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३९६ लेख कुंभारियाके जैन अभिलेखों का सांस्कृतिक-अध्ययन
श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० हरिहर सिंह
वर्ष २८ २८
अंक ११ १२
ई० सन् १९७७ १९७७ ।। १९७७ १९७१ १९६७
पृष्ठ ३०-३६ २५-३८ २४-२९ ३-८
कुरलकाव्य कुवलयमालाकहा का कथा-स्थापत्य-संयोजन कुवलयमाला की मुख्य कथा और अवान्तर - कथाएँ (क्रमशः)
श्री फूलचंद जैन 'प्रेमी' श्री प्रेमसुमन जैन
डॉ० के० आर० चन्द्र
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१९७५ १९७५ १९७५
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३-८ ३-८ १०-११ १९-२१ १९-२२ २१-२५
१९७५
१९७५ १९७५
र
श्री कस्तूरमल बांठिया
१९६७
२-१७ .
"कुवलयमाला' मध्ययुग के आदिकाल की एक - जैन कथा कुवलयमालाकहा में उल्लिखित कडंग, चन्द्र -
और तार द्वीप गीतासंज्ञक जैन रचनाएं क्षेत्रज्ञ शब्द का स्वीकार्य प्राचीनतम अर्धमागधी रूप
श्री प्रेमसुमन जैन श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० के० आर० चन्द्र
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८ ९ १०-१२
१९७२ १९५१ १९९२
१३-८ २५-२७ ४१-४४