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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख तीर्थंकर और उनकी शिक्षाएं पुण्डरीक का दृष्टांत स्याद्वाद और अनेकान्तवाद श्रमण परम्परा में धर्म और उसका महत्त्व धर्म और सहिष्णुता महावीर का तप कर्म मुनि वारिषेण और उनका सम्यकत्त्व भगवान् महावीर के जीवनचरित्र और उन पर विभिन्न परम्पराओं का प्रभाव धार्मिक एकता वर्धमान से महावीर कैसे बने भगवान् महावीर के बाद श्री रत्नमुनिः जीवन परिचय आगरा में श्रीरत्नमुनि शताब्दी समारोह तुलनात्मक दर्शन पर दो दृष्टियाँ समता के संदेशदाता : भगवान् महावीर वर्धमान महावीर के जीवन का एक भ्रान्त दृश्य श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री महेन्द्र कुमार शास्त्री श्री श्रीप्रकाश दुबे पं० दरबारीलाल कोठिया श्री रामजी भाई पटेल डॉ० ज्योति प्रसाद जैन डॉ० मोहनलाल मेहता श्रीरंजन सूरिदेव श्री कस्तूरमल बांठिया मुनि श्री नेमिचन्दजी श्री जिनविजयसेन सूरि श्री समीर मुनिं 'सुधाकर' श्री विजय मुनि श्री कृष्णचन्द्र श्री श्रीप्रकाश दुबे श्री लक्ष्मीनारायण भारतीय डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन F L L L L 2 2 2 वर्ष १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ १५ अंक ५-६ ५-६ ५-६ ५-६ ५-६ ५-६ ५-६ ५-६ ५-६ ५-६ ५-६ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ई० सन् १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ १९६४ ५७ पृष्ठ ७-१० १२-१४ १७-२० २३-२७ ३३-३४ ३७-४१ ४२-४७ ४९-६३ ६५-६८ ६९-७१ ७२-७५ ५-११ १२-१६ १७-२१ २५-२८ ३३-४६
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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