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________________ Jain Education International लेख و نه نه نه نه له له له ه For Private & Personal Use Only मंदिरों के झगड़े और जैन समाज भगवान् महावीर का आदर्श और हम अपरिग्रहवाद (क्रमश:) बनारस से जैनों का सम्बन्ध जैन धर्म और वर्ण व्यवस्था दो प्रेमियों की यह दीक्षा खोज सम्बन्धी कुछ अनुभव और समस्यायें शीलव्रतग्रहण आचार्य हेमचन्द्र स्वामी केशवानन्द आप सम्यग्दृष्टि हैं या मिथ्यादृष्टि धर्म के स्थान पर संस्कृति नारी की प्रतिष्ठा भक्तिमार्ग का सिंहावलोकन सोमनाथ गीता संज्ञक जैन रचनाएं यह धर्म प्राण देश है जीवित साहित्य की वाणी श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक अंक ई० सन् ऋषभदास रांका २ ६ १९५१ श्रीमती कांता जैन २ ६ १९५१ श्री रघुवीरशरण दिवाकर १९५१ पं० दलसुख मालवणिया १९५१ पं० फूलचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री १९५१. मोहनलाल मेहता २ ७ १९५१ डॉ० धीरेन्द्र वर्मा २ ८ १९५१ श्री रघुवीरशरण दिवाकर १९५१ श्री गुलाबचन्द्र चौधरी २ ८ १९५१ स्वामी सत्यस्वरूप जी १९५१ प्रो० इन्द्र २८ १९५१ काका कालेलकर १९५१ श्री किशोरी लाल मशरूवाला २ १९५१ पं० दलसुख मालवणिया १९५१ श्री किशोरी लाल मशरूवाला १९५१ श्री अगरचन्द नाहटा २ ९ १९५१ श्री रघुवीरशरण दिवाकर २ ९ १९५१ श्री विजय मुनि २ ९ १९५१ ه - r r 9 9 9 9 vvvvvv or or or or or or पृष्ठ २८-३२ ३३-३६ ९-१४ १५-१८ २०-२६ २७-२९ ९-१२ १२-१३ १६-२४ २६-३१ ३२-३६ ३६ ४-८ ९-१५ १८-२३ २५-२७ २८-३० ३६-३७ ه ه ه ته ته www.jainelibrary.org
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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