________________
श्रमण : अतीत के झरोखे में
Jain Education International
लेख वासुपूज्यचरितम् : एक अध्ययन
ई० सन् ९१७२ १९७२ १९५२ १९७१ १९७३
पृष्ठ ३-१० १०-१७ १६-१८ २२-२९ १२-२१
१९७७
१४-१७
For Private & Personal Use Only
हमारे समाज की भावी पीढ़ी श्री हेमविजयगणि और विजयप्रशस्तिमहाकाव्य क्षत्रचूड़ामणि में उल्लिखित कतिपयनीतिवाक्य उदय मुनि जैनदर्शन उमाशंकर त्रिपाठी बुनियादी सुधार भाई साहब शिक्षा का जहर शिक्षा के दो रूप शिक्षा के साधन उर्मिला जैन वीरवर्धमानचरित में शान्तरस विमर्श श्रमण संस्कृति की पृष्ठभूमि
16 5 w sam r worn on an
१९५०
१९६३ १९५६ १९५५ १९५१
१७-२० १५-१८ ३० २७ १३-१७
१९८३ १९८२
२५-२८ ३-५
www.jainelibrary.org