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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ४१६ लेख श्री जयभिक्खू के ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद श्रीमद्देवचन्द्ररचित कर्म साहित्य श्रीपालचरित की कथा षट्दर्शनसमुच्चय के लघुटीकाकार सोमतिलकसूरि षट्प्राभृत के रचनाकार और उसका रचनाकाल संडेरगच्छीय ईश्वरसूरि की प्राप्त एवं अप्राप्त-रचनायें संदेशरासक में उल्लिखित (वनस्पतियों के नाम) पर्यावरण के तत्त्व श्रमण : अतीत के झरोखे में संस्कृत व्याकरण शास्त्र में जैनाचार्यों का योगदान संस्कृत साहित्य के इतिहास के जैन संम्बन्धित संशोधन लेखक श्री कस्तूरमल बांठिया श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० देवेन्द्र कुमार जैन श्री अगरचंद नाहटा डॉ० के० आर० चन्द्र श्री अगरचन्द नाहटा श्री श्रीरंजन सूरिदेव "" संवेगरंगशाला - एक स्पष्टीकरण संयुक्तनिकाय में जैन सन्दर्भ संवेगरंगशाला देवभद्रसूरि रचित और अनुपलब्ध है ? श्री अगरचन्द नाहटा संवेगरंगशाला नामक ग्रन्थ नहीं एक ही है संस्कृत काव्य शास्त्र के विकास में प्राकृत की भूमिका संस्कृत दूत काव्यों के निर्माण में जैन कवियों का योगदान "" प्रो० हीरालाल रसिकलाल कापड़िया विजयकुमार जैन " श्री धनीराम अवस्थी श्री रविशंकर मिश्र श्रीराम यादव श्री अगरचन्द नाहटा वर्ष 2 2 2 2 X 2 १९ १७ २२ २४ ४८ २५ २८ I w o m o ∞ 2 ४६ २० ३३ २० २१ ३७ m m 2 ३३ ३३ १७ अंक १२ १-२ ४ १ १०-१२ 9) Π १०-१२ १२ १२ ११ १ ६ ८ ई० सन् १९६८ १९६५ १९७१ १९७२ १९९७ १९७४ १९७६ १९९५ १९६९ १९८१ १९६९ १९६९ १९८६ १९८२ १९८२ १९६६ पृष्ठ २५-३४ ३३-३७ ३-७ २०-२३ ४५-५२ २९-३२ २७-२९ २४-२७ ३२ १६-२३ २३-२६ ३४ २-९ १-१५ ११-२० २२-२६
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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