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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख प्रयाग - एक महान जैन क्षेत्र वहित और अहित प्राकृत व्याकरण और भोजपुरी का 'केर' प्रत्यय उच्चगोत्र और नीचगोत्र चण्डकौशिक का उपसर्गस्थान योगीपहाड़ी जैनधर्म में शक्ति पूजा का स्वरूप चतुर्विंशतिस्तव का भेद और एक अतिरिक्तगाथा बंगला आदि भाषाओं के सम्बन्धवाची प्रत्यय Jain Concept of Liberation पौराणिक साहित्य में राजनीति णायकुमारचरिउ की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आचार्य हरिभद्रसूरि का दार्शनिक दृष्टिकोण कुरलकाव्य महावीर की निर्वाण भूमि पावा की वर्तमान स्थिति कर्म की मर्यादा श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री सुबोध कुमार जैन श्री गणेश प्रसाद जैन पं० कपिलदेव गिरि डॉ० मोहनलाल मेहता श्री भंवरलाल नाहटा श्री प्रेमकुमार अग्रवाल श्री अगरचन्द नाहटा पं० कपिलदेव गिरि Shri I.B. Pandey श्री धन्यकुमार राजेश श्रीरंजन सूरिदेव कु० सुशीला जैन श्री फूलचन्द जैन 'प्रेमी' श्री कन्हैयालाल सरावगी डॉ० मोहनलाल मेहता भविसयत्तकहा तथा अपभ्रंश कथाकाव्य-कुछ प्रतिस्थापनायें डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन जैनधर्म में उपासना दानवीरता का कीर्तिमान - वस्तुपाल श्री प्रेमकुमार अग्रवाल श्री चम्पालाल सिंघई वर्ष २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ २३ अंक ११ ११ va ११ १२ १२ १२ १२ १२ १२ ई० सन् १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ १९७१ ८५ पृष्ठ १७-१९ २०-२३ २४-३८ ३-४ ५-८ ९-१२ १३-१७ १८-२९ ३०-३५ ३-१३ १४- १८ १९-२३ २४-२९ ३०-३१ ३-५ ६-११ १२-१७ १७-२०
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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