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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख भगवान् महावीर का निर्वाणाब्द २५०० आ रहा जैन साहित्य और अनुसंधान की दिशा जो विदा हो रहे हैं ! मानवतावादी समाज का आधार - अहिंसा संन्यास की मर्यादा वे आपको कितना चाहते हैं ? बुनियादी समस्या और उसका समाधान तेलगू भाषा के अवधानी विद्वानों की परम्परा ऋषिभाषित का अन्तस्तल संस्कृत कवियों के उपनाम आचार्य चण्डरुद्र जीवन सौरभ जीवन धर्म स्वच्छता: जीवन का अंग क्या जातिस्मरण भी नहीं रहा बढ़ते कदम अहिंसा का क्रमिक विकास सब धर्मों की मंजिल एक है श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री कस्तूरमल बांठिया श्री गोकुलचन्द श्री जमनालाल जैन मुनि श्रीसुशील कुमार जी आचार्य विनोबा श्रीयुत प्रवास श्री गंगाधर जालान श्री अगरचन्द नाहटा श्री मनोहर मुनि श्री जगन्नाथ पाठक मुनिश्री लक्ष्मीचन्द्र जी चित्रभानु श्री बशिष्ठ नारायण सिन्हा किशोरीलाल मशरूवाला श्री कस्तूरमल बांठिया श्री राजकमल चौधरी पं० सुखलाल जी उपाध्याय श्री अमरमुनि, वर्ष ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ ११ अंक ४ ४ ४ ई० सन् १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९५९ १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० ३९ पृष्ठ २८-३२ ३३-३५ ३-६ ७-११ १३-१४ १५-१७ १८-२३ २४-२७ ७-८ १३-१७ १८-१९ २०-२२ २३-२६ २७-२८ २९-३४ ७-८ ९-१५ १६-१७
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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