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________________ Jain Education International अंक ई० सन् ७-८ १९६४ or १५ १५ ७-८ ७-८ ७-८ or श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक प्रो० कानजी भाई पटेल वैद्यराज श्री सुन्दरलाल जैन श्री अगरचन्द नाहटा श्री हरजसराय जैन पं० बेचरदास दोशी डॉ० मोहनलाल मेहता काका कालेलकर श्री वृजनन्दन विजयेन्द्र ‘दर्शी श्री ज्ञानमुनि श्री महावीरचन्द धारीवाल श्री गुलाबचन्द जैन पं० बेचरदास दोशी १५ पृष्ठ ४८-५७ ५९-६२ ६३-६४ ६६-६८ २-६ ७-१५ १६-१९ २०-२३ २४-२७ २८-३२ उत्तराध्ययन सूत्र- धार्मिक काव्य ग्रीष्म ऋतु का आहार-विहार मेघदूतम् की एक अज्ञात बालावबोध पंजिका सुहृदय श्री मुनिलाल जैनी स्थानांग और समवायांग (क्रमश:) शिवशर्मसूरिकृत 'कर्म प्रकृति' अहिंसा के तीन क्षेत्र (क्रमश:) पंचयाम धर्म का एक पर्यवेक्षण मील का पत्थर भगवान महावीर के आठ सन्देश सर्वोदय और जैन दृष्टिकोण उद्भट विद्वान् पं० बेचरदास दोशी स्थानांग व समवायांग रायपसेणिय उपांग और उसका रचनाकाल (क्रमश:) अहिंसा के तीन क्षेत्र क्रोध और क्षमा वैराग्य क्या है ? १५ For Private & Personal Use Only १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १५ १५ ९ १५ ३३-३६ ३७-३८ १० २-८ ९-१६ www.jainelibrary.org श्री कस्तूरमल बांठिया काका कालेलकर समीरमुनि स्व० छोटालाल हरजीवन सुशील १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १५ १५ १० १० १८-२१ २२-२९
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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