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________________ Jain Education International अंक ६ کی کب کہ کیا کیا کی سی کی For Private & Personal Use Only लेख अहिंसा की कसौटी का क्षण प्रकाश पुंज महावीर वीतराग महावीर की दृष्टि गुप्तकाल में जैनधर्म हर क्षेत्र में अनेकान्त का प्रयोग हो श्रमण महावीर का युग सन्देश जीवनचरित्र ग्रन्थ समता और समन्वय की भावना पहले महावीर निर्वाण या बुद्ध निर्वाण काम बनाम बात दासी की गाथा शॉ का सन्देश, मुझे भूल जाओ ? अहिंसा की प्रतिष्ठा का मार्ग भगवान् महावीर का समन्वयवाद अहिंसक भारत हिंसा की ओर शांति की बुनियाद अधूरा समाजवाद अपरिग्रह ही क्यों? श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री लक्ष्मीनारायण 'भारतीय' श्री माईदयाल जैन श्री ज्ञानमुनि डॉ० अमरचन्द मित्तल मुनि श्री नेमिचन्द्र जी प्रो० विमलदास जैन श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० मोहनलाल मेहता श्री कस्तूरमल बांठिया श्री माईदयाल जैन श्री कृष्णचन्द्राचार्य पं० दलसुख मालवणिया श्री हस्तिमल जी साधक डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा श्रीमती राजलक्ष्मी श्री सत्य सुमन श्री सतीश कुमार कुमारी पुष्पा #222222222222222222 ७-८ ई० सन् १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ पृष्ठ ७-८ ९-१० ११-१३ १६-२२ २४-२८ २९-३२ ३५-३८ ३९-४४ १०-२१ २२-२३ २४-२६ ३२-३३ ४३-४५ ४६-५० ५१-५५ ५७-५८ ५९-६१ १०-११ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ www.jainelibrary.org ७-८ ७-८ ९
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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