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लेख
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अंक
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक महासती उज्जवल कुमारी श्री कन्हैयालाल सरावगी।
३८९ पृष्ठ २६ १०-१७
१
ई० सन् १९५० १९७८
१२
सामायिक की सार्थकता सामायिक : सौ सयाने एकमत सिद्धर्षिगणिकृत उपमितिभवप्रपंचाकथा से संकलित "धर्म की महिमा" सिद्धि का पथ : आर्जवधर्म सिद्धि योग का महत्त्व सिरोही जिले में जैनधर्म सेवा : स्वरूप और दर्शन सोमदेवकृत उपासकाध्ययन में शीलव्रत(क्रमश:)
१९६७ १९८४
१९७८
श्री गोपीचंद धारीवाल
१८ श्रीमती अलका प्रचण्डिया ‘दीति' ३५ पं० के० भुजबली शास्त्री
२९ डॉ० सोहनलाल पाटनी श्री रमेशमुनि शास्त्री श्री सनतकुमार जैन
१९८२
१९७६
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१८-२३ १७-१८ २८-२९ ३२-३७ ३-४ ३४-३८ २३-२८ ३५-३६ २५-३१ ८-९
११
श्री राजकुमार छाजेड पृथ्वीराज जैन श्री अगरचंद नाहटा
१९७९ १९७९ १९८१ १९५० १९५५
स्वाध्याय : एक आत्म चिन्तन हजरत मुहम्मद और इस्लाम हमारी भक्ति निष्ठा कैसी हो ? हरिभद्र की श्रावकप्रज्ञप्ति में वर्णित अहिंसा: -
आधुनिक संदर्भ में हिंसक और अहिंसक युद्ध हिंसा का बोलबाला Ahimsa in the Ancient East
१९९०
डॉ० अरुणप्रताप सिंह अशोक कुमार सिंह श्री ताराचन्द्र मेहता Shri Ram Chandra Jain
४१ ३८ १४
१०-१२ ११ १
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१९८७ १९६२ १९६५
५७-७० १-३ ६-७ २३-३८