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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org १६ लेख भगवान् महावीर के गणधर सूत्रकृतांग में वर्णित मतमतांतर महात्मा हुसेन बसराई जैनकथा साहित्य का सार्वजनीन महत्त्व अभय का अराधक चन्द्रवेध्यक आदि ४ सूत्र अनुपलब्ध नहीं हैं । मनुष्य की प्रगति के प्रति भयंकर विद्रोह संसार के धर्मों का उदय अविद पद शतार्थी जीवन - रहस्य नारी का स्थान घर है या बाहर ? हमारा क्रांतिवारसा (क्रमश:) जिनधर्म का तमाशा गुरु नानक आस्तिक और नास्तिक अपने को जानिए सांपू सरोवर अमरवाणी श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० दलसुख मालवणिया डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० इन्द्र मुनि जिनविजय जी डॉ० इन्द्र श्री अगरचन्द नाहटा मुनि श्री आईदान जी महाराज डॉ० इन्द्र महो० विनयसागर जी श्री भगवान लाल भांकड़ श्रीमती सत्यवती जैन पं० बेचरदास दोशी श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० इन्द्र डॉ० इन्द्र श्री देवेन्द्र कुमार श्री जयभिक्खु श्री अगरचन्द नाहटा वर्ष 5 5 55 अंक ७ ७ ७ ७ ७ ८ ई० सन् १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ १९५४ पृष्ठ १-१० ११-२० २१-२५ २९-३८ १-८ १६-१७ १८-१९ २०-२५ २६-३० ३१-३४ ३५ १-८ ९-११ १२-२५ २७-३० ३१-३३ ३४-३९ १-४
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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