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________________ Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० रमेशचन्द्र जैन वर्ष २५ २३ अंक ७ ११ ई० सन् १९७४ १९७२ ४०५ पृष्ठ ३-६ १०-१८ * श्री अगरचन्द नाहटा श्री अभयकुमार जैन श्री प्रेमसुमन जैन * * १९७० १९७७ १९७३ ३०-३१ १३-१७ ३-१६ For Private & Personal Use Only लेख पद्मचरित : एक महाकाव्य पद्मचरित की भाषा और शैली पद्ममंदिररचित बालावबोध प्रवचनसार का नहीं प्रवचनसारोद्धार का है परमानन्दविलास : एक परिचय पश्चिम भारत का जैन संस्कृत साहित्य को योगदान पाणिनीय व्याकरण का सरलीकरण और आचार्य हेमचन्द्र पालि क्या बोलचाल की भाषा थी ? पार्श्वभ्युदय में श्रृंगाररस पार्श्वभ्युदय में प्रकृति-चित्रण पिण्डनियुक्ति पुण्डरीक का दृष्टात पुराणों में ऋषभदेव पुरुदेवचम्पू का आलोचनात्मक परिशीलन पुष्पदन्त और सूर का कृष्ण लीलाचित्रण पुष्पदन्त का कृष्ण काव्य श्री श्यामधर शुक्ल डॉ० कोमलचंद जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन * * * * * * * tv , marg १९९६ १९६९ १९७७ १९७७ १९६६ १९६४ १९७४ १९८७ १९७० १९६७ ३-१० १७-२१ ९-१५ २५-३० २८-३१ १२-१४ ११-१४ डॉ० जगदीशचन्द्र जैन श्री श्रीप्रकाश दुबे डॉ० मनोहरलाल दलाल डॉ० कपूरचन्द जैन डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन ७-१३ ३८८ २२ ११ www.jainelibrary.org ३-११ ३-१३ १९ १-२
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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