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________________ Jain Education International वर्ष २८ अंक १२ ई० सन् १९७७ ४१५ पृष्ठ । २२-२४ ३२५ ४६-५१ ८-१२ १-३ २५-२९ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक शब्दरत्न-महोदधि नामक संस्कृत गुजराती जैन कोश श्री अगरचन्द नाहटा शम्बूक आख्यान (जैन तथा जैनेतर) सामग्री का - तुलनात्मक अध्ययन श्री विमलचन्द्र शुक्ल शान्त रस : मान्यता और स्थान श्री जयकुमार जैन शान्त रस : जैन काव्यों का प्रमुख रस डॉ० मंगलप्रकाश मेहता शास्त्र की मर्यादा पं० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य शास्त्र रचना का उद्देश्य पं० सुखलाल जी शास्त्र वाचना की आज फिर आवश्यकता है श्री कस्तूरमल बांठिया शास्त्रों की प्रामाणिकता डॉ० मोहनलाल मेहता शिवशर्मसूरिकृत कर्मप्रकृति श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा डॉ० सागरमल जैन श्वेताम्बर साहित्य में रामकथा का स्वरूप श्रमण भगवान् महावीर पं० बेचरदास दोशी श्रमण-साहित्य में वर्णित विविध सम्प्रदाय डॉ० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' श्रावकप्रज्ञप्ति के रचयिता कौन ? पं० बालचन्द्र शास्त्री श्री आत्मारामजी और हिन्दी भाषा श्री पृथ्वीराज जैन श्री किशनदास जी कृत-'उपदेशबावनी' श्री अम्बाशंकर नागर ८ २४ ४-७ For Private & Personal Use Only ३८-४० १९८० १९७८ १९८४ १९५२ १९५३ १९५७ १९७० १९६४ १९८१ १९८५ १९७२ १९७५ १९६५ १९५४ १९६० २१ ५ १५ ९ ३२ १२ ३६ १२ २३ ११ २६८ ७-१५ " ७-११ २-६ ३-९ ३-१३ ३-७ ११-१५ २८-३२ www.jainelibrary.org
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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