंभारिया के जैन अभिलेखों का सांस्कृतिक अध्ययन
""
जैन साहित्य में स्तूपनिर्माण की प्रथा तारंगा का अजितनाथ मंदिर
तीर्थंकर प्रतिमाओं का उद्भव और विकास
तीर्थक्षेत्र शत्रुंजय
सोलंकी - काल के जैन मन्दिरों में जैनेतर चित्रण
हरिओम सिंह
जैन दर्शन और मार्क्सवाद, सत् का स्वरूप
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
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ई० सन् १९८१ १९७६
३४१ पृष्ठ । १८-२१ . २५-३०
___ ३३
१०
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख महावीर संदेश-दार्शनिक दृष्टि जैन दर्शन में बंध और मुक्ति हरिवल्लभ भयाणी दशरूपकावलोक में उद्धृत अपभ्रंश उदाहरण हस्तिमल जी 'साधक' अहिंसा की प्रतिष्ठा का मार्ग जैन समाज में फोटो प्रचार ब्रह्मचर्य की गुप्ति हीरा कुमारी जैनदर्शन
३ हीराचन्द्र सूरि 'विद्यालंकार' पर्युषण की सही आराधना हीरालाल जैन आचार्यसम्राट पूज्य श्री आत्माराम जी महाराज : एक अंशुमाली हीरालाल रसिकलाल कापडिया संवेगरंगशाला-एक स्पष्टीकरण हुकुमचन्द्र संगवे अजीवद्रव्य
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१९८२ १९५९ १९६४ १९६५
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
ई० सन् १९८२ १९७३ १९७१
पृष्ठ २८-३१ ३२-३९ १६
.
१९५१
२१-२५
७-९
१९९०
८ ३-९०
लेख
चिन्तन : सम्यक् जीवन दृष्टि __ मृत्यु एवं संलेखना
षड़ावश्यक में सामायिक हुकुमचंद सिंघई प्रतिज्ञा हेमन्तकुमार जैन भट्टअकलंककृत लघीयस्त्रय : एक दार्शनिक अध्ययन त्रिलोचन पंत मेरे संस्मरण : मालवीय जी त्रिवेणीप्रसाद सिंह मानव व्यक्तित्व का वर्गीकरण ज्ञानचन्द जैन शास्त्रों में वर्णित १८ श्रेणियों के उल्लेख ज्ञानमुनि जी अभिमान बुरा है अहिंसा की लोकप्रियता आचार्य प्रवर : आत्माराम जी महाराज
२
१९६१
३३-३५
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४१-५०
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१९७५
१८-२१
१९६१ १९६४ १९५७
२२-२३ १९-२४ ३२-३४
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________________
लेख
आचार्यश्री मोतीराम जी आधुनिक विज्ञान और अहिंसा तृष्णा और उसका अंत
दीपमाला : एक आध्यात्मिक पर्व
भगवान् महावीर और उनका शांति संदेश भगवान् महावीर के आठ संदेश
भगवान् राम से दीपमाला का क्या संबंध
महापर्वसंवत्सरी
वीतराग की उपासना
वीतराग महावीर की दृष्टि स्थानकवासी समाज का दुर्भाग्य क्षमा का आदर्श
Amarchand
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
९
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७
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2 a w m a & a
१०
१३
१०
१४
१०
48
Mahāvīra
Ashok Kumar Singh
46
Sadhna of Mahāvīra as Depicted in Upa 'dhānasruta Metrical studies of Daśāśrutaskandha Niryukti in the light of its parallels 47
अंक
5 45 m
१
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1-17
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अंक 7-9 10-12
ई० सन् 1997 1997
पृष्ठ 89-103 107-118
29
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1978
27-32
1966 1996
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख Nirgrantha Doctrine of Karma : A Historical Perspective Aştakaprakarana : An Introduction A. Majumdar The Nature of object in Jaina philosophy Bashistha Narayan Sinha Concept of Ahimsā in the sāntiparva Philosophical Aspect of Non-Violence Rşabha deva: A study B.N. Tripathi Problem of suffering as conceived in Jainism Ibid Charlotte Krause The Heritage of Last Arhat Mahavira Dinanath Sharma 'सिया and असिया' Two Prakrit forms And Pischel on Them Dulichand Jain Relevance of Non-Violence in modern life
33-40 84-111 35-37
1966
.
6 7
1975 1975
26-29 27-32
1997
1-27
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1990
79-82
10-12
1996
996
101-109
Page #356
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________________
लेख
Dr. Harihar Singh
Jainism in Gujarat
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष
2 X X X X 88
Indra Bhushan Panday
Jaina Influence on Shree Ramanujācārya Jaina Concept of Liberation
Nature and Role of Devotion in Jaina Sadhanā
J. P. Sharma
Jaina and Buddhist Tradition Regarding the Origins of Ajātsattu's War with the Vajjins- A New Interpretation
Ibid
20
Ibid
Jaina Temple Sculptures of Gujarat
Origin and Development of Tirthankara Images.
Sixteen Vidyadevis as Depicted in Temple at Kumbhāriā The Eight Dikpälas as Depicted in the Jaina Temple of Kumbhāriā 28
Tirthakṣetras in Jainism
20
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1969
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28-34
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26-30
30-35
22-28
27-35
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Page #357
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________________
३४६
श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
1972
29-30
1996
115-119
लेख K. B. Shastri Jaina Temples in Karnataka K. D. Bajpai Jaina Archaeology and Epigraphy L. K. L. Shrivastava Jaina view of Kevalin L. K. Bharatiya Sociology in Jaina Literature Madhu Sen Jaina system of Education as Revealed from Niśīthacūrni
1973
20-30
1971
31-37
35-41
1969 1969
Ibid
33-37
M. L. Mehta Some Important Prakrit works Compendia of Dịștivāda Prakrit Bhaşyas Contribution of Jainism to Indian Philosophy Kundakunda's view-points in the Samayasāra The Pūrva
1968 1968 1973 1973 1978 1978
32-39 26-28 35-36 53-58 23-26 33-35
Page #358
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में
३४७
लेख
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
3
1971 1971 1975
27-34 25-28 24-33
10
10-12
1995
99-103
1968
24-35
Maruti Nandan Prasad Tiwari Sarasvati In Jaina Sculptures · Ibid
The Iconography of the Jaina Yaksnī Cakresvari Nandini Mehta Select Vyāntara Devatās in Early Indian Art and Literature Nathamal Tatia Progress of Prakrit & Jaina Studies Priya Jain Sadhaka, Sadhanā & Sādhya Rajjan Kumar Gunavrata and Upāsakadaśānga Ramchandra Jain Ahiṁsā in the Ancient East S. C. Pande Ācārya Hemacandra and Ardhamāgadhi S. D. Sharma and S. S. Lishk Latitude of the Moon as Determined in Jaina Astronomy
1996
77-84
1997
104-108
1965
23-28
1-3
1997
1997
760
76-82
2
1975
28-35
Page #359
--------------------------------------------------------------------------
________________
३४८
श्रमण : अतीत के झरोखे में
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
10-12
1996
83-100
10-12
1997
1-28
4-6
71-83
लेख Yuacharya Shiv Muni Spiritual Practices of Lord Mahāvīra Shriprakash Pandey Navatattvaprakarana S. M. Jain & A.K. Singh The story of the origin of Yāpaniya Sect Yāpanīya Sect: An Introduction S.P. Narang Panis and Jainas Surendra Kumar Garga Sri Hanumāna in Padmapurāna Dr. Surendra Varma Meaning and Typology of Violence
1996 1996
1-3
99-114
10-12
1995
87-89
10-12
1995
104-117
10-12
1995
81-86
Page #360
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श्रमण विषयानुसार लेख सूची
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
लेख
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३४९ पृष्ठ
T८
२२
३१-३४ १७-२२
१९ १-२ २२३
१. दर्शन-तत्त्व मीमांसा और ज्ञान मीमांसा अकलंकदेव की दार्शनिक कृतियाँ
डॉ० मोहनलाल मेहता अजीवद्रव्य
श्री हुकुमचन्द्र संगवे अध्यात्मवाद और भौतिकवाद
डॉ० सागरमल जैन अध्यात्मवाद : एक अध्ययन
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री अध्यात्मवादियों से
पं० उदय जैन अन्तः प्रज्ञाशक्ति
दर्शनाचार्य मुनि योगेश कुमार अतयात्रा
मुनि राजेन्द्रकुमार 'रत्नेश' अन्तरालगति
डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा अनेकान्त : अहिंसा
डॉ० जगदीशचन्द्र जैन अनेकान्त अहिंसा का व्यापक रूप अनेकान्त एक दृष्टि
श्री ऋषभचंद जैन 'फौजदार' अनेकान्त दर्शन
मुनिश्री नगराज जी अनेकान्तवाद
डॉ० प्रतिभा जैन अनेकान्तवाद और उसकी व्यावहारिकता
डॉ. विजय कुमार अनेकान्तवाद की व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता शीतलचंद जैन
१९७७ १९७१ १९८० १९६७ १९७१ १९८५ १९८८ १९७० १९६२ १९६२ १९८०
३९ २८ १४
१२ ५ २
५४-६४ १८-२४ २-४ १९-२१ ८-१३ ७-८ ५१-५२ १०-१२
१९८९
९-१०
३४
४७
५ १०-१२ १०
१९८३ १९९६ १९८०
२-९ १३-३५ २३-२७
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३५०
लेख
अनेकान्तवाद की व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता अपने को जानिये
अभव्यजीव नवग्रैवेयक तक कैसे जाता है ? अरविन्द का अनेकान्त दर्शन
अर्हं परमात्मने नमः
अशोक के अभिलेखों में अनेकांतवादी
चिन्तन : एक समीक्षा
असंयत जीव का जीना चाहना राग
आकाश
आगम साहित्य में कर्मवाद
आचार्य दिवाकर का प्रमाण : एक अनुशीलन आचार्य हरिभद्रसूरि का दार्शनिक दृष्टिकोण आचारांग का दार्शनिक पक्ष
आचारांग की दार्शनिक मान्यतायें
आचारांग में उल्लेखित 'परमत'
आचारांग में सोऽहम् की अवधारणा का अर्थ आत्म-अनात्म द्वन्द्वात्मिकी
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
डॉ० सनत् कुमार जैन
श्री देवेन्द्र कुमार श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री श्रीप्रकाश दुबे
प्रो० कल्याणमल लोढ़ा
डा० अरुणप्रताप सिंह प्रो० दलसुख मालवणिया
डॉ० मोहनलाल मेहता
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डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव कु० सुशीला जैन
स्व० डॉ० परमेष्ठी दास जैन
डा० इन्द्र
पं० बेचरदास दोशी
मुनि योगेश कुमार संन्यासी राम
वर्ष
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३२
१९
१३
४२
४४
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अंक
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ई० सन्
१९८१
१९५४
१९६८
१९६२
१९९१
१९९३
१९५३
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१९७१
१९६५
१९७१
१९८७
१९५३
१९६६
१९८४
१९८७
पृष्ठ
१८-१९
३१-३३
७-११
६-८
१-१०
८-१३
३-६
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४-१२
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१९-२३
१-११
१-६
२१-२४
१-१०
९-१९
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पृष्ठ २८-३६ १०-११ ३१-३८
लेख आत्म परिमाण (विस्तार क्षेत्र) जैन दर्शन के सन्दर्भ में आत्मबोध का क्षण आत्म विज्ञान आत्मा और परमात्मा आत्मा का बल आत्मा की महिमा आधुनिक सन्दर्भ में जैन दर्शन आप सम्यग् दृष्टि हैं या मिथ्या दृष्टि आस्रव व बंध . आस्तिक और नास्तिक इन्द्रिय निग्रह से मोक्ष-प्राप्ति ईश्वर और आत्मा : जैन दृष्टि ईश्वरत्व: जैन और योग-एक तुलनात्मक अध्ययन उच्चगोत्र और नीचगोत्र उत्तराध्ययन का अनेकान्तिक पक्ष उत्तराध्ययन में मोक्ष की अवधारणा उपासकदशांगसूत्र का आलोचनात्मक अध्ययन
* * * * 5 * * * * 3 * * * * *
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मनि योगेश कुमार
३५ १२ आचार्य आनन्द ऋषि श्री गोपीचन्द धारीवाल डॉ० सागरमल जैन
३१ ५ श्री किशोरीलाल मशरूवाला श्री जयभगवान जी एडवोकेट श्री बृजकिशोर पाण्डेय
३० १२ प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री २८ श्री गोपीचन्द धारीवाल १७ १-२ डॉ० इन्द्र श्री कृष्ण 'जुगनू' डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
६ डॉ० ललितकिशोरलाल श्रीवास्तव
-१२ डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० महेन्द्रनाथ सिंह डॉ० सुभाष कोठारी
ई० सन् १९८४ १९८३ १९६५ १९८० १९५४ १९५२ १९७९ १९५१ १९६५ १९५४ १९८६ १९८० १९९० १९७१ १९७७ १९८९ १९८६
३० १८-२२ ३२-३६ १९-२५ २७-३० ५-७ १०-१४ ७१-८४ ३-४ ३-१० ३५-३८ ८-१३
Page #365
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३५२
लेख
.
अंक
७-८ १४८ ४५ १०-१२
पृष्ठ ३-१० ९-१२ १०-२२
३-११
एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति कर्म और अनीश्वरवाद कर्म और कर्मबन्ध कर्म का स्वरूप कर्म का स्वरूप कर्म की नैतिकता का आधार-तत्त्वार्थसूत्र के प्रसंग में कर्मवाद व अन्यवाद क्या जैन दर्शन नास्तिक दर्शन है ? क्या जैनधर्म रहस्यवादी है ? क्या धन-सम्पत्ति आदि कर्म के फल हैं
५-७
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० सुखलाल जी श्री श्रीप्रकाश दुबे डॉ० नन्दलाल जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्री रवीन्द्रनाथ मिश्र डॉ० रत्ना श्रीवास्तव डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० लालचन्द जैन डॉ० प्रद्युम्नकुमार जैन पं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० धूपनाथ प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० रत्नलाल जैन श्री रमेश मुनि डॉ० मोहनलाल मेहता प्रो० रामचन्द्र महेन्द्र श्री अभयकुमार जैन
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ई० सन् १९५३ १९६३ १९९४ १९७१ १९८४ १९९४ १९७१ १९७९ १९७७ १९५१ १९६९ १९९५ १९५२ १९८९ १९७२ १९५८ १९५८ १९७७
काल
कालचक्र केवलज्ञान सम्बन्धी कुछ बातें कर्म की विचित्रता- मनोविज्ञान की भाषा में । षड्द्रव्य : एक परिचय गणधरवाद गाँधी सिद्धान्त गुणस्थान : मनोदशाओं का आध्यात्मिक विश्लेषण
११-२० ३-१५ ११-१७ ३०-३९ ७-९ ४२-४३ १९-२२ ३५-४१ १४-१५ ३-६ २८-२९ ३-१४
*
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
लेख
२८४ ४३ ४३
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१-३ ४-६
१०
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गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास गुणस्थान सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास गुरुत्वाकर्षण से परमाणु शक्ति तक छद्मस्थानां च मतिभ्रमः २६ वाँ प्राच्यविद्या विश्व-सम्मेलन क्षत्रचूड़ामणि में उल्लिखित कतिपय नीतिवाक्य जगत् : सत्य या मिथ्या जीव और जगत् जैन अध्यात्मवाद : आधुनिक संदर्भ में जैन आगम और गुणस्थान सिद्धान्त जैन आगम साहित्य में प्रमाणवाद जैन आगमों में धर्म-अधर्म (द्रव्य) : एक ऐतिहासिक विवेचन जैन एवं न्यायदर्शन में कर्मसिद्धान्त जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित एवं लोकहित का प्रश्न
डॉ० सागरमल जैन डॉ० सागरमल जैन श्री दुलीचन्द जैन श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० नारायण हेमनदास सम्तानी श्री उदयचंद जैन 'प्रभाकर' श्री कन्हैयालाल सरावगी पं० बेचरदास दोशी डॉ० सागरमल जैन डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय श्री गणेशमुनि शास्त्री
३५३ पृष्ठ ९-१८ २३-४३ १-२६ ३०-३४ २६-३० ३-८ १२-२१ ५-११ १३-१५ १-१७ ३-१४ २९-३४
ई० सन् १९७७ १९९२ । १९९२ ।। १९६० १९५८ १९६४ १९७३ १९८८ १९६० १९८३ १९९६ १९७९
२४ ३९ १२ ३४ ४७ ३०
३ ५ १ १० ७-९ ११
डॉ० विजय कुमार श्री प्रेमकुमार अग्रवाल डॉ० सागरमल जैन
४८ २४
१०-१२ १
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१९९७ १९७२ १९८० १९८० १९७४
५३-७२ १२-१९ २-१० ५-१३ ३-९
३२
जैन कर्म-सिद्धान्त
डॉ० प्रमोद कुमार
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३५४
लेख
वर्ष
अंक
जैन कर्म सिद्धान्त: एक विश्लेषण जैन कर्म सिद्धान्त और मनोविज्ञान जैन कर्म सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास जैन कर्म सिद्धान्त का क्रमिक विकास जैन तर्कशास्त्र में बौद्ध प्रत्यक्ष प्रमाणवाद
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन डॉ० रत्नलाल जैन श्री रवीन्द्रनाथ मिश्र
३६ ३६ २७
श्री लालचन्द जैन
ई० सन् १९९४ १९९२ १९८५ १९८५ १९७६ १९७६ १९७६ - १९७६ १९७२ १९५२
पृष्ठ ९४-१२७ ६५-७० १९-२६ १६-२१ ३-८ १०-१५ १५-१९ १२-२० ८-१५ ९-१५
E agoramo swango a varx
जैन तर्कशास्त्र में “सन्निकर्स-प्रमाणवाद' जैनदर्शन जैनदर्शन और अरविन्द दर्शन में एकत्व और अनेकत्व सम्बन्धी विचार जैनदर्शन और भक्ति : एक थीसिस जैन दर्शन और मार्क्सवाद जैनदर्शन का शब्द विज्ञान जैनदर्शन का स्याद्वाद सिद्धान्त जैनदर्शन की देन
सुश्री हीरा कुमारी
१६-२० ३-८
कु० ममता गुप्ता डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री हरिओम् सिंह श्री मनोहर मुनि जी श्री अभयकुमार जैन डॉ० मंगलदेव शास्त्री
३२
१०
१९८४ १९६५ १९८१ १९६१ १९७५ १९५६
२७
१६-२० २८-३१ ३-१४ १३-१४
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लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० विनोदकुमार तिवारी
वर्ष
अंक
३३ २४
३७
३४ ३२
ई० सन् १९८५ १९८२ १९७३ १९८६ १९८३ १९८१ १९८५ १९८५ १९७२
जैनदर्शन की पृष्ठभूमि में ईश्वर का अस्तित्त्व जैनदर्शन के अन्तर्गत जीव तत्त्व का स्वरूप जैनदर्शन में कर्म का स्वरूप जैनदर्शन के सन्दर्भ में भाषा की उत्पत्ति
जैनदर्शन में अजीव तत्त्व का स्थान । __ जैनदर्शन में अनेकान्तवाद का स्वरूप
जैनदर्शन में आत्मस्वरूप जैनदर्शन में कथन की सत्यता जैनदर्शन में कर्मवाद की अवधारणा जैनदर्शन में ज्ञान का स्वरूप जैनदर्शन में नैतिकता की सापेक्षता जैन तत्त्वविद्या में 'पुद्गल' की अवधारणा जैन तर्क शास्त्र के सप्तभंगी नय की आगमिक व्याख्या जैन दर्शन जैन दर्शन में जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया जैन दर्शन में जीव का स्वरूप जैन दर्शन में परीषह जय का स्वरूप एवं महत्त्व
३६
डॉ० राधेश्याम श्रीवास्तव कु० अर्चना पाण्डेय डॉ० विनोदकुमार तिवारी श्री भिखारीराम यादव डॉ० उदयचन्द जैन. सुश्री अर्चना पाण्डेय कु० प्रमिला पाण्डेय डॉ० रामजी सिंह डॉ० सागरमल जैन श्री अम्बिकादत्त शर्मा डॉ० भिखारीराम यादव श्री उदय मुनि श्री अम्बिकादत्त शर्मा श्री विजय कुमार कु० कमला जोशी
923 1922 mm * ~r xxx
३५५ पृष्ठ ९-११ १२-१५ ३१-३५ ११-१८ १८-२१ १-९ १-११ ६-९ २२-२७ २७-३२ १२३-१३३ ६-१५ १-२६ १४-१७
२४
१९७३
३९
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३७
१९९५ १९८७ १९८८ १९७७ १९८७ १९८६ १९८९
३८
२-९
३७
९-१५ ४१-४५
४०
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________________
३५६ लेख जैन दर्शन में प्रत्यक्ष का स्वरूप (विशेष शोध निबन्ध) जैनदर्शन में प्रमाण (विशेष शोध निबन्ध) जैनदर्शन में पुद्गल द्रव्य जैनदर्शन में पुद्गल स्कन्ध जैनदर्शन में प्रमाण का स्वरूप
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा ____३३ ३
३२८ डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री रमेशमुनि शास्त्री
ई० सन् १९८२ १९८१ १९७४ १९७७ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७५ १९७६
पृष्ठ १-२४ १-३४ ८-१५ १०-१२ ९-१३ ९-१३ १६-२२ ७-९ १५-१८ २३-२९ २५-३०
श्री हरेराम सिंह
१९७५
जैनदर्शन में बन्ध और मुक्ति जैनदर्शन में बन्ध का स्वरूप: वैज्ञानिक अवधारणाओं के सन्दर्भ में जैनदर्शन में बंधन मोक्ष जैन दर्शन में ब्रह्माद्वैतवाद जैन दर्शन में मक्ति की अवधारणा जैन दर्शन में शब्दार्थ सम्बन्ध
३७
१९८६
श्री अनिलकुमार गुप्त श्री विजय कुमार डॉ० लालचन्द जैन श्री पाण्डेय रामदास 'गंभीर' डॉ० सुदर्शनलाल जैन
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१०-१९ ११-२६ २-१२ २७-३९
१९७९ १९८० १९९२
३१ ४३
४-६
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३५७
लेख
लेखक
श्रमण : अतीत के झरोखे में
वर्ष श्री ललितकिशोरलाल श्रीवास्तव २५ श्री रामजी
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
१९७४ १९७२
२३-२८ १८-२२
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४ १०-१२
४६
६
जैन दर्शन में सर्वज्ञता का स्वरूप जैन दर्शन में स्याद्वाद और उसका महत्त्व जैन दार्शनिक साहित्य में अभाव प्रमाण : एक मीमांसा जैन दार्शनिक साहित्य में ईश्वरवाद की समालोचना जैन दृष्टि से ज्ञान-निरूपण जैनधर्म का लेश्या-सिद्धान्त : एक विमर्श जैनधर्म की प्रासंगिकता जैनधर्म-दर्शन का सारतत्त्व जैनधर्म : मानवतावादी दृष्टिकोण : एक मूल्याकंन जैनधर्म में आत्मतत्त्व निरूपण जैनधर्म में 'एकान्त नियतिवाद' और 'सम्यक् नियति' का भेद जैनधर्म में कर्मयोग का स्वरूप जैनधर्म में मानव जैनधर्म में मानवतावाद
श्री रमेशमुनि शास्त्री श्रीमती मंजुला भट्टाचार्या श्री रमेशमुनि शास्त्री
२९ डॉ० सागरमल जैन डॉ० निजामुद्दीन
३१ डॉ० सागरमल जैन
४५ डॉ० ललितकिशोरलाल श्रीवास्तव ४० प्रो० रामदेव राम
३३
४-६ ८ १-३
१९७९ १९९२ १९७८ १९९५ १९८० १९९४ १९८९ १९८२
२३-३५ ६७-६९ २९-३५ १५०-१६५ १९-२५ १-१३ ३४-४५ १-९
११
पं० फूलचन्द सिद्धान्तशास्त्री १३ श्री कन्हैयालाल सरावगी ३० डॉ० रज्जन कुमार/डॉ० सुनीता कुमारी ४१ श्री कस्तूरमल बांठिया १७
१९६२ १९७९ १९९० १९६६ ।।
६-८ १५-२० १०५-११२
२५-३२
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________________
वर्ष
अंक
३५८ लेख जैनधर्म में शुभ और अशुभ की अवधारणा जैनधर्मानुसार जीव,प्राण और हिंसा जैन नीति-दर्शन एवं उसका व्यावहारिक पक्ष जैन न्यायदर्शन : समन्वय का मार्ग जैन पुराणों में पुनर्जन्म की कथायें
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री सुभाषचन्द जैन डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा डॉ० डी० आर० भंडारी डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री धन्यकुमार राजेश
१९७ ३६ ७ २६ ५ २२ ५
२२
४२
१-३
जैनभाषादर्शन की समस्याएँ जैन महाकवि पं० बनारसीदास का रहस्यवाद जैन मिस्टीसिज्म
श्रीमती अर्चनारानी पाण्डेय श्री गणेशप्रसाद जैन प्रो० यू० ए० आसरानी
ई० सन् १९७९ १९६८ १९८५ १९७५ १९७१ १९७१ १९९१ १९६८ १९७३ १९७३ १९६८ १९९१ १९५४ १९८५ १९८४ १९७८
पृष्ठ २३-३२ १८-२२ १-८ २३-२७ २३-३१ १०-१५ ९३-९६ १८-२२ २७-३८ ३२-४१ १४-२२ ३३-५० ४० । २-७ १२-१५ ३-१३
जैन वाङ्गमय में आयुर्वेद जैन श्रमण साधना: एक परिचय जैन संस्कृति और मिथ्यात्त्व जैन संस्कृति का दिव्य सन्देश-अनेकान्त जैन संस्कृति में सत्य की अवधारणा जैन सिद्धान्त
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० सुभाष कोठारी पं० बेचरदास दोशी मुनि ज्योतिर्धर डॉ० राजदेव दुबे एवं प्रमोदकुमार सिंह डॉ० मोहनलाल मेहता
२४ २० ४२ ५ ३७ ३५
७ १ १-३ ३ १
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________________
वर्ष
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० मोहनलाल मेहता मुनिश्री रामकृष्ण मुनिश्री जयन्तीलाल जी श्री भिखारीराम यादव प्रो० विमलदास
३३ ३ ३३
ई० सन् १९५४ १९८१ १९५२ १९८२ १९५२
३५९ पृष्ठ । ५-९ ७-११ १७-२१ ३४-३६ ५-११
लेख जैनागमों में ज्ञानवाद ज्ञान भी सम्पदा है ज्ञान की खोज में ज्ञान-प्रमाण्य और जैन दर्शन ज्ञान सापेक्ष है डॉ० गोविन्द त्रिगुणायक का “जैन दर्शन व संत-कवि" सम्बन्धी वक्तव्य तत्त्व सूत्र तत्त्वार्थराजवार्तिक में वर्णित बौद्धादिमत तर्क का क्षेत्र तीर्थंकर और दुःखवाद तीर्थंकरवाद त्याग का मनोविज्ञान तीर्थकर, बुद्ध और अवतार की अवधारणा का तुलनात्मक अध्ययन द्वन्द्व और द्वन्द्व निवारण (जैन दर्शन के विशेष-प्रसंग में)
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३९
श्री अगरचन्द नाहटा संन्यासी राम डॉ० उदयचन्द जैन प्रो० विमलदास जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री कस्तूरमल बांठिया श्री माँ अरविन्दाश्रम श्री रमेशचन्द्र गुप्त
४
३५ ३ २४ ७ १६
१९६४ १९८८ १९८४ १९५२ १९७३ १९५६ १९६५ १९८५
२८-३६ १-८ ३७-४८ ३१-३६ २६-२८ ९-१६ २९-३३ २७-३७
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डॉ० सुरेन्द्र वर्मा
४७
१०-१२
१९९६
१-१३
Page #373
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________________
३६०
लेख
वर्ष १६ ३६ १४
दर्शन और धर्म दर्शन और ज्ञान जब चारित्र में आया दर्शन और धर्म दर्शन और विज्ञान : एक चिन्तन द्वादशारनयचक्र का दार्शनिक अध्ययन धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान धर्म एवं दर्शन-एक गवेषणात्मक विवेचन धर्म और दर्शन
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री महेन्द्रसागर प्रचण्डिया पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री गणेशमनि शास्त्री श्री जितेन्द्र बी० शाह डॉ० सागरमल जैन संगीता झा मुनि राजेन्द्रकुमार रत्नेश मुनिश्री सुशीलकुमार जी
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ई० सन् १९६५ १९८५ १९६२ १९६५ १९९२ १९८६ १९८९ १९८५ १९५६ १९५६ १९८१ १९७८ १९७२ १९७४ १९५६ १९७४ १९७४
पृष्ठ ३-७ १८-१९ ९-१३ ८-१२ ५९-६३ १-२० ३०-४० १६-१८ २०-२३ २३-२८ ३५-४८ १४-१८ १३-१७ १०-१५ ५-१२ ३-८ ३-१०
नय और निक्षेप-एक विश्लेषण नयवाद: एक दृष्टि निक्षेप में नय योजना निक्षेपवाद : एक परिदृष्टि निह्मववाद निश्चय और व्यवहार निश्चय और व्यवहार : पुण्य और पाप
डॉ० कृपाशंकर व्यास श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री उदयचंद जैन श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री मोहनलाल मेहता पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री पं० दलसुख मालवणिया
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष २
अंक १ १०-१२ ४
३६
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लेख न्याय सम्पन्न विभव पंचकारण समवाय परमतत्त्व : आचार्य विनोबा भावे की दृष्टि में परमाणु परिग्रह मीमांसा पुद्गल पुद्गल : एक विवेचन पुनर्जन्म सिद्धान्त की व्यापकता प्रातिभज्ञानात्मक चिन्तन : सापेक्ष चिन्तन प्रत्येक आत्मा परमात्मा है। प्रमाणवाद : एक पर्यवेक्षण - क्रमश:
.
डॉ० रतनचन्द्र जैन डॉ० नरेन्द्र बहादुर डॉ० मोहनलाल मेहता श्री रघुवीरशरण दिवाकर डॉ० मोहनलाल मेहता मुनि बुद्धमल्ल जी. श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री पाण्डेय रामदास 'गंभीर' पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
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ई० सन् १९५० १९९७ १९८५ १९६९ १९५१ १९६९ १९७४ १९७३ १९८२ १९६३ १९७४ १९७४ १९७४ १९९७ १९७२ १९७३ १९७२
३६१ पृष्ठ । ९-१२ ७३-८० २२-२६ ५-७ ९-१४ २०-२२ १४-१८ ३-१० ५-१७ ३१-३२ ३-१३ ७-१८ १३-२२ १३३-१४० ३-१५ ३-११ ११-१४
२५६
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२५८
प्रमाण-लक्षण-निरूपण में प्रमाण मीमांसा का अवदान प्रमाण स्वरूप विमर्श - क्रमशः ।
डॉ० सागरमल जैन डॉ० सुदर्शनलाल जैन
२४
२४
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प्रमेय : एक अनुचिन्तन
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
Page #375
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनि राजेन्द्र कुमार 'रत्नेश'
वर्ष ३९
अंक ५
ई० सन् १९८८
पृष्ठ २-४
३६२ लेख प्रलय से एकलय की ओर प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों का मनोवैज्ञानिक विकास एव उनके दार्शनिक एवं सांस्कृतिक प्रदेय प्राचीन जैन आगमों में चार्वाक दर्शन का प्रस्तुतीकरण प्राचीन जैन ग्रंथों में कर्म सिद्धान्त का विकासक्रम बंधन से अलंकार बन्ध के कार्य में मिथ्यात्त्व और कषाय की भूमिकाएं ब्रह्माद्वैतवाद का समालोचनात्मक परिशीलन
डॉ० सागरमल जैन
१-३ १०-१२
डॉ. अशोक सिंह सुश्री मोहिनी शर्मा डॉ० रतनचन्द्र जैन डॉ० लालचन्द जैन
१४-२० ४६-५८ १९-२८ ३-५ २-८
३-१
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भगवान् महावीर का अध्यात्म दर्शन भगवान् महावीर का ईश्वरवाद भगवान् महावीर का तत्त्वज्ञान भारतीय दर्शनों की आत्मा भारतीय दर्शनों की समन्वय परम्परा भारतीय दर्शनों में आत्मा भारतीय संस्कृति में दान का महत्त्व भारतीय समाज का आध्यात्मिक दर्शन
उपाध्याय श्री अमरमुनि डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा कु० मंजुला मेहता उपाध्याय श्री अमरमुनि जी डॉ० एन० के० देवराज श्री बशिष्ठनारायण सिन्हा श्री देवेन्द्रमनि शास्त्री श्री देवेन्द्र कुमार
१९७९ १९९५ १९९३ १९५३ १९८३ १९७९ १९७९ १९६३ १९७५ १९७४ १९६१ १९६१ १९५९ १९६९ १९५०
२६ १२ १२ १० २०
१-२ ९ ९ ४ ७
९-२२ १-५ ९-१२ ६३-६७ ९-११ २१-२४. १९-२६ १०-२० २७-२९
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________________
३६३
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री छगनलाल शास्त्री डॉ० सागरमल जैन डॉ० केवलकृष्ण मित्तल श्री रमेशमुनि शास्त्री युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ श्री अभयमुनि जी महाराज डॉ० सागरमल जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन
ई० सन् १९६२ १९८० १९७८ १९७७ १९८२ १९५५
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पृष्ठ २६-२८ ३-११ १४-२० २५-२८ १८-२२ ३६-३७ ९७-१२२ ३-५
३४
४६
लेख भेद में अभेद का सर्जक स्याद्वाद भेद विज्ञान : मुक्ति का सिंहद्वार भौतिकवाद एवं समयसार की सप्तभंगी व्याख्या मन और संज्ञा मन की शक्ति बनाम सामायिक मन-निग्रह मन, शक्ति, स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण महाकवि स्वयंभू का प्रकृति दर्शन महावीर के समकालीन विभिन्न आत्मवाद एवं उसमें जैन आत्मवाद का वैशिष्ट्य महावीर संदेश-दार्शनिक दृष्टि महापण्डित राहुल सांकृत्यायन के जैनधर्म सम्बन्धी मन्तव्यों की समालोचना मानव मानवतावादी समाज का आधार अहिंसा मानवव्यक्तित्व का वर्गीकरण मुनिराम सिंह का उग्र अध्यात्मवाद
१९९५
२४
१९७३
डॉ० सागरमल जैन श्री हरिओम् सिंह
१९९५ १९८०
५९-६८ १८-२१
५
डॉ० सागरमल जैन पुष्पा धारीवाल मुनिश्री सुशीलकुमार जी डॉ० त्रिवेणीप्रसाद सिंह डॉ० देवेन्द्र कुमार
११ ४१ १९
१९९४ १९५५ १९५९ १९९० १९६८
२ ४-६ ६
१७९-१८४ २४-३६ ७-११. ४१-५० १२-२२
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--------------------------------------------------------------------------
________________
अंक
३६४ लेख मुनि वारिषेण का सम्यकत्त्व मूल्य और मूल्यबोध की सापेक्षता का सिद्धांत मूल्यों का संकट और आध्यात्मिकता मोक्ष मीमांसा में जैन दर्शन का योगदान यज्ञ : एक अनुचिन्तन - क्रमश:
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० सागरमल जैन डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री धन्यकुमार राजेश श्री सुदर्शनलाल जैन
ई० सन् १९६४ १९९२
३
१५ ५-६ ४३ १-३ १६८ २२
१९७१ १९६६ १९६६ १९६९
१७
पृष्ठ ४२-४७ १-२२ २०-२३ ३-९ ३१-३८ १५-२७ ५-७ २९-३९ ७३-८४ १४-१७ १२-१५ १०-११
डॉ० मोहनलाल मेहता पं० अम्बालाल प्रेमचन्द शाह
१९६५ १९७६
रूपी और अरूपी लब्धिफल लब्धियां लेश्या : एक विश्लेषण वनस्पति की गतिशीलता वनस्पति विज्ञान वास्तविकतावाद और जैन दर्शन विग्रहगति एवं अन्तराभव विश्व का निर्माण तत्त्व : द्रव्य विश्व विज्ञान वृत्ति : बोध और विरोध
श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री कोमलचन्द शास्त्री श्री पं० बेचरदास दोशी मुनिश्री महेन्द्रकुमार 'द्वितीय' डॉ० कोमलचंद जैन डॉ० श्रीरंजन सरिदेव पं० बेचरदास जी दोशी महोपाध्याय चन्द्रप्रभसागर
१२ १९ २०
३ १२ १२
५-१७
१९६१ १९६७ १९६९ १९६७ १९६० १९९३
२२-२५ ३२-३६ १६-१९ ११-१६
१२
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________________
.
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रमेशमुनि शास्त्री कु० अर्चना पाण्डेय श्री रमेशमुनि शास्त्री
२८६
ई० सन् १९७७ १९८५ १९७७
w or x
३६५ पृष्ठ । १७-२० ९-१३ २२-२६
३६
२८
४४
लेख व्युत्सर्ग आवश्यक शब्द का वाच्यार्थ जाति या व्यक्ति शब्दों की अर्थ मीमांसा षङ्जीवनिकाय में त्रस एवं स्थावर के वर्गीकरण की समस्या षड्ावश्यक में सामायिक श्रोतेन्द्रिय की प्राप्यकारिता : एक समीक्षा संवर और निर्जरा संसार का अन्तरंग प्रदेश संस्कृत साहित्य में कर्मवाद सत्य के आवरण या मूर्छाएं 'सत्यं स्वर्गस्य सोपानम् सम्यग ज्ञान और मिथ्या ज्ञान सम्यक् दृष्टि और मिथ्या दृष्टि
डॉ० सागरमल जैन श्री हुकुमचंद संगवे श्री नंदलाल जैन श्री गोपीचंद धारीवाल
१८ ५ १९ ७ ३८ ९ १६१
डा० रत्नलाल जैन डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
* um sor or or o m
१९९३ १९७१ १९८२ १९६७ १९६८ १९८७ १९६४ १९५४ १९५१ १९५४ १९५४ १९५१ १९७९
१३-२१ ११-१६ २५-३२ १०-१७ २३-२५ १०-१६ १२-१९ ३-४ ११-१४ ३-१० ४-११ ९-१४ ११-२२
सबसे बड़ा प्रश्न - मैं कौन हूँ समन्तभद्र द्वारा क्षणिकवाद की समीक्षा
मुनिश्री रामकृष्ण जी महाराज श्री नरेन्द्रकुमार जैन
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Page #379
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३६६ लेख
"
समराइच्चकहा में चार्वाक दर्शन समयसार के अनुसार आत्मा का कर्तृत्व अकर्तृत्व एवं भोक्तृत्व- अभोक्तृत्व समयसार सप्तदशांगी टीका में गणितीय न्याय एवं दर्शन सम्यकत्व की कसौटी
सम्यग्दर्शन
सम्यक् दृष्टिकोण सत्य पारखी दृष्टि
सर्वज्ञता - एक चिन्तन सूत्रकृतांग में वर्णित दार्शनिक विचार सूत्रकृतांग में वर्णित मत-मतांतर स्वप्न : एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण स्वरूप और पररूप
स्याद्वाद
स्यादवाद- एक पर्यवेक्षण स्याद्वाद:एक भाषायी पद्धति
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
"
श्री झिनकू यादव
डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय
डॉ० लक्ष्मीचंद जैन
डॉ० मोहनलाल मेहता
श्री गोपीचंद धारीवाल मुनिश्री श्रीमल्लजी डॉ० मोहनलाल मेहता
डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय
डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
श्री मोहनलाल मेहता पं० सुखलाल जी संघवी कु० कुसुम जैन
श्री रमेशमुनि शास्त्री
श्री भिखारीराम यादव
वर्ष
३०
२४
४२
२९
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१९
११
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४१
४
३०
२५
३३
अंक
२
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ई० सन्
१९७९
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१९६७
१९६०
१९७०
१९९०
१९५४
१९५२
१९५२
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१९७४
१९८२
पृष्ठ
१७-२५
२४-२७
५७-७०
६-१०
२८-२९
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११-२०
११-१५
५-१०
२१-३३
२२-२८
३३-३८
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________________
वर्ष
अंक
लेख स्याद्वाद और अनेकान्तवाद स्याद्वाद और सप्तभंगी-एक चिन्तन स्याद्वाद एक परिशीलन -क्रमशः
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० दरबारीलाल कोठिया प्रो० सागरमल जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
is vor o ra auror w
ई० सन् १९६४ १९९० १९६९ १९६९ १९६९ १९९७ १९५२ १९८४
३६७ पृष्ठ १७-२० ३-४४ १५-२० ८-१५ १३-२१ १-१३ ३-८ १५-२३ २५-२८ १७-२० २४-२८
डॉ० सीताराम दुबे श्री चन्द्रशंकर शुक्ल श्रीमती मंजू सिंह डॉ० मोहनलाल मेहता श्री कस्तूरमल बांठिया मुनिश्री नेमिचन्द्र जी
१९५०
स्याद्वाद की अवधारणा : उद्भव एवं विकास स्यादवाद की सर्वप्रियता सूत्रकृतांग में प्रस्तुत तज्जीव तच्छरीवाद सौन्दर्य का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण । हम अनेकान्तवादी हैं या एकान्तवादी ? हर क्षेत्र में अनेकान्तवाद का प्रयोग हो हरिभद्र की क्रान्तदर्शी दृष्टि, धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में हरिभद्र के धर्म-दर्शन में क्रान्तिकारी तत्त्व : सम्बोधप्रकरण के सन्दर्भ में हिन्दी जैन कवियों का आत्म-स्वातंत्र्य हिंसा-अहिंसा का जैन दर्शन
१९५८ १९५९
प्रो० सागरमल जैन
३९
४
१९८८
२१-२५
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डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० मोहनलाल मेहता
१९८८ १९६३ १९८०
९-२० २७-३० १२-१४
३१
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________________
लेख
वर्ष
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
* * 9 "
१९६७ १९५१ १९५५ १९८४ १९७२
७-१२ ३१-३४ १७-२३ ७-१६ २३-२६
३६८
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक २- धर्म, साधना, नीति एवं आचार। अक्षय तृतीया : एक चिन्तन
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री अतीत धर्म और साधु संस्था
बरट्रेन्ड रसल अधिमास और पर्युषणा
श्री कस्तूरमल बांठिया अध्यात्म-आवास/पर्युषण
मुनि योगेशकुमार अनासक्ति
अजित शुकदेव शर्मा अर्धमागधी आगम साहित्य में समाधिमरण की अवधारणा
डॉ० सागरमल जैन अध्यात्म साधना कैसी हो
आचार्य विनोबा अष्टपाहुड़ की प्राचीन टीकाएँ
डॉ० महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज' अस्वाद व्रत भी तप है
श्री अगरचन्द नाहटा अहिंसक शक्तियों का ऐक्य
सतीश कुमार अहिंसा
श्री मदनलाल जैन
श्री राजकुमार जैन ‘अखिल' अहिंसा
श्री गोपीचंद धारीवाल अहिंसा : एक विश्लेषण
११ १०-१२
* * * * s แต่ 9 : :
१९९४ १९६० १९९२ १९६१ १९५८ १९५५ १९५६ १९६५ १९६७
८०-९३ १०-१२ ४५-४८ २५-३१ २०-२५ ५५-५६ २४-२९ २०-२८ १८-१९
६-७
.
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लख
अहिंसा : एक विश्लेषण
_१-२
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष अंक श्री बशिष्ठनारायण सिन्हा
१८ ६ श्री नन्दलाल मारू __ १८ ११ आचार्य विनोबा भावे श्री ए० एम० योस्तन ८ ३-४ श्री नन्दलाल मारू
१८५
ई० सन् १९६६ १९६७ १९६७ १९४९ १९५७ १९६७
३६९ पृष्ठ ७३-७७ १०-१५ ३३-३७ २४-२६ ३-९ ११-१४
अहिंसा और शस्त्रबल अहिंसा और शिशु अहिंसा का जैन दृष्टि से विश्लेषण अहिंसा का अर्थ विस्तार, संभावना और अहिंसा की कसौटी का क्षण सीमा क्षेत्र अहिंसा का व्यावहारिक रूप अहिंसा का महान् नियम अहिंसा का विराट रूप अहिंसा का व्यापक अर्थ अहिंसा की तीन धारायें अहिंसा की प्रतिष्ठा का मार्ग अहिंसा की महानता अहिंसा की युगवाणी
श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' डॉ० सागरमल जैन पं० श्री मल्ल जी श्री वासुदेवशरण अग्रवाल श्री उदय जैन श्री लालजी राम शुक्ल पं० मुनिश्री मल्लजी म.सा० श्री हस्तिमल जी 'साधक' श्री नारायण सक्सेना डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल
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१९५९ १९८० १९६० १९५३ १९७० १९४९ १९५८ १९५९ १९६५ १९५५
७८,४४-४६ ३-२१ २८-३१ १-२ २८-३१ ३३-३६ ३४-३७ ४३-४५ १२-१५ ३-४
२
७-८
६
१० -७
६
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________________
३
22
लेख अहिंसा की परिणति-समन्वय और सत्याग्रह अहिंसा की लोकप्रियता अहिंसा की समस्याएँ अहिंसा की साधना अहिंसा की साधना अहिंसा की सार्थकता अहिंसा के इतिहास में निरामिषता अहिंसा के तीन क्षेत्र (क्रमश:)
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक काका कालेलकर श्री ज्ञानमुनि युवाचार्य महाप्रज्ञ काका कालेलकर श्री गोपीचंद धारीवाल श्री सौभाग्यमल जैन श्री गणेशमुनि शास्त्री काका कालेलकर
२
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ई० सन् १९६६ १९६४ १९८३ १९५० १९६६ १९८३ १९६८ १९६४ १९६४ १९६३ १९८२ १९६० १९६३ १९५७ १९९३ १९९०
पृष्ठ १८-२१ १९-२४ २-४ ११-१३ ४३-६० ८-१२ ९-१४ १६-१९ १६-१७ ३४-४३ १७-१९ ३५-३८ ३६-३९ २६-३३ ८-२७ ३५-४४
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१५
१४
३३ ११
अहिंसा निउणा दिट्ठा अहिंसा परमोधर्मः अहिंसा, संयम और तप अहिंसा से कोई विरोध नहीं आगम मर्यादा और संतों के वर्षावास आचार्य हरिभद्र एवं उनका योग आचार्य हरिभद्र का योगदर्शन
श्री कस्तूरमल बांठिया श्री रविशंकर मिश्र श्री जमनालाल जैन श्री शरदकुमार ‘साधक' मुनिश्री आईदानजी डॉ० कमल जैन श्री धनंजय मिश्र
८
४४
१-३ ७-९
४१
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष
अंक
ई० सन्
३७१ पृष्ठ
३९
१२
२९
४-६ २
or
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-
लेख आचारांग के शस्त्र परिज्ञा अध्ययन में प्रतिपादित षड्जीवनिकाय सम्बन्धी अहिंसा आचारांग में अनासक्ति आचेलक्य कल्प-एक चिन्तन आत्मशुद्धि और साधना का पर्व आत्मशुद्धि का पर्व - पर्युषण आत्मशोधन का महान् पर्व : पर्युषण आत्मोपलब्धि की कला : ध्यान आध्यात्मिक खोज आध्यात्मिक साधना और उसकी परम्पराएँ आहार दर्शन आहार-विहार में उत्सर्ग-अपवाद मार्ग का समन्वय आहार शुद्धि के लिए क्या करें ? ईर्यापथ-प्रतिक्रमण ईश्वरलालकृत “जैन निर्वाण : परम्परा और परिवृत" लेख में आत्मा की माप-जोख शीर्षकके अन्तर्गत उठाये गये प्रश्नों के उत्तर उतार-चढ़ाव के बीच उभरती अहिंसा
डॉ० फूलचन्द जैन 'प्रेमी' डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री माईदयाल जैन श्री सरदारमल जैन श्री अगरचन्द नाहटा. महोपाध्याय मुनि चन्द्रप्रभसागर पं० श्री बेचरदास दोशी कुमारी इन्दुला डॉ० कस्तूरनाथ गोस्वामी डॉ० सुदर्शनलाल जैन मुनिश्री निर्मल कुमार श्री धीरजलाल टोकरशीशाह
१९८८ १९९१ १९७७ १९५९ १९६५ १९५१ १९९३ १९६० १९५९ १९८७ १९८९ १९६० १९५०
८-१५ ७३-८८ १८-२० २०-२१ ३४-३५ ७-१३ १-७ १३-१५ ९-१६ २१-२२ ११-१५ १९-२० ३४-३६
१० १० ३८८ ४० ९ ११ १०
श्री पुखराज भण्डारी श्री शरदकुमार साधक
४४ ३१
१-३ ४
१९९३ १९८०
२८-३४ १५-१८
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________________
เB
३७२ लेख उपशमन का आध्यात्मिक पर्व उदायन का पुर्यषण
:
३१ ११ १४८ ४२ ४-६
२५
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० दलसुख मालवणिया उपाध्याय श्री अमरमुनि महात्मा भगवानदीन डॉ० प्रतिभा त्रिपाठी पं० दलसुख मालवणिया श्री शिवकुमार नामदेव श्री प्रेमचन्द्र रांवका मुनिश्री नथमल जी
आचार्य आनन्द ऋषि जी पं० रत्न श्री ज्ञानमुनि जी पं० श्री विजयमुनि शास्त्री मुनिश्री समदर्शी जी श्री लक्ष्मीनारायण भारतीय डॉ० कोमलचन्द जैन श्री सौभाग्यमल जैन श्री रामप्रवेश शास्त्री अनु० नरेन्द्र गुप्त
ऋग्वेद में अहिंसा के सन्दर्भ एकान्तपाप और एकान्तपुण्य कलचुरी नरेश और जैन धर्म कालिदास के काव्यों में अहिंसा और जैनत्व कृतिकर्म के बारह प्रकार कीर्ति के शत्रु- क्रोध और कुशील क्षमा का आदर्श क्षमापना का आदर्श क्षमा का पर्व क्षमापना दिन क्षमा पहला धर्म है क्षमा से विश्व बन्धुत्व गांधीजी और अहिंसा गांधी जी की दृष्टि में अहिंसा का अर्थ
ई० सन् १९५४ १९८० १९६३ १९९१ १९५५ १९७४ १९७६ १९६९ १९८१ १९५९ १९५७ १९५९ १९६२ १९५९ १९८५ १९६१ १९५२
पृष्ठ ३-५ ७-११ २६-२९ ४४-६२ ११-१६ १९-२२ २३-२६ २६-३३ १-९ २९-३१ १५-१६ ३८-३९
३२
9 9 ::::::::::
१३
३७ __ १२
३२-३४ २-४ ९-१३ ११-१२
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________________
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लेख गुजरात का जैनधर्म गुणव्रत ग्यारह प्रतिमा (व्रत) और एकादशी चरित्र के मापदण्ड चातुर्मास चातुर्मास: स्वरूप और परम्पराएँ जैन साहित्य और शिल्प में रामकथा जैन त्यागी वर्ग के सामने एक विकट समस्या जैनधर्म की देन जैन दर्शन में अहिंसा जैन दर्शन में आवश्यक साधना जैन दर्शन में योग का प्रत्यय जैनधर्म जैनधर्म जैनधर्म का दृष्टिकोण जैनधर्म : निर्जरा एवं तप जैनधर्म में उपासना
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष अंक स्व० मुनिश्री जिनविजय जी डॉ० मोहनलाल मेहता १७ ९ श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री इन्द्र पं० दलसुख मालवणिया १ १० पं० कलानाथ शास्त्री
४६ ७-९ श्री मारुतिनंदन प्रसाद तिवारी २८ पं० बेचरदास जी दोशी श्री पी० एस० कुमारस्वामी राजा .. श्री प्रेमकुमार अग्रवाल कु० कमला जोशी श्री प्रेमकुमार अग्रवाल
२४ ७ श्री सिद्धराज ढड्डा
११-१२ श्री दिनकर
११६ मुनिश्री नन्दीषेण विजय
१० डॉ० मुकुलराज मेहता श्री प्रेमकुमार अग्रवाल
२३ २
ई० सन् १९८७ १९६६ १९७८ १९५० १९५० १९९५ १९७७ १९५९ १९५० १९७१ १९८९ १९७३ १९५८
३७३ पृष्ठ । १-३९ २२-२७ १८-२३ २१-२२ २८-३० ७०-७३ १९-२१ ४०-४५ ३३-३५ १३-२२ २७-३४ ८-१२ ६०-६३ १७-२३ १९-२१ ४-८ १२-१७
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» 9
१९६०
१९६३
24r
१९८७ १९७१
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________________
:
३७४
लेख
जैनधर्म में शक्तिपूजा का स्वरूप जैनेतर दर्शनों में अहिंसा जैनधर्म में भक्ति का स्थान जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप जैनधर्म एक सम्प्रदायातीत धर्म जैनधर्म में समाधिमरण की अवधारणा जैनधर्म विषयक भ्रान्तियां
जैन साधना पद्धति में ध्यान योग जैन साधना में चैतन्य केन्द्रों का निरूपण
जैन स्तोत्रों में नवधा भक्ति
जैन
आचार शास्त्र की गतिशीलता का समाज
शास्त्रीय अध्ययन
जैन परम्परा में ध्यान योग
जैन और वैदिक साहित्य में पराविद्या
जैनधर्म आस्तिक या नास्तिक (क्रमश:)
जैनधर्म में भावना
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल
""
कु० प्रमिला पाण्डेय
डॉ० प्रमोद कुमार डॉ० निजामुद्दीन
श्री रज्जन कुमार पं० बेचरदासजी दोशी
साध्वी प्रियदर्शना जी युवाचार्य महाप्रज्ञ श्री धर्मचन्द्र जैन
श्री धन्यकुमार राजेश
""
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श्री कन्हैयालाल सरावगी
""
डॉ० अजित शुकदेव
वर्ष
२२
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२३
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३३
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१९७५
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९-१२
२०-२८
२८-३३
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१९-२७
१८-२७
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२५-२९
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९-१६
५-१५
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२१-२५
१२-१७
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________________
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३
७
लेख जैन सिद्धान्त में योग और आस्रव जिनधर्म का तमाशा जैनधर्म और भक्ति जैनधर्म दर्शन में आराधना का महत्त्व जैनधर्म एवं बौद्धधर्म-परस्पर पूरक जैनधर्म : एक अवलोकन जैनधर्म और प्रयाग जिनमार्ग जैन दर्शन में मोक्षोपाय जैनधर्म में मोक्ष का स्वरूप जैनधर्म का वैशिष्ट्य जीवन की अंतिम साधना जैन साधना के मनोवैज्ञानिक आधार जैनधर्म में अचेलकत्व और सचेलकत्व का प्रश्न जैनधर्म में आध्यात्मिक विकास जैनधर्म में तीर्थ की अवधारणा जैनधर्म में भक्ति का स्थान
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक आचार्य अनन्तप्रसाद जैन २५ श्री अगरचंद नाहटा श्री गुलाबचन्द जैन
३०
३५ डॉ० कोमलचन्द्र जैन
२७ डॉ० के० एच० त्रिवेदी २३ डॉ० कृष्णलाल त्रिपाठी ४७ श्री कस्तूरमल बांठिया ___ २१ डॉ० रामजी सिंह श्री विनोदकुमार तिवारी प्रो० विमलदास कोंदिया श्री सत्यदेव विद्यालंकार डॉ० सागरमल जैन
३०
८ ७-९ ११
ई० सन् १९७४ १९५४ १९७९ १९८४ १९७६ १९७२ १९९६ १९७० १९७३ १९८२ १९५४ १९५५ १९७९ १९९७ १९९७ १९९० १९८०
३७५ पृष्ठ ११-१९ ९-११ २४-३१ ११-१४ ८-११ २४-२८ १५-२२ ३-१५ ३२-३६ ७-१० ३-१० ३१-३३ ८-१४ ७७-११२ १५७१६० १-२८ १४-१७
२४
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३३
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४८ ४१
११ ४-६ ४-६ ४-६
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________________
३७६
लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन
वर्ष
अंक
४५ ४५
ई० सन् १९९४ १९९४ १९९४ १९५८ १९९६ १९५०
पृष्ठ १८-३६ ३७-४३ ४४-७९ ६४-६५ २१-४६
जैनधर्म में भक्ति की अवधारणा जैनधर्म में स्वाध्याय का अर्थ एवं स्थान जैन साधना में ध्यान जैन साधु की भिक्षा विधि जैन दर्शन में पुरुषार्थ चतुष्टय जैन साधना जैन दर्शन में मोक्ष का स्वरूप : भारतीय दर्शनों के परिपेक्ष्य में जैन आचार पद्धति में अहिंसा चारित्र निर्माण में आचार पद्धति का योगदान जैन साधना पद्धति में सम्यग्दर्शन
१-३ १-३ ११-१२ १-३ ८
श्री सतीश कुमार प्रो० सुरेन्द्र वर्मा पं० सुखलाल जी संघवी
* *
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डॉ० सुदर्शनलाल जैन डॉ० राजदेव दुबे
३५ ३५
१९८३ १९८३
१९८३
श्री रमेशमुनि शास्त्री
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१८-२४ १३-२० २६-३२ ९-१२ ३-६ १६-२२
* * * * * * * *
३७
जैनधर्म में अहिंसा जैनागमों में वर्णित नागपूजा जैनधर्म की आचार संहिता जैनधर्म में तांत्रिक साधना का प्रवेश जैनधर्म में तप का स्वरूप और महत्त्व
श्री रामदेव यादव श्री रामहंस चतुर्वेदी श्री रिखबचंद लहरी डॉ० रतिलाल म० शाह
शाह श्री रामजी सिंह
१-७
१९७५ १९७५ १९८१ १९८६ १९६४ १९७३ १९७४
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२६-२८ २५-३० २२-२७
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________________
लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रामजी सिंह मुनि ललितप्रभ सागर श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
३७७ पृष्ठ २५-३०
or
५-७
वर्ष अंक २५ ५ ३४ ९ १४ ६-७ ३४ ४ ७ २ २० ९ ३२८
जैनधर्म में नीतिधर्म और साधना जैनधर्म में भक्ति का स्वरूप जैनधर्म भगवान् महावीर की कसौटी पर जैन दृष्टि में चारित्र जैनधर्म : एक निर्वचन जैनधर्म और बिहार जैन आचार में इन्द्रियदमन की मनोवैज्ञानिकता जैनधर्म में अरिहन्त और तीर्थंकर की अवधारणा जैन दृष्टि से चारित्र विकास-क्रमश:
६-८
ई० सन् १९७४ १९८३ १९६३ १९८३ १९५५ १९६९ १९८१ १९८३ १९६४ १९६४ १९७९ १९७९
श्री रतनचन्द जैन . श्री रमेशचन्द्र गुप्त डॉ० मोहनलाल मेहता
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१५
जैन श्रावकाचार - क्रमश:
१५ १२ ३० ६ ३०७ ३०८
१७-२१ ३-६ ५-१९ १-१६ ५-९ १७-२३ १३-१८ १६-२२ १६-२३ २१-३२ ८२-८५ १४-१९ १-२० १९-२०
०
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०
१९७९
४८
जैनों में साध्वी प्रतिमा की प्रतिष्ठा-पूजा व वन्दनं ज्ञानीजनों का मरण: भक्त प्रत्याख्यान मरण तनाव:कारण एवं निवारण तप का उपादेय : कर्मों की निर्जरा
श्री महेन्द्रकुमार जैन 'मस्त' श्री रज्जन कुमार डॉ० सुधा जैन डॉ० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति'
३८ ४८ ३५
७ १-३
१९९७ १९८७ १९९७ १९८४
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________________
वर्ष
पृष्ठ
३
अंक ६
१-२
१९
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल पं० बेचरदास दोशी श्री चिमनलाल चकुभाई शाह श्री वृजनन्दन मिश्र श्री ज्ञानमुनि जी महाराज डॉ० बी० सी० जैन डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव उपाध्याय श्री अमरमुनि श्री अर्हद्दास दिगे डॉ० सागरमल जैन
ई० सन् १९५२ ।। १९६७ १९८४ १९६१ १९५६ १९८१ १९७३
१२
३७८ लेख तप के प्रतीक महावीर तप क्या है ? तपश्चर्या-उपवास तपोधन महावीर तृष्णा और उसका अंत तीर्थंकर त्रिरत्न : मोक्ष के सोपान दयामूर्ति : धर्मरुचि अनगार दशधर्म योग साधना है दशलक्षण/दशलक्षण धर्म के दान, शील, तप, भाव के रचयिता और दानकुलक का पाठ दिगम्बर परम्परा में श्रावक के गुण और भेद दिवाभोजन ही क्यों? धर्म और अधर्म धर्म और धार्मिक धर्म और पुरुषार्थ धर्म और सहिष्णुता
३२७ २४ ३ ३२
१४-१९ २०-२२ ५६-५७ १९-२० ८-१० २२-२६ ५-७ ३१-३६ १३-२८
rorism ym 9422322
१९८१ १९६८
१९८३
१९७३
१९६५
श्री अगरचंद नाहटा श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० महेशदान सिंह चौहान डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० आदित्य प्रचण्डिया पं० सुखलाल जी डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन
६ १० २०५ ३४ १०
१८-२४ ५६-६६ ३३-३४ ५-७ २०-२१ १४-१७ ३३-३४
१९५५ १९६९ १९८३ १९६० १९६४
Page #392
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________________
३७९ पृष्ठ ।
वर्ष ९
अंक १
१६.
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० मुनिश्री रामकृष्ण जी महाराज पं० सुखलालजी संघवी टॉलस्टॉय श्री अजातशत्रु श्री शिवनारायण सक्सेना श्री सुबोधकुमार जैन भंडारी सरदारचंद जैन डॉ० सागरमल जैन .
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लेख धर्म-कल्याण का मार्ग धर्म का बीज और उसका विकास धर्म का तत्त्व धर्म का बहिष्कार या परिष्कार धर्म का मूल आधार-अहिंसा धर्म का मर्म
का स्वरूप क्या है ?
१२
९-१४ २२-२६ १९-२२ २०-२३ २४-२९
ई० सन् १९५७ । १९५१ १९५२ १९६० १९६५ १९५३ १९८४ १९८० १९८० १९८० १९८३ १९५२ १९५२ १९७७ १९६३ १९५७ । १९८२ १९६७
"
धर्म करते पाप तो होता ही है! धर्म की उत्पत्ति और उसका अर्थ धर्म को छानने की आवश्यकता धर्म क्षेत्रे-हिम क्षेत्रे धर्म निरपेक्ष या ईश्वर निरपेक्ष धर्म परिवर्तन-श्रमण धर्मों की भूमिका और निदान धर्म : मेरी दृष्टि में
१०
१-८ २-५ २-७ २-४ ३५-३७ ९-१४ २९-३५ १९-२८ ४-८
श्री प्रवाही श्री मोहनलाल मेहता श्री रतिलाल म० शाह श्री कानजी भाई पटेल श्री प्रभाकर गुप्त श्री महेन्द्रकुमार फुसकेले मुनिश्री नेमिचंद
८ ३३ १८
१० ७ ४
२४-२८
Page #393
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________________
३८०
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
5
वर्ष अंक १५ ५-६ ११ १० १०९
ई० सन् १९६४ १९५९ १९५८
पृष्ठ ६५-६८ ९-१२ १७-१८
उपाध्याय अमरमुनि श्री सूरजचन्द्र 'सत्यप्रेमी'
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१९८१ १९८४
३५ १३ २७
लेख धार्मिक एकता धार्मिक जीवन की प्रेरणा ध्यान योग की जैन परम्परा नैतिक आचरण विधि : सोरेन कीर्केगार्ड और जैन दर्शन ध्यान साधना का दिशाबोध नई पीढ़ी और धर्म निर्वाण : उपनिषद् से जैन दर्शन तक नि:शस्त्रीकरण नैतिकता का आधार पंचयाम धर्म-एक पर्यवेक्षण पंचपरमेष्ठि मंत्र का कर्तृत्व और दशवैकालिक पर्युषण पर्युषण: आत्म चिन्तन से सामाजिक चिन्तन की ओर पर्युषण : आत्म संक्रान्ति का अद्वितीय अध्याय पर्युषण : आत्मा की उपासना का पर्व पर्युषण और नई प्रतिमाएँ
पाण्डेय रामदास 'गम्भीर' श्री सौभाग्य मुनि जी 'कुमुद' श्री सागरमल जैन 'साथी' डॉ० शान्ति जैन मुनि आईदान श्री जगदीश सहाय श्री व्रजनन्दन साध्वी (डॉ०) सुरेखाश्री श्री मधुकर मुनि
9 xxx.
१९७६ १९५८ १९८१ १९६४ १९९१ १९८०
३-१२ ११-१४ ३१-३४ २५-२९ १७-२२ १-१८ २०-२३ १-१० २-६
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० नरेन्द्र भानावत मुनिश्री रामकृष्ण श्री लक्ष्मीनारायण
१९६१ १९८१ १९८१ १९६१
१५-१७ २-५ २६-३० २४-२५
Page #394
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________________
लेख
पर्युषण और पश्चाताप पर्युषण और बौद्ध धर्म पर्युषण और सामाजिक शुद्धि पर्युषण और हमारा कर्तव्य
"
पर्युषण एक चिन्तन
पर्युषण की सही आराधना पर्युषण: परिचय और व्याख्या पर्युषण : दस लक्षण पर्युषण पर्व पर्युषण का पावन संदेश पर्युषण पर्व का मतलब
""
पर्युषण पर्व : क्या, कब और कैसे
पर्युषण : संभावनाओं की खोज पर्वराज-दस लक्षणी पर्युषण पर्व
परिनिर्वाण
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल'
श्री उदयचन्द जैन मुनिश्री नेमिचन्द जी
श्री अगरचन्द नाहटा
""
श्री लक्ष्मीनारायण भारतीय
श्री हीराचन्द्र सूरि विद्यालंकार सुश्री शरबती जैन
श्री गुलाबचंद जैन
श्री विमलदास जैन
श्री अगरचंद नाहटा
भाई बंशीधर
""
डॉ० सागरमल जैन
डॉ० नेमिचंद जैन
श्री गणेशप्रसाद जैन श्री जय भिक्खु
वर्ष
१२
१२
१२
८
३६
१०
१०
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१०
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३३
३०
३१
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१०
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ई० सन्
१९६१
१९६१
१९६१
१९५७
१९८५
१९५९
१९५९
१९६१
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१९५०
१९५९
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१९५२
३८१
पृष्ठ
२८
२७-३०
१९-२२
९-१४
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१४-१५
३१-४०
२५-२६
१३-१४
४-५
१-१९
३-७
१९-२५
१७-२१
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________________
३८२
लेख पर्व की आराधना पर्वराज पर्युषण पर्वाराधन की एक रूपता का प्रश्न पाश्चाताप
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक उपाध्याय अमरमुनि पं० अमृतलाल शास्त्री श्री सौभाग्य मुनि 'कुमुद श्री भंवरलाल नाहटा
वर्ष १० १० ३६
अंक १२ ११ १२
३९
ง : : :
ई० सन् १९५९ १९५९ १९८५ १९८८ १९८८ १९८९ १९७१ १९७९ १९५५ १९५५
पृष्ठ १७-१९ १५-१६ १४-१५ २३-२४ २२-२४ ३-९ ३-७ १५-१ ३-१२ ३३-३६
२२
डॉ० विनोदकुमार तिवारी डॉ० मोहनलाल मेहता श्री सनतकुमार जैन स्वामी सत्यभक्त जी श्री कस्तूरमल बांठिया
३०
: :
पार्श्वकालीन जैनधर्म पुण्य और पाप पुराण प्रतिपादित शीलव्रत प्रतिक्रमण प्रत्यालोचना-महावीर का अन्तस्तल प्राकृत जैनागम परम्परा में गृहस्थाचार तथा उसकी पारिभाषिक शब्दावली प्राणातिपात विरमण: अहिंसा की उपादेयता प्राचीन मथुरा में जैन धर्म का वैभव प्राचीन भारतीय श्रमण एवं श्रमणचर्या प्रेम की सरिता प्रवाहित करने वाला पर्व बारहभावना : एक अनुशीलन
१९९२
४७-६८ ६-१५
३८
१९८७ १९५३
डॉ० कमलेश जैन डॉ० ब्रजनारायण शर्मा डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल डॉ० झिनकू यादव मुनि मणिप्रभ सागर डॉ० कमलेशकुमार जैन
२४
१२ ११
६-१२
१९७३ १९८४
३५
४-६
१९९४
५६-६१
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________________
लेख
E
अंक
९
9 - 9 : :
७-८
बाल संन्यास दीक्षा प्रतिबन्धक बिल उचित है ! बौद्ध एवं जैन अहिंसा का तुलनात्मक अध्ययन बौद्ध ग्रन्थों में जैन धर्म बौद्धधर्म बौद्ध धर्म का छठां संगायन ब्रह्मचर्य की गुप्ति भगवान् महावीर और अहिंसा भगवान् महावीर और उनके द्वारा प्रतिपादित धर्म भगवान् महावीर और धर्मक्रांति भगवान् महावीर का अचेलधर्म भगवान् महावीर का मार्ग भगवान् महावीर की अहिंसा भगवान् महावीर की जीवन साधना भगवान् महावीर की धर्म क्रांति भगवान महावीर की साधना भगवान महावीर की साधना एवं देशना भक्तामरस्तोत्र के पादपूर्तिरूप स्तवकाव्य
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री प्रभुदास बालूभाई पटावरी डॉ० भागचन्द जैन डॉ० गुलाबचंद जैन पं० दलसुख मालवणिया भिक्षु धर्मरक्षित उपाध्याय श्री हस्तिमल जी सुश्री शरबती जैन श्री ऋषभचन्द 'फौजदार' मुनिश्री नेमिचन्द जी पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री पं० दलसुख मालवणिया
श्री नरेन्द्र जैन प्रो० देवेन्द्रकुमार जैन प्रो० पृथ्वीराज जैन उपाध्याय अमरमुनि श्री भूरचंद जैन श्री अगरचंद नाहटा
0 : : : แท้ 3 แรง * * *
ई० सन् १९५६ १९८१ १९५७ १९५० १९५४ १९६५ १९५६ १९८१ १९६३ १९७७ १९५५ १९६४ १९५५ १९५७ १९८४ १९७८ १९७०
३८३ पृष्ठ १८-२३ १-१६ १८-२८ १९-२२ १२-१८ ७-१३ ४०-४५ २-४ २१-२५ ३-१० २०-२२ २४-२६ ६२-६४ २६-३० १-१० २१-२७ २५-२९
१
___३५ २९७ २१ ११
Page #397
--------------------------------------------------------------------------
________________
३८४
लेख
भक्तिमार्ग का सिंहावलोकन भारतीय दर्शनों में अहिंसा
भारतीय दर्शन में मोक्ष की अवधारणा भारतीय चिन्तन में मोक्ष और मोक्षमार्ग - क्रमशः
,"
""
मरण के विविध प्रकार महाकवि पुष्पदन्त की भक्ति चेतना महापर्व पर्युषण का पावन सन्देश : अपने आप को परखें महाभारत का आचार दर्शन
महापर्व संवत्सरी महाभिनिष्क्रमण महावीर का तपः कर्म
महावीर का धर्म : सर्वोदय तीर्थ
महावीर का संयम और उनका साधनामय जीवन
""
महावीर की साधना और सिद्धान्त
महावीर स्तुति
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
पं० दलसुख मालवणिया श्री रत्नलाल जैन
डॉ० राजीव प्रचण्डिया श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
"
""
श्री रज्जन कुमार डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन
आचार्य आनन्दऋषि जी
श्री बशिष्ठनारायण सिन्हा
ज्ञान मुनि महाराज रसिक त्रिवेदी
डॉ० मोहनलाल मेहता आचार्य राजकुमार जैन कु० सविता जैन
कु० विजया जैन
श्री अगरचंद नाहटा
वर्ष
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३६
४५
२७
२७
२७
३८
२७
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३६
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३२
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अंक
११
१०-१२
११
१२
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११
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५-६
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ई० सन्
१९५१
१९८५
१९९४
१९७६
१९७६
१९७६
१९८७
१९७६
पृष्ठ
९-१५
२३-३१
१९८५
१९६२
१-९
३-१०
३-७
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२५-३१
९-१४
१४-१५
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१९५५
२४-२८
१९५२
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१९६४
३७-४१
१९७४
१६-२०
१९८१ २७-३०
१९८२
१९-२३
१९६१
२४-२६
१९५८
१३-१५
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________________
अंक १-२
३८५ पृष्ठ । ५७-६२ १४-१७
९
७-८ ३-१३ २१-३०
लेख महावीरोपदिष्ट परिग्रह परिमाण व्रत मानतुंगसूरिरचित पंचपरमेष्ठिस्तोत्र मानव साध्य है या साधन मुनियों का आदर्श त्याग मूलाचार में मुनि की आहार-चर्या मूलाधार की समाधिमरण मैं मुक्ति चाहता हूँ मोक्ष मृत्यु एवं सल्लेखना यशस्तिलक चम्पू और जैन धर्म युवाचित्त धर्म से विमुख क्यों
योग और भोग है योग का जनतन्त्रीकरण
लेश्या-एक विश्लेषण वर्षा ऋतु का आहार-विहार
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री जमनालाल जैन श्री अगरचन्द नाहटा प्रो० नेमिचरण मित्तल मुनिश्री आईदान जी महाराज डॉ० फूलचन्द जैन 'प्रेमी' श्री उदयचंद जैन श्री भंवरमल सिंघी श्री गोपीचंद धारीवाल डॉ० हुकुमचन्द संगवे डॉ० (कु०) सत्यभामा दर्शनाचार्य मुनि योगेश विजयमुनि शास्त्री प्रो० श्रीरंजन सूरिदेव कुमारी सुशीला जैन वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन
१३
२७
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ई० सन् १९७४ १९७५ १९६० १९५२ १९७५ १९७१ १९५५ १९६६ १९७४ १९८४ १९८७ १९५८ १९७८ १९७२ १९५४ १९५६ १९५५ १९६२ १९६२
o
१४-१९ ३२-३९ १५-२८ २०-२२ ७-८ ३-७ २०-२४ १६-१९ २३-२५ १९-२० २९-३४ २६-३०
५
.
वसन्त ऋतु का आहार-विहार व्रत का मूल्य वीतराग की उपासना
डॉ० नेमिचन्द शास्त्री श्री ज्ञानमुनि जी
WW
१२ ११
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________________
पृष्ठ
वर्ष २५
अंक १२
९-१५
१६६
१
३४
३०
३८६ लेख वीर हनुमानः स्वयंभू कवि की दृष्टि में वीरों का श्रृंगार : अहिंसा वैराग्य क्या है ? वैदिक धर्म तथा जैन धर्म शांति का अमोघ अस्त्र-क्षमा शीतऋतु का आहार-विहार शीलवत: एक विवेचन शीलव्रत ग्रहण शुद्ध-अशुद्ध भावधारा शद्धि, चिकित्सा और सिद्धि का महान् पर्व-संवत्सरी शुद्धि प्रयोग का झांकी शुद्ध व्यवहार का आन्दोलन श्वेताम्बर पण्डित परम्परा श्वेताम्बर- परम्परा में श्रावक के गुण और भेद श्रद्धा का क्षेत्र श्रमण-आचार : एक परिचय श्रमण : एक व्याख्या श्रमण जीवन का बदलता हुआ इतिहास
ई० सन् १९७४ १९६५ १९६४ १९७८ १९८३ १९५४ १९७९ १९५१ १९८७ १९८४ १९६४
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्रीरंजन सूरिदेव श्रीनारायण सक्सेना स्व० छोटालाल हरजीवन सुशील पं० के० भुजबली शास्त्री मुनि ललितप्रभ सागर वैद्यराज पं० सुंदरलाल जैन श्री सनतकुमार जैन श्री रघुवीरशरण दिवाकर युवाचार्य महाप्रज्ञ. युवाचार्य महाप्रज्ञ मुनिश्री नेमिचन्द्र जी श्री किशोरीलाल मशरूवाला श्री अगरचन्द नाहटा श्री कस्तूरमल बांठिया पं० दलसुख मालवणिया श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री महेन्द्रकुमार जैन मुनिश्री आईदान जी
२
३-८ २२-२९ ९-१३ २९-३१ १९-२० १०-१८ १२-१३ २-६ २-३ ९-१३ १४-१८ १०-१३ ३-१४ ९-१२ ३-७
१९५१
३८
२७६ १३ २
१९८७ १९६६ १९५२ १९७६ १९६१ १९५६
२९-३४
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________________
लेख
श्रमण-धर्म श्रमण - धर्म : एक विश्लेषण
श्रमण परम्परा में धर्म और उसका महत्त्व श्रमण संस्कृति में अहिंसा के प्राचीन संदर्भ- क्रमशः
"
श्रमण संस्कृति में मोक्ष की अवधारणा
श्रमणों का युगधर्म श्रावक के
"
गुण एवं भेद- क्रमशः
""
श्रावक में षट्कर्म
संथारा आत्महत्या नहीं
संन्यास का आधार अन्तर्मुखी प्रवृत्ति
संन्यास की मर्यादा
संन्यासमार्ग और महावीर
संयम जीवन का सम्यक् दृष्टिकोण
संवत्सरी
संवत्सरी
संवत्सरी की सर्वमान्य तारीख
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
डॉ० मोहनलाल मेहता श्री रमेशमुनि शास्त्री
श्री कानजीभाई पटेल
डॉ० भागचंद जैन 'भास्कर'
""
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल मुनिश्री नेमिचन्द्र जी श्री कस्तूरमल बांठिया
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डॉ० रमेशचन्द्र जैन
श्री दलसुख मालवणिया
डॉ० मोहनलाल मेहता आचार्य विनोबा
पं० दलसुख मालवणिया
डॉ० सागरमल जैन
श्री समीर मुनि 'सुधाकर' डॉ० गोकुलचन्द जैन दिलीप सुराणा
वर्ष
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७-११
२-१३
३१-३५
३
१६-२२
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनि नगराज जी डॉ० सागरमल जैन श्री राजाराम जैन मुनि दुलहराज आचार्य आनन्द ऋषि डॉ० सागरमल जैन
३३ ४६
अंक ११ १-३
४
१६
ई० सन् १९८२ १९९५ १९५३ १९६५ १९८३ १९९५ १९८१ १९८३ १९८८
पृष्ठ ६-९ ६९-८६ २८-२९ ११-१५ ११-१२ १३४-१४९ २२-२७ ९-१३ १२-१७
३४
४६
३८८ लेख संवत्सरी महापर्व : स्वरूप और अपेक्षाएं सकारात्मक अहिंसा की भूमिका सच्ची साधना का प्रभाव सचेल-अचेल सदाचार का महत्त्व सदाचार के शाश्वत मानदण्ड सदाचार-मानदण्ड और जैनधर्म समाधिमरण समाधिमरण का स्वरूप समाधिमरण की अवधारणा: उत्तराध्ययनसूत्र के परिप्रेक्ष्य में समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समीक्षा साधना की अमर ज्योति साधना में श्रद्धा का स्थान साधु मर्यादा क्या ? कितनी ? साधु समाज और निवृत्ति साधुओं का शिथिलाचार सामायिक का मूल्य
३४
श्री गणेशप्रसाद जैन श्री रज्जन कुमार
30
१९८७
१३-१८
डॉ० सागरमल जैन मुनि समदर्शी आचार्य श्री आनन्द ऋषि जी श्री सौभाग्यमल जैन पं० दलसुख मालवणिया । श्री सौभाग्यमल जैन उपाध्याय श्री अमरमुनि
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४२ ४-६ १४ ५ ३१
३३ ७ ३२
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१९९१ १९६३ १९८० १९८२ १९५१ १९६४ १९८०
९९-१०१ ४१-४७ १२-१८ १५-१८ ९-१२ ९-१३ ६-८
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________________
लेख
E
अंक
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक महासती उज्जवल कुमारी श्री कन्हैयालाल सरावगी।
३८९ पृष्ठ २६ १०-१७
१
ई० सन् १९५० १९७८
१२
सामायिक की सार्थकता सामायिक : सौ सयाने एकमत सिद्धर्षिगणिकृत उपमितिभवप्रपंचाकथा से संकलित "धर्म की महिमा" सिद्धि का पथ : आर्जवधर्म सिद्धि योग का महत्त्व सिरोही जिले में जैनधर्म सेवा : स्वरूप और दर्शन सोमदेवकृत उपासकाध्ययन में शीलव्रत(क्रमश:)
१९६७ १९८४
१९७८
श्री गोपीचंद धारीवाल
१८ श्रीमती अलका प्रचण्डिया ‘दीति' ३५ पं० के० भुजबली शास्त्री
२९ डॉ० सोहनलाल पाटनी श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री सनतकुमार जैन
१९८२
१९७६
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१८-२३ १७-१८ २८-२९ ३२-३७ ३-४ ३४-३८ २३-२८ ३५-३६ २५-३१ ८-९
११
श्री राजकुमार छाजेड पृथ्वीराज जैन श्री अगरचंद नाहटा
१९७९ १९७९ १९८१ १९५० १९५५
स्वाध्याय : एक आत्म चिन्तन हजरत मुहम्मद और इस्लाम हमारी भक्ति निष्ठा कैसी हो ? हरिभद्र की श्रावकप्रज्ञप्ति में वर्णित अहिंसा: -
आधुनिक संदर्भ में हिंसक और अहिंसक युद्ध हिंसा का बोलबाला Ahimsa in the Ancient East
१९९०
डॉ० अरुणप्रताप सिंह अशोक कुमार सिंह श्री ताराचन्द्र मेहता Shri Ram Chandra Jain
४१ ३८ १४
१०-१२ ११ १
१९८७ १९६२ १९६५
५७-७० १-३ ६-७ २३-३८
Page #403
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________________
३९० लेख
३. आगम और साहित्य
अंग ग्रंथों का बाह्य रूप अंगविज्जा
अखिल भारतीय प्राच्यविद्या महासम्मेलन अज्ञात कविकृत शीलसंधि
अणगार वन्दना बत्तीसी
अद्धमागहाए भाषाए भासंति अरिहा
अपने को परखिए
अपभ्रंश और देशी तत्त्व
अपभ्रंश कथाकाव्यों का हिन्दी प्रेमाख्यानों के शिल्प
पर प्रभाव
अपभ्रंश का काव्य सौन्दर्य
अपभ्रंश का विकास कार्य तथा जैन
साहित्यकारों की देन
अपभ्रंश की शोध कहानी
अपभ्रंश के जैनपुराण और पुराणकार
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
पं० बेचरदास दोशी श्री नारायण शास्त्री
श्री
गुलाबचन्द्र चौधरी डॉ० सनत्कुमार रंगाटिया
डॉ० (श्रीमती) मुन्नी जैन श्री नंदलाल मारु मुनिश्री सुरेशचन्द्र जी शास्त्री डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन
श्री प्रेमचंद जैन
प्रो० सुरेशचन्द्र गुप्त
श्रीमती मीना भारती
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन रीता विश्वनोई
वर्ष
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१६
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প
२३
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अंक
२
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ई० सन्
१९६४
१९७०
१९५१
१९६९
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१९७३
१९५५
१९७४
१९६७
१९५४
१९७२
१९६६
१९९१
पृष्ठ
१५-२२
२८-३२
३८-४४
२१-२६
६०-७०
१३-१५
३९-४१
३-८
४३-५३
२३-३०
२९-३४
३-७
४५-५६
Page #404
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________________
लेख
अपभ्रंश के जैन साहित्य का महत्त्व अपभ्रंश चरितकाव्य तथा कथाकाव्य अपभ्रंश जैन साहित्य
""
अपभ्रंश साहित्य : उपलब्धियाँ और प्रभाव अभयकुमार श्रेणिकरास
""
अर्धमागधी आगम साहित्य
अर्धमागधी भाषा में सम्बोधन का एक विस्मृत शब्द-प्रयोग 'आउसन्ते'
अललित जैन साहित्य का अनुवाद-कुछ समस्याएँ अष्टलक्षी: संसार का एक अद्भुत ग्रन्थ अष्टलक्षी में उल्लिखित अप्राप्य रचनायें असाम्प्रदायिक जैन साहित्य
चौथी आगमवाचना का सवाल
आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्त्व, रचना - काल एवं रचयिता
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी
डॉ॰ देवेन्द्र कुमार श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
"
डॉ० देवेन्द्र कुमार डॉ० सनतकुमार रंगाटिया
"
डॉ० सागरमल जैन
डॉ० के० आर० चन्द्रं डॉ० नंदलाल जैन
महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर
श्री अगरचंद नाहटा डॉ० पी० एल० वैद्य श्री कस्तूरमल बांठिया
डॉ० सागरमल जैन
वर्ष
४
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१९६८
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१९९५
१९९५
१९८१
१९८९
१९६७
१९५३
१९५८
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पृष्ठ
३९१
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१७-२४
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१४७१५६
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अंक २
२९
४
३९२ लेख आगमिक प्रकरण आगमिक व्याख्याएँ आगमों का आनुयोगिक-वर्गीकरण आगमों के सम्पादन में कुछ विचार योग्य प्रश्न आचार्य कुन्दकुन्द और उनका साहित्य आचार्य भद्रबाहु और हरिभद्र की अज्ञात रचनाएँ आचार्य मानतुंगसूरिविरचित भक्तामरकाव्य आचार्य वादिराजसूरि आचार्य सिद्धसेन दिवाकर की साहित्य साधना आचार्य हरिभद्र और उनका साहित्य आचार्य हरिभद्र और धर्मसंग्रहणी - क्रमश:
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० मोहनलाल मेहता मुनि श्री कन्हैयालाल 'कमल' पं० बेचरदास दोशी डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्री अगरचन्द नाहटा राजमल पवैया डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ० कमल जैन डॉ० सुदर्शनलाल जैन
२५
ई० सन् १९७७ १९७९ १९६२ १९५३ १९६८ १९७४ १९८२ १९६८ १९६८ १९९३ १९६९ १९६८ १९७१
३३
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पृष्ठ ३-१३ ३-१७ ९-१२ २५-२९ १५-२१ २५-३१ १-४ २६-२९ ५-१४ १-१२ २१-२९ १६-२२ ३-१०
श्री उदयचंद जैन
आचार्य हेमचन्द्र और कुमारपालचरित आचार्य हेमचन्द्र के पट्टधर आचार्य रामचद्र के अनुपलब्ध नाटकों की खोज अत्यावश्यक आचार्य हेमचन्द्र के योगशास्त्र पर एक प्राचीन टीका
२० २० २२ १८ १८०
श्री अगरचंद नाहटा
११ ११ ४ ११
२१-२५
१९६७ १९६७
श्री जुगलकिशोर मुख्तार
२-१७
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________________
लेख आचारांग का परिचय आचारांग के कुछ महत्त्वपूर्ण शब्द आचारांगसूत्र -क्रमश:
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल' साध्वी श्री कनकप्रभा पं० दलसुख मालवणिया
३९३ पृष्ठ । २७-३५ ६१-६४ ४-७ ७-९ १०-२ २३-२५ ३-६
३-६
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ई० सन् १९६१ १९६६ १९५७ १९५७ १९५७ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९५८ १९८७ १९६६ १९६६ १९६७
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आचारांगसूत्र- एक विश्लेषण आर्षप्राकृत का व्याकरण -क्रमश:
डॉ० सागरमल जैन पं० बेचरदास दोशी
३४-३७ ९-१५ २६-२९ २५-२७ १-१९ १९-२६ १२-१४ २९-३१ ३-६
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१८३
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१८८
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________________
१०
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचंद नाहटा
१२ श्री अगरचन्द नाहटा
२२ डॉ० सूर्यदेव शर्मा ६ श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
२९ श्री मिश्रीलाल जैन __३५ प्रो० कानजी भाई पटेल दीनानाथ शर्मा
४२ श्री अगरचंद नाहटा ____ २१
८ ४ ३
३९४ लेख एक अज्ञात ग्रन्थ की उपलब्धि एक अज्ञात जैनमुनि का संस्कृत दूत काव्य "हंसदूत” एक अप्रकाशित प्राचीन प्राकृत सूत्र का अध्ययन एक आश्चर्यमय ग्रन्थ उत्तराध्ययन: नामकरण व कर्तृत्व उत्तराध्ययनसूत्र उत्तराध्ययनसूत्र : धार्मिक काव्य उपदेशमाला (धर्मदासगणि) एक समीक्षा उपा० भक्तिलाभरचित न्यायसारअवचूर्णि ऋग्वेद में अर्हत् और ऋषभवाची ऋचायें : एक- अध्ययन ऋषिभाषित का अन्तस्तल ऋषिभाषित का परीक्षण ऋषिभाषित का सामाजिक दर्शन कर्मप्राभृत अथवा षटखण्डागम: एक परिचय कर्मयोगी कृष्ण के आगामी भव कतिपय जैनेतर ग्रथों की अज्ञात जैन टीकाएं
ई० सन् १९६१ १९६१ १९७१ १९५५ १९७८ १९८४ १९६४ १९९१ १९७०
पृष्ठ २९-३० १७-२१ २३-२५ २९-३२ ३-११ २-२६ ४८-५७ ९७-१०० १९-२१
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डॉ० सागरमल जैन
१९९४ १९६०
१८५-२०२
श्री मनोहर मुनि
७-८
१९६४
साध्वी (डॉ०) प्रमोद कुमारी डॉ० मोहनलाल मेहता श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री अगरचंद नाहटा
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१६ २३ ३०
१९९२ १९६४ १९७२ १९७८
२६-३१ ६९-७९ २०-२७ ३-९ २६-३१
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० के० भुजबली शास्त्री
अंक
वर्ष २४
ई० सन् १९७३
३९५ पृष्ठ १३-२०
लेख कन्नड़ में जैन साहित्य कवि छल्लकृत अरडकमल्ल का चार भाषाओं में वर्णन कवि देपाल की अन्य रचनायें कवि रत्नाकर और रत्नाकरशतक कविवीर और उनका जंबूसामिचरिउ कल्पसूत्र का हिन्दी पद्यानुवाद कल्याणसागरसूरि को प्रेषित सचित्र विज्ञप्तिलेख कषायप्राभृत
४३ ३४
७-९ १
श्री भंवरलाल नाहटा श्री अगरचंद नाहटा डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री अगरचंद नाहटा
१९९२ १९८२ १९६८ १९६९ १९५५
५३-५८ २९-३३ १७-२४ ८-१७
६
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२-८
डॉ० मोहनलाल मेहता
१९६५ १९६५ १९६७
२९-३० १६-२१ २२-२६ १५-२२
१८
श्री अगरचन्द नाहटा
कषायप्राभृत की व्याख्यायें क्या ‘सपकमाला' नामक रचनाँए अलंकार शास्त्र सम्बन्धी है? क्या व्याख्याप्रज्ञप्ति का १५वां शतक प्रक्षिप्त है? काव्यकल्पलतावृत्ति कीर्तिवर्द्धनकृत सदयवत्स-सावलिंगाचउपई कुन्दकुन्दाचार्य की साहित्यिक उद्भावनाएँ
२९ २१
३ ९
१९७८ १९७० १९५८ १९७६ १९७६
१२-१७ १२-१९ १२-१५ २२-२६ ३०-३२
श्री अशोककुमार मिश्र श्री रमेशमुनि शास्त्री
२८ २७
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________________
३९६ लेख कुंभारियाके जैन अभिलेखों का सांस्कृतिक-अध्ययन
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० हरिहर सिंह
वर्ष २८ २८
अंक ११ १२
ई० सन् १९७७ १९७७ ।। १९७७ १९७१ १९६७
पृष्ठ ३०-३६ २५-३८ २४-२९ ३-८
कुरलकाव्य कुवलयमालाकहा का कथा-स्थापत्य-संयोजन कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर - कथाएँ (क्रमशः)
श्री फूलचंद जैन 'प्रेमी' श्री प्रेमसुमन जैन
डॉ० के० आर० चन्द्र
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१९७५ १९७५ १९७५
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३-८ ३-८ १०-११ १९-२१ १९-२२ २१-२५
१९७५
१९७५ १९७५
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श्री कस्तूरमल बांठिया
१९६७
२-१७ .
"कुवलयमाला' मध्ययुग के आदिकाल की एक - जैन कथा कुवलयमालाकहा में उल्लिखित कडंग, चन्द्र -
और तार द्वीप गीतासंज्ञक जैन रचनाएं क्षेत्रज्ञ शब्द का स्वीकार्य प्राचीनतम अर्धमागधी रूप
श्री प्रेमसुमन जैन श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० के० आर० चन्द्र
-
८ ९ १०-१२
१९७२ १९५१ १९९२
१३-८ २५-२७ ४१-४४
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________________
लेख
क्षेत्रज्ञ शब्द के विविध रूपों की कथा और उसका
अर्धमागधी रूपान्तर
चतुर्विंशतिस्तव का पाठ भेद और एक अतिरिक्त गाथा चन्द्रवेध्यक आदि-सूत्र अनुपलब्ध नहीं हैं । चन्द्रवेध्यक (प्रकीर्णक) एक आलोचनात्मक -
परिचय
चन्दन - मलयागिरि
चूर्णियां और चूर्णिकार
छीहल की एक दुर्लभं प्रबन्ध कृति जयप्रभसूरिरचित कुमारसंभवटीका जयसिंहसूरिरचित अप्रसिद्ध ऋषभदेव और वीर
चरित्र युगल काव्य
जिनचन्द्रसूरिकृत क्षपक शिक्षा का विषय जिनराजसूरिकृत नैषधमहाकाव्यवृत्ति
जिनसेन का पार्श्वाभ्युदय : मेघदूत का माखौल
जीवित साहित्य की वाणी
जैकोबी और वासी-चन्दन-कल्प - क्रमशः
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
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श्री अगरचंद नाहटा
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श्री सुरेश सिसोदिया
श्री अशोक कुमार मिश्र
डॉ० मोहनलाल मेहता
श्री अशोककुमार मिश्र
श्री अगरचंद नाहटा
श्री अगरचंद भंवरलाल नाहटा
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श्री श्रीरंजन सूरिदेव श्री विजय मुनि मुनिश्री महेन्द्रकुमार जी 'द्वितीय'
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१९७१
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२८-३२
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३६-३७
१९६६ २७-३४
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________________
३९८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
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ई० सन् १९६६ १९६६ १९६६
पृष्ठ २३-२८ १४-२० १३-१८
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जैन अभिलेखों की भाषाओं का स्वरूप एवं - विविधताएँ जैन आगम और विज्ञान जैन आगमों का मन्थन -क्रमश:
श्रीनारायण दुबे श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० इन्द्र
AAMr
922264 » ~ My FM
१९९१ १९६१ १९५३ १९५३ १९५० १९९७ १९८४ १९५६
८९-९२ ३६-४० ३५-३७ २९-३० ९-१४ १-२८
श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० सागरमल जैन श्री सौभाग्यमल जैन श्री मोहनलाल मेहता
१०-१२
९-१२
जैन आगमों का महत्त्व और कर्त्तव्य जैन आगमों की मूल भाषा : अर्धमागधी या शौरसेनी जैन आगमों में विद्वत् गोष्ठी जैन आगमों में नियुक्तियाँ जैन आगमों में हुआ भाषिक स्वरूप परिवर्तन - एक विमर्श जैन आलंकारिकों की रसविषयक मन्यताएँ जैन कला विषयक साहित्य जैन कन्नड़ वाङ्गमय
डॉ० सागरमल जैन डॉ० कमलेशकुमार जैन डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन श्री के० भुजबली शास्त्री
२९६ २९ ३ ४ ७-८
१९९४ १९७८ १९७८ १९५३
२३९-२५३ १४-२४ १८-२१ ४७-५१
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________________
लेख
अंक
जैन कवि जटमलकृत प्रेमविलासकथा जैन कवि विक्रम और उनका नेमिदूत काव्य जैन कृष्ण साहित्य -क्रमश:
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अशोककुमार मिश्र श्री रविशंकर मिश्र श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
ई० सन् १९७५ १९८१ १९७१ १९७१ १९९७ ।। १९७८ १९५३
३२ १० २२९ २२ १० ४८ १-३ ३० ५
७-८
३९९ पृष्ठ २०-२३ ९-१४ १०-१६ १४-१९ ७१-७५ ३-१४ ३५-३८
डॉ० रामप्रवेश कुमार डॉ० मोहनलाल मेहता पं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री
१९८१
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री डॉ० कुमुद गिरि पं० अम्बालाल प्रेमचंद शाह
४५
"जैनचम्पूकाव्य"- एक परिचय जैन धर्म दर्शन का स्त्रोत-साहित्य जैन पुराण साहित्य जैन, बौद्ध और वैदिक साहित्य-एक तुलनात्मक - अध्ययन जैन महापुराण : एक कलापरक अध्ययन जैनरत्नशास्त्र जैन रास की दुर्लभ हस्तलिखित प्रति : विक्रम - लीलावतीचौपाई जैन रास साहित्य जैन लोककथा साहित्य : एक अध्ययन जैन विद्या के अध्ययन एवं संशोधन केन्द्रों की स्थापना
१०-१२ १०-१२
१९९४ १९७०
१-२८ ३३-३६ २९-३२
२६
११
डॉ० सुरेन्द्रकुमार आर्य श्री अगरचंद नाहटा श्री महेन्द्र राजा
१९७५ १३-१४ १९५६ १५-१६ १९५३ ___ १३-२८
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११
डॉ० के० ऋषभचन्द्र
७
१९८३
२२-२५
399
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________________
४००
लेख
जैन विद्वानों के कुछ हिन्दी वैद्यक ग्रन्थ जैन व्याकरणशास्त्रों में शोध की संभावनाएँ जैन व्याख्या और विचार
जैन व्याख्या पद्धति
जैन शास्त्रों में वर्णित १८ श्रेणियों का उल्लेख जैन साहित्य और अनुसंधान की दिशा जैन साहित्य और सांस्कृतिक संवेदना जैन साहित्य का इतिहास और इसकी प्रगति
जैन साहित्य का नवीन अनुशीलन जैन साहित्य का नवीन संस्करण जैन साहित्य का सिंहावलोकन
जैन कथा साहित्य का सार्वजनीन महत्त्व
जैन साहित्य का विहंगावलोकन
जैन साहित्य का बृहद इतिहास, भाग ५ के कतिपय संशोधन
जैन साहित्य की प्रतिष्ठा
जैन साहित्य के विषय में अजैन विद्वानों की दृष्टियाँ
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
आचार्य राजकुमार जैन श्री रामकृष्ण पुरोहित डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा
पं० सुखलाल जी
श्री ज्ञानचन्द
श्री गोकुलचंद श्री गुरुचरणसिंह मोंगिया
पं० दलसुख मालवणिया
डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल वाल्टर शूबिंग
पं० दलसुख मालवणिया मुनि जिनविजय जी
डॉ० इन्द्र
श्री अगरचंद नाहटा श्री गोकुलचंद्र जैन
डॉ० इन्द्र
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१९५८ ३०-४०
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१९५३ ८-१४
१९७०
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१५-२४
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२१-२४
२०-२३
३२-३४
२५-२८
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अंक ७-८
३
लेख जैन साहित्य निर्माण की नवीन योजना जैन साहित्य के संकेत चिन्ह जैन साहित्य में कृष्ण-कथा जैन साहित्य सेवा जैन हरिवंशपुराण-एक सांस्कृतिक अध्ययन जैनागम-पदानुक्रम -क्रमशः
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० वासदेवशरण अग्रवाल डॉ० इन्द्र श्रीमती रीता सिंह डॉ० इन्द्र लल्लू पाठक डॉ० मोहनलाल मेहता श्री जमनालाल जैन
ई० सन् १९५२ १९५३ १९८८ १९५८ १९८२ १९७५
४०१ पृष्ठ । ९-१२ ३०-३८ २७-३२ १३-१५ १५-२२ २६-३३
-क्रमश:
5 Page #415
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________________
४०२ लेख
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11
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जैन साहित्य का नवीन अनुशीलन जैनाचार्यों द्वारा आयुर्वेद साहित्य में योगदान
जैनों में सती प्रथा
ज्योतिषशास्त्र और सन्मति वर्धमान महावीर
ज्ञानार्णव (ग्रन्थ परिचय)
तरंगलोला और उसके रचयिता से सम्बन्धित
भ्रान्तियों का निवारण
तीर्थंकर प्रतिमाओं का उद्भव और विकास
-
तित्थोगाली (तिर्थोद्गालिक ) प्रकीर्णक की गाथा -
संख्या का निर्धारण
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
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डॉ॰ वासुदेवशरण अग्रवाल आचार्य राजकुमार जैन
श्री चम्पालाल सिंघई
डॉ० भूपसिंह राजपूत
श्री अगरचंद नाहटा
पं० विश्वनाथ पाठक डॉ० हरिहर सिंह
अतुलकुमार प्रसाद सिंह
वर्ष
२७
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१९७८ ३-११
१९६०
५९-६२
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२९-३१
२७-३०
२९-३०
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३०-३२
३३-३४
११-१२
७८-८६
२०-२१
१५-२३
४३-५२
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________________
वर्ष
अंक
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचंद नाहटा श्री भंवरलाल नाहटा श्री अगरचंद नाहटा डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन पं० विश्वनाथ पाठक डॉ० हरिवल्लभ भयाणी श्री अगरचंद नाहटा
२
११
३३ ___३३
३३ २९
लेख तेरापंथ सम्प्रदाय के हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रहालय थुल्लवंश की एक अपूर्ण प्रशस्ति तेलगूभाषा के अवधानी विद्वानों की परम्परा दशरूपक एक अपभ्रंश दोहा : कुछ तथ्य दशरूपक की एक अव्याख्यात्मक गाथा । दशरूपकावलोक में उद्धृत अपभ्रंश उदाहरण दशाश्रुतस्कन्ध की बृहद् टीका और टीकाकार मतिकीर्ति दशाश्रुतस्कन्ध के विविध संस्करण एवं टीकाएँ दशाश्रुतस्वध नियुक्ति : अन्तरावलोकन दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति में इंङ्गित दृष्टांत द्वीपसागरप्रज्ञप्ति धम्मपद और उत्तराध्ययन का एक तुलनात्मक अध्ययन ध्वन्यालोक एवं दशरूपक की दो प्राकृत गाथाएंएक चिन्तन धूमावली-प्रकरणम् नन्दीसूत्र की एक जैनेतर टीका नियुक्ति साहित्य : एक पुनर्चिन्तन
४०३ पृष्ठ । २३-२५ २१-१५ २४-२७ २४-२६ २०-२१ ३८ ३-९ २१-२४ ३१-४४ ४७-५९ १८-१९
ई० सन् १९६० १९६६ १९५९ १९८२ १९८२ १९८२ १९७८ १९७७ १९९७ १९९७ १९६५ १९८६
डॉ० अशोककुमार सिंह
४८ ४८
२ १०-१२ १०-१२ १-३
श्री अगरचंद नाहटा महेन्द्रनाथ सिंह
३७
८-९
१९७९
श्री विश्वनाथ पाठक साध्वी अतुलप्रभा श्री अगरचंद नाहटा डॉ० सागरमल जैन
४७
७ १-३ ७
१९९६
३२-३६ ६०-६४ १३-१४ २०३-२३३
१९६५ १९९४
Page #417
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________________
४०४
लेख
निर्युक्तियाँ और निर्युक्तिकार
निशीथचूर्णि पर एक दृष्टि नेमिचन्द्रजी शास्त्री और 'अरिहा' शब्द पंचास्तिकाय के टीकाकार और टीकाएं
""
पंचेन्द्रिय संवाद : एक आध्यात्मिक रूपक काव्य पंजाबी में जैन साहित्य की आवश्यकता
पं० जोधराज कासलीवाल और उनका सुखविलास डॉ० रमेशचन्द्र जैन
श्री अगरचंद नाहटा
पं० मुनि विनयचन्द्रकृत ग्रहदीपिका पं० रामचंद्र गणिरचित सुमुखनृपतिकाव्य पउमचरिउ - परम्परा, संदर्भ और शिल्प पउमचरियं : संक्षिप्त कथावस्तु
""
,"
पउमसिरीचरिउ के
"
मूल स्त्रोत
श्रमण : अतीत के झरोखे में
पच्चीसवीं निर्वाण - शताब्दी के आयोजनों में आगम-वाचना भी हो
लेखक
श्री मोहनलाल मेहता
श्री विजय मुनि पं० बेचरदास दोशी
डॉ० लालचन्द जैन
डॉ० मुन्नी जैन श्री माईदयाल जैन
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन
डॉ० के० ऋषभ चन्द्र
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श्री नन्दलाल मारु
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१९६६
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१९७४
पृष्ठ
९-१५
५४-५८
३२-३६
३-१२
५१-६७
२२-२३
१४- १७
१५-१७
३०-३१
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८-११
२२-२७
२६-३०
३-८
३-८
१६-२३
३२-३५
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० रमेशचन्द्र जैन
वर्ष २५ २३
अंक ७ ११
ई० सन् १९७४ १९७२
४०५ पृष्ठ ३-६ १०-१८
*
श्री अगरचन्द नाहटा श्री अभयकुमार जैन श्री प्रेमसुमन जैन
* *
१९७० १९७७ १९७३
३०-३१ १३-१७ ३-१६
लेख पद्मचरित : एक महाकाव्य पद्मचरित की भाषा और शैली पद्ममंदिररचित बालावबोध प्रवचनसार का नहीं प्रवचनसारोद्धार का है परमानन्दविलास : एक परिचय पश्चिम भारत का जैन संस्कृत साहित्य को योगदान पाणिनीय व्याकरण का सरलीकरण और आचार्य हेमचन्द्र पालि क्या बोलचाल की भाषा थी ? पार्श्वभ्युदय में श्रृंगाररस पार्श्वभ्युदय में प्रकृति-चित्रण पिण्डनियुक्ति पुण्डरीक का दृष्टात पुराणों में ऋषभदेव पुरुदेवचम्पू का आलोचनात्मक परिशीलन पुष्पदन्त और सूर का कृष्ण लीलाचित्रण पुष्पदन्त का कृष्ण काव्य
श्री श्यामधर शुक्ल डॉ० कोमलचंद जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन
* * * * * * *
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१९९६ १९६९ १९७७ १९७७ १९६६ १९६४ १९७४ १९८७ १९७० १९६७
३-१० १७-२१ ९-१५ २५-३० २८-३१ १२-१४ ११-१४
डॉ० जगदीशचन्द्र जैन श्री श्रीप्रकाश दुबे डॉ० मनोहरलाल दलाल डॉ० कपूरचन्द जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन
७-१३
३८८ २२ ११
३-११ ३-१३
१९
१-२
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४०६ लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक कु० प्रेमलता जैन
वर्ष
पुष्पदन्त का कृष्ण-काव्य : एक अनुशीलन
२७ २७
१७
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन कु० प्रेमलता जैन श्री अगरचन्द नाहटा
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ई० सन् १९७६ १९७६ १९६५ १९७६ १९५० १९८२ १९९० १९६८ १९६८ १९७१ १९५९
पृष्ठ ३-९ ३-९ १४-१८ ५-१२ २४-२९ ६१-६३ ८९-१०० ९-३० १०-१२
३
पुष्पदन्त की रामकथा पुष्पदन्त की रामकथा की विशेषताएँ पैंतालीस और बत्तीस सूत्रों की मान्यता पर विचार ४५ आगम और मूलसूत्र की मान्यता पर विचार प्रबन्धकोश का ऐतिहासिक वैभव प्रसिद्धिप्राप्त श्वेताम्बर जैनों की कुछ कृत्रिम कृतियां प्राकृत का अध्ययन प्राकृत और उसका विकास स्त्रोत प्राकृत और उसका साहित्य प्राकृत की बृहत्कथा “वसुदेवहिण्डी” में वर्णित कृष्ण प्राकृत के विकास में बिहार की देन-क्रमश:
४१
१
डॉ० प्रवेश भारद्वाज श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० सुनीतकुमार चाटुा श्री श्रीरंजन सूरिदेव श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
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४-१४
प्राकृत जैन कथा साहित्य-क्रमशः
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
१९७० १९७० १९७१ १९७१ १९७०
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२०-३६ ३-१० १६-२१ १४-१९
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प्राकृत ‘पउमचरिय' रामचरित
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
२२
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लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचन्द नाहटा
वर्ष २७
अंक ५
ई० सन् १९७६
४०७ पृष्ठ १०-१४
२८
प्राकृत भद्रबाहुसंहिता का अर्धकाण्ड प्राकृत भाषा के कुछ ध्वनि-परिवर्तनों की ध्वनि -
वैज्ञानिक व्याख्या प्राकृत भाषा और जैन आगम प्राकृत भाषा के चार कर्मग्रन्थ प्राकृत व्याकरण और भोजपुरी का 'केर' प्रत्यय-क्रमश:
५
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री अगरचन्द नाहटा पं० कपिलदेव गिरि
१९७७ १९८७ १९६२ १९७१
३-७ १६-२२ २४-२५ २९-३८ २४-३८
१९७१
डॉ० के० आर० चन्द्र
१९९१
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६
१९५३
१९७७
प्राकृत व्याकरण : वररुचि बनाम हेमचन्द्र - अंधानुकरण या विशिष्ट प्रदान प्राकृत साहित्य के इतिहास के प्रकाशन की - आवश्यकता प्राकृत साहित्य में श्रीदेवी की लोक-परम्परा पार्श्वभ्युदयकाव्य : विचार-वितर्क प्रज्ञाचक्षु राजकवि श्रीपाल की एक अज्ञात रचना-शतार्थी प्रद्युम्नचरित में प्रयुक्त छन्द-एक अध्ययन प्राचीन जैन कथा साहित्य का उद्भव, विकास - और वसुदेवहिंडी
श्री अगरचन्द नाहटा श्री रमेश जैन डॉ० श्रीरंजन सरिदेव श्री अगरचंद नाहटा कु० भारती
२१-२७ २१-२५ ३९-४२ ६-८
१-२ ५. ७-९
१९६७ १९६७ १९९७
६८-८०
डॉ० (श्रीमती) कमल जैन
४६
१०-१२
१९९५ ___ ५२-६३
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७
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३२
ई० सन् १९५६ १९८९ १९७८ १९८०
पृष्ठ ११-१८ ११-२० १९-२३ २९-४५
४०८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक प्राचीन जैन राजस्थानी गद्य साहित्य
श्री अगरचंद नाहटा प्राचीन जैन साहित्य के प्रारम्भिक निष्ठासूत्र पं० दलसुखभाई मालवणिया प्राचीन पांडुलिपियों का संपादन : कुछ प्रश्न और हल डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन प्राचीन भारतीय वाङ्मय में पार्श्वचरित । डॉ० जयकुमार जैन प्राणप्रिय काव्य का रचनाकाल, श्लोक संख्या - और सम्प्रदाय
श्री अगरचंद नाहटा बंगला आदि भाषाओं के सम्बन्धवाची प्रत्यय पं० कपिलदेव गिरि ब्राह्मी लिपि और ऋषभनाथ
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन बुन्देलखण्डी भाषा में प्राकृत के देशीशब्द डॉ० कोमलचंद जैन बीसवीं शती का जैन इतिहास
श्री अगरचन्द नाहटा भक्तामर की एक और सचित्रप्रति भक्तामरस्त्रोत की सचित्रप्रतियाँ भक्तामरस्त्रोत के श्लोकों की संख्या ४४ या ४८ । भगवान् महावीर की २५ वी निवार्णशती कैसे-मनायें ? श्री नन्दलाल मारु भगवान् महावीर की मंगल विरासत
पं० सुखलाल संघवी भट्टअकलंककृत लघीयस्त्रय : एक दार्शनिक-अध्ययन हेमन्तकुमार जैन भट्टारक सकलकीर्ति और उनकी सद्भाषितावली डॉ० रमेशचन्द्र जैन
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१९८२ १९७१ १९७५ १९७० १९५४ १९७३ १९७१ १९७० १९६७ १९८९ १९९० १९७३
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लेख
भद्रबाहु का कालमान
को
भरतमुनि द्वारा प्राकृत सम्मान और गौरवपूर्ण स्थान
भविसयत्तकहा तथा अपभ्रंश कथाकाव्य; कुछ -
प्रतिस्थापनायें
भारतीय आर्यभाषा और अपभ्रंश भारतीय आचार्यों की दृष्टि में काव्य के हेतु भारतीय कथा साहित्य में पद्मचरित का स्थान भारतीय प्रतीक परम्परा में जैन साहित्य का योगदान
भारतीय वाङ्मय में प्राकृत भाषा का महत्त्व भारतीय साहित्य की रमणीय काव्य रचना :गउडवो
संस्कृत के साथ प्रदत्त
भाषा और साहित्य
भाष्य और भाष्यकार
मंगलकलशकथा
मल्लिषेण और उनकी स्याद्वादमंजरी
श्रमण : अतीत के झरोखे
लेखक
मुनिश्री फूलचन्द जी
डॉ० के० आर० चन्द्र
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन
"
डॉ० गंगासागर राय
श्री रमेशचन्द्र जैन डॉ० प्रेमचंद जैन
पं० बेचरदास दोशी
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
श्री कन्हैयालाल सरावगी
श्री मोहनलाल मेहता
श्री भँवरलाल नाहटा डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा
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४१०
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
___7
लेख महाकथा कुवलयमाला के रचनाकार का उद्देश्य -
और पात्रों का आयोजन महाकवि बनारसीदास का रसदर्शन महाकवि जिनहर्ष और उनकी कविता महाकवि स्वयंभू के काव्यविचार महान् साहित्यकार आचार्य हरिभद्रसूरि महाराष्ट्री प्राकृत महावीर-सम्बन्धी एक अज्ञात संस्कृत चरित्र महावीर-सम्बन्धी साहित्य महावीर से पहले का जैन इतिहास महेन्द्रकुमार 'न्यायाचार्य' द्वारा सम्पादित एवं - अनूदित षड्दर्शनसमुच्चय की समीक्षा महो० समयसुंदर का एक संग्रहग्रंथ 'गाथासहस्त्री' महोपाध्याय समयसुन्दर-रचित कथाकोश माणिक्यनन्दीविरचित परीक्षामुख । मानवमूल्यों की काव्यकथा भविसयत्तकहा मुनिमेषकुमाररचित किरातमहाकाव्य की अवचूरि
डॉ० के०आर० चन्द्र श्री गणेशप्रसाद जैन श्री मोहन 'रत्नेश' डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन पं० बेचरदास दोशी श्री अगरचन्द नाहटा कु० मंजुला मेहता डॉ० इन्दु
१९७३ १९७२ १९७८ १९७३ १९६५ १९६८ १९७४ १९७४ १९५३
१०-१३ ३१-४१ २४-२६ २५-२७ ५३-५५ ५-८ ५२-५६ २७-३२ ३०-३४
डॉ० सागरमल जैन श्री अगरचंद नाहटा श्री भंवरलाल नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री अगरचंद नाहटा
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१९९७ १९७२ १९७६ १९७७ १९६८ १९६८
१४१-१४६ २३-२८ २४-२७ २३-२४ ५-९ १५-१७
१९ २०
९ २
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री प्रेमचंद जैन श्री माईदयाल जैन डॉ० के० आर० चन्द्र श्री प्रेमचंद जैन श्री अगरचंद नाहटा श्री श्रेयांसकुमार जैन श्री रविशंकर मिश्र डॉ० कमलेश कुमार जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री कुन्दनलाल जैन श्री अगरचंद नाहटा
अंक १८६ ४ ९ ४२ ७-१२ २१ ३
१५ ७-८ ___ २९ १
लेख मुनिरामसिंहकृत ‘पाहुडदोहा' एक अध्ययन मूक साहित्यसेवी : श्री पन्नालालजी मूलअर्धमागधी के स्वरूप की पुनर्रचना मूलाचार मेघदूत की एक अज्ञात बालबोधिका पंजिका मेघविजय के समस्यापूर्ति काव्य मेरुतुंग के जैनमेघदूत का एक समीक्षात्मक अध्ययन मेवाड़ में चित्रित कल्पसूत्र की एक विशिष्ट प्रति योगनिधान रघुवंश की अज्ञात जैन टीका रस-विवेचन : अनुयोगद्वार सूत्र में रहस्यवादी जैन अपभ्रंशकाव्य का हिन्दी साहित्य पर प्रभाव -क्रमशः
ई० सन् १९६७ १९५३ १९९१ १९७० १९६४ १९७७ १९८०
४११ पृष्ठ २-९ ७-११ ११-१५ ९८-२४ ६३-६४ १७-२२ ७०-७७
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१९७७ १९९७ १९६३ १९७६ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५ १९६९
२४-२६ २१-३२ ३१-३२ २३-२९ २६-३१ १२-१७ १२-१७ १५-१९ २३-३१
श्री प्रेमचन्द्र जैन
१६
राजस्थानी के विकास में अपभ्रंश का योगदान
२०
श्री रमेशचन्द्र जैन
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________________
४१२ लेख
राजस्थानी जैन साहित्य
""
राजस्थानी एवं हिन्दी जैन साहित्य राजस्थानी लोक कथाओं सम्बन्धी साहित्य - निर्माण में जैनों का योगदान रामचन्द्रसूरि और उनका साहित्य रायपसेणइ उपांग और उसका रचनाकाल-क्रमशः
""
""
""
'रायपसेणियउपांग और उसका रचनाकाल की समीक्षा लंदन में कतिपय अप्राप्य जैन ग्रन्थ लोक साहित्य के आदिसर्जक - जैन विद्वान् लोंकागच्छीय विद्वानों के तीन संस्कृत ग्रन्थ वचन- कोष
वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं के अर्थ पर
पुनर्विचार (क्रमश:)
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री अगरचन्द्र नाहटा
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श्री भँवरलाल नाहटा
श्री अगरचन्द्र नाहटा डॉ० कृष्णपाल त्रिपाठी श्री कस्तूरमल बांठिया
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मुनि कल्याणविजय
श्री अगरचन्द्र नाहटा
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श्री भागचन्द्र जैन
पं० विश्वनाथ पाठक
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लेख
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वसन्तविलासमहाकाव्य का काव्य-सौन्दर्य वसुदेवहिण्डी का समीक्षात्मक अध्ययन वसुदेवहिण्डी में रामकथा वसुमतीमहाकाव्य
वाग्भट्टालंकार
""
वाचक श्रीवल्लभरचित 'विदग्धमुखमण्डन' की दर्पण टीका की पूरी प्रति अन्वेषणीय है वासुपूज्यचरितम् : एक अध्ययन - क्रमशः
विक्रमलीलावतीचौपाईविषयक विशेष ज्ञातव्य
विद्याविलासरास
विदेशों में जैन साहित्य : अध्ययन और अनुसंधान विनयप्रभकृत जैन व्याकरण ग्रंथ शब्ददीपिका विपाकसूत्र की कथायें
विपाकसूत्र के आख्यान : एक विहंगावलोकन
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
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डॉ० केशवप्रसाद गुप्त डॉ० कमल जैन श्री गणेशप्रसाद जैन
श्री अगरचन्द नाहटा पं० अमृतलाल शास्त्री
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स्व० अगरचन्द नाहटा
श्री उदयचंद प्रभाकर
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श्री अगरचन्द नाहटा श्री सनत्कुमार रंगाटिया
डॉ० भागचन्द भास्कर
श्री अगरचंद नाहटा
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री जमनालाल जैन
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४१४ लेख विलासकीर्तिरचित प्रक्रियासारकौमुदी । विश्वेश्वरकृत श्रृंगारमंजरीसट्टक का अनुवाद-क्रमशः
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचंद नाहटा डॉ० के० ऋषभचन्द्र
वर्ष २९ २३ २३
अंक ११ ११ १२
ई० सन् १९७८ १९७२ १९७२
१९७२
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१९७२ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९७३ १९६६ १९८३ १९८३ १९६० १९५४
२४-२८ ३४-३८ २०-२३ २८-३२ ३०-३४ ३३-३५ ३२-३७ ३६-३८ २२-२६ २५-३० २९-३४ १६-१९ १८-२५ २५-२८ १४-२४ ३२-३३ १४-२३
३५१
वीरनन्दी और उनका चन्द्रप्रभचरित वीरवर्धमानचरित में शान्तरस विमर्श वैराग्यमूलक एक ऐतिहासिक प्रेमकाव्य : तरंगवती वैराग्यशतक वैशाली और भगवान् महावीर का दिव्य संदेश
पं० अमृतलाल शास्त्री श्रीमती उर्मिला जैन श्री गणेशप्रसाद जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री महावीरप्रसाद प्रेमी
३४६ १२ २
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वर्ष २८
अंक १२
ई० सन् १९७७
४१५ पृष्ठ । २२-२४
३२५
४६-५१ ८-१२
१-३
२५-२९
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक शब्दरत्न-महोदधि नामक संस्कृत गुजराती जैन कोश श्री अगरचन्द नाहटा शम्बूक आख्यान (जैन तथा जैनेतर) सामग्री का - तुलनात्मक अध्ययन
श्री विमलचन्द्र शुक्ल शान्त रस : मान्यता और स्थान
श्री जयकुमार जैन शान्त रस : जैन काव्यों का प्रमुख रस डॉ० मंगलप्रकाश मेहता शास्त्र की मर्यादा
पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य शास्त्र रचना का उद्देश्य
पं० सुखलाल जी शास्त्र वाचना की आज फिर आवश्यकता है श्री कस्तूरमल बांठिया शास्त्रों की प्रामाणिकता
डॉ० मोहनलाल मेहता शिवशर्मसूरिकृत कर्मप्रकृति श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा
डॉ० सागरमल जैन श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा का स्वरूप श्रमण भगवान् महावीर
पं० बेचरदास दोशी श्रमण-साहित्य में वर्णित विविध सम्प्रदाय डॉ० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' श्रावकप्रज्ञप्ति के रचयिता कौन ?
पं० बालचन्द्र शास्त्री श्री आत्मारामजी और हिन्दी भाषा
श्री पृथ्वीराज जैन श्री किशनदास जी कृत-'उपदेशबावनी' श्री अम्बाशंकर नागर
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४१६ लेख
श्री जयभिक्खू के ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद श्रीमद्देवचन्द्ररचित कर्म साहित्य श्रीपालचरित की कथा षट्दर्शनसमुच्चय के लघुटीकाकार सोमतिलकसूरि षट्प्राभृत के रचनाकार और उसका रचनाकाल संडेरगच्छीय ईश्वरसूरि की प्राप्त एवं अप्राप्त-रचनायें संदेशरासक में उल्लिखित (वनस्पतियों के नाम)
पर्यावरण के तत्त्व
श्रमण : अतीत के झरोखे में
संस्कृत व्याकरण शास्त्र में जैनाचार्यों का योगदान संस्कृत साहित्य के इतिहास के जैन संम्बन्धित संशोधन
लेखक
श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री अगरचन्द नाहटा
डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन श्री अगरचंद नाहटा डॉ० के० आर० चन्द्र श्री अगरचन्द नाहटा
श्री श्रीरंजन सूरिदेव
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संवेगरंगशाला - एक स्पष्टीकरण संयुक्तनिकाय में जैन सन्दर्भ
संवेगरंगशाला देवभद्रसूरि रचित और अनुपलब्ध है ? श्री अगरचन्द नाहटा संवेगरंगशाला नामक ग्रन्थ नहीं एक ही है संस्कृत काव्य शास्त्र के विकास में प्राकृत की भूमिका संस्कृत दूत काव्यों के निर्माण में जैन कवियों का योगदान
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प्रो० हीरालाल रसिकलाल कापड़िया विजयकुमार जैन
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श्री धनीराम अवस्थी
श्री रविशंकर मिश्र
श्रीराम यादव
श्री अगरचन्द नाहटा
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२५-३४
३३-३७
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४१७
वर्ष
अंक
ई० सन् १९७७
पृष्ठ ३-८
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१९९४ १९६८ १९७७ १९८४
३५ ३५
१९८४
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक संस्कृत साहित्य में अभ्युदय नामान्त जैन काव्य श्री जयकुमार जैन सन्दर्भ एवं भाषायी दृष्टि से आचारांग के उपोद्धात में प्रयुक्त प्रथम वाक्य के पाठ की प्राचीनता पर कुछ विचार
डॉ० के० आर० चन्द्र सप्तक्षेत्रिरासु
डॉ० सनत्कुमार रंगाटिया सप्तसन्धानमहाकाव्य में ज्योतिष
श्री श्रेयांसकुमार जैन समयसार
श्री मिश्रीलाल जैन समणसुत्ते समयसार : आचार-मीमांसा
डॉ० दयानन्द भार्गव समयसार सप्तदशांगी टीका : एक साहित्यिक-मूल्यांकन डॉ० नेमिचन्द जैन समराइच्चकहा का अविकलगुर्जरानुवाद । श्री कस्तूरमल बांठिया समराइच्चकहा की संक्षिप्त कथावस्तु और उसकासांस्कृतिक महत्त्व
डॉ० झिनकू यादव समवायांगसूत्र में विसंगति
श्री नंदलाल मारु सर्वांगसुन्दरी-कथानक
डॉ० के० आर० चन्द्र सात लाख श्लोक परिमित संस्कृत साहित्य के निर्माता जैनाचार्य विजयलावण्यसूरि
श्री अगरचन्द नाहटा साधुवन्दना के रचयिता सावयपण्णत्ति : एक तुलनात्मक अध्ययन -क्रमश : पं० बालचंद सिद्धान्तशास्त्री
५२-५९ २३-२८ १७-२१ ४२-५९ २७-४१ ३-११.
२९ २९
१९७८ १९७८
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लेख
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साहित्य और साहित्यिक
साहित्य भवन के निर्माण का शुभारंभ सिरिपालचरिउ : एक मूल्याकंन सिरिपालचरिउ : संदर्भ और शिल्प सिद्धर्षिगणिकृत उपमितिभवप्रपंचाकथा सिद्धिविनिश्चय और अकलंक सिंहदेव रचित एक विलक्षण महावीरस्तोत्र सोमदेवकृत यशस्तिलक
स्वयंभू और उनका पउमचरिउ
स्वयंभू का कृष्णकाव्य और सूरकाव्य की समस्याएँ
के अध्ययन
त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में गणधरवाद त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में महावीर चरित त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में रसोद् भावना
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
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संत विनोबा
श्री सतीश कुमार डॉ॰ देवेन्द्र कुमार जैन
33
श्री गोपीचंद धारीवाल पं० दलसुख मालवणिया
श्री अगरचंद नाहटा श्री गोकुलचंद जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन
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डॉ० मंजुला मेहता
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वर्ष
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लेख
हरिकलशरचित दिल्ली - मेवात देश चैत्यपरिपाटी हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत: एक चिन्तन हर्षकीर्तिसूरि रचित धातुतरंगिणी हर्षकुलचरित कमलपंचशतिका
हिन्दी काव्यों में महावीर
हीराणंदसूरि का विद्याविलास और उस पर -
आधारित रचनाएं
हेमचन्द्र और भारतीय काव्यालोचना हेमविजयगणि और विजयप्रशस्तिमहाकाव्य
Metrical Studies of Daśāśrutaskandha Niryukti in the light of its parallels
४. इतिहास, पुरातत्त्व एवं कला
अकबर और जैनधर्म
'अगस्त' की ऐतिहासिकता
अज्ञात प्राचीन जैनतीर्थ: कसरावद
अड्डालिजीयगच्छ अतिशय क्षेत्र पपौरा
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री अगरचंद नाहटा प्रो० सागरमल जैन
श्री अगरचंद नाहटा
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श्री प्रेमचन्द रांवका
श्री अशोककुमार मिश्र डॉ० देवेन्द्रकुमार श्री उदयचंद जैन
Dr. Ashok Kumar Singh
डॉ० ओमप्रकाश सिंह श्री शरदचन्द्र मुखर्जी श्री लक्ष्मीचंद जैन
डॉ० शिवप्रसाद
पं० अमृतलाल शास्त्री
वर्ष
900
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
___ १८
४
१२ १०
४२० लेख अष्टालक्षी में उल्लेखित जयसुन्दरसूरि की - शतार्थी की खोज आवश्यक अहमदाबाद के भामाशाह अहिंसा का क्रमिक विकास आचार्य अमितगति: व्यक्तित्व और कृतित्व आचार्य : एक मधुर शास्ता आचार्य चण्डरुद्र आचार्य शाकटायन (पाल्यकीर्ति) और पाणिनि आचार्य सोमदेवसूरि आचार्य हेमचन्द्र आचार्य हेमचन्द्र और उनकी साहित्यिक मान्यताएं आचार्य हेमचन्द्र : एक महान् वैयाकरण आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष
श्री अगरचंद नाहटा श्री जयभिक्खु पं० सुखलाल जी डॉ० कुसुम जैन उपाध्याय अमरमुनि मुनिश्री लक्ष्मीचन्द्र जी श्री रामकृष्ण पुरोहित श्री गोकुलचन्द जैन श्री गुलाबचन्द्र चौधरी डॉ० देवेन्द्रकुमार श्री अभयकुमार जैन प्रो० सागरमल जैन
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१९६७ १९५३ १९६० १९८८ १९५७ १९६० १९८१ १९६० १९५१ १९६१ १९७६ १९८९ १९९७
२७-२८ २१-२४ ९-१५ १७-२३ १२-१६ १८-१९ ५२-६१ ३१-३३ १६-२४ २२-२६ ८-१३ ३-१५ ६०-७० १३-१८ २-१२ १९-२२ १३-१९
१९७५
आचार्य हेमचन्द्र : जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व आनन्दघन जी खरतरगच्छ में दीक्षित थे आर्यरक्षित आर्यों से पहले की संस्कृति
श्री अभयकुमार जैन श्री भंवरलाल नाहटा डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी
१९८९ १९५६ १९५०
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लेख
-
वर्ष २९
ई० सन् १९७८
४२१ पृष्ठ । २३-२४
२
१९७३ १९५१ १९५१ १९५९ १९५७
१५-१९ ३१-३२ ३४-३६ ११-१६ ४३-४८
१०
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक आष्टा की परमारकालीन अप्रकाशित जैन प्रतिमाएँ डॉ० मायारानी आर्य आषुतोष म्यूजियम में नागौर का एक सचित्रविज्ञप्तिपत्र
श्री अगरचन्द भँवरलाल नाहटा इतिहास की पुनरावृत्ति : एक भ्रामक धारणा श्री गुलाबचन्द्र चौधरी इतिहास की पुनरावृत्तिःयथार्थ दर्शन
प्रो० देवेन्द्रकुमार जैन इतिहास बोलता है
श्री सत्यदेव विद्यालंकार इन्द्रभूति गौतम
श्री विजयमुनि शास्त्री उच्चैर्नागर शाखा की उत्पत्ति स्थान एवं उमास्वाति - के जन्मस्थल की पहचान
डॉ० सागरमल जैन उज्जयिनी
श्री अमरचन्द्र उड़ीसा में जैन कला एवं प्रतिमा-विज्ञान की - राजनैतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि
डॉ० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी उड़ीसी नृत्य और जैन सम्राट खारवेल
श्री सुबोधकुमार जैन उत्तर प्रदेश में मध्ययुगीन जैन शिल्पकला का-विकास डॉ० शिवकुमार नामदेव उत्तर भारतीय शिल्प में महावीर
श्री मारुतिनंदन तिवारी उपकेशगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
डॉ० शिवप्रसाद उपासक प्रतिमायें
डॉ० मोहनलाल मेहता उपरियाली का विख्यात जैन तीर्थ
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष श्री भूरचन्द जैन ____३२
अंक ८
ई० सन् १९८१
पृष्ठ २६-२८
४२२ लेख उपरियाली का विख्यात जैन तीर्थ ऐतिहासिक अध्ययन के जैन स्रोत और उनकी प्रामाणिकता: एक अध्ययन ऐतिहासिक जैन तीर्थ नांदिया ओसवंश-स्थापना के समय संबन्धी महत्त्वपूर्ण -
डॉ० असीमकुमार मिश्र श्री भूरचन्द जैन
४६
१०-१२ ४
१९९५ १९७६
४४-५१ २७-२९
उल्लेख
श्री अगरचंद नाहटा श्री भंवरलाल नाहटा श्री गणेशप्रसाद जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्री शिवकुमार नामदेव
ओसवाल और पापित्य सम्बन्धों पर टिप्पणी ऋषभपुत्र भरत और भारत कर्म की मर्यादा कर्णाटक में जैन शिल्पकला का विकास कलचुरि-कला में जैन शासन देवियों की मूर्तियाँ कलचुरिकालीन जैन शिल्प-संपदा कल्पप्रदीप में उल्लिखित 'खेड़ा' गुजरात का नही राजस्थान का है कल्पप्रदीप में उल्लिखित भगवान् महावीर के कतिपय तीर्थक्षेत्र कारीतलाई की जैन द्विमूर्तिका प्रतिमाएं
१९५२ १९८९ १९७० १९७१ १९७६ . १९७४ १९७८
२७-३३ ८-१३ २४-३२ ३-५ १४-१८ २४-२६ २३-३२
श्री भंवरलाल नाहटा
१९८९
२५-२८
डॉ० शिवप्रसाद श्री शिवकुमार नामदेव
२६
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१९८९ १९७५
२०-२९ १५-१९
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अंक
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक कालकाचार्य
श्री इलाचन्द जोशी काशी के कतिपय ऐतिहासिक तथ्य
पं० अमृतलाल शास्त्री कुम्भारिया का महावीर मन्दिर
डॉ० हरिहर सिंह कुम्भारिया जैनतीर्थ
श्री भूरचन्द जैन कुम्भारिया तीर्थ का कलापूर्ण महावीर मंदिर श्री अगरचन्द नाहटा कुषाणकालीन मथुरा की जैन सभ्यता
डॉ० एस० सी० उपाध्याय केशी ने पूछा
श्री गोकुलचन्द जैन कोरंटगच्छ
डॉ० शिवप्रसाद क्या लोंकाशाह विद्वान् नहीं थे ?
श्री नन्दलाल मारु क्रान्तिदर्शी महावीर
उपाध्याय अमरमुनि क्रोध आदि वृत्तियों पर विजय कैसे ?
अरविंद क्या कृष्ण गच्छ की स्थापना सम्वत् १३९१ - में हुई थी ?
श्री अगरचन्द नाहटा कोटिशिला तीर्थ का भौगोलिक अभिज्ञान डॉ० कस्तूरचन्द जैन खजुराहो की कला और जैनाचार्यों की समन्वयात्मक - एवं सहिष्णु दृष्टि
डॉ० सागरमल जैन गीता के राजस्थानी अनुवादक जैन कवि थिरपाल श्री अगरचन्द नाहटा
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१९५५ १९६० १९८९ १९६६ १९८२ १९५३
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४२४ लेख ग्यारह गणधर सम्बंधी ज्ञातव्य बातें ग्वालियर के तोमरकालीन दानवीर ग्वालियर के तोमरवंशीय राजा गुप्तकाल में जैन-धर्म गुप्त सम्राटों का धर्म समभाव गोम्मट आइडोल्स ऑफ कर्णाटक चंदनबाला और मृगावती चण्डकौशिक का उपसर्ग स्थान योगी पहाड़ी चन्द्रावती की जैन प्रतिमाएँ ; एक परिचयात्मक सर्वेक्षण चित्तौड़ का जैन कीर्तिस्तम्भ २४ तीर्थंकरों के नामों में नाथ शब्द का प्रयोग कब से जंगम आगम संशोधन मंदिर जैन इतिहास की एक झलक आचार्य हेमचन्द्र : एक युगपुरुष जैनधर्म की प्राचीनता और विशेषता जमाली का मतभेद जालिहरगच्छ का संक्षिप्त इतिहास
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचन्द नाहटा श्री चम्पालाल सिंघई डॉ० राजाराम जैन डॉ० अमरचन्द मित्तल श्री चम्पालाल सिंघई पं० के० भुजबली शास्त्री श्री जयचन्द्र बाफणा श्री भँवरलाल नाहटा श्री विनोद राय श्री भूरचन्द जैन श्री अगरचंद नाहटा पं० दलसुख मालवणिया पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य प्रो० सागरमल जैन कुमारी मंजुला मेहता श्री मनोहर मुनि डॉ० शिवप्रसाद
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक जालौर में महावीर-मन्दिर की शिल्प सामाग्री - का मूर्ति-वैज्ञानिक अध्ययन
डॉ० मासात नन्दन प्र० तिवारी जिनचन्द्रसूरिरचित श्रावकसामाचारी की पूरी - प्रति की खोज
श्री अगरचंद नाहटा जीरापल्लीगच्छ का इतिहास
डॉ० शिवप्रसाद जैन इतिहास लेखकों का आवाहान
श्री कस्तूरमल बांठिया जैनकला एवं स्थापत्य
डॉ० मोहनलाल मेहता जैन कलातीर्थ : खजुराहो
श्री शिवकुमार नामदेव जैन कला प्रदर्शनी
श्री अगरचंद नाहटा जैन तीर्थ रातामहावीरजी
श्री भूरचन्द जैन जैन तीर्थ शंखेश्वरपार्श्वनाथ जैन तीर्थंकर और भिल्ल प्रजाति
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन जैन धर्म एवं गुरु मन्दिर
जसवन्तलाल मेहता जैनधर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय यापनीय क्रमशः प्रो० सागरमल जैन
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जैनधर्म की प्राचीनता जैनधर्म की प्राचीनता -क्रमश:
श्री शांतिलाल मांडलिक डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा
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लेख
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जैनधर्म की प्राचीनता तथा इतिहास
जैनधर्म के धार्मिक अनुष्ठान एवं कला तत्त्व
जैनधर्म में सरस्वती
जैन परम्परा
जैन परम्परा जैन परम्परा का आदिकाल - क्रमशः
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जैन परम्परा का ऐतिहासिक विश्लेषण
जैन मूर्तिकला
जैन मूर्तिकला जैनमूर्तियों का क्रमिक विकास जैन मंदिर व स्तूप
जैन यक्ष गोमुख का प्रतिमा निरूपण
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
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डॉ० मोहनलाल मेहता
डॉ० सागरमल जैन
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सुधा डॉ० मोहनलाल मेहता
डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
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प्रो० सागरमल जैन
श्री अवधकिशोर नारायण
डॉ० विनयतोष भट्टाचार्य
श्री प्रेमकुमार अग्रवाल कु० सुधा जैन
श्री मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी २७
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लेख
जैन लेखों का सांस्कृतिक अध्ययन वास्तुकला : संक्षिप्त विवेचन
जैन
जैन शिल्पकला और मथुरा
जैनशिल्प का एक विशिष्ट प्रकार : सहस्त्रकूट जैन सरस्वती हंसवाहना या मयूरवाहना जैन साहित्य और शिल्प में वाग्देवी सरस्वती जैन साहित्य के इतिहास की पूर्व पीठिका जैन साहित्य के इतिहास-निर्माण सूत्र
जैन साहित्य में कलिङ्ग
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साहित्य में गोम्मटेश्वर बाहुबलि जैन साहित्य में स्तूपनिर्माण की प्रथा जैन संस्कृति के प्रतीक मौर्यकालीन अभिलेख
जैनागम वर्णित तीर्थंकरों की भिक्षुणी जैनाचार्य श्री कांशीराम जी जैनों में मूर्ति और उसकी पूजा पद्धतियों में विकास और विकार
जौनपुर की बड़ी मस्जिद क्या जैन मंदिर है ?
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री नारायण दुबे डॉ० शिवकुमार नामदेव कु० सुधा जैन
श्री अगरचंद नाहटा
श्री शिवकुमार नामदेव
डॉ० मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी श्री कस्तूरमल बांठिया
डॉ॰ वासुदेवशरण अग्रवाल
श्री अमरचन्द्र
डॉ० सागरमल जैन
डॉ० हरिहर सिंह
डॉ० पुष्पमित्र जैन
डॉ० अशोककुमार सिंह
श्री सुमन मुनि
श्री कस्तूरमल बांठिया
श्री अगरचंद नाहटा
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ई० सन् १९७६
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श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक झारडा की जैन देवियों की अप्रकाशित प्रतिमाएं __डॉ० सुरेन्द्रकुमार आर्य तर्कप्रधान संस्कृत वाङ्मय के आदि प्रेरक : सिद्धसेन दिवाकर
श्री मोहन रत्नेश तारंगा का अजितनाथ-मंदिर
डॉ० हरिहर सिंह तीर्थक्षेत्र शत्रुजय तीर्थंकर-प्रतिमाओं की विशेषताएँ
श्री शिवकुमार नामदेव तीर्थंकर महावीर की जन्म भूमि : विदेह का-कुण्डपुर श्री गणेशप्रसाद जैन तीर्थंकर महावीर की निर्वाण भूमि ‘पावा' तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ तीर्थंकर पार्श्वनाथः प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता डॉ० विनोदकुमार तिवारी दक्षिण भारत में जैनधर्म और संस्कृति
श्री गणेशप्रसाद जैन दक्षिण भारत में जैनधर्म, साहित्य और तीर्थक्षेत्र दक्षिण भारतीय शिल्प में महावीर
श्री मारुतिनंदन तिवारी दर्शाण में जैनधर्म
श्री मोहनलाल दलाल दानवीरता का कीर्तिमान-वस्तुपाल
श्री चम्पालाल सिंघई दिगम्बर आर्या जिनमती की मूर्ति
श्री अगरचन्द नाहटा धार्मिक एवं पर्यटन स्थल गिरनार
श्री भूरचन्द जैन
१९७७ १९७८ १९७१ १९७४ १९८५ १९८६ १९८३ १९८६
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१९७३ १९७० १९७३ १९७१ १९५९ १९७९
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लेख
धर्मघोषगच्छ का संक्षिप्त इतिहास धर्मबन्धु हर्बर्ट वारन
धुबेला संग्रहालय की अद्वितीय जैन प्रतिमाएं
नागेन्द्रगच्छ का इतिहास
नन्दीसेन
नाणकीय गच्छ
नालन्दा या नागलन्दा
नेपाल का शाहवंश और उनके पूर्वज
परम्परागत पावा ही भगवान् महावीर की निर्वाण भूमि
शांतिसूरि का समय एवं प्रतिष्ठा
पल्लीवालगच्छीय
पश्चिमी भारत के जैन तीर्थ
पहले महावीर निर्वाण या बुद्धनिर्वाण
पारसनाथ
पालनपुर का प्राचीन प्रहलविया जैन मन्दिर
पावा: कसौटी पर
पावा कहाँ ? गंगा के उत्तर या दक्षिण में
पावापुर
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
डॉ० शिवप्रसाद
अनु० कृष्णचन्द्राचार्य श्री शिवकुमार नामदेव डॉ० शिवप्रसाद
मुनि महेन्द्रकुमार 'प्रथम'
डॉ० शिवप्रसाद
पं० बेचरदास दोशी
मुनि कनकविजय
श्री बलवन्तसिंह मेहता
श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० शिवप्रसाद श्री कस्तूरमल बांठिया श्रीरंजन सूरिदेव
श्री भूरचंद जैन
श्री कन्हैयालाल सरावगी मुनिश्री महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' श्री जिनवरप्रसाद जैन
वर्ष
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४३०
लेख
पार्श्वनाथ के दो पट्टधर
पार्श्वनाथ जन्मभूमि मंदिर, वाराणसी की पुरातत्त्वीय
वैभव
पिप्पलगच्छ का इतिहास
"
पुष्कर
के सम्बन्ध में शोध
पुष्पदंत क्या पुष्पभाट थे ? पूर्णिमागच्छ का संक्षिप्त इतिहास पूर्णिमागच्छ- प्रधान शाखा अपरनाम ढंढेरिया शाखा का संक्षिप्त इतिहास
पूर्णिमापक्ष-भीमपल्लीयाशाखा का इतिहास पेथड़रास के कर्ता कौन
प्रबन्धकोश में उपलब्ध आर्थिक विवरण प्रज्ञाचक्षु पं० संघवी सुखलाल प्रयाग- एक महान् जैन क्षेत्र
प्राचीन ऐतिहासिक नगरी : जूना (बाड़मेर) प्राचीन जैन तीर्थ ओसियाँ
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री अमिताभ
प्रो० सागरमल जैन
डॉ० शिवप्रसाद
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श्री अजित मुनि
प्रो० देवेन्द्र कुमार डॉ० शिवप्रसाद
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77
7
श्री सनत्कुमार रंगाटिया
श्री अशोककुमार सिंह
श्री धनपति टुंकलिया श्री सुबोधकुमार जैन श्री भूरचंद जैन
वर्ष
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लेख
प्राचीन जैन तीर्थ : करेड़ा पार्श्वनाथ प्राचीन जैन तीर्थ : करेड़ा पार्श्वनाथ प्राचीन जैनतीर्थ श्री गंगाणी प्राचीन भारत में जैन चित्रकला
प्राचीन भारत में संस्कृतियों का संघर्ष प्राचीन भारतीय सैन्य विज्ञान एवं युद्ध नीति
जैन स्रोतों के आधार पर
फलवर्द्धिका पार्श्वनाथ तीर्थ : एक ऐतिहासिक दृष्टि
बनारस से जैनों का सम्बन्ध १२ वीं शताब्दी की एक तीर्थमाला ब्रह्माणगच्छ का इतिहास
बाहुबलि : चक्रवर्ती का विजेता
बीकानेरी चित्र - शैली का सर्वाधिक चित्रों वाला
कल्पसूत्र
बैंगलोर का आदिनाथ जैन मन्दिर भगवान् श्री अजितनाथ भगवान् अरिष्टनेमि की ऐतिहासिकता
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
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श्री भूरचंद जैन
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कु० सुधा जैन
आ० चन्द्रशेखर शास्त्री
श्री इन्द्रेशचन्द्र सिंह श्री शिवप्रसाद
पं० दलसुख मालवणिया
श्री अगरचन्द नाहटा
डॉ० शिवप्रसाद उपाध्याय श्री अमरमुनि
श्री अगरचन्द नाहटा श्री भूरचन्द जैन
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श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक भगवान् नेमिनाथ का समय-एक विचारणीय-समस्या श्री अगरचन्द नाहटा भगवान् नेमिनाथ के समय सम्बन्धी संशोधन श्री अगरचन्द नाहटा भगवान् बाहबलि के प्रति
श्री दिलीप सुराणा भगवान् महावीर और हरिकेशी
श्री समीरमुनि 'सुधाकर' भगवान् महावीर का जन्म और निर्वाणभूमि श्री गुलाबचन्द्र चौधरी भगवान् महावीर का जन्म स्थान
श्री नरेशचन्द्र मिश्र भगवान् महावीर का निर्वाण
श्री महेन्द्रकुमार शास्त्री भगवान् महावीरकालीन वैशाली में जैन धर्म श्री शांतिलाल मांडलिक भगवान् महावीर की जन्मभूमि
श्री भगवानदास केसरी भगवान् महावीर की निर्वाण तिथि पर पुनर्विचार डॉ० सागरमल जैन । भगवान् महावीर की निर्वाण तिथि : एक पुनर्विचार डॉ० अरुणप्रताप सिंह भगवान् महावीर की निर्वाण-भूमि : कौन सी-पावा श्री रतिलाल म० शाह भगवान् महावीर की निर्वाण-स्थली
श्री अनन्तप्रसाद जैन भगवान् महावीर की प्रमुख आर्यिकाएं
डॉ० अशोककुमार सिंह भगवान् महावीर के गणधर
पं० दलसुख मालवणिया भगवान् महावीर के बाद
श्री समीर मुनि 'सुधाकर' भगवान् महावीर के समसामयिक आचार्य श्री भागचन्द जैन
१९
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ई० सन् १९७२ १९६९ १९८४ १९६२ १९५१ १९६८ १९६२ १९६८ १९५२ १९९४ १९९५ १९७५ १९८५ १९८९ १९५४ १९६४ १९६३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री भूरचन्द जैन
२८ डॉ० मनोहरलाल दलाल __२४ पं० भुजबली शास्त्री
३१ डॉ० शिवकुमार नामदेव २७ श्री गणेशप्रसाद जैन श्री शिवकुमार नामदेव २६ डॉ० मोहनलाल मेहता श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० शिवप्रसाद श्री गणेशप्रसाद जैन डॉ० शिवप्रसाद
२१
लेख भगवान् महावीर के युग का जैन सम्राट महाराज चेटक
भांडवा जैन तीर्थ . भारत का प्राचीन जैन केन्द्र : कसरावद
भारत का सर्वप्राचीन संवत् भारत में प्राचीन जैन गुफाएँ भारतवर्ष के मूल निवासी श्रमण भारतीय पुरातत्त्व तथा कला में भगवान् महावीर भारतीय विचार प्रवाह की दो धाराएँ । भारतीय विद्याविद् डॉ० जॉन ज्यार्ज बुहलर भावडारगच्छ का संक्षिप्त इतिहास मगध साम्राज्य का प्रथम सम्राट श्रेणिक मध्यप्रदेश के गुना जिले का जैन पुरातत्त्व मडाहडागच्छ का इतिहास : एक अध्ययन मरुधरा का ऐतिहासिक जैनतीर्थ : नाकोड़ा महाकवि पुष्पदंत : एक परिचय मलधारी अभयदेव और हेमचन्द्राचार्य महाकवि पुष्पदन्त और गोम्मटेश्वर बाहुबलि
1 mo or an ao sam mor y swax
ई० सन् १९७४ १९७७ १९७३ १९७९ । १९७६ । १९७० १९७४ १९६० १९६६ १९८९ १९६८ १९८२ १९९४ १९७५ १९७० १९५३ १९८१
४३३ पृष्ठ २०-२४ २९-३२ २८-३१ ३५ १५-२२ ३२-३७ ३८-४६ १३-१९ १३-२० १५-३३ २५-३४ १९-२३ ३१-५१ १०-१५ १५-१९ १-१० १३-१६
श्री भूरचन्द जैन श्री गणेशप्रसाद जैन पं० दलसुख मालवणिया । डॉ० देवेन्द्रकुमार
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४३४
लेख
वर्ष
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक महाकवि माघ ओसवाल थे?
श्री मांगीलाल भूतोड़िया महाकवि हस्तिमल्ल
श्री भागचन्द जैन महात्मा हुसेन बसराई
डॉ० इन्द्र महावीरकालीन वैशाली
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव महावीर की निर्वाण भूमि पावा की स्थिति पं० कपिलदेव गिरि महावीर की निर्वाण-भूमि पावा की वर्तमान स्थिति श्री कन्हैयालाल सरावगी महावीर की विहार भूमि-मगध और उसकी संस्कृति श्री गणेशप्रसाद जैन 'महावीरचर्या' ग्रंथ सम्बन्धी महापंडित राहुल जी के-दो पत्र श्री अगरचंद नाहटा महावीर निर्वाण भूमि पावा- एक विमर्श श्री भगवतीप्रसाद खेतान महावीर निर्वाण भूमि पावा : एक समीक्षा डॉ० जगदीशचन्द्र जैन महावीर निर्वाण सम्वत् में शताब्दियों की भूल श्री धन्यकुमार राजेश महावीर के समकालीन आचार्य
श्री गोकुलचन्द जैन महावैयाकरण आचार्य हेमचन्द्र
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव मांडव : एक प्राचीन जैन तीर्थ -क्रमश: श्री शांतिलाल मांडलिक
अंक ई० सन् ४० ५ १९८९
१९६० ५ ५ १९५४ ३३ १ १९८१
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१९७१ १९७० १९७०
मांडव : एक प्राचीन तीर्थ मालपुरा की विख्यात जैन दादावाड़ी
श्री तेजसिंह गौड़ श्री भूरचन्द जैन
१९७१
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लेख
मांडली का गुरुमन्दिर मिथिलापति नमिराज मेड़ता - फलौदी पार्श्वनाथ तीर्थ यह नई परम्परा करवट ले रही है राजस्थान में महावीर के दो उपसर्ग स्थल राजस्थान में महावीर मंदिर राजस्थान में मध्ययुगीन जैन प्रतिमाएँ राजा डूंगर सिंह तोमर राणकपुर के जैन मन्दिर राष्ट्रीय एकता और साहित्य लंका में जैनधर्म
लोद्रवा का कलात्मक कल्पवृक्ष लोद्रवा - जैसलमेर तीर्थ पर श्री घण्टाकर्ण महावीर मन्दिर
वज्रस्वामी
वडगच्छ के युगप्रधान दादा मुनिशेखरसूरि वर्धमान जैन आगम - मन्दिर वहावी विद्रोह
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
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श्री सुशील श्री भूरचंद जैन आचार्य सर्वे
श्री अगरचन्द नाहटा
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डॉ० शिवकुमार नामदेव
डॉ० राजाराम जैन
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डॉ० नगेन्द्र
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डॉ० इन्द्रचंद्र शास्त्री
श्री अगरचंद नाहटा श्री भूरचन्द जैन श्री महेन्द्रराजा
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक विख्यात जैन तीर्थः प्रभास पाटन
श्री भूरचन्द जैन विगत हजार वर्ष के जैन इतिहास का सिंहावलोकन-क्रमश: श्री कस्तूरमलबांठिया
वर्ष २७
पृष्ठ २३-२६
ई० सन् १९७६ १९७६ १९६५ १९६५ १९६५
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श्री अगरचन्द नाहटा श्री अजितमुनि 'निर्मल'
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विद्ववर विनयसागर आद्यपक्षीय नहीं, पिप्पलकशाखा के थे - विश्व-व्यवस्था और सिद्धान्तत्रयी विदिशा से प्राप्त जैन प्रतिमाएँ और रामगुप्त की ऐतिहासिकता वीरावतार वैदिक परम्परा का प्रभाव वैदिक वाङ्मय और पुरातत्त्व में तीर्थंकर ऋषभदेव वैशाली और दीर्घप्रज्ञ महावीर वैशाली का सन्त राजकुमार शाजापुर का पुरातात्त्विक महत्त्व शिल्प कला एवं प्राकृतिक वैभव का प्रतीक - जैसलमेर का अमरसागर
२५६ ३७. ६
१२
४
श्री शिवकुमार नामदेव श्री समन्तभद्र पं० बेचरदास दोशी डॉ० राजदेव दुबे प्रो० वासुदेवशरण अग्रवाल श्री कन्हैयालाल सरावगी प्रो० कृष्णदत्त बाजपेयी
३८८
१९७४ १९८६ १९६१ १९८७ १९५६ १९७६ १९९०
१८-२३ १-६ ९-१४ २-६ २६-३५ ३-७ १११-११४
श्री भूरचन्द जैन
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ई० सन्
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० मारुतिनंदन प्रसाद तिवारी श्री शिवकुमार नामदेव श्री कस्तूरमल बांठिया
लेख शिल्प में गोम्मटेश्वर बाहुबलि शुंग-कुषाणकालीन जैन शिल्पकला श्वेताम्बर जैनों के पूजाविधियों का इतिहास
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१९७६ १९६६ १९६६ १९५६ १९७८ १९७० १९६३
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श्रमण जीवन का बदलता हआ इतिहास मुनिश्री आईदान जी श्रमण परम्परा : एक विवेचन
श्री रमेशमुनि शास्त्री श्रमण संस्कृति की प्राचीनता
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्रमण भगवान् महावीर का दीक्षा दर्शन
पं० श्री मल्लजी श्रवणबेलगोला के शिलालेख, दक्षिण भारत - में जैनधर्म और गोम्मटेश्वर
श्री गणेशप्रसाद जैन श्रावस्ती का जैन राजा सुहलदेव श्रीमद्भागवत में ऋषभदेव
श्री रमाकान्त झा श्रीमालपुराण में भगवान् महावीर और गणधर - गौतम का विकृत वर्णन
वन्द नाहटा संप्रतिकालीन आहाड़ के मंदिर का जीर्णोद्धार स्तवन श्री भंवरलाल नाहटा संसार का इतिहास-तीन शब्दों में
श्री महेन्द्र राजा सम्राट और साम्राज्य
डॉ० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति'
१९६८ १९७७ १९६१
१३-२१ १४-१८ ७३-७५
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४३८ लेख
सारनाथ - काशी की तपोभूमि सारनाथ के भग्नावशेष सरस्वती का मंदिर
सार्धपूर्णिमागच्छ का इतिहास
सिद्धक्षेत्र बावनगजा जी सिद्धसेन दिवाकर
सिरोही के प्राचीन जैन मन्दिर
सोमनाथ
सौराष्ट्र का प्राचीन जैनतीर्थ तालध्वजगिरि सोलंकी - काल के जैन मन्दिरों में जैनेतर चित्रण
स्थूलभद्र
स्था० जैन साध्वीसंघ का पारम्परिक इतिहास स्वयंभू की गणधर परम्परा स्वामी समन्तभद्र जी हरिभद्रसूरि का समय - निर्णय
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
प्रो० चन्द्रिकासिंह 'उपासक’
»
डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल
डॉ० शिव प्रसाद
श्री नेमिचन्द जैन
डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री 'इन्दु'
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श्री भूरचन्द जैन
श्री किशोरीलाल मशरूवाला
श्री भूरचन्द जैन
डॉ० हरिहर सिंह
डॉ० इन्द्रचन्द्र जैन
श्री अजित मुनि डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन प्रो० पद्मनाभ जैनी
स्व० मुनि श्री जिनविजय जी
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अंक
ई० सन्
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९९६
१९८५
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ का संक्षिप्त इतिहास डॉ० शिवप्रसाद हुबली का अचलगच्छ जैन देरासर
श्री भूरचन्द जैन हुबली का श्री शान्तिनाथ मंदिर हारीजगच्छ
डॉ० शिवप्रसाद Origin and Development of Tirthankara Dr. Harihar Singh Images Panis and Jainas
Dr. S.P. Naranga
४३९ पृष्ठ ३६-६७ २६-२८ ४३-४५ २८-३३ २२-३०
१०-१२ ३
१९८३ १९९५ १९७८
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५. समाज एवं संस्कृति अक्षय तृतीया अद्भुत अद्भुत भिखारी एवं महान् दाता अधूरा समाजवाद अनन्य साथी का वियोग अनमोल वाणी-संकलन अर्न्तद्रष्टा महावीर
१३
श्रीमती कलादेवी जैन श्री विद्याभिक्षु श्री राजदेव त्रिपाठी श्री सतीश कुमार पं० बेचरदास दोशी महात्मा चेतनदास जी श्री मनोहर मुनि जी
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१९५७ १९६५ १९६२ १९५६ १९८१ १९८० १९६१
४०-४३ १५-१६ २९-३१ ५९-६१ ५४ । १९ ३८-४०
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४४० लेख अपना और पराया अपने को पहचानिये अपराध की औषधि : क्षमा अपरिग्रहवाद -क्रमश:
.
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
___ वर्ष अंक मुनिश्री महेन्द्रकुमार जी (प्रथम) महात्मा भगवानदीन जी श्रीकृष्ण 'जुगनू'
३६८ श्री रघुवीरशरण दिवाकर
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ई० सन् १९८४ १९८१ १९८५ १९५१ १९५१ १९५१ १९५२ १९५२ १९५२ १९५३ १९५३ १९६१ १९६० १९५८
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१२
अपरिग्रह अथवा अकर्मण्यता अपरिग्रह और आज का जैन समाज अपरिग्रह के तीन उपदेष्टा अपनी परमात्म शक्ति को पहचानो अपने व्यक्तित्व की परख कीजिये अपरिग्रह की नई दशा
श्री गोपीचन्द धारीवाल मुनिश्री समदर्शी डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी श्री सौभाग्यमल जैन श्री जे० एन० भारती श्री जमनालाल जैन
१९८१
१० ३३ ६ ९
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१०
१२ ६ ११-१२
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लेख अपरिग्रह ही क्यों अपरिग्रहवाद अपरिग्रहवाद का यह उपहास क्यों अपरिग्रही महावीर अब साधु समाज सँभले अभी तो सबेरा ही है ? अमरवाणी अमृत जीता, विष हारा असमता मिटाने का उपाय असली दुकान/नकली दुकान अस्पृश्यता और जैनधर्म अस्पृश्यता का पाप अहिंसक भारत हिंसा की ओर अहिंसक महावीर आगम प्रकाशन में सहयोग कौन और कैसे करे ? आगम-साहित्य में क्षेत्र प्रमाण प्रणाली आगमिक साहित्य में महावीर चरित्र
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक कुमारी पुष्पा मुनिश्री रामकृष्णजी म०सा० पं० श्री मृगेन्द्रमनि जी “वैनतेय' श्री जमनालाल जैन श्री शादीलाल जैन मुनि महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' श्री अमरचंद जी महाराज उपाध्याय अमरमुनि श्री उमेश मुनि डॉ० सागरमल जैन श्री बेचरदास दोशी श्री रामकृष्ण जैन श्रीमती राजलक्ष्मी पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री कस्तूरमल बांठिया श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० कोमलचन्द जैन
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ई० सन् १९५९ १९५६ १९५९ १९६२ १९५८ १९८३ १९५४ १९८२ १९६० १९८२ १९५५ १९५७ १९५९ १९५६ १९६७ १९७८ १९७४
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प्रभाव
१९७३
१९६२
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३-८ ४० ३९-४० २४-२७
१९५० १९५०
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक
___ वर्ष अंक आगमों में राजा एवं राजनीति पर स्त्रियों का -
डॉ० प्रमोदमोहन पाण्डेय आचार्यश्री आत्माराम जी की आगम सेवा श्री अगरचंद नाहटा आचार्य कालक और 'हंसमयूर'
पृथ्वीराज जैन आचार्य विद्यानन्द
श्री गुलाबचन्द्र चौधरी
१० आचार्य सम्राट पूज्य श्री आत्माराम जी महाराजएक अंशुमाली
श्री हीरालाल जैन
१०-१२ आचार्य सोमदेव : व्यक्तित्व तथा कर्तृत्व कु० मीनाक्षी शर्मा
३७४ आचार्य : स्वरूप और दर्शन
श्री रमेशमुनि शास्त्री
२८ १२ आचार्य हरिभद्रसूरि : प्राकृत के एक सशक्त रचनाकार श्री प्रेमसुमन जैन
१८ आचार्य हेमचन्द्र और जैन संस्कृति
डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री आचार्य हेमचन्द्र : एक महान् काव्यकार श्री अभयकुमार जैन
२८ ९ आचारांग में समाज और संस्कृति
स्व० डॉ० परमेष्ठीदास जैन आज का युग महावीर का युग है .
डॉ० ओमप्रकाश आज का युवक धर्म से विमुख क्यों ?
श्री माणकचंद पींचा "भारती' ३४ १ आज के सन्दर्भ में जैन पंचव्रतों की उपयोगिता डॉ. विनोदकुमार तिवारी ३८ ३
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२६-३२ ३-८ ११-१६ १९-२६
१९९४ १९८६ १९७७ १९६७ १९६८ १९७७ १९८७ १९५७ १९८२ १९८७ १९८७
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३-१३ २०-३२ ३०-३४ २६-२८ ८-१२ २-६
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वर्ष ३६ ३३
अंक ३ ११
८
४४.३ पृष्ठ २-४ ३-५ ९-११ ३-१३ ३-८ १४-१८ १२-१७
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री सौभाग्यमुनि जी 'कुमुद' आचार्य आनन्दऋषि जी पं० दलसुख मालवणिया डॉ० रमेशचन्द्र जैन डॉ० प्रकाशचन्द्र जैन उपाध्याय श्री अमरमुनि मुनि महेन्द्रकुमार श्री सौभाग्यमुनि जी पं० सुन्दरलाल जैन वैद्यरत्न श्री गुलाबचंद जैन श्री विजय मुनि सुश्री शरबतीदेवी जैन सुश्री निर्मला प्रीतिप्रेम
२७ २८ ३१
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ई० सन् १९८५ १९८२ १९५१ १९७६ १९७७ १९८० १९८३ १९८५ १९५३ १९८० १९५३ १९५५ १९५५
३४
७
लेख आडम्बर प्रिय नहीं धर्म प्रिय बनो आत्म सुख सभी सुखों का राजा आत्मनित बनाम परहित आदिपुराण में राजनीति आदीश जिन अधूरी जोड़ी आनन्द आभूषण भार स्वरूप है आरोग्य आर्यारत्न श्री विचक्षण श्रीजी म० सा० आलोचक आत्म निरीक्षण ईसाइयों का महापर्व-क्रिसमस उत्तरभारत की सामाजिक-आर्थिक संरचना : जैन आगम साहित्य के सन्दर्भ में उपजीवी समाज एकता ? एकता ? एकता ?
३६
३१
७
२३-२५ १६-२३ ६-७ २०-२३ १२-१६
उमेशचन्द्र सिंह श्री भ्रमरजी सोनी श्री राजेन्द्रकुमार श्रीमाल
३८ १२ ११ ११ ३६८
१९८७ १९६० १९८५
१२-२४ ३३-३५ २२-२६
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४४४
_____ अंक १० ११
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३१ २ ३४१ ४०
७-८
लेख एकता की ओर एक कदम एक नया पुरोहितवाद एक महान् विरासत की सहमति में उठा हाथ एलाचार्य मुनिश्री विद्यानन्द जी का सामाजिक दर्शन उपाध्याय श्री अमरमुनि जी : एक ज्योर्तिमय-व्यक्तित्व
ओसवाल और पार्थापत्य सम्बन्ध कन्नड़ संस्कृति को जैनों की देन कर्मों का फल कला का कौल कल्पना का स्वर्ग या स्वर्ग की कल्पना कवि पुष्पदन्त की रामकथा कविरत्न श्री अमरमनि जी कविवर देवीदास : जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व कवि-स्वरूप : जैन आलंकारिकों की दृष्टि में कर्मशास्त्रविद् रामदेवगणि और उनकी रचनाएँ क्या अणुव्रत आन्दोलन असाम्प्रदायिक है ? क्या जातिस्मरण भी नहीं रहा
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री ऋषभदास रांका मुनि सुरेशचन्द्र शास्त्री श्रीमहेन्द्रकुमार फुसकुले श्री रत्नेश कुसुमाकर मुनि समदर्शी श्री मांगीलाल भूतोड़िया प्रो० के० एस० धरणेन्द्रैया डॉ० आदित्य प्रचण्डिया श्री मनुभाई पंचोली श्री सौभाग्यमल जैन श्री गणेशप्रसाद जैन मुनिश्री कांतिसागर जी श्री अभयकुमार जैन डॉ० कमलेशकुमार जैन श्री अगरचंद नाहटा मुनि समदर्शी श्री कस्तूरमल बांठिया
३२
ई० सन् १९५९ १९५६ १९८५ १९७९ १९८२ १९८९ १९५३ १९८१ १९५४ १९८१ १९७० १९५७ १९७७ १९७६ १९७८ १९५९ १९६०
पृष्ठ २२-२४ २७-३१ ११-१४ २३-२७ २१-२५ २४-२५ ३९-४६ २०-२१ १-३ १७-२१ २४-२७ ८-१० १२-१९ ८-१२ ११-१९ २३-२४ २९-३४
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२१ ८ २८ २७ २९ १०
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
___ वर्ष श्री गोपीचन्द धाड़ीवाल १६ श्री कस्तूरमल बांठिया
ई० सन् १९६५ १९६०
४४५ पृष्ठ । २२-२५ १७-२१
लेख
क्या जैनधर्म जीवित रह सकता है? __ क्या थे? क्या हैं? क्या होना है ?
क्या भगवान् महावीर के विचारों से विश्वशांति-संभव है? क्या महावीर सामाजिक पुरुष थे ?
क्या मैं जैन हूँ ? ए क्या यही शिक्षा है?
क्या राम कथा का वर्तमान रूप कल्पित है
डॉ० (कु०) मंजुला मेहता डॉ० मोहनलाल मेहता प्रो० दलसुख मालवणिया श्री राजाराम जैन श्री धन्यकुमार राजेश
२१७ २१ २४ ३५ ३३ १२
E xa o war ang vooroo wa w ar
क्या स्त्रियाँ तीर्थंकर के सामने बैठती नहीं ? क्या हम अपराधी नहीं कानों सुनी सो झूठ सब क्रांतिकारी महावीर
श्री नंदलाल मारू श्री जिनेन्द्र कुमार डॉ० रतनकुमार जैन पं० बेचरदास दोशी श्री रत्नचंद जैन शास्त्री डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री समीर मुनि मुनिश्री चन्द्रप्रभसागर
१९८० १९६० १९५२ १९५२ १९७० । १९७० १९७३ १९८३ १९८१ १९६१ १९६४ १९६५ १९६४ १९८३
१७-२२ १५-१६ ९-१२ ३०-३२ १०-१९ १८-२७ २७-३० ७-८ १२-१५ ४१-४४ १३-१६ ९-११ १८-२१ १-११
क्रांतिदर्शी महावीर क्रोध और क्षमा क्षमा-वाणी
१६ १५ ३४
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४४६
लेख गर्भापहरण-एक समस्या गर्भापहरण सम्बन्धी कुछ बातें गर्भापहरण-सम्बन्धी स्पष्टीकरण गाँधी जी के मित्र और मार्गदर्शक : श्रीमद्राजचन्द्र ग्रामदान से ग्राम-स्वराज्य ग्रीष्म ऋतु का आहार-विहार गुरु नानक गुणों के आगार गृहस्थ के अष्टमूल गुण-तुलनात्मक अध्ययन चक्षुष्मान पं० सुखलाल जी । चक्रवर्तियों के चक्रवर्ती श्रमण महावीर चमत्कार को नमस्कार चारित्र की दृढ़ता चिन्तन : सम्यक् जीवन दृष्टि चौबीसवें जैन तीर्थंकर भगवान् महावीर का जन्म स्थान जनजागरण और जैन महिलायें जनतंत्र के महान् उपासक भगवान् महावीर
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रतिलाल म० शाह २३ ९ श्री अगरचंद नाहटा श्री रतिलाल म० शाह
२३ १२ प्रो० सुरेन्द्र वर्मा
४६ १०-१२ श्री नेमिशरण मित्तल
१० ५ वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन डॉ० इन्द्र श्री यशपाल जैन
३२ ५ श्री अशोक पराशर __३१ १ उपाध्याय श्री महेन्द्रकुमार जी ३२५ श्री वेदप्रकाश सी० त्रिपाठी ३२ ६ डॉ० रतनकुमार जैन श्री केवलमुनि जी
३७ ८-९ डॉ० हुकुमचंद संगवे ३३ ११ डॉ० सीताराम राय
४० १० डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० इन्द्रचंद्र शास्त्री
ई० सन् १९७२ १९७२ १९७२ १९९५ १९५९ १९५४ १९५४ १९८१ १९७९ १९८१ १९८१ १९८१ १९८६ १९८२ १९८९ १९६१ १९५७
पृष्ठ २१-२५ २७-२८ २४-२७ १-४ २०-२४ ३४-३६ १२-२५ ४१-४३ २०-२४ १४-१५ ३१ ११-१४ २६-३३ २८-३१ १-७ २७-३१
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३-७
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वर्ष
४४७ पृष्ठ । ८३-९२ ३२-३५
लेख जर्मन जैन श्राविका डॉ० शार्लोटे क्राउझे जिनवल्लभसूरि की प्राकृत साहित्य सेवा जीवन और विवेक जीवन का सत्य जीवन की कला जीवन के दो रूप-धन और धर्म जीवनदर्शन जीवन रहस्य जीवन दृष्टि जीवन दृष्टि जीवन में अनेकान्त जीवन संग्राम जीवन विकास की प्रेरणा: सहयोग जैन अनुसंधान का दृष्टिकोण जैन आगम साहित्य में जनपद जैन आगम साहित्य में वर्णित दास-प्रथा जैन आगमों में जननी एवं दीक्षा
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री हजारीमल बांठिया श्री अगरचंद नाहटा श्री डोंगरे महाराज डॉ० रतनकुमार जैन उपाध्याय अमरमुनि पं० मुनिश्री आईदान जी उपाध्याय अमरमनि श्री भगवानलाल मांकड पं० बेचरदास दोशी उपाध्याय अमरमुनि श्री मनोहरमुनि जी श्री भागचन्द जैन श्री प्रकाश मुनि जी डॉ० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य श्री रमेशमुनि शास्त्री डॉ० इन्द्रेशचन्द्र सिंह डॉ० कोमलचन्द जैन
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अंक ई० सन् १०-१२ १९९७
१९६३
१९८० ११ १९८१
१९५६ १९५६ १९८०
१९५४ १२ १९६० ८ १९८२
१९५९
१९५८ ५ १९६१ ७-८ १९५३ ९ १९७८ १०-१२ १९९० ३ . १९७६
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२१-२५ ३-६ १६-१८ ७-९ ३१-३४ १८-२० ८-१० २६-२८ २६-२७ ३६-३८ १५-१६ २०-२२ ८५-९२ १९-२२
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४४८
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
वर्ष
अंक
४२
४-६
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लेख जैन आगमों में मूल्यात्मक शिक्षा और वर्तमान सन्दर्भ जैन आगमों में वर्णित जातिगत समता जैन और बौद्ध दर्शन : एक तुलनात्मक अध्ययन जैन उपाश्रय व्यवस्था और कर्मचारी तंत्र जैन एकता जैन एकता का प्रश्न जैन एकता का स्वरूप व उसके उपाय जैन एकता संभव कैसे ? जैन एकता : सूत्र व सुझाव जैन एवं बौद्ध धर्म में भिक्षुणी संघ की स्थापना जैन ज्ञान भण्डारों पर एक दृष्टिपात । जैन और बौद्ध आगमों में विवाह पद्धति जैन तीर्थंकरों का जन्म क्षत्रियकुल में ही क्यों ?
ई० सन् १९९४ १९९१ १९८७ १९६६ १९५९ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८४
डॉ० सागरमल जैन डॉ० इन्द्रेशचन्द्र सिंह श्री सुभाषमुनि 'सुमन' श्री कृष्णलाल शर्मा श्री भँवरमल सिंघी डॉ० सागरमल जैन स्व० श्री अगरचन्द नाहटा मुनि रूपचन्द श्री जसकरण डागा डॉ० अरुणप्रताप सिंह मुनि पुण्यविजय जी श्री कोमलचन्द जैन श्री गणेशप्रसाद जैन
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पृष्ठ १६२-१७२ ६३-७२ ६-१७ २७-३३ ३५-३७ १-२७ १-२१ २८-३२ २२-४१ १-१६ १-७ १८-२२ २१-२५ १५-१८ २-५ २१-२६ १४-१८
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जैनत्व का गौरव और हम जैनत्व या जैन चेतना जैन दर्शन में नारी मुक्ति
श्री हर्षचन्द प्रो० विमलदास जैन कु० चन्द्रलेखा पंत
१९६३ १९७८ १९८० १९८३ १९५१ १९७५
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ई० सन् १९७७ १९८५ ।। १९९२ १९६४
१०
जैन दर्शन में समता
जैन दिवाकर मुनिश्री चौथमल जी म० . जैन दृष्टि में नारी की अवधारणा
जैन धर्म और आज की दुनियाँ जैनधर्म और उसका सामाजिक दृष्टिकोण जैनधर्म और दर्शन की प्रासंगिकता-वर्तमान परिपेक्ष्य में जैनधर्म और नारी जैनधर्म और युवावर्ग जैनधर्म और वर्ण व्यवस्था
१८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अभयकुमार जैन २९ श्री विपिन जारोली
३७ डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री ऋषभचन्द्र
१५ श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' डॉ० इन्द्र श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' श्री प्यारेलाल श्रीमाल 'सरस पंडित' ३४ पं० फूलचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री
२ डॉ० सागरमल जैन श्री कन्हैयालाल सरावगी डॉ० सागरमल जैन मुनिश्री नथमल डॉ० सागरमल जैन श्री प्यारेलाल श्रीमाल डॉ० विनोदकुमार तिवारी
s rry rjwww :
४४९ पृष्ठ २३-३३ ६-९ २५-२८ ३५-३६ ९-१८ १-८ ३-९ ३५-३९ १५-२३ २०-२६ १४४-१६१ ३४-३८ १-४८ २०-२३ १-१९ ११-१४ २-५
७
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जैनधर्म और सामाजिक समता जैनधर्म भौगोलिक सीमा में आबद्ध क्यों ? जैनधर्म में नारी की भूमिका जैनधर्म में सामाजिक प्रवृत्ति की प्रेरणा जैनधर्म में सामाजिक चिन्तन जैन पदों में रागों का प्रयोग जैन पर्व दीपावली : उत्पत्ति एवं महत्त्व
१९९२ १९६७ १९८३ १९५१ १९५१ १९९४ १९७२ १९९० १९६७ १९९७ १९७२ १९८५
४-६ ५ १०-१२ ८ ४-६
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लेख
अंक १०-१२ १०
पृष्ठ १-७ १४-१९ २३-२५ १२-१७
जैन परम्परा के विकास में स्त्रियों का योगदान जैन परम्परा में महाभारत कथा जैन पुराणों में राम कथा जैन पुराणों में समता जैन पौराणिक साहित्य में युद्ध जैन भिक्षुणी-संघ और उसमें नारियों के प्रवेश के कारण जैन भौगोलिक स्थानों की पहचान जैन मन्दिर और हरिजन जैन मुनि और माँसाहार परिहार जैन मुनि क्या कुछ कर सकता है ? जैन रक्षापर्व : वात्सल्य पूर्णिमा जैन राजनीति में दूतों और गुप्तचरों का स्वरूप जैन रासरासक-परिभाषा, विकास और काव्यरूप जैन वाङ्मय का संगीत पक्ष जैन विद्या के निष्काम सेवक : लाला हरजसराय जैन जैन शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा जैन शिक्षा : उद्देश्य एवं पद्धतियाँ
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष डॉ० अरुणप्रताप सिंह ४४ डॉ० कल्याणीदेवी जायसवाल श्री गणेशप्रसाद जैन श्री देवीप्रसाद मिश्र
२९ श्री धन्यकुमार राजेश २१ श्री अरुणप्रताप सिंह डॉ० प्रेमसुमन जैन प्रो० महेन्द्रकुमार जैन 'न्यायाचार्य' २ श्री कस्तूरमल बांठिया १८ श्री मन्नूलाल जैन श्री भूरचंद जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन डॉ० प्रेमचंद जैन
२१ श्री प्यारेलाल श्रीमाल सरस पंडित' ३१ डॉ० सागरमल जैन
३७ श्री धनदेव कुमार डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
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ई० सन् १९९३ १९८९ १९६८ १९७८ १९७० १९८२ १९८३ १९५१ १९६७ १९८२ १९७८ १९७६ १९७० १९७९ १९८६ १९५३ १९६८
१२-१६ ६-११ २५-३० १४-२५ १५-१८ १९-२२ १६-२४ ३-९ २५-२७ २१-२४ १३-१६ १९-२३
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लेख
जैन संस्कृति जैन संस्कृति और परिवार व्यवस्था जैन संस्कृति और प्रचार : एक चिन्तन
जैन संस्कृति और महावीर
जैन संस्कृति और राजनीति
जैन संस्कृति और विवाह जैन संस्कृति का विस्तार जैन समाज और वैशाली जैन समाज और सर्वोदय
जैन समाज का धर्म प्रचार जैन समाज के लिये नई दिशा जैन समाज द्वारा काव्य सेवा
जैन समाज व्यवस्था
जैन
साधु
और हरिजन
जैन साधुओं का संस्थारूपी परिग्रह
जैन साहित्य और संस्कृति का जनजीवन पर प्रभाव
जैन साहित्य में जनपद
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य
श्री प्रेमसुमन जैन
श्री गजेन्द्र मुनि
श्री विजयमुनि शास्त्री
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
श्री गोकुलचंद जैन
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री पं० पन्नालाल धर्मालंकार
सन्त विनोबा
श्री समीर मुनि 'सुधाकर' साहू शांतिप्रसाद जी श्री रूपचंद जैन
श्री बशिष्ठनारायण सिन्हा
श्री माईदयाल जैन
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कु० सुधा जैन डॉ० अच्छेलाल
वर्ष
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ई० सन् १९७१ १९६७ १९५५ १९९० १९५३
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लेख जैन साहित्य में शिशु जैन सिद्धान्तों का समाजव्यापी प्रयोग जैनागमों में महावीर के जीवनवृत्त की सामग्री जैनाचार्य राजशेखरसूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व जैसलमेर भण्डार का उद्धार जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि ज्योतिर्धर महावीर ज्ञान तपस्वी मुनिश्री पुण्यविजय जी ज्ञानद्वीप की शिखा ढंढ़ण ऋषि की तितिक्षा णायकुमारचरिउ की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि तमिलक्षेत्रीय जैन योगदान तीर्थंकर महावीर तीर्थंकर और उनकी शिक्षायें तीर्थंकर महावीर जन्मना ब्राह्मण या क्षत्रिय तीर्थंकर महावीर का निर्वाणदिवस 'दीपावली' तीर्थंकर महावीर का निर्वाण पर्व 'दीपावली' - एक समीक्षा
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री उदयचंद जैन मुनि नेमिचन्द्र श्री अगरचंद नाहटा डॉ० अशोककुमार सिंह मुनि पुण्यविजय जी डॉ० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री रतिलाल दीपचंद देसाई श्री राजमल पवैया उपाध्याय श्री अमरमुनि डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री डी० जी० महाजन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री महेन्द्रकुमार शास्त्री श्रीसौभाग्यमल जैन श्री गणेशप्रसाद जैन
पृष्ठ २२-२९ २६-३० ३४-३८ ९३-११० ६३-७० १०-११ २६-३२ ३४-३८ १९ ११-१४ १४-१८ ५-१० १४-१६ ७-१० ५१-५५ २०-२३
१९६५ १९६७ १९८१ १९८२ १९७१ १९६९ १९७९ १९६४ १९९१ १९८१
३३ ३३ २३ २० ३० १५ ४२ ३२
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लेख
तीर्थंकरों की निश्चित संख्या क्यों ? तीर्थंकर महावीर की शिक्षाओं का सामाजिक महत्त्व
त्याग का मूल्य त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित में प्रतिपादित सांस्कृतिक -
जीवन
दक्षिण हिन्दुस्तान और जैनधर्म
दया- दान की मान्यता
दान की आत्मकथा
दान सम्बन्धी मान्यता पर विचार
दार्शनिक पुरुष
दार्शनिक क्षितिज का दीप्तिमान नक्षत्र दिगम्बर रहना क्या महावीर का आचार था ? द्विसन्धानमहाकाव्य में राज्य और राजा का स्वरूप
दीपमाला : एक अध्यात्मिक पर्व दीपावली : एक साधना पर्व दुःख का जनक लोभ
दुर्दान्त दस्यु दया का देवता बना
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री रतिलाल म० शाह डॉ० विनोदकुमार तिवारी उपाध्याय अमरमुनि
डॉ० उमेशचन्द्र श्रीवास्तव पं० दलसुख मालवणिया श्री सतीशकुमार 'भैरव'
श्री भग्न हृदय
श्री अगरचंद नाहटा
मुनिश्री रामकृष्ण उपाध्याय श्री अमरमुनि
श्री रतिलाल म० शाह डॉ० रमेशचन्द्र जैन
पं० श्री ज्ञानमुनि जी महाराज
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
आचार्य श्री आनन्दऋषि श्री वीरेन्द्रकुमार जैन
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष ३६
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सान
लेख दुर्बल को सताना क्षत्रिय धर्म नहीं दृढ़ प्रतिज्ञ केशव देवचन्द्रकृत यंत्रप्रकृति का वस्त्र टिप्पणक धर्ममय समाज रचना की आधारशिला-क्षमापना धर्म और युवा पीढ़ी धर्म एक आधार : स्वस्थ समाज रचना धर्म का पुनरुद्धार और संस्कृति का नवनिर्माण धर्म का मान धर्म का सर्वोदय स्वरूप धर्म के स्थान पर संस्कृति धर्म को समाज सेवा से जोड़ा जाय धर्म पुरुष और कर्म पुरुष ध्यान योगी महावीर नई समाज व्यवस्था नमस्कारमंत्र का मौलिक परम अर्थ नया विहान-नया समाज नर्क का प्रश्न
मुनिश्री महेन्द्रकुमार 'प्रथम' श्री अगरचन्द नाहटा मुनिश्री नेमिचन्दजी श्रीमती बीना निर्मल साध्वी श्री मंजुला पं० दलसुख मालवणिया डॉ० आदित्य प्रचण्डिया पं० चैनसुखदास जैन काका कालेलकर श्री जिनेन्द्र कुमार पं० फूलचंदजी 'श्रमण' मुनिश्री नथमल जी कुमार प्रियदर्शी पं० सूरजचंद्र 'सत्यप्रेमी' श्री बद्रीप्रसाद स्वामी श्री सौभाग्यमल जैन
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ई० सन् १९८५ १९८५ १९७९ १९६२ १९८२ १९६६ १९५० १९८४ १९६३ १९५१ १९८५ १९५५ १९६१ १९५८ १९५५ १९५९ १९८१
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनि महेन्द्रकुमार उपाध्याय श्री अमरमुनि श्री पृथ्वीराज जैन दर्शनाचार्य मुनि योगेशकुमार श्री आईदान जी महाराज सत्यवती जैन श्री किशोरीलाल मशरूवाला श्री गुलाबचन्द्र चौधरी सुश्री प्रेमकुमारी दिवाकर डॉ० सन्तोषकुमार ‘चन्द्र' मुनिश्री पुण्यविजय जी प्रो० पृथ्वीराज जैन श्री रामस्वरूप जैन महात्मा भगवानदीन पं० के० भुजबलि शास्त्री श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
नागदत्त नाथ कौन ? नारी और त्याग मार्ग नारी उत्क्रान्ति के मसीहा भगवान् महावीर नारी का महत्त्व नारी का स्थान घर है या बाहर? नारी की प्रतिष्ठा नारी के अतीत की झांकी-सतीप्रथा नारी जागरण नारी जीवन का आदर्श निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थी संघ नैतिक उत्थान और शिक्षण संस्थायें पंजाब में स्त्री शिक्षा पंडित कौन ? पंडितरत्न सुखलाल जी : एक सुखद संस्मरण पं० सुखलाल जी -एक संस्मरण पं० सुखलाल जी के तीन व्याख्यान - मालाओं के पठनीय ग्रंथ
ई० सन् १९८४ १९८० १९५१ १९८४ १९५४ १९५४ १९५१ १९५० १९५१ १९५२
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४५५ पृष्ठ २-७ १२-१६ १४-२० २४-२६ ३०-३६ ३५ ४-८ ११-१८ २६-३१ ३१-३४ ३२-३७ २७-३० ३८-४० १-४
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३२ ___३२
१९५२ १९५० १९८० १९८१ १९८१
२८-३२
श्री अगरचन्द नाहटा
३२
५
१९८०
Page #469
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० के० ऋषभचन्द्र
वर्ष १८
अंक १२
४५६ लेख पउमचरिउ की अवान्तर कथाओं में भौगोलिक सामाग्री पउमचरियं के कछ भौगोलिक स्थल पउमचरियं में अनार्य जातियाँ पउमचरिउ में नारी पउमचरियं में वर्णित राम की वनयात्रा
5
१८
५
ई० सन् १९६७ १९६५ १९६७ १९७४ १९६५ १९६५ १९७४
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० के० ऋषभचन्द्र
२५
5
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१
डॉ० रमेशचन्द्र जैन
१९७३
पृष्ठ ३-१६ १७-२१ २-५ २४-२७ ३-८ १३-१८ ३-१० २९-३५ ८१-९० १३५-१४३ ३४-३५ १०-१५ १७-२१ १४-१६ ३७-३९
४३
४-६
११.
पद्मचरित में वस्त्र और आभूषण पद्मचरित में शकुनविद्या पर्यावरण एवं अहिंसा पर्यावरण के प्रदूषण की समस्या और जैनधर्म पर्युषण पर्व और आज की नारी पर्युषण का सामाजिक महत्त्व पर्युषण पर्व पर एक ऐतिहासिक दृष्टिपात पर्युषण पर्व की आराधना पर्युषण पर्व पर दो महत्त्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान पर्यषण मीमांसा पर्व और धर्म चर्या पल्लवनरेश महेन्द्रवर्मन "प्रथम' कृत मत्तविलासप्रहसन में वर्णित धर्म और समाज
on
डॉ० डी०आर० भण्डारी डॉ० सागरमल जैन सुश्री शरबतीदेवी जैन श्री जयन्त मुनि पं० मुनिश्री रामकृष्ण जी महाराज पं० मुनिश्री फूलचन्द्र जी 'श्रमण' श्री अगरचंद नाहटा मनिश्री कन्हैयालाल जी 'कमल' श्री जयभगवान जैन
७
१
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१९९२ १९९४ १९५६ १९५६ १९५६ १९५५ १९५६ १९५५ १९५६
११ । १२
३-९
श्री दिनेशचन्द्र चौबीसा
४४
१९९३
३५-४१
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_____ अंक
ई० सन्
४२
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२८
४५७ पृष्ठ । २९-३३ ७५-८६ ११-१३ ३-९ ३-५ २५-२९ ४८-४९ ३-१३
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१९९१ १९८५ १९७७ १९७८ १९५४ १९८२ १९७१ १९८१
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक पारिवारिक जीवन सुखी कैसे हो?
श्रीमती यमुनादेवी पाठक पाण्डवपुराण में राजनैतिक स्थिति
सुश्री रीता विश्वनोई पाप का घट
मुनि महेन्द्रकुमार पार्श्वनाथचरित में प्रतिपादित समाज
श्री जयकुमार जैन पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के मार्गदर्शक श्री गुलाबचन्द जैन पं० सुखलाल जी पितृहीन
डॉ० इन्द्र पुरुषार्थ के प्रतीक पं० सुखलाल जी
साहू श्रेयांसप्रसाद जैन पौराणिक साहित्य में राजनीति
श्री धन्यकुमार राजेश प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल जी : एक परिचय श्री गुलाबचन्द जैन प्रज्ञापुरुष पं० जगन्नाथ जी उपाध्याय की दृष्टि में - बुद्ध व्यक्ति नहीं प्रक्रिया
डॉ० सागरमल जैन प्रतिक्रिया है दुःख
युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रज्ञापुरुष
साध्वीरत्न श्री विचक्षण श्री जी प्रज्ञामूर्ति
श्री रमेशमुनि शास्त्री प्रभावशाली व्यक्तित्व (मनोवैज्ञानिक लेख) श्री कोमल जैन प्राकृत हिन्दी कोश के महान् प्रणेता : पं० हरगोविन्ददास श्री अगरचन्द नाहटा प्रागैतिहासिक भारत में सामाजिक मूल्य एवं परम्पराएँ डॉ० जगदीशचन्द्र जैन प्राचीन जैन आगमों में राजस्व व्यवस्था
डॉ० अनिलकुमार सिंह प्राचीन जैन ग्रंथों में कृषि
डॉ० अच्छेलाल यादव
३२
१६६-१६९ २-६
३५
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३३
८ २८५ ४३ १०-१२
१-३ २४ ४
१९९५ १९८२ १९८१ १९८१ १९५७ १९७७ १९९२ १९९६ १९७३
१२-१४ १९-२२ १३-१९ ११-१९ २४-२७
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________________
४५८ लेख
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री जयभगवान जैन
वर्ष
अंक १२
ई० सन् १९५५
पृष्ठ ३-९
४४
३
१-३
श्री दिनेशचन्द्र चौबीसा श्रीमती यमुनादेवी पाठक रीता बिश्वनोई मुनि महेन्द्रकुमार श्री जयकुमार जैन
३
१९९३ १९५० १९९१ १९८५ १९७७
३५-४१ २९-३३ ७५-८६ ११-१३ ३-९
२८
पर्व और धर्म चर्या पल्लवनरेश महेन्द्रवर्मन “प्रथम'' कृत मत्तविलासप्रहसन में वर्णित धर्म और समाज पारिवारिक जीवन सुखी कैसे हो? पाण्डवपुराण में राजनैतिक स्थिति पाप का घट पार्श्वनाथचरित में प्रतिपादित समाज पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के मार्गदर्शक पं०सुखलाल जी पितृहीन पुरुषार्थ के प्रतीक पं० सुखलाल जी पौराणिक साहित्य में राजनीति प्रज्ञाचक्षु पं० सुखलाल जी : एक परिचय प्रज्ञापुरुष पं० जगन्नाथ जी उपाध्याय की दृष्टि मेंबुद्ध व्यक्ति नहीं प्रक्रिया प्रतिक्रिया है दु:ख प्रज्ञा पुरुष
श्री गुलाबचन्द्र जैन डॉ० इन्द्र साहू श्रेयांसप्रसाद जैन श्री धन्यकुमार राजेश श्री गुलाबचन्द्र जैन
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२३
१९७८ १९५४ १९८१ १९७१ १९८१
३-५ २५-२९ ४८-४९ ३-१३ ५५
१
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डॉ० सागरमल जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ साध्वी रत्न श्री विचक्षण श्री जी
४६ ३३ ३२५
१९९५ १६६-१६९ १९८२ २-६ १९८१ ३५
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लेख
अंक
४५९ पृष्ठ
५
ई० सन् १९८१ १९५७ । १९७७ १९९२ १९९६ १९७३ १९७२
४३
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१०-१२
१२-१४ १९-२२ १३-१९ ११-१९ २४-२७ २९-३३
४७
४ ११
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष प्रज्ञामूर्ति
श्री रमेशमुनि जी शास्त्री प्रभावशाली व्यक्तित्व (मनोवैज्ञानिक लेख) श्री कोमल जैन
८ ___प्राकृत हिन्दी कोश के महान् प्रणेता : पं०हरगोविन्ददास श्री अगरचन्द नाहटा
प्रागैतिहासिक भारत में सामाजिक मूल्य एवं परम्पराएँ डॉ० जगदीशचन्द्र जैन प्राचीन जैन आगमों में राजस्व व्यवस्था डॉ० अनिलकुमार सिंह प्राचीन जैन ग्रंथों में कृषि
डॉ० अच्छेलाल यादव २४ प्राचीन जैन साहित्य में उत्सव-महोत्सव डॉ० झिनकू यादव
२३ प्राचीन जैन साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन : एक अध्ययन
श्रीमती कमलप्रभा जैन प्राचीन जैन साहित्य में शिक्षा का स्वरूप डॉ० राजदेव दुबे
३६ प्राचीन प्राकृत ग्रंथों में उपलब्ध भगवान् महावीर का जीवन चरित
डॉ० के० ऋषभचन्द्र
२८ प्राचीन भारत में अपराध और दंड
डॉ० प्रमोदमोहन पाण्डेय २४ प्राचीन भारतवर्ष में गणतंत्र का आदर्श
श्री कन्हैयालाल सरावगी २४ प्राणप्रिय काव्य के रचयिता व रचनाकाल श्री अगरचंद नाहटा २३ प्राणीमात्र के विकास का आधार जैनधर्म
डॉ० महेन्द्रसागर प्रचंडिया ३२ बलभद्र और हरिण
उपाध्याय अमरमुनि ___३३
३७
१९८६ १९८५
१०-१९ १६-२४
३
२८
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१९७७ १९७३ १९७३ १९७२ १९८० १९८२
३-१० १७-२१ ९-१२ १७-२० १६-१८ ९-११
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________________
४६०
वर्ष
अंक
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल मुनि महेन्द्रकुमार उपाध्याय श्री अमरमुनि
7.
ई० सन् १९५४ १९८४ १९८१
पृष्ठ ३-९ ८-१० १७-२३
डॉ० यदुनाथप्रसाद दुबे
४२
४-६
१९९१
२१-३२
लेख बत्तीस प्रकार की नाट्यविधि बन्दर का रोना बलिदान की अमर गाथा वसन्तविलासकार बालचन्द्र सरि: व्यक्तित्व एवं कृतित्व बालकों के संस्कार निर्माण में अभिभावक, शिक्षक एवं समाज की भूमिका बिना विचारे जो करै बुद्ध और महावीर बह्मदत्त भक्तामरस्तोत्र : एक अध्ययन भरतेशवैभव में प्रतिपादित सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था भगवान् महावीर भगवान् महावीर भगवान् महावीर और उनका शांति संदेश भगवान् महावीर और जातिभेद
डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमरमुनि डॉ० देवसहाय त्रिवेद मुनिश्री महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' डॉ० हरिशंकर पाण्डेय
१९८० १९८१ १९७९ १९८३ १९९५
२६-३८ १२-१४ ३०-३४ ४०-४२ ७-९
४६
७-२
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श्री सुपार्श्वकुमार जैन श्री मदनलाल जैन श्री महेन्द्रराजा जैन पं० श्री ज्ञानमुनि जी श्री पृथ्वीराज जैन
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१९७५ १९५६ १९६२ १९५५ १९५०
३-८ ५५-५६ ५५-५६ ४७-५३ ५-१७ ११-१६
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६
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________________
लेख
अंक
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष श्री विमल जैन डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी श्री जमनालाल जैन
३३ डॉ० निजामुद्दीन ___ ३५ मुनि नेमिचंद
१५ उपाध्याय अमरमुनि
३४
ई० सन् १९६४ १९६३ १९८२ १९८३ १९६४ १९८२
४६१ पृष्ठ ३५-३८ १५-१७ ५१-५५ १०-१३ ३०-३४ ५-१४
भगवान् महावीर और नारी जाति भगवान् महावीर और उनका उपदेश भगवान् महावीर और युवा अध्यात्म भगवान् महावीर और विश्वशांति भगवान् महावीर और समता का आचरण भगवान् महावीर भगवान् महावीर-उनके जीवन की विविध भूमिकाएं भगवान् महावीर का आदर्श और हम भगवान् महावीर का आदर्श जीवन भगवान् महावीर का उपदेश और आधुनिक समाज भगवान् महावीर का जीवन और दर्शन भगवान् महावीर का निर्वाण कल्याणक भगवान् महावीर का विचार तथा कृतित्व समस्त विश्व के लिए अनुपम धरोहर भगवान् महावीर का व्यक्तित्व
पं० सुखलाल संघवी श्रीमती कांता जैन श्री पूनमचन्द मुणोत जैन
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१९५२ १९५१ १९८५
९-१६ ३३-३६ २२-२३
३६
३२
पं० दलसुखभाई मालवणिया डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमरमुनि
४५ ३५
१९८१ १९९४ १९८३ १९८३
१७-२२ १४-१७ २-६
डॉ० रामकुमार वर्मा डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी
३१
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१९७९ १९५५
६
३६-३७ ४१-४६
६
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वर्ष
अंक
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक मुनि कन्हैयालाल जी 'कमल' श्री वशिष्ठनारायण सिन्हा डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव मुनिश्री नगराज जी पं० अमृतलाल शास्त्री मुनि वसन्तविजय पं० सुखलाल जी डॉ० मंगलदेव शास्त्री श्यामवृक्ष मौर्य श्री ज्ञानमुनि
१३ ३८
७-८ ६ १
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४६२ लेख भगवान् महावीर का व्यक्तित्व भगवान् महावीर का समन्यवाद भगवान् महावीर की जन्मकालीन परिस्थितियाँ भगवान् महावीर की तलस्पर्शिनी अहिंसा दृष्टि भगवान् महावीर की दिव्य देशना भगवान् महावीर की देन । भगवान् महावीर की मंगल विरासत भगवान् महावीर की महामानवता भगवान् महावीर की व्यापक दृष्टि भगवान् महावीर के आठ संदेश भगवान् महावीर के आदर्श और यथार्थ की पृष्ठभूमि भगवान् महावीर के जीवन का एक भ्रान्त दृश्य भगवान् महावीर के निर्वाण का २५००वां वर्ष भगवान् महावीर-जीवन और सिद्धान्त भगवान् महावीर : जीवन सम्बन्धी प्रमुख घटनाएं भगवान् महावीर : समताधर्म के प्ररूपक
ई० सन् १९५७ १९५९ १९६२ १९८६ १९५७ १९६४ १९७४ १९६३ १९८४ १९६४
पृष्ठ १७-२३ ४६-५० २२-२६ २-४ ३३-३४ ३७-४० ३-९ ९-११ २९-३१ २८-३२
२६
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३५
१५
मुनि श्री नगराज जी डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन श्री गोपीचंद धारीवाल श्री धर्मचन्द्र ‘मुखर' डॉ० मंगलप्रकाश मेहता पं० दलसुख मालवणिया
३५ १५ २३
१९८४ १९६४ १९७२ १९५५ १९८५ १९७४
२०-२२ ३३-४६ २६-३१ ३६-४० १२-१५ १८-२७
२६
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________________
वर्ष
अंक
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' श्री कस्तूरमल बांठिया
लेख भगवान् या सामाजिक क्रांतिकारी भगवान् महावीर के जीवन चरित्र
ई० सन्
४६३ पृष्ठ २५-२७ ४९-६३ ५-२२
१५ २०
१९६४ १९६९
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२६ ३५ ३६
भरतेशवैभव में प्रतिपादित सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था भाग्यवान अन्धा पुरुष भाग्य बनाम पुरुषार्थ भारत की अहिंसक संस्कृति भारतीय चिकित्सा शास्त्र भारत की अहिंसक संस्कृति भारतीय दर्शनों का समन्वयवादी स्थितप्रज्ञ पुरुष भारतीय मनीषा के उज्ज्वलतम प्रतीक पं० सुखलाल जी भारतीय संस्कृति भारतीय संस्कृति का दृष्टिकोण भारतीय संस्कृति का प्रहरी भारतीय संस्कृति में दान का महत्व
श्री सुपार्श्वकुमार जैन मुनि महेन्द्र कुमार डॉ० सागरमल जैन मुनिश्री रामकृष्णजी म० सा० श्री अत्रिदेव विद्यालंकार मुनिश्री रामकृष्णजी म० सा० पं० श्री विजयमुनि जी
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१९७५ १९८३ १९८५ १९५६ १९५३ १९५६ १९८१
३-८ १४-१६ २-६ २०-२३ २९-३४ २१-२५ १७-२७
३२
डॉ० रामजी सिंह डॉ० मंगलदेव शास्त्री
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१९८१ १९५५ १९५५ १९५५ १९६९
४४-४६ १८-३१ ३-१६ २६-२८ ८-१६
कविरत्न श्री अमरमुनिजी श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
२०६
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४१
१९२०
वर्ष ४१ ४-५ ३५ ३३ ३१
४६४
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक भारतीय राजनीति में जैन संस्कृति का योगदान श्री इन्द्रेशचन्द्र सिंह भारतीय संस्कृति का समन्वित रूप
डॉ० सागरमल जैन भारतीय संस्कृति के विकास में श्रमण धारा का महत्व डॉ० कोमलचन्द जैन भिगमंगा मन
डॉ० रतनकुमार जैन भिक्षुणी संघ की उत्पत्ति एवं विकास
डॉ० अरुणप्रताप सिंह भिक्षु संघ और समाजसेवा
भिक्षु जगदीश काश्यप मंगलमय महावीर
प्रो० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य मंदिरों के झगड़े और जैन समाज
. श्री ऋषभदास रांका मन की लड़ाई
उपाध्याय अमरमुनि मनुष्य प्रकृति से शाकहारी
डॉ० महेन्द्रसागर प्रचण्डिया ममता
महात्मा भगवानदीन मनुष्य की परिभाषा
श्री महावीरप्रसाद गैरोला मनुष्य की प्रगति के प्रति भयंकर विद्रोह मुनिश्री आईदान जी महाराज महत्वपूर्ण जैन कला के प्रति जैन समाज की उपेक्षा वृत्ति
श्री अगरचंद नाहटा महाकवि स्वयंभू और नारी
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन महाकवि रत्नाकर के कतिपय अध्यात्म गीत पं० के० भुजबली शास्त्री
ई० सन् १९९० १९९४ १९८४ १९८२ १९८० । १९५० १९५२ १९५१ १९८० १९८१ १९८० १९८० १९५४
२
पृष्ठ २७-३४ १२९-१३४ १५-२४ २१-२८ १७-२० १३-१६ २३-२४ २८-३२ १३-१६ ३२-३४ ३-४ १४-१६ १८-१९
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३१
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१९८० १९७४ १९६८
१३-१४ ३-७ २३-२५
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________________
४६५
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री महेशशरण सक्सेना
वर्ष
अंक ४
ई० सन् १९५५
पृष्ठ । १४-१७
४७
५५-५९
४७ ३६ २५ २४ ४
डॉ० ऊषा सिंह डॉ० आदित्य प्रचण्डिया श्री जमनालाल जैन श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री भूपराज जैन श्री सुभाषमुनि सुमन उपाध्यायश्री अमरमुनि जी
७-९ ७ ५ ६ ५
२४
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लेख महात्मा कन्फ्यूशियस महात्मा गाँधी का मानवतावादी राजनीतिक चिन्तन
और जैनदर्शन एक समीक्षात्मक अध्ययन महामानव महावीर का जीवन प्रदेय महावीर और उनकी देशना महावीर और उनके सिद्धान्त महावीर और क्षमा महावीर और बुद्ध महावीर का अखण्ड व्यक्तित्त्व महावीर का जीवन दर्शन महावीर का जीवन दर्शन महावीर का दर्शन, सामाजिक परिपेक्ष्य में महावीर का मंगल उपदेश महावीर का वीरत्व महावीर का संदेश महावीर का साम्यवाद महावीर की जय
३७
२१-२४ ३-८ ३०-३४ १२-१६ ११-१६ ३-१४
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डॉ० सागरमल जैन
७-९
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३५ ६ ३७६ ३२६
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डॉ० हरिशंकर वर्मा डॉ० भानीराम वर्मा श्री रघुवीरशरण दिवाकर श्री सुन्दरलाल जैन डॉ० इन्द्र
४९-५० २२-२७ २४-३४ २८-३१ ३१-३३
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वर्ष ३२
अंक ६
४६६ लेख महावीर की वाणी महावीर क्षत्रिय पुत्र थे या ब्राह्मणपुत्र ? महावीर के ये उत्तराधिकारी महावीर के जीवन पर नया प्रकाश महावीर के सिद्धान्त-युगीन संदर्भ में महावीर जयन्ती महावीर भूले ?
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री कपूरचन्द जैन डॉ० मोहनलाल मेहता मुनि सुरेशचन्द्र शास्त्री श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० सागरमल जैन स्व० श्री जिनेन्द्रवर्णी श्री कस्तूरमल बांठिया
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पृष्ठ २३-२६ ३४-३८ ५७-६० ३१-३३ ३-२७ १५-१९ २२-२९ ४-१५ ५१-५४ ५०-५२ १२-१६ ३२-३३ ११-१४ २५-२७ ६-१५ २२-२५ २१-२३
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७६-७
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महावीर भूले ! महावीर महान् थे महावीर विवाहित थे या अविवाहित महिलाओं की मर्यादा मानव जाति के अभ्युदय का पर्व 'दीपावली' मानव जीवन का आधार मानव धर्म का सार मानव संस्कृति और महावीर
२६६ १२ ४
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प्रो० दलसुखभाई मालवणिया प्रो० विमलदास कोंदिया श्री रतिलाल म० शाह श्रीमती शकुन्तला मोहन दर्शनाचार्य मुनि योगेशकुमार श्री पृथ्वीराज जैन श्री जगदीशसहाय प्रो० देवेन्द्रकुमार जैन
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७-८
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री ए० एम० योस्तन
अंक
२
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लेख मानव संस्कृति का विकास मॉन्तेसरि आन्दोलन मॉन्तेसरि शिक्षा के ५० वर्ष मॉन्तेसरि शिक्षा-पद्धति माँस का मूल्य मुनिश्री चौथमल जी की जन्म शताब्दी मुनिश्री देशपाल : जीवन और कृतित्व मुलाकात महावीर से मूर्त-अंकनों में तीर्थंकर महावीर के जीवन-दृश्य मेघकुमार का आध्यात्मिक जागरण मेरी कुछ अनुभूतियाँ
कु० ऊषा मेहरा उपाध्याय अमरमनि जी श्री गुलाबचन्द जी डॉ० सनत्कुमार रंगाटिया श्री शरदकुमार साधक डॉ० मारुतिनन्दनप्रसाद तिवारी श्री विजय मुनि श्री शादीलाल जैन
८ ३१ ३०
३२ ___ ३६
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ई० सन् १९७६ १९५७ १९५७ । १९५७ १९५७ १९८० १९७९ १९८१ १९८५ १९७६ १९५७ १९६३ १९५८ १९६३
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मौलिक चिन्तन की आवश्यकता यह धर्म प्राण देश है युगपुरुष आचार्यसम्राट आन्नदऋषि जी म० युगपुरुष भगवान् महावीर युगीनपरिवेश में महावीर स्वामी के सिद्धान्त
श्री अगरचंद नाहटा श्री रघुवीरशरण दिवाकर उपाचार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी महाराज श्री पृथ्वीराज जैन डॉ० सागरमल जैन
२०-२३ २८-३० १०३-१०५ २४-२७
६
१९९२ १९५१ । १९९५
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७-९
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________________
ه
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री इन्द्रेशचन्द्र सिंह डॉ० के० ऋषभचन्द्र
४०
१२
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ई० सन् १९८९ १९६६ १९६७ १९६५ १९७२ १९८३ १९८०
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पृष्ठ २६-३६ ८-१२ ९-१२ ३२-३४ १६-२७ १४-१९ १३-१५
१६ २४ ३४
श्री गणेशप्रसाद जैन श्री गणेश ललवानी उपाध्यायश्री अमरमुनि
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१२ २ ९
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४६८ लेख युद्ध और युद्धनीति राक्षस : एक मानव वंश रामकथा के वानर : एक मानव जाति रामकथाविषयक कतिपय भ्रांत धारणायें राजगृह राज्य का त्याग : त्यागी से भय राजा मेघरथ का बलिदान रामसनेही सम्प्रदाय के रेणशाखा के दो सरावगी आचार्य राष्ट्रनिर्माण और जैन राष्ट्रभाषा के आद्यजनक भगवान् महावीर राष्ट्रीय विकास यात्रा में जैन धर्म एवं जैन पत्रकारों का योगदान रूढ़िच्छेदक महावीर लवण एवं अंकुश की देवविजय का भौगोलिक परिचय लोक कल्याण के लिए श्रमण संस्कृति वर्ण और जातिवाद : जैन दृष्टि
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श्री अगरचंद नाहटा श्री माईदयाल जैन डॉ० रतिलाल म० शाह
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१९७८ १९६० १९७३
१२-१६ ४९-५६ २८-३१
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श्री जिनेन्द्र कुमार पं० बेचरदास दोशी डॉ० के० ऋषभचंद्र भिक्षु जगदीश काश्यप श्री कन्हैयालाल सरावगी
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६-१० ३२-३७ ३-१५ १९-२१ १७-२०
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लेख
ई० सन् १९७२ १९८३ १९७४
३४
४६९ पृष्ठ । ७-११ १३-१६ २८-३४ २७-२८ १-४ ६९-७५ ३-८ ८-१६
१९८४
१९६
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष अंक वर्ण विचार
श्री रमेशचंद्र जैन
२४ १ वर्तमान अशान्ति का एकमात्र समाधान अहिंसा श्री कस्तूरीनाथ गोस्वामी वर्तमान युग के सन्दर्भ में भगवान् महावीर के उपदेश श्री कन्हैयालाल सरावगी वर्तमान सन्दर्भ और भगवान् महावीर की अहिंसा डॉ० आदित्य प्रचण्डिया ३५६ वर्धमान : चिन्तन खण्ड
श्री नरेशचन्द्र मिश्र वर्धमान से महावीर कैसे बने ?
श्री जिनविजयसेनसूरि
१५ ५-६ वरांङ्गचरित में अठारह श्रेणियों के प्रधान : एक विश्लेषण डॉ० रमेशचन्द्र जैन
२६ वराङ्गचरित में राजनीति वसुराजा
मुनि महेन्द्रकुमार
३५ वादिराज सूरि : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
श्री उदयचन्द 'प्रभाकर' विद्वत् रत्नमाला का एक अमूल्य रत्न
विद्यानन्द मुनि
३२ विद्याधर : एक मानव जाति
डॉ० के० ऋषभचन्द्र
१८४ विद्यामूर्ति पं० सुखलाल जी
पं० दलसुख मालवणिया विद्यावारिधि एवं प्रज्ञापुत्र
मुनिश्री नगराज जी
३२ ५ विमलसूरि के पउमचरिउ का भौगोलिक अध्ययन डॉ० कामताप्रसाद मिश्र __३२ १२ विवाह और कन्या का अधिकार
सुश्री प्रेमकुमारी दिवाकर २ १२ विवाह-भारतीयेत्तर परम्परायें
डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा
२८
३-८
१९६८ १९६४ १९७५ १९७४ १९८४ १९७७ १९८१ १९६७ १९५२ १९८१ १९८१ १९५१ १९६५
५३
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१८-२० १५-१८
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१२-२० २५-३० २४-३२
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४७०
लेख
""
विश्वशांति का आधार - गाँधीवाद विश्व अहिंसा संघ और प्रवृत्तियाँ
वीतराग महावीर की दृष्टि
वीरसंघ और गणधर
वैदिक साहित्य में जैन परम्परा वैशाली के गणतंत्र की एक झाँकी
व्यक्ति और समाज
व्यक्ति और समाज व्यक्ति पहले या समाज शान्ति की खोज में
शांति के अग्रदूत भगवान् महावीर शासनप्रभावक आचार्य जिनप्रभसूरि
शास्त्र और सामाजिक क्रान्ति
शिक्षा और उसका उद्देश्य
•
शिक्षा का जहर शिक्षा के दो रूप
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
""
श्री नरेन्द्रकुमार जैन डॉo बूलचन्द जैन
श्री ज्ञान मुनि श्री श्रीरंजन सूरिदेव प्रो० दयानन्द भार्गव
डॉ० इन्द्र श्री रतन पहाड़ी
डॉ० सागरमल जैन
श्री कन्हैयालाल सरावगी
श्री प्रवीणऋषि जी
सुश्री शशिप्रभा जैन
श्री अगरचन्द नाहटा पं० सुखलाल जी श्री एस० आर० शास्त्री
श्री उमाशंकर त्रिपाठी
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वर्ष
१६
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अंक
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१९-२८
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वर्ष
:
अंक २
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श्रमण
w
___
१८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख
लेखक शिक्षा के साधन
३ शिशु और संस्कृति
श्री एस० आर० स्वामी शुभकामना
प्रो० देवेन्द्रकुमार जैन ६
कुमारी सत्य जैन श्रमण और श्रमणोपासक
श्री कस्तूरमल बांठिया श्रमण जीवन में अधिकरण का उपशमन पं० मुनि कन्हैयालालजी म० 'कमल' श्रमण भगवान महावीर
पं० बेचरदास दोशी
२६ श्रमण भगवान् महावीर की शिष्य संपदा मुनि फूलचन्दजी 'श्रमण' श्रमण भगवान् महावीर के चारित्रिक अलंकरण-क्रमश: रविशंकर मिश्र
३५ श्रमण-संघ
डॉ० मोहनलाल मेहता श्रमण संघ की शिक्षा-दीक्षा का प्रश्न पं० मुनिश्री सुरेशचन्द्र जी महाराज ७ श्रमण संस्कृति और नया संविधान
श्री पृथ्वीराज जैन
१ श्रमण संस्कृति और नारी
डॉ० कोमलचंद जैन
२३ श्रमण संस्कृति का भावी विकास
पं० कृष्णचन्द्राचार्य
९ श्रमण संस्कृति का केन्द्र-विपुलाचल और उसका पड़ोस श्री गुलाबचन्द्र चौधरी
१-२
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४७१ पृष्ठ १३-१७ १०-१४ ३१-३३ २३ २५-२९ २३-२७ १०-१७ ३० १-२ १-२ १८-२९ १६-१७ ९-१५ ६-१०
ई० सन् १९५१ १९५७ १९५४ १९५२ १९६७ १९५६ १९७४ १९५५ १९८२ १९८४ १९७७ १९५६ १९५० १९७२ १९५८ १९५०
३
३
७३-७४
१५-२२
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________________
४७२
अंक
८ २३ ३३
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' श्री मनोहर मुनिजी डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्रीमती उर्मिला जैन श्री वसन्तकुमार चट्टोपाध्याय श्री कानजी भाई पटेल श्री जमनालाल जैन श्री कस्तूरमल बांठिया श्री सनत्कुमार जैन मुनिश्री महेन्द्रकुमार 'प्रथम' श्री धन्यकुमार राजेश
लेख श्रमण संस्कृति का सार श्रमण सस्कृति का हार्द श्रमण संस्कृति की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि श्रमण संस्कृति की मूल संवेदना श्रमण संस्कृति की पृष्ठभूमि श्रमण संस्कृति के मौलिक उपादान श्रमण संस्कृति में क्षमा श्रमरस का स्त्रोत : श्रावक श्रावक किसे कहा जाय श्रावक के मूलगुण श्रावक गंगदत्त श्रीकृष्ण : एक समीक्षात्मक अध्ययन
ई० सन् १९६९ १९६५ १९५७ १९७२ १९८२ १९५८ १९६२ १९७८ १९६७ १९७८ १९८५ १९६९
२९
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पृष्ठ ८-१७ २-११ ३५-३८ १६-१७ ३-५ ९-२१ ९-१३ १३-२२ १०-२३ ३-१८ १४-१५ २७-३४ २६-३१ २९-३२ १४-१९ ३०-३३
१८
२० २० २
१९६९
श्री तारण स्वामी संवेदनहीनता से सुलगती सभ्यता संवत्सरी और आचार्य श्री सोहनलाल जी म०
श्री देवेन्द्र कुमार मुनि राजेन्द्रकुमार 'रत्नेश' श्री विज्ञ
१९५० १९८५ १९५५
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________________
लेख
संस्कृति - एक विश्लेषण संस्कृति का अर्थ
संस्कृति का आधार - व्यक्ति स्वातंत्र्य
संस्कृति का प्रश्न
संस्कृति का स्वरूप संस्कृति क्या है?
संस्कृति की दुहाई
सच्ची क्षमा सच्ची सनाथता सत्ता का दर्प
सद्विचार हेतु मौलिक प्रक्रिया सदा जाग्रत नरवीर सनत्कुमार का सौन्दर्य
सन्त एकनाथ के जीवन प्रसंग
सन्मति महावीर और 'सर्वोदय'
सफल हुआ सम्यकत्त्व पराक्रम
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री
गुलाबचन्द्र चौधरी
पं० फूलचन्दजी सिद्धान्तशास्त्री
प्रो० महेन्द्रकुमार जी 'न्यायाचार्य'
प्रो० विमलदास जैन
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
डॉ० नामवर सिंह
श्री ऋषभदास का
साध्वीश्री कानकुमारी जी डॉ० रविशंकर मिश्र
उपाध्याय अमरमुनि जी
श्री सौभाग्यमुनि 'कुमुद' साध्वीश्री मृगावती एवं साध्वी सुव्रता श्रीजी
उपाध्याय अमरमुनि जी डॉ॰ इन्द्रचन्द्र शास्त्री
श्री महावीरप्रसाद प्रेमी श्री राजमल पवैया
वर्ष
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१
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________________
४७४
लेख
वर्ष
अंक १०-१२ ६
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० प्रतिभा जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्री ऋषभदास रांका श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' मुनि महेन्द्रकुमार 'प्रथम' श्री चिमनलाल चकुभाई शाह प्रो० देवेन्द्रकुमार जैन
३०
समकालीन जैन समाज में नारी समता और समन्वय की भावना समता के प्रतीक महावीर समता के संदेशदाता : भगवान् महावीर समताशील भगवान् महावीर समदर्शी दार्शनिक समन्वय या सफाई समाज का धर्म समाज में महिलाओं की उपेक्षा-एक विचारणीय विषय समाजशास्त्र की पृष्ठभूमि में जैनों के सम्प्रदाय सरस्वती पुत्र सर्वधर्म समभाव और स्याद्वाद सर्वधर्मसमानत्व की कुंजी सर्वोदय और राजनीति सर्वोदय और हृदय परिवर्तन साधु संस्था और लोकशिक्षण
३ १३ ३१
ई० सन् १९९५ १९५९ १९५८ १९६४ १९७९ १९८१ १९५२ १९६१ १९७९ १९६६ १९८१ १९८६ १९६० १९५८ १९५८
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पृष्ठ ३४-४१ ३९-४४ ६९-७२ २५-२८ २७-३० ५२ ७-१० २१-२३ ८-१९ ११-१९ ५० १०-१५ १८ २९-३१ ३२-३४ ३५-४०
डॉ० प्रेमचन्द्र जैन श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' श्रेष्ठी श्री अचलसिंह जी श्री सुभाषमुनि 'सुमन' श्री अमरमुनि जी श्री सतीशकुमार श्री बशिष्ठनारायण सिन्हा मुनिश्री नेमिचन्द जी
३७
१० १०. १२
१९६१
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लेख
साधु समाज की प्रतिष्ठा
साध्वी समाज से
सामायिक और ध्यान साम्प्रदायिक कदाग्रह सांस्कृतिक पर्व की सामाजिक उपयोगिता
सिर्फ फैशन की खातिर
सुबुद्धि और दुर्बुद्धि
सुख का सागर
सुख- दु:ख
सुमन रख भरोसा महावीर का सूडा - सहेली की प्रेमकथा
सेवा : एक विश्लेषण
सेवाव्रती नंदीषेण
सोने की चमक
सोमदेवसूरि और जैनाभिमत वर्ण व्यवस्था सोमदेवसूरि की अर्थनीति-एक समाजवादी दृष्टिकोण
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
पं० कृष्णचन्द्राचार्य मुनिश्री आईदानजी डॉ० आदित्य प्रचण्डिया
श्री पृथ्वीराज जैन साध्वीश्री अर्णिमा श्रीजी श्री प्रकाश मेहता
मुनि महेन्द्रकुमार 'प्रथम'
डॉ० आदित्य प्रचण्डिया 'दीति'
श्री कन्हैयालाल सरावगी
श्री उत्सवलाल तिवारी
श्री भँवरलाल नाहटा
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
उपाध्याय अमर मुनि उपाध्यायश्री अमर मुनि
श्री गोकुलचंद जैन श्री कृष्णमुरारी पाण्डेय
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लेख
पृष्ठ
वर्ष ३३ ३२
२-७
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ई० सन् १९८२ १९८१ १९८५ १९५१ १९५५ १९८३ १९८१ १९९७ १९५० १९६५ १९६५
३९-४० १२-१८ २६-३१ ३४-३५ २०-२१
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४७६
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक स्नेह के धागे
श्री अमरमुनि जी स्मृति नन्दन
श्री जिनेन्द्र कुमार स्वभाव परिवर्तन
युवाचार्य महाप्रज्ञ स्वामी केशवानन्द
स्वामी सत्यस्वरूपजी स्वामी विवेकानन्द
श्री शीतलचन्द्र चटर्जी स्वप्न और विचार
मुनि सुखलाल स्व० पण्डित जी एक चलते फिरते विश्वकोश श्री शादीलाल जैन स्त्रीमुक्ति, अन्यतैर्थिक मुक्ति एवं सवस्त्रमुक्ति का प्रश्न डॉ० सागरमल जैन स्त्रिीशिक्षा
सुश्री कांता जैन हमारी प्रवृत्तियाँ और उनका मूल्यांकन डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री हमारे पतन का मुख्य कारण : हिंसा
श्री नारायण सक्सेना हमारे समाज की भावी पीढ़ी
श्री उदय जैन हमें सामाजिक मूल्यों को बदलना है
श्री जमनालाल जैन हरिजन मंदिर प्रवेश
श्री भगतराम जैन हरिवंशपुराणकालीन समाज और संस्कृति श्री धन्यकुमार राजेश हिन्दी जैन कवि छत्रपति : व्यक्तित्व तथा कृतित्व डॉ० आदित्य प्रचण्डिया ‘दीति' हिन्दी जैन साहित्य का विस्मृत बुन्देली कवि : देवीदास डॉ० (श्रीमती) विद्यावती जैन हेमचन्द्राचार्य की साहित्य साधना
डॉ० मोहनलाल मेहता
४८
१६ १६
११३-१३२ २३-२६ ३२-३६ १६-१९ १६-१८
१९५२
८ ७-८
६-७ २ ८
१०-१२ २८७
५८-६१ ३-१३
१९५७ १९५६ १९७० १९८४ १९९२ १९७७
२९-३९ २७-३१
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
लेख
वर्ष
अंक
ई० सन्
४७७ पृष्ठ
६. तुलनात्मक
अध्यात्म और विज्ञान -क्रमश:
प्रो० सागरमल जैन
४०
६ ४-६
१९८९ १९९७
९-१९ २०-२९
४८
४२
४२
४-६
४-६
२४
११
१९९१ १९७३ १९५७
"
अन्य प्रमुख भारतीय दर्शनों एवं जैन दर्शन में - कर्मबन्ध का तुलनात्मक स्वरूप
कु० कमला जोशी आत्मा : बौद्ध एवं जैन दृष्टि
श्री कन्हैयालाल सरावगी आधुनिक विज्ञान और अहिंसा
श्री ज्ञानमुनि जी महाराज आधुनिक विज्ञान, ध्यान एवं सामायिक
डॉ० पारसमल अग्रवाल इषुकारीय अध्ययन (उत्तराध्ययन) एवं शांतिपर्व(महाभारत) का पिता-पुत्र संवाद
डॉ० अरुणप्रताप सिंह उज्जयिनी और जैनधर्म
श्री तेजसिंह गौड़ कर्मप्राभृत अथवा षट्खंडागम : एक परिचय-क्रमश: डॉ० मोहनलाल मेहता
३३-४३ ३-९ १०-१४ ३४-४३
४७
१९९६
१६
१९९१ १९७२ १९६४ १९६५ १९६५ १९६५ १९६५
ms and
८७-९२ ३-१२ २९-३२ २३-२८ ३२-३७ १९-२२ २३-२९
१६
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४७८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
लेख
वर्ष
अंक
ई० सन्
पृष्ठ
श्री अगरचन्द नाहटा श्री रामदयाल जैन श्री कोमलचन्द जैन
२३
१७
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१९७९ १९७२ १९६५ १९६७ १९६७ १९६७ १९६८
सौ० सुधा राखे डॉ० कोमलचन्द जैन
Air vom
३१-३३ १९-२२ ७३-८४ २६-३३ १४-१७ १५-१९ २३-२४ १६-१७
जिनदत्तसूरि का शकुनशास्त्र एवं हरिभद्रसूरि का व्यवहारकल्प जैन और वैष्णव काव्य परम्परा में राम जैन और बौद्ध आगमों में गणिका बौद्ध और जैन आगमों में जननी
जैन और बौद्ध आगमों में जननी : एक पहलू बौद्ध और जैन आगमों में जननी : एक स्पष्टीकरण बौद्ध और जैन आगमों में नारी जीवन : एक और स्पष्टीकरण जैन और हिन्दू जैन ग्रन्थों और पुराणों के भौगोलिक वर्णन कातुलनात्मक अध्ययन जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्म का पारस्परिक प्रभाव जैन एवं बौद्ध दर्शन में प्रमाण विवेचन जैन एवं बौद्ध पारिभाषिक शब्दों के अर्थ निर्धारण और अनुवाद की समस्यायें। जैन तत्वों पर शूबिंग के विचार जैन तथा अन्य भारतीय दर्शनों में सर्वज्ञता विचार (क्रमश:)
___१९
पं० दलसुख मालवणिया
२३
श्री अगरचंद नाहटा डॉ० सागरमल जैन डॉ० धर्मचन्द्र जैन
४८
४-६ १०-१२
१९७२ १९९७ १९९२
१५-२० ३०-५९ २१-४० .
४३
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४-६
डॉ० सागरमल जैन श्री कस्तूरमल बांठिया श्री नरेन्द्रकुमार जैन
१९९४ १९७० १९७९
२३४-२३८ १६-२३ ३-१३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
लेख
वर्ष
अंक ९ १०-१२ १० १-२
डॉ० सागरमल जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री कृष्णलाल शर्मा
४७९ पृष्ठ । ३-१० १-१२ ३-११ ६५-७२
ई० सन् १९७९ १९९२ १९७७ १९६६
२८ १८
डॉ० सागरमल जैन डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री रामप्रसाद त्रिपाठी डॉ० शान्ताराम भालचन्द्र देव
१-३ ८
२२ ४१
१९९६ १९७२ १९७० १९९०
३-१० ८-१२ २३-३६ २९-४०
जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान जैनधर्म और बौद्धधर्म जैनधर्म और व्यावसायिक पूँजीवाद: वेबर की अनुदृष्टि जैनधर्म और हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) का - पारस्परिक सम्बन्ध जैनधर्म : वैदिक धर्म के संदर्भ में जैन-बौद्ध सम्मत कर्म सिद्धांत जैन संस्कृति और श्रमण परम्परा जैन सम्मत आत्मस्वरूप का अन्य भारतीय दर्शनों से तुलनात्मक विवेचन तर्क और भावना तीर्थंकर और ईश्वर के सम्प्रत्ययों का तुलनात्मकविवेचन तुलनात्मक दर्शन पर दो दृष्टियाँ त्रिरत्न, सर्वोदय और सम्पूर्ण क्रान्ति द्रौपदी कथानक का जैन और हिन्दू स्रोतों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन
डॉ० (श्रीमती) कमला पंत काका कालेलकर
१९९१
३५-४३ ३१-३२
१९४९
४६
डॉ० सागरमल जैन श्री श्रीप्रकाश दूबे डॉ० धूपनाथ प्रसाद
___४६
१५
१-३ ७-८
१९९५ १९९५ १९६४ १९९६
८७-९२ १७-२१ ४४-४८
श्रीमती शीला सिंह
४६
७-९
१९९५
७६-८२
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________________
४८०
लेख
पउमचरिउ और रामचरितमानस : एक तुलनात्मक अध्ययन पद्मचरित और पउमचरिउ पद्मचरित और हरिवंशपुराण
पातंजल तथा जैन योग : स्वरूप एवं प्रकार पुराण बनाम कथा साहित्य : एक प्रश्न चिन्ह प्रवृत्ति मार्ग और निवृत्ति मार्ग
प्रसाद और तीर्थंकर
प्राकृत के प्रबन्ध काव्य : संस्कृति प्रबन्ध काव्यों
के सन्दर्भ में
बुद्ध
और महावीर का परिनिर्वाण
""
बौद्ध और जैन आगमों में जननी बौद्ध और जैन आगमों में पुत्रवधू भगवान् अरिष्टनेमि और कर्मयोगी कृष्ण भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर भागवद्गीता और जैनधर्म भारतीय साहित्य और आयुर्वेद
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन श्री रमेशचन्द्र जैन
""
कु० मंगला सांड
डॉ० प्रेमचंद जैन
श्री सुबोधकुमार जैन
डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री कस्तूरमल बांठिया
77
० सुधा राखे
डॉ० कोमलचन्द जैन
सौ०
श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
पं० दलसुख मालवणिया
श्री अगरचंद नाहटा श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री
वर्ष
२४
२४
२३
३०
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१९७३
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११-१४
३-७
३-७
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________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री गोपीचंद धारीवाल पं० दलसुख मालवणिया श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन
१६
१०
ई० सन् १९६५ १९५३
४८१ पृष्ठ २२-२९ ३-४ २८-३१
१७
१९६६
४४
डॉ० सागरमल जैन श्री प्रेमसुमन जैन
१९९३ १९६७
१-१० ३-१४
१८
लेख भौतिकवाद व अध्यात्मवाद भौतिकता और अध्यात्म का समन्वय महर्षि अरविन्द : जैन दर्शन की दृष्टि में। महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक दृष्टि : भगवद् गीता और जैनधर्म के परिपेक्ष्य में महाकवि स्वयंभू और तुलसीदास महावीर और गाँधी का अहिंसा दर्शन जनजीवन के संदर्भ में महावीर और बुद्ध : कैवल्य और बोधि मिथ्यात्व इन जैनिज्म एण्ड शंकर : ए कम्परेटिव स्टडी वर्धमान और हनुमान वेदोत्तरकालीन आत्मविद्या और जैनधर्म वैदिक एवं श्रमण परम्परा में ध्यान शास्त्र और शस्त्र श्वेताम्बर मूलसंघ एवं माथुरसंघ-एक विमर्श श्रमण और ब्राह्मण
डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव मुनिश्री नगराज जी
२०
१९६९ १९६७
५-१२ ३-६
१८
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डॉ० ललितकिशोर लाल श्रीवास्तव २४ श्री सूरजचंद्र ‘सत्यप्रेमी' डॉ० अजित शुकदेव डॉ० रज्जन कुमार
४७ पं० सुखलाल जी
१ डॉ० सागरमल जैन
४३ प्रो० इन्द्र
६-७ ९ १-३ २ ७-९ ४
१९७२ १९५५ १९७२ १९९६ १९४९ १९९२ १९५०
३५-४१ २३ १०-१६ ४७-५९ १३-१५ १५-२३ २९-३२
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वर्ष २३
अंक १०
२७
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४८२ लेख श्रमण और वैदिक साहित्य में स्वर्ग और नरक श्रमण एवं ब्राह्मण परम्परा में परमेष्ठी पद संस्कृत और प्राकृत का समानान्तर अध्ययन संस्कृत शब्द और प्राकृत अपभ्रंश सम्राट अकबर और जैनधर्म सर्वोदय और जैन दृष्टिकोण सांख्य और जैन दर्शन साम्यवाद और श्रमण विचारधारा स्थानाङ्ग और समवायाङ्ग - क्रमश:
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री धन्यकुमार राजेश साध्वी (डॉ०) सुरेखा जी श्री श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० सागरमल जैन श्री महावीरचंद धारीवाल डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री पृथ्वीराज जैन पं० बेचरदासं दोशी
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ई० सन् १९७२ १९९२ १९७५ १९७७ १९९७ १९६४ १९७७ १९४९ १९६४ १९६४ १९९६ १९९२ १९९३ १९५५ १९७०
पृष्ठ ३-९ ५५-६७ ३-८ १८-२० ७१-७६ ३३-३६ १४-१९ २२-२७ २-६ २-८ ३६-५२ ९१-१०२ १४-१८ ३८-४० १३-१७
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१० १०-१२ १-३ १०-१२
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स्थानाङ्ग एवं समवायाङ्ग में पुनरावृत्ति की समस्या डॉ० अशोककुमार सिंह स्याद्वाद एवं शून्यवाद की समन्वयात्मक दृष्टि डॉ० (कु०) रत्ना श्रीवास्तव हिन्दू एवं जैन परम्परा में समाधिमरण : एक समीक्षा डॉ० अरुणप्रताप सिंह हिन्दू-बनाम-जैन
प्रो० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य हेल्मुथफोन ग्लासनप और जैनधर्म
श्री सुबोधकुमार जैन ७- विविध अध्ययन : एक सुझाव
श्री महेन्द्र राजा
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१९५६
१२-१४
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४८३ पृष्ठ
वर्ष २३
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० मोहनलाल मेहता श्री महेन्द्र राजा डॉ० देवेन्द्रकुमार श्री विद्या भिक्षु पं० बेचरदास दोशी डॉ० इन्द्र महो० विनयसागर श्री गणेशप्रसाद जैन पं० दलसुख मालवणिया श्रीकृष्णचन्द्राचार्य . श्री पारसमल 'प्रसून' मुनिश्री संतबाल श्री महेन्द्र राजा
लेख अन्तरायकर्म
अपने व्यक्तित्व की परख कीजिये - अपभ्रंश की पूर्व स्वयंभू युगीनकविता
अपूर्वरक्षा अब कहाँ तक अभय का आराधक अविद पद शतार्थी असुर आगम झूठे हैं क्या ? आगरा में श्री रत्नमुनि शताब्दी समारोह आत्म निरीक्षण आत्मबली साधक और दैवीतत्त्व आधुनिक पुस्तकालय आधुनिक पुस्तकालयों में पुस्तकसूची उद्भट विद्वान् पं० बेचरदास दोशी उत्सर्ग और अपवाद उपवास से लाभ
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ई० सन् १९७२ १९५४ १९६७ १९६६ १९५५ १९५४ १९५४ १९७१ १९५७ १९६४ १९६७ १९६४ १९५५ १९५५ १९६४ १९६६ १९५४ १९५४
२७-२९ ५-९ १२-१३ ८-१४ १-८ २६-३० ३०-३३ ५६-५९ १२-१६ ९-१० ९-१२ ३७-४० ३७-३८ ३७-३८ ३०-३३ २७-३०
श्री गुलाबचन्द्र जैन मुनिश्री पुण्यविजय जी श्री अत्रिदेव गुप्त
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४८४ लेख
एक दुनियाँ और एक धर्म एक पत्र
एक प्रतिक्रिया
एक समस्या
ऐसा क्यों ?
कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत का
उच्च-शिक्षण क्रमश:
"
कल्चुरीकालीन भगवान् शांतिनाथ की प्रतिमाएँ
कश्मीर की सैर
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कर्मों का फल देनेवाला कम्प्यूटर काव्य का प्रयोजन : एक विमर्श
काव्य में लोक मंगल
काव्यशास्त्रियों की दृष्टि में श्लेष काश ! मैं अध्यापिका होती !
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
श्री एस० एस० गुप्त श्री कैलाशचन्द्र जैन
डॉ० देवेन्द्रकुमार
पं० कैलाशचन्द्र जी
श्री धनदेवकुमार 'सुमन'
म० म० विधुशेखर भट्टाचार्य
श्री शिवकुमार नामदेव
पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री
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प्रो० जी० आर० जैन
श्री गंगासागर राय
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श्री श्रेयांसकुमार जैन सुश्री शरबती जैन
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लेख
किसकी जय कौन भूखे मरेंगे क्या आप असुन्दर हैं? क्या रावण के दस मुख थे ?
खोज सम्बन्धी कुछ अनुभव और समस्यायें गंगा का जल लेय अरघ गंगा को दीना गजेटियर ऑफ इंडिया में जैनी और जैनधर्म
घरों में बच्चे
चलिए और खूब चलिए चातुर्मास व्यवस्था में सुधार कीजिये जब आप घर से अकेली निकलें
जिन्दगी किसे कहते हैं ?
'जी' की आत्मकथा जीवन चरित्र ग्रन्थ जीवन की सच्ची क्रान्ति जीवन धर्म जीवित धर्म
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
प्रो० इन्द्रचंद्र शास्त्री श्री पीटर फ्रीमैन
कुमारी रेणुका चक्रवर्ती
डॉ० के० ऋषभ चन्द्र डॉ० धीरेन्द्र वर्मा
पं० जमनालाल जैन
श्री सुबोधकुमार जैन
श्रीमती ब्रजेशकुमारी याज्ञिक वैद्यराज पं० सुन्दरलाल जैन श्री अन्त्रराज जैन
कु० रूपलेखा वर्मा प्रिंस क्रोपाटकिन
प्रो० देवेन्द्रकुमार जैन
श्री अगरचंद नाहटा मुनिश्री पद्मविजय जी
श्री बशिष्ठनारायण सिन्हा डॉ० राधाकृष्णन्
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४८६ लेख जैन गीतों की परम्परा जैन ज्योतिष तिथि पत्रिका जैन ज्ञान भण्डारों के प्रकाशित सूची ग्रन्थ जैनत्व की कसौटी जैनों ने भी युग का आह्वान सुना ज्योर्तिधर दो जैन विद्वान् टमाटर डॉक्टर अलबर्ट स्वीट्जर डॉ० भयांणी के व्याख्यान डॉ० मारीआ मॉन्तेसरि तलाक दास, दस्यु और पणि द्राविण दीपावली की जैन परम्परा दुर्बलता का पाप दो क्रान्तिकारी जैन विद्वान् दो प्रेमियों की यह दीक्षा
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष अंक श्री प्यारेलाल श्रीमाल
१० ४ श्री विज्ञ
७ . १२ श्री अगरचन्द नाहटा
७-८ श्री कृष्णचन्द्राचार्य
१ १२ श्री कस्तूरमल बांठिया १४ ९ श्री अगरचंद नाहटा
७ ५ आयुर्वेदाचार्य श्री सुन्दरलाल जैन । श्री माईदलाल जैन श्री श्रीप्रकाश दुबे
१५ २ श्री महेन्द्र राजा
८ . ३-४ श्री पृथ्वीराज जैन
२२ श्री गणेशप्रसाद जैन
२२ ७
२२ ४ पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य श्री विनोदराय जैन श्री रतिलाल दीपचंद देसाई डॉ० मोहनलाल मेहता
ई० सन् १९५९ १९५६ १९५३ १९५० ।। १९६३ १९५६ १९५६ १९५७ १९६३ १९५७ १९५० १९७१ १९७१ १९५४ १९५६ १९५५ १९५१
१९-२० १८-२१ २९-३४ २६-३० २०-२४ ९-११ ३०-३४ ७-१३ २७-२९
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लेख दौरे के संस्मरण नया और पुराना धर्म और विद्या का विकास मार्ग निगंठनातपुत्त निरामिष भोजन : एक समस्या नई पीढ़ी और धर्म नरसिंह मेहता न्यायोचित विचारों का अभिनन्दन पथ-भ्रष्ट पार्श्वनाथ विद्याश्रम पार्श्वनाथ विद्याश्रम - एक सांस्कृतिक अनुष्ठान पुलिस पुस्तक सूची
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
___ वर्ष अंक श्री हरजसराय जैन
४ ५ मुनि सुरेशचन्द्र शास्त्री पं० सुखलाल जी
१४ ३ श्री भरतसिंह उपाध्याय
११ १० डॉ० सम्पूर्णानन्द श्री नंदलाल मारु
१९ ७ डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री ५ ८ पं० श्री जुगलकिशोर मुख्तार श्री अभयमुनि जी महाराज प्रो० विमलदास जैन
३ ७-८ पं० दलसुख मालवणिया पं० बेचरदास दोशी
१८७ श्री महेन्द्र राजा
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४८७ ई० सन् पृष्ठ १९५३ १९५३ २३-२६ १९५५
२०-२२ १९६३ ९-१७ १९६० २१-२३ १९५८
२८-३३ १९६८ ३५-३८ १९५४ । १७-२०
१६-२१ १९५५
३३-३६ १९५२ १३-२३ १९४९ ३३-३४ १९६७
७-८ १९५६ २७-२९ १९५६ २५-२६ १९५६ १९६३ १९६३ ।। २८-३० १९५१ २१-२५
पुनीत स्मरण पूज्य श्री जिनविजयेन्द्र सूरि जी प्रतिज्ञा
श्री देवेन्द्रकुमार शास्त्री श्री शंकर मुनि श्री हुकुमचन्द सिंघई
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लेख
वर्ष
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श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० नवरत्न कपूर आचार्य विनोबा भावे कु० इला खासनवीस डॉ० मारीआ मॉन्तेसरि श्री उमाशंकर त्रिपाठी श्री मैक्स एडालोर डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन डॉ० मङ्गलदेव शास्त्री पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री सुश्री मोहिनी शर्मा डॉ० गोकुलचंद जैन प्रो० धर्मेन्द्रकुमार कांकरिया श्री गोपीचंद धारीवाल श्री अमृतलाल शास्त्री मुनि कांतिसागर प्रो० राजबली पाण्डेय भाई श्री बंशीधर जी
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प्राच्यभारती का अधिवेशन प्रेम का अभ्यास बच्चों की मूलभूत आवश्यकताएं बालक की व्यवस्थाप्रियता बुनियादी सुधार बैलून में भगवान् महावीर और दीवाली भगवान् महावीर : एक श्रद्धांजलि भगवान महावीर के जीवन की एक झलक भारतीय त्यौहार भारतीय विश्वविद्यालयों में जैन शोध कार्य भावनाओं का जीवन पर प्रभाव भोग तृष्णा भोजन और उसका समय मगध में दीपमालिका महामानव की मानसिक भूमिका महावीर जयन्ती का अर्थ
ई० सन् १९६३ १९४९ १९४९ १९५७ । १९५७ १९५७ । १९४९ १९५५ १९६२ १९५६ १९५८ १९५२ १९६८ १९५७ १९६९ १९५६ १९४९ । १९५३ १९६२
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लेख बुझती हुई चिनगारियाँ मातृभाषा और उसका गौरव मानव कुछ तो विचार कर मानवमात्र का तीर्थ मानवता के दो अखंड प्रहरी मेरी बम्बई यात्रा मूक सेविका : विजया बहन
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मृत्युञ्जय
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक
वर्ष मुनिश्री सुशीलकुमार शास्त्री ३ ११ डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल मुनिश्री महाप्रभविजय जी महाराज ७ २ पं० सुखलाल जी
४ ६ श्री भरतसिंह उपाध्याय डॉ० इन्द्र श्री शरदकुमार साधक
१०-१२ श्री मोहनलाल मेहता श्री एम० के० भारिल्ल
१० श्री राकेश
__ ३ ७-८ पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री श्री चन्दनमल चांद श्री शिवनाथ
६. १० पं० बेचरदास दोशी
१८ ९ पं० श्री सुखलाल जी संघवी डॉ० एस० राधाकृष्णन् ६ १० श्री अगरचन्द नाहटा
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यह अगस्त का महीना यह मनमानी कब तक युद्ध और श्रमण युवकों के प्रति रवीन्द्रनाथ के शिक्षा सिद्धान्त और विश्वभारती 'रोटी' शब्द की चर्चा लखनऊ अभिभाषण लेखक और विश्वशांति लिखाई का सस्तापन
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ई० सन् १९५२ १९६२ १९५५ १९५३ । १९६० १९५३ १९९२ १९५० १९५६ १९५२ १९४९ १९६९ १९५५ १९६७ १९५१ १९५५ १९५८
पृष्ठ ३५-३७ ९-१३ २३-२४ १-२ १४-२० ११-१५ ४०-४१ १४-१८ ७-९ ३१-३३ ९-११ १३-१४ ३-७ १५-१९ ३-२८ ३०-३२ ३-५
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:
४९० लेख
वर्मा में होली का त्यौहार वहित और अहित
विचारों पर नियन्त्रण के उपाय
विजय
विद्यालय से माता-पिता का सम्बन्ध विश्व कलेण्डर
विश्वकलेण्डर क्यों नहीं अपनाया जाय ? विस्मृत परम्पराएँ
वैराग्य के पथ पर
विकास
का मुख्य साधन (क्रमश:)
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व्यावहारिक क्रियाएँ
शतावधानी रत्नचन्द्र पुस्तकालय शब्दों की शवपूजा न हो शाक विचार शास्त्रोद्धार की आवश्यकता शिशु की निद्रा शैतान
श्रमण संघ के दस वर्ष
श्रमण : अतीत के झरोखे में
लेखक
सुश्री निर्मला प्रीतिप्रेम
श्री गणेशप्रसाद जैन
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लालजी राम शुक्ल ० सत्यवती जैन
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श्रीमती सुशीला श्री महेन्द्रकुमार जैन
प्रो० वेंकटाचलम् मुनिश्री दुलहराज जी श्री हजारीमल बांठिया पं० सुखलाल जी
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कुमारी आरती पात्रा डॉ० मोहनलाल मेहता मुनिश्री नथमल जी
श्री अत्रिदेव गुप्त विद्यालंकार आचार्य आत्मारामजी
श्रीमती कमला देवी
खलील जिब्रान डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
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१२ ७-८
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री विजयमुनि शास्त्री प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री हरजसराय जैन श्री जुगलकिशोर मुख्तार श्री विजय मुनि श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री निर्मल कुमार जैन श्री प्रेमीजी डॉ० इन्द्र श्री जगन्नाथ पाठक श्री यशोविजय उपाध्याय श्री एस० कान्त
लेख श्री कृष्ण की जीवन झाँकी श्री जैनेन्द्र गुरुकुल, पंचकूला श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम श्री रंजनसूरिदेव की कुछ मोटी भूलें श्री रत्नमुनि : जीवन परिचय श्री लालाभाई वीरचन्द देसाई 'जयभिक्खु' संघर्ष और आलिंगन संघर्ष करना होगा संसार की चार उपमाएँ संसार के धर्मों का उदय संस्कृत कवियों के उपनाम सच्चा जैन सच्चा वैभव सत् का स्वरूप : अनेकान्तवाद और व्यवहारवादकी दृष्टि में सदाचार ही जीवन है सन्त श्री गणेशप्रसाद वर्णी सफलता के तीन तत्त्व
ई० सन् १९५८ १९५१ १९५६ १९६७ १९६४ १९६८ १९६६ १९५४ १९५६ १९५४ १९६० १९५५ १९५५
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पृष्ठ ६-९ । १५-२० ६३-८० ३०-३० १९-२८ २८-३७ २५-३२ १९-२३ १३-१४ २०-२५ १३-१७ २५-२६ १९-३५
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डॉ० राजेन्द्रकुमार सिंह मनिश्री रंगविजय जी श्री कैलाशचन्द्र शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री
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लेख
वर्ष
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सफेद धोती सबसे पहला पाठ समस्त जैन संघ को नम्र विज्ञप्ति सांपू सरोवर सामुद्रिक विज्ञान
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक प्रो० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य श्री कृष्णचन्द्राचार्य मुनिश्री न्याय विजयजी श्री जय भिक्खु श्री विजय राज
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सुधार का मूलमंत्र सुहृदय श्री मुनिलाल जी सेवक सेवा का अर्थ सेवाग्राम कुटीर का संदेश हम किधर बह रहे हैं? हम सौ वर्ष जी सकते हैं? हमारा आज का जीवन हमारा क्रान्तिवारसा
श्री जुगलकिशोर मुख्तार श्री हरसजराय जैन प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री मनिश्री विद्याविजय जी डॉ० राजेन्द्र प्रसाद डॉ० इन्द्र श्री देवेन्द्रकुमार जैन शास्त्री श्री रतनसागर जैन पं० बेचरदास दोशी
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ई० सन् १९५१ १९४९ १९६६ १९५४ १९५४ १९५५ १९६२ १९६४ १९५० १९५० १९५० १९५२ १९५५ १९५० १९५४ १९५४ १९५३ १९५२ १९६५
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पृष्ठ २१-२४ २८-३० ३४--३९ ३४-३९ २७-२९ ३८-४० ९-१६ ६६-६८ १७-२३ ३५-३८ ३६-३८ ५-१३ ३१-३३ २७-३० १-८ । ६-१५ २८-३३ १७-२२ २७-३३
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हमारी यात्रा के कुछ संस्मरण हमारे जागरण का शीर्षासन हृदय का माधुर्य-करुणा
लाला हरजसराय जैन मुनि सुरेशचन्द्र मुनिश्री विनयचन्दजी
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________________ पाश्वनाथ विद्यापीठ के महत्त्वपूर्ण प्रकाशन 1. Studies in Jaina Philosophy Dr.Nathamal Tatia 100.00 2. Jaina Temples of Western India Dr. Harihar Singh 200.00 3. Jaina Epistemology I.C.Shastri 150.00 4. Concept of Pancasila in Indian Thought Dr. Kamla Jain 50.00 5. Concept of Matter in Jaina Philosophy Dr. J.C. Sikdar 150.00 6. Jaina Theory of Reality Dr. J.C.Sikdar 150.00 7. Jaina Perspective in Philosophy & Religion Dr. Ramji Singh 100.00 8. Aspects of Jainology (Complete Set: Vols. 1 to 7) 2200.00 9. An Introduction to Jaina Sadhana Dr. Sagarmal Jain 40.00 10. Pearls of Jaina Wisdom Dulichand Jain 120.00 11. Scientific Contents in Prakrit Canons N.L. Jain 300.00 12. The Path of Arhat T.U. Mehta 100.00 13. Jainism in a Global PerspectiveEd. Prof. S.M. Jain & Dr.S.P. Pandey 400.00 14. Jaina Karmology Dr. N.L. Jain 150.00 15. Aparigraha- The Humane Solution Dr. Kamla Jain 120.00 16. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (सम्पूर्ण सेट : सात खण्ड) 630.00 17. हिन्दी जैन साहित्य का इतिहास (सम्पूर्ण सेट : चार खण्ड) 760.00 18. जैन प्रतिमा विज्ञान _डॉ. मारुतिनन्दन तिवारी 150.00 19. वज्जालग्ग (हिन्दी अनुवाद सहित) पं. विश्वनाथ पाठक 80.00 20. प्राकृत हिन्दी कोश सम्पादक- डा. के.आर. चन्द्र 200.00 / 21. जैन धर्म और तान्त्रिक साधना प्रो. सागरमल जैन 350,000 22. गाथा सप्तशती (हिन्दी अनुवाद सहित) | पं. विश्वनाथ पाठक 60.00 - 23. सागर जैन-विद्या भारती (तीन खण्ड) प्रो. सागरमल जैन 300.00 24. गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण प्रो. सागरमल जैन 60.00 25. भारतीय जीवन मूल्य डा. सुरेन्द्र वर्मा 75.00 26. नलविलासनाटकम् सम्पादक- डॉ. सुरेशचन्द्र पाण्डे 60.00 27. अनेकान्तवाद और पाश्चात्य व्यावहारिकतावाद डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह 150.00 28. दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति : एक अध्ययन डॉ. अशोक कुमार सिंह 125.00 29. पञ्चाशक-प्रकरणम् (हिन्दी अनुवाद सहित) अनु.-डॉ. दीनानाथ शर्मा 250.00 30. सिद्धसेन दिवाकर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व डॉ. श्रीप्रकाश पाण्डेय 100.00 31. भारत की जैन गुफाएँ। - डॉ. हरिहर सिंह 150.00 32. महावीर निर्वाणभूमि पावा : एक विमर्श भगवतीप्रसाद खेतान 60.00 33 जैन तीर्थों का ऐतिहासिक अध्ययन डॉ. शिवप्रसाद 200.00 34. बौद्ध प्रमाण-मीमांसा की जैन दृष्टि से समीक्षा डॉ. धर्मचन्द्र जैन 200.00 35. जीवसमास अनु.-साध्वी विद्युत्प्रभाश्री जी 160.00 36. कौमुदीमित्रानन्दरूपकम् __अनु.-डॉ. श्यामानन्द मिश्र 125.00 पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी - 5 For Private & Personal use only