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________________ १२७ Jain Education International वर्ष ३३६ अंक x ww ३३६ ३३ ६ ३३७ ३३ For Private & Personal Use Only लेख अकबर और जैनधर्म ४५ आगम और मूलसूत्र की मान्यता पर विचार संस्कृत दूतकाव्यों के निर्माण में जैन कवियों का योगदान विदेशों में जैन साहित्य : अध्ययन और अनुसंधान ज्ञान-प्रमाण्य और जैन दर्शन आचार्य मानतुंगसूरिविरचित भक्तामर-काव्य धर्म परिवर्तन-श्रमण धर्मों की भूमिका और निदान बिना विचारे जो करै साधु मर्यादा क्या? कितनी? महावीर का संयम और उनका साधनामय जीवन दशरूपक का एक अपभ्रंश दोहा : कुछ तथ्य _ 'प्राणप्रिय काव्य' का रचनाकाल, श्लोक- संख्या और सम्प्रदाय जैनधर्म एक सम्प्रदायातीत धर्म जीवन-दृष्टि संस्कृत-व्याकरण शास्त्र में जैनचार्यों का योगदान प्रतिक्रिया है दु:ख जैन धर्म में मोक्ष का स्वरूप ढंढण ऋषि की तितिक्षा श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० ओमप्रकाश सिंह श्री अगरचन्द नाहटा रविशंकर मिश्र डॉ० भागचन्द भास्कर भिखारीराम यादव राजमल पवैया महेन्द्रकुमार फुसकेले उपाध्याय अमरमुनि सौभाग्यमल जैन कु० सविता जैन डॉ. देवेन्द्रकुमार जैन श्री अगरचंद नाहटा डॉ. निजामुद्दीन उपाध्याय अमरमुनि जी श्रीराम यादव युवाचार्य महाप्रज्ञ विनोदकुमार तिवारी उपाध्याय अमरमुनि ई० सन् १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ 9 9 पृष्ठ । ५६-६० ६१-६३ १-१५ १०-२८ २९-३६ १-४ ५-११ १२-१४ १५-१८ १९-२३ २४-२६ २७-२९ ३-७ ८-१० ११-२० २-६ ७-१० ११-१४ ३३ 9 9 9 ३३ ३३ ३३ १९८२ ३३ - 0 vor or or १९८२ www.jainelibrary.org १९८२ ३३ १९८२
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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