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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org १६२ लेख कल्याणसागरसूरि को प्रेषित सचित्र विज्ञप्ति लेख कवि देपाल की अन्य रचनाऐं श्रमण : अतीत के झरोखे में क्या कृष्णगच्छ की स्थापना सम्वत् १३९१ ई० में हुई थी ? क्या 'रूपकमाला' नामक रचनाएँ अलंकार शास्त्र सम्बन्धी हैं ? काव्यकल्पलतावृत्ति गर्भापहरण सम्बंधी कुछ बातें गीता के राजस्थानी अनुवादक जैन कवि थिरपाल गीतासंज्ञक जैन रचनाएं ग्यारह गणधर सम्बंधी ज्ञातव्य बातें चतुर्विंशतिस्तव का पाठ भेद और एक अतिरिक्त गाथा चन्द्रवेध्यक आदि-सूत्र अनुपलब्ध नहीं हैं २४ तीर्थंकरों के नामों में नाथ शब्द का प्रयोग कब जयप्रभसूरि रचित कुमारसंभव टीका जयसिंहसूरि रचित अप्रसिद्ध ऋषभदेव और वीरचरित्र युगल काव्य ज्योतिर्धर दो जैन विद्वान् हरिभद्र और यशोविजय जिनचन्द्रसूरिरचित श्रावक सामाचारी की पूरी प्रति की खोज जिनचन्द्रसूरिकृत क्षपक शिक्षा का विषय वर्ष १६ ३४ २४ २९ २६ २ X NA 2 2 2 2 2 २४ २२ ५ २२ २१ ३० ७ १९ २२ अंक १० १० १२ ७ ४ ९ ई० सन् पृष्ठ १९६५ १९८२ १९७२ : १९७८ १९५८ १९७२ १९७२ १९५१ १९७३ १९७१ १९५४ १९६७ १९७० १९७९ १९५६ १९६८ १९७१ २९-३० २९-३३ २८-२९ १२-१७ १२-१५ २७-२८ १९-२३ २५-२७ २२-२६ १३-१७ १६-१७ १८- २२ ३१-३३ १९-२३ १६-१९ ३२-३५ ३४-३५
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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