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________________ १२० Jain Education International ३१ ३१ लेख मन की लड़ाई क्या भगवान् महावीर के विचारों से विश्वशांति संभव है ? अनेकान्तवाद की व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता पर्युषण उदायन का पर्युषण साधना में श्रद्धा का स्थान ‘पर्वराज-दस लक्षणी' पर्युषण पर्व जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित एवं लोकहित का प्रश्न मनुष्य की परिभाषा शान्ति की खोज में पंडित कौन जैन एवं बौद्ध धर्म में स्वहित और लोकहित का प्रश्न सेवाव्रत नंदीषण अनेकान्तवाद की व्यावहारिक जीवन में उपयोगिता तीर्थंकर महावीर का निर्वाण दिवस 'दीपावली' ममता दुःख का जनक लोभ For Private & Personal Use Only श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक उपाध्याय अमर मुनि डॉ० (कु०) मंजुला मेहता श्री शीतलचन्द जैन श्री मधुकर मुनि उपाध्याय अमर मुनि आचार्य श्री आनन्द ऋषि श्री गणेशप्रसाद जैन डॉ० सागरमल जैन श्री महावीरप्रसाद गैरोला श्री प्रवीण ऋषि जी महात्मा भगवानदीन डॉ० सागरमल जैन उपाध्याय अमर मुनि जी डॉ० सनतकुमार जैन गणेशप्रसाद जैन महात्मा भगवानदीन आचार्य श्री आनन्द ऋषि • 22224444 ~ ~ ~ ~ ~ rr ई० सन् १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० १९८० पृष्ठ १३-१६ १७-२२ २३-२७ २-६ ७-११ १२-१८ १९-२५ २-१० १४-१६ १७-१९ ३२ १ ३२१ ५-१३ १४-१७ १८-१९ २०-२३ ३-४ । ५-१२ ३२ १ ३२१ ३२ २ ३२ www.jainelibrary.org
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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