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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख "1 वसन्तविलासमहाकाव्य का काव्य-सौन्दर्य वसुदेवहिण्डी का समीक्षात्मक अध्ययन वसुदेवहिण्डी में रामकथा वसुमतीमहाकाव्य वाग्भट्टालंकार "" वाचक श्रीवल्लभरचित 'विदग्धमुखमण्डन' की दर्पण टीका की पूरी प्रति अन्वेषणीय है वासुपूज्यचरितम् : एक अध्ययन - क्रमशः विक्रमलीलावतीचौपाईविषयक विशेष ज्ञातव्य विद्याविलासरास विदेशों में जैन साहित्य : अध्ययन और अनुसंधान विनयप्रभकृत जैन व्याकरण ग्रंथ शब्ददीपिका विपाकसूत्र की कथायें विपाकसूत्र के आख्यान : एक विहंगावलोकन "" श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक " डॉ० केशवप्रसाद गुप्त डॉ० कमल जैन श्री गणेशप्रसाद जैन श्री अगरचन्द नाहटा पं० अमृतलाल शास्त्री " स्व० अगरचन्द नाहटा श्री उदयचंद प्रभाकर ,, श्री अगरचन्द नाहटा श्री सनत्कुमार रंगाटिया डॉ० भागचन्द भास्कर श्री अगरचंद नाहटा डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री जमनालाल जैन 7 x x x x x 2 वर्ष ३१ ४४ ४७ ३६ १२ ८ २२ w m m 2 a m 2 2 2 ४६ २३ २३ २७ १९ ३३ ३० १० २९ अंक २ ४-६ ४-६ 2 vorr १२ ८ १ ७-९ 5 ८ १०. ई० सन् १९७९ १९९३ १९९६ १९८५ १९६१ १९५६ १९७० १९९५ १९७२ १९७२ १९७५ १९६८ १९८२ १९७९ १९५८ १९७७ ४१३ पृष्ठ ३-८ ३६-५८ ११-३५ ७-१३ १७-२० ४-७ २०-२८ ७४-७५ ३-१० १०-१७ २२-२३ १२-२५ १६-२८ १७-२१ १७-२० ९-१४
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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