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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख अपभ्रंश के जैन साहित्य का महत्त्व अपभ्रंश चरितकाव्य तथा कथाकाव्य अपभ्रंश जैन साहित्य "" अपभ्रंश साहित्य : उपलब्धियाँ और प्रभाव अभयकुमार श्रेणिकरास "" अर्धमागधी आगम साहित्य अर्धमागधी भाषा में सम्बोधन का एक विस्मृत शब्द-प्रयोग 'आउसन्ते' अललित जैन साहित्य का अनुवाद-कुछ समस्याएँ अष्टलक्षी: संसार का एक अद्भुत ग्रन्थ अष्टलक्षी में उल्लिखित अप्राप्य रचनायें असाम्प्रदायिक जैन साहित्य चौथी आगमवाचना का सवाल आगम साहित्य में प्रकीर्णकों का स्थान, महत्त्व, रचना - काल एवं रचयिता श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी डॉ॰ देवेन्द्र कुमार श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री " डॉ० देवेन्द्र कुमार डॉ० सनतकुमार रंगाटिया " डॉ० सागरमल जैन डॉ० के० आर० चन्द्रं डॉ० नंदलाल जैन महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर श्री अगरचंद नाहटा डॉ० पी० एल० वैद्य श्री कस्तूरमल बांठिया डॉ० सागरमल जैन वर्ष ४ m n n ☹ or a w २३ २२ २२ १२ १९ १९ ४६ ३२ ४० १८ ४ ९ ४८ अंक ४ m १० ११ १-३ ७-९ १२ ७ ७-८ ११-१२ ४-६ ई० सन् १९५३ १९७२ १९७१ १९७१ १९६० १९६८ १९६८ १९९५ १९९५ १९८१ १९८९ १९६७ १९५३ १९५८ १९९७ पृष्ठ ३९१ १-३ ३-१० १८-१२ १२-१७ २१-२५ २५-३० २२-२८ १-४५ ६६-६९ २१-२६ २-८ ९-११ १७-२४ ६८-७० १४७१५६
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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