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________________ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक लेख वर्ष Jain Education International अंक ९ १०-१२ १० १-२ डॉ० सागरमल जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री कृष्णलाल शर्मा ४७९ पृष्ठ । ३-१० १-१२ ३-११ ६५-७२ ई० सन् १९७९ १९९२ १९७७ १९६६ २८ १८ डॉ० सागरमल जैन डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री रामप्रसाद त्रिपाठी डॉ० शान्ताराम भालचन्द्र देव १-३ ८ For Private & Personal Use Only २२ ४१ १९९६ १९७२ १९७० १९९० ३-१० ८-१२ २३-३६ २९-४० जैनधर्म और आधुनिक विज्ञान जैनधर्म और बौद्धधर्म जैनधर्म और व्यावसायिक पूँजीवाद: वेबर की अनुदृष्टि जैनधर्म और हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) का - पारस्परिक सम्बन्ध जैनधर्म : वैदिक धर्म के संदर्भ में जैन-बौद्ध सम्मत कर्म सिद्धांत जैन संस्कृति और श्रमण परम्परा जैन सम्मत आत्मस्वरूप का अन्य भारतीय दर्शनों से तुलनात्मक विवेचन तर्क और भावना तीर्थंकर और ईश्वर के सम्प्रत्ययों का तुलनात्मकविवेचन तुलनात्मक दर्शन पर दो दृष्टियाँ त्रिरत्न, सर्वोदय और सम्पूर्ण क्रान्ति द्रौपदी कथानक का जैन और हिन्दू स्रोतों के आधार पर तुलनात्मक अध्ययन डॉ० (श्रीमती) कमला पंत काका कालेलकर १९९१ ३५-४३ ३१-३२ १९४९ ४६ डॉ० सागरमल जैन श्री श्रीप्रकाश दूबे डॉ० धूपनाथ प्रसाद ___४६ १५ १-३ ७-८ १९९५ १९९५ १९६४ १९९६ ८७-९२ १७-२१ ४४-४८ www.jainelibrary.org श्रीमती शीला सिंह ४६ ७-९ १९९५ ७६-८२
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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