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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org लेख भद्रबाहु का कालमान को भरतमुनि द्वारा प्राकृत सम्मान और गौरवपूर्ण स्थान भविसयत्तकहा तथा अपभ्रंश कथाकाव्य; कुछ - प्रतिस्थापनायें भारतीय आर्यभाषा और अपभ्रंश भारतीय आचार्यों की दृष्टि में काव्य के हेतु भारतीय कथा साहित्य में पद्मचरित का स्थान भारतीय प्रतीक परम्परा में जैन साहित्य का योगदान भारतीय वाङ्मय में प्राकृत भाषा का महत्त्व भारतीय साहित्य की रमणीय काव्य रचना :गउडवो संस्कृत के साथ प्रदत्त भाषा और साहित्य भाष्य और भाष्यकार मंगलकलशकथा मल्लिषेण और उनकी स्याद्वादमंजरी श्रमण : अतीत के झरोखे लेखक मुनिश्री फूलचन्द जी डॉ० के० आर० चन्द्र डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन " डॉ० गंगासागर राय श्री रमेशचन्द्र जैन डॉ० प्रेमचंद जैन पं० बेचरदास दोशी डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव श्री कन्हैयालाल सरावगी श्री मोहनलाल मेहता श्री भँवरलाल नाहटा डॉ० बशिष्ठनारायण सिन्हा वर्ष ४२ २३ m x x x or a २७ १४ २४ २१ १९ २४ २७ १९ २६ अंक Vv १-३ o ov va a ११ १० १० ७ १२ ४ ७ ६ ई० सन् १९५४ १९९१ १९७१ १९७६ १९६३ १९७३ १९७० १९६८ १९७३ १९७६ १९५५ १९६८ १९७५ ४०९ पृष्ठ ६-८ ७१-७४ ६-११ ९-१२ २४-२७ ३-११ ३२-३७ ६-१६ ३-७ ३-१४ ४-१२ २६-३४• ३-६
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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