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श्रमण : अतीत के झरोखे में
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ई० सन्
१९७६
लेख कुन्दकुन्दाचार्य की साहित्यिक उद्भावनाएँ जैन आगम साहित्य में जनपद जैन दर्शन में प्रमाण का स्वरूप
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३०-३२ २०-२२ ९-१३ ९-१३ १६-२२ ७-९ १५-१८ २३-२९ १०-१२ २९-३५ २३-३५ ९-१२ ३-६ १०-१५
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जैन दर्शन में पुद्गल स्कन्ध जैन दृष्टि से ज्ञान-निरूपण जैन दार्शनिक साहित्य में अभाव प्रमाण-एक मीमांसा जैन साधना पद्धति में सम्यग्दर्शन
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निक्षेपवाद : एक परिदृष्टि प्रज्ञामूर्ति मन और संज्ञा लेश्या : एक विश्लेषण व्युत्सर्ग आवश्यक
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