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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ४१२ लेख राजस्थानी जैन साहित्य "" राजस्थानी एवं हिन्दी जैन साहित्य राजस्थानी लोक कथाओं सम्बन्धी साहित्य - निर्माण में जैनों का योगदान रामचन्द्रसूरि और उनका साहित्य रायपसेणइ उपांग और उसका रचनाकाल-क्रमशः "" "" "" 'रायपसेणियउपांग और उसका रचनाकाल की समीक्षा लंदन में कतिपय अप्राप्य जैन ग्रन्थ लोक साहित्य के आदिसर्जक - जैन विद्वान् लोंकागच्छीय विद्वानों के तीन संस्कृत ग्रन्थ वचन- कोष वज्जालग्ग की कुछ गाथाओं के अर्थ पर पुनर्विचार (क्रमश:) श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचन्द्र नाहटा "" श्री भँवरलाल नाहटा श्री अगरचन्द्र नाहटा डॉ० कृष्णपाल त्रिपाठी श्री कस्तूरमल बांठिया 2.2 "" " "1 मुनि कल्याणविजय श्री अगरचन्द्र नाहटा 11 " श्री भागचन्द्र जैन पं० विश्वनाथ पाठक वर्ष w w ३९ १० ४५ १५ १५ १५ १६ १६ १६ २ ७ ११ १२ ३१ अंक ८ ६-७ ७-९ १० ११ १२ १ ४ å の ई० सन् १९५५ १९५५ १९८८ १९५९ १९९४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६५ १९५१ १९५५ १९६० १९६१ १९८० पृष्ठ १५-२२ ४-९ २-४ २९-३१ १०-२२ ९-१६ २-८ ३-१० ३-११ ३-११ ३८ २७-२९ ९-१२ २४-२८ ३४-३६ ३-७
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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