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________________ Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री गोपीचंद धारीवाल पं० दलसुख मालवणिया श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन १६ १० ई० सन् १९६५ १९५३ ४८१ पृष्ठ २२-२९ ३-४ २८-३१ १७ १९६६ ४४ डॉ० सागरमल जैन श्री प्रेमसुमन जैन १९९३ १९६७ १-१० ३-१४ १८ For Private & Personal Use Only लेख भौतिकवाद व अध्यात्मवाद भौतिकता और अध्यात्म का समन्वय महर्षि अरविन्द : जैन दर्शन की दृष्टि में। महायान सम्प्रदाय की समन्वयात्मक दृष्टि : भगवद् गीता और जैनधर्म के परिपेक्ष्य में महाकवि स्वयंभू और तुलसीदास महावीर और गाँधी का अहिंसा दर्शन जनजीवन के संदर्भ में महावीर और बुद्ध : कैवल्य और बोधि मिथ्यात्व इन जैनिज्म एण्ड शंकर : ए कम्परेटिव स्टडी वर्धमान और हनुमान वेदोत्तरकालीन आत्मविद्या और जैनधर्म वैदिक एवं श्रमण परम्परा में ध्यान शास्त्र और शस्त्र श्वेताम्बर मूलसंघ एवं माथुरसंघ-एक विमर्श श्रमण और ब्राह्मण डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव मुनिश्री नगराज जी २० १९६९ १९६७ ५-१२ ३-६ १८ २३ डॉ० ललितकिशोर लाल श्रीवास्तव २४ श्री सूरजचंद्र ‘सत्यप्रेमी' डॉ० अजित शुकदेव डॉ० रज्जन कुमार ४७ पं० सुखलाल जी १ डॉ० सागरमल जैन ४३ प्रो० इन्द्र ६-७ ९ १-३ २ ७-९ ४ १९७२ १९५५ १९७२ १९९६ १९४९ १९९२ १९५० ३५-४१ २३ १०-१६ ४७-५९ १३-१५ १५-२३ २९-३२ www.jainelibrary.org १४
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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