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________________ Jain Education International अंक ई० सन् १९८८ ३९ ३९ ५ ५ For Private & Personal Use Only १४२ लेख हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत : एक चिन्तन प्रलय से एकलय की ओर जगत सत्य या मिथ्या समाधिमरण का स्वरूप जैन एवं बौद्ध धर्मों के वैदिक स्वरूप राजस्थानी एवं हिन्दी जैन साहित्य जैनधर्म में समाधिमरण की अवधारणा प्राचीन भारतीय सैन्य विज्ञान एवं युद्धनीति हिन्दू तथा जैन राजनैतिक आदर्शों का समीक्षात्मक अध्ययन पश्चाताप जैनधर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय : यापनीय (क्रमश:) आचार्य अमितगति : व्यक्तिव एवं कृतित्व जैन तर्कशास्त्र के सप्तभंगी नय की आगमिक व्याख्या जैन साहित्य में कृष्ण कथा जैन धर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय : यापनीय पश्चाताप : एक विवेचन भावात्मक एकता : प्रकृति और जीवन का सत्य श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० सागरमल जैन मुनि राजेन्द्र कुमार रत्नेश कन्हैया लाल सरावगी रज्जन कुमार डॉ० राजेन्द्र प्रसाद कश्यप श्री भँवरलाल नाहटा रज्जन कुमार इन्द्रेशचन्द्र सिंह कु० प्रतिभा जैन भँवरलाल नाहटा प्रो० सागरमल जैन डॉ० कुसुम जैन डॉ० भिखारीराम यादव श्रीमती रीता सिंह प्रो० सागरमल जैन श्री भंवरलाल नाहटा डॉ. नरेन्द्र भानावत १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ ३९ ६-७ ___३९८ ३९८ पृष्ठ २६-२८ २-४ ५-११ १२-१७ १८-२३ २-४ ३-८ ९-१७ १८-२२ २३-२४ १-१६ १७-२३ १-२६ २७-३२ १-१८ २२-२३ २५-२८ १९८८ ३९ ३९ ३९ १० १० १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ १९८८ www.jainelibrary.org ११
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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