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________________ १६३ Jain Education International वर्ष पृष्ठ । ३१-३३ ९-११ १५-१८ ३२-३४ ३५-३८ * * * * श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख जिनदत्तसूरि का शकुनशास्त्र एवं हरिभद्रसूरि का व्यवहारकल्प जिनधर्म का तमाशा जिनराजसूरिकृत नैषधमहाकाव्यवृत्ति श्री जिनवल्लभसूरि की प्राकृत साहित्य सेवा जीवन चरित्र ग्रन्थ " जैन आगमों का महत्त्व और अपना कर्तव्य जैन एकता का स्वरूप व उसके उपाय जैन कला प्रदर्शनी जैन ग्रन्थों और पुराणों के भौगोलिक वर्णन का तुलनात्मक अध्ययन के जैन रास साहित्य ॐ जैन शिल्प का एक विशिष्ट प्रकार : सहस्रकूट हैं जैन साहित्य का बृहद इतिहास भाग ५ के कतिपय संशोधन जैन ज्ञान भण्डारों के प्रकाशित सूची ग्रन्थ जौनपुर की बड़ी मस्जिद क्या जैन मंदिर है ? जैनागमों में महावीर के जीवनवृत्त की सामग्री गोविन्द त्रिगुणायक का 'जैन दर्शन व संत कवि' सम्बन्धी वक्तव्य तेरापंथ सम्प्रदाय के हस्तलिखित ग्रन्थ-संग्रहालय ई० सन् १९७९ १९५४ १९६९ १९६३ १९५९ १९५० १९८३ १९५७ १९७२ १९५६ Private & Personal Use Only to 9 how 29 »ri x 9 xs , * , * १९७४ * * * 9 * * १९७० १९५३ १९७९ १९५६ १९६४ १९६० १-२१ ३६-३८ १५-२० १५-१६ १६-२१ २०-२३ ७३-७९ ३३-३५ ३४-३८ २८-३६ २३-२५ www.jainelibrary.org
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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