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________________ Jain Education International लेख अंक ११ ११ For Private & Personal Use Only एकता की ओर एक कदम पर्युषण पर्व का पावन सन्देश क्षमा का आदर्श क्षमा पहला धर्म है जैन एकता क्षमा का पर्व जैन त्यागी वर्ग के सामने एक विकट समस्या अपरिग्रहवाद का यह उपहास क्यों ? इतिहास बोलता है पर्व की आराधना आत्मशुद्धि और साधना का पर्व जीवन में अनेकान्त दिगम्बर आर्या जिनमती की मूर्ति राम की क्षमायाचना सरस्वती का मंदिर युद्ध और उसके साधनों को खतम करो युवक के सामने एक प्रश्न चिन्ह साहित्य भवन के निर्माण का शुभारंभ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रिषभदास रांका श्री अगरचन्द नाहटा पं० रत्न श्री ज्ञानमुनि जी डॉ० कोमलचन्द जैन श्री भंवरमल सिघी १० मुनि श्री समदर्शी जी पं० बेचरदास जी दोशी पं० श्री मृगेन्द्रमुनि 'वैनतेय' श्री सत्यदेव विद्यालंकार उपाध्याय अमरमुनि १० श्री माईदयाल जैन १० श्री मनोहर मुनि जी श्री अगरचन्द नाहटा पं० मुनि श्री कन्हैयालाल जी 'कमल' १० डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल ११ निकिता त्रुश्चेव श्री अशोक ढड्डा सतीश कुमार ई० सन् . १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ पृष्ठ २२-२४ २५-२६ २९-३१ ३२-३४ ३५-३७ ३८-३९ ४०-४५ ८-१० ११-१६ १७-१९ २०-२१ २६-२८ ३१-३२ ३३-३४ ५-९ १३-१८ २१-२२ २४-२७ १९५९ www.jainelibrary.org ११ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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