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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख जीवन की अंतिम साधना जैनधर्म : एक निर्वचन लोकसाहित्य के आदि सर्जक - जैनविद्वान् मैं मुक्ति चाहता हूँ कुषाणकालीन मथुरा की जैन सभ्यता नया और पुराना मानव कुछ तो विचारकर सच्चा जैन शिक्षा के दो रूप त्याग पूर्वक उपभोग करो पथ-भ्रष्ट आधुनिक पुस्तकालयों में पुस्तक - सूची (क्रमश:) निह्नववाद विद्वदवर विनयसागर आद्यपक्षीय नहीं पिप्पलक शाखा के थे तृष्णा और उसका अन्त ! महावीर भूले ? शिक्षा का जहर चंदनबाला और मृगावती श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री सत्यदेव विद्यालंकार श्री श्रीरंजन सूरिदेव वर्ष ७ ७ ७ ७ डॉ० एस० सी० उपाध्याय ७ मुनि सुरेशचन्द्र जी शास्त्री ७ मुनि श्री महाप्रभ विजयजी महाराज ७ ७ श्री यशोविजय उपाध्याय श्री उमाशंकर त्रिपाठी ७ श्री इन्द्र ७ श्री अभय मुनि जी महाराज ७ श्री महेन्द्र राजा ७ ७ श्री अगरचन्द नाहटा श्री भंवरमल सिंघी श्री मोहनलाल मेहता श्री अगरचन्द नाहटा श्री ज्ञान मुनि जी महाराज श्री कस्तूरमल बांठिया श्री उमाशंकर त्रिपाठी श्री जयचन्द बाफणा १) ७ १) १ ७ अंक r WWW m m mr m mm ई० सन् १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५५ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ १९५६ २३ पृष्ठ ३१-३३ ३-६ ९-१२ १३ १७-१८ २०-२२ २३-२४ २५-२६ २७ २८-३१ ३३-३६ ३७-३८ ५-१२ १७-१८ १९-२० २२-२९ ३० ३१-३२
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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