SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International लेख अंक १ १ ۸ مه مه مه १ १ For Private & Personal Use Only लोक कल्याण के लिए श्रमण संस्कृति साम्यवाद और श्रमणविचारधारा सबसे पहला पाठ पार्श्वनाथ विद्याश्रम-एक सांस्कृतिक अनुष्ठान मगध में दीपमालिका युद्ध और श्रमण शास्त्र और शस्त्र अहिंसा और शस्त्रबल साम्प्रदायिक कदाग्रह तर्क और भावना अहिंसा का व्यापक अर्थ धर्म का पुनरुद्धार और संस्कृति का नवनिर्माण प्रेम का अभ्यास मानव जीवन का आधार सम्यकत्व की कसौटी प्राचीन भारत में संस्कृतियों का संघर्ष सेवा का अर्थ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक भिक्षु जगदीश काश्यप पृथ्वीराज जैन श्री कृष्णचन्द्राचार्य पं० दलसुख मालवणिया मुनि कांतिसागर पं० कैलाश चन्द्र शास्त्री पं० सुखलाल जी आचार्य विनोबाभावे पृथ्वीराज जैन काका कालेलकर लालजी राम शुक्ल पं० दलसुख मालवणिया आचार्य विनोबा भावे पृथ्वीराज जैन मोहनलाल मेहता आ० चन्द्रशेखर शास्त्री मुनिश्री विद्याविजय जी wor or or or or or orr or or or or or wr or or ई० सन् १९४९ १९४९ १९४९ १९४९ १९४९ १९४९ १९४९ १९४९ १९४९ १९४९ १९४९ १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० १९५० पृष्ठ । १९-२१ २२-२७ २८-३० ३३-३४ ३७-४० ९-११ १३-१५ २४-२६ २७-३० ३१-३२ ३३-३६ ९-१३ २२-२३ २५-२७ २८-२९ ३३-३४ ३५-३८ १ مه نه نه نه نه له ته سه له سه २ १ ३ له سه www.jainelibrary.org له
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy