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________________ Jain Education International लेख वर्ष अंक ८ ई० सन् १९७२ पृष्ठ २४-२८ u سم الله २३ २३ الله الله २३ الله ८८ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक जैनधर्म : एक अवलोकन डॉ० के० एच० त्रिवेदी अपभ्रंश का विकासक्रम तथा जैन साहित्यकारों की देन श्रीमती मीना भारती कर्मयोगी कृष्ण के आगामी भव श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री वेदोत्तरकालीन आत्मविद्या और जैनधर्म डॉ० अजित शुकदेव प्राणप्रिय काव्य के रचयिता व रचनाकाल श्री अगरचन्द नाहटा गर्भापहरण- एक समस्या डॉ० रतिलाल म० शाह भगवान् महावीर के निर्वाण का २५००वां वर्ष डॉ० गोपीचन्द धाड़ीवाल श्रमण और वैदिक साहित्य में स्वर्ग और नरक श्री धन्यकुमार जैन ग्वालियर के तोमरकालीन दानवीर श्री चम्पालाल सिंघई कल्चुरीकालीन भ० शांतिनाथ की प्रतिमाएँ ___ श्री शिवकुमार नामदेव श्रमण संस्कृति की मूल संवेदना डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन जैनदर्शन में स्याद्ववाद और उसका महत्त्व श्री रामजी अनासक्ति डॉ० अजित शुकदेव गर्भापहरण सम्बन्धी कुछ बातें श्री अगरचन्द नाहटा Jaina Temples in Karanataka Dr. K. B. Shastri श्रमण भगवान् महावीर पं० बेचरदास दोशी पद्मचरित की भाषा और शैली श्री रमेशचन्द्र जैन الله For Private & Personal Use Only الله voor on or or å å å å å å å å २३ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ १९७२ २९-३४ ३-९ १०-१६ १७-२० २१-२५ २६-३१ ३-९ १०-१३ १४-१५ १६-१७ १८-२२ २३-२६ २७-२८ २९-३० ३-९ १०-१८ الله २३ الله الله २३ الله له سه لله २३ www.jainelibrary.org ३
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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