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________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org ४४ लेख वैराग्यशतक सन् १९६१ श्रमणों का युगधर्म वनस्पति विज्ञान वनस्पति की गतिशीलता क्या लोकप्रियता योग्यता की निशानी है। सत्य और बापू आचार्य हेमचन्द्र और उसकी साहित्यिक मान्यताएँ सफलता के तीन तत्त्व जैन इतिहास लेखकों का आवाहन वचन-बोध वैदिक परम्परा शब्दों की शवपूजा न हो ठोकर अपरिग्रह अथवा अकर्मण्यता जनजागरण और जैन महिलायें महिलाओं की मर्यादा श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचन्द नाहटा डॉ० नवरत्न कपूर मुनिश्री नेमिचन्द्र जी श्री पं० बेचरदास दोशी श्री कोमलचन्द्र शास्त्री श्री कोमलचन्द्र शास्त्री श्री रामप्रवेश शास्त्री डॉ० देवेन्द्र कुमार डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री श्री कस्तूरमल बांठिया श्री भागचन्द्र जैन पं० बेचरदास दोशी मुनि श्री नथमल जी श्री रतन पहाड़ी श्री गोपीचन्द धारीवाल श्रीरंजन सूरिदेव श्रीमती शकुन्तला मोहन वर्ष १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ १२ अंक २ m m ४ ४ ४ ४ ४ ४ ई० सन् १९६० १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ १९६१ पृष्ठ ३२-३३ ६-७ ८-९ १०-११ १२-१५ १६-१८ १९-२१ २२-२७ २८-३० ३१-३३ ३४-३६ ९-१४ १५-१९ २०-२२ २३-२५ २७-३१ ३२-३३
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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