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________________ Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक पं० के० भुजबली शास्त्री अंक वर्ष २४ ई० सन् १९७३ ३९५ पृष्ठ १३-२० लेख कन्नड़ में जैन साहित्य कवि छल्लकृत अरडकमल्ल का चार भाषाओं में वर्णन कवि देपाल की अन्य रचनायें कवि रत्नाकर और रत्नाकरशतक कविवीर और उनका जंबूसामिचरिउ कल्पसूत्र का हिन्दी पद्यानुवाद कल्याणसागरसूरि को प्रेषित सचित्र विज्ञप्तिलेख कषायप्राभृत ४३ ३४ ७-९ १ श्री भंवरलाल नाहटा श्री अगरचंद नाहटा डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव डॉ० देवेन्द्र कुमार श्री अगरचंद नाहटा १९९२ १९८२ १९६८ १९६९ १९५५ ५३-५८ २९-३३ १७-२४ ८-१७ ६ १२ २-८ For Private & Personal Use Only डॉ० मोहनलाल मेहता १९६५ १९६५ १९६७ २९-३० १६-२१ २२-२६ १५-२२ १८ श्री अगरचन्द नाहटा कषायप्राभृत की व्याख्यायें क्या ‘सपकमाला' नामक रचनाँए अलंकार शास्त्र सम्बन्धी है? क्या व्याख्याप्रज्ञप्ति का १५वां शतक प्रक्षिप्त है? काव्यकल्पलतावृत्ति कीर्तिवर्द्धनकृत सदयवत्स-सावलिंगाचउपई कुन्दकुन्दाचार्य की साहित्यिक उद्भावनाएँ २९ २१ ३ ९ १९७८ १९७० १९५८ १९७६ १९७६ १२-१७ १२-१९ १२-१५ २२-२६ ३०-३२ www.jainelibrary.org श्री अशोककुमार मिश्र श्री रमेशमुनि शास्त्री २८ २७
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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