SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 148
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International वर्ष अंक ३८ ३८ श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन मुनिश्री नगराज जी गणेशप्रसाद जैन श्रीमती वीणानिर्मल जैन आचार्य विजयेन्द्र सूरि डॉ० सौभाग्यमल जैन 'वकील डॉ० विनोद कुमार तिवारी डॉ० सुभाष कोठारी डॉ. आदित्य प्रचण्डिया 'दीति' सौभाग्यमल जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ डॉ० विनोद कुमार तिवारी श्री रज्जन कुमार श्री भूरचन्द जैन युवाचार्य महाप्रज्ञ देवेन्द्रमुनि शास्त्री (लेखक का नाम उद्धत नहीं है) लेख धर्म और दर्शन के क्षेत्र में हरिभद्र का अवदान तीर्थंकर महावीर की तलस्पर्शी अहिंसा दृष्टि तीर्थंकर महावीर की निर्वाण भूमि ‘पावा' धर्म और आधुनिकता महावीर विहार मीमांसा डॉ. वाल्टेर शुबिंग की जैन विद्या की सेवा तीर्थंकर पार्श्वनाथ : प्रामाणिकता और ऐतिहासिकता उपासकदशांगसूत्र का आलोचनात्मक अध्ययन भोले नही भले बनिये युवा-दृष्टिकोण शुद्ध-अशुद्ध भावधारा आज के सन्दर्भ में जैन पंचव्रतों की उपयोगिता (क्रमश:) समाधिमरण की अवधारणा : उत्तराध्ययन-सूत्र के परिप्रेक्ष्य में पुरातत्त्वविद् स्व० अगरचन्द नाहटा जैन साहित्य में चैतन्य केन्द्रों का निरूपण भारतीय संस्कृति की अन्तरात्मा मध्यप्रदेश एवं जैन धर्म ई० सन् १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ १९८६ For Private & Personal Use Only ३८ <<onal law and mmmmm. १३९ पृष्ठ १-२० २-४ ५-११ १२-१३ १४-१८ १९-२१ २-७ ८-१३ १४-१६ १७-२० २-५ ८-१२ १३-१८ २०-२३ २-५ ३८ ३८ १९८६ ३८ ३८ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ १९८७ ६-८ www.jainelibrary.org ३७ १०-२५
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy