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________________ Jain Education International अंक १० ३९ २६ २८ २५ १२ १-२ १० ६ ई० सन् १९५४ १९८८ १९७४ १९७७ १९७४ ४२३ पृष्ठ २३-२९ १६-१८ ४७-५२ २५-२८ २८-३१ १७-१८ ११-१३ १५-४३ ७८-८० २८-३८ ८-१० श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक कालकाचार्य श्री इलाचन्द जोशी काशी के कतिपय ऐतिहासिक तथ्य पं० अमृतलाल शास्त्री कुम्भारिया का महावीर मन्दिर डॉ० हरिहर सिंह कुम्भारिया जैनतीर्थ श्री भूरचन्द जैन कुम्भारिया तीर्थ का कलापूर्ण महावीर मंदिर श्री अगरचन्द नाहटा कुषाणकालीन मथुरा की जैन सभ्यता डॉ० एस० सी० उपाध्याय केशी ने पूछा श्री गोकुलचन्द जैन कोरंटगच्छ डॉ० शिवप्रसाद क्या लोंकाशाह विद्वान् नहीं थे ? श्री नन्दलाल मारु क्रान्तिदर्शी महावीर उपाध्याय अमरमुनि क्रोध आदि वृत्तियों पर विजय कैसे ? अरविंद क्या कृष्ण गच्छ की स्थापना सम्वत् १३९१ - में हुई थी ? श्री अगरचन्द नाहटा कोटिशिला तीर्थ का भौगोलिक अभिज्ञान डॉ० कस्तूरचन्द जैन खजुराहो की कला और जैनाचार्यों की समन्वयात्मक - एवं सहिष्णु दृष्टि डॉ० सागरमल जैन गीता के राजस्थानी अनुवादक जैन कवि थिरपाल श्री अगरचन्द नाहटा For Private & Personal Use Only १२ २ ४० ५ १८ १-२ ३३६ १९५५ १९६० १९८९ १९६६ १९८२ १९५३ २ ७-१२ १९७२ १९९१ २८-२९ ५१-६० ४-६ www.jainelibrary.org १९९४ १९७४ १७३-१७४ १९-२३ १०
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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