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________________ है १६६ श्रमण : अतीत के झरोखे में Jain Education International ई० सन् १९७१ १३ For Private & Personal Use Only लेख भक्तामरस्तोत्र की सचित्रप्रतियाँ भक्तामरस्तोत्र के बाद पूर्तिरूप स्तवकाव्य भक्तामरस्तोत्र के श्लोकों की संख्या ४४ या ४८ भगवान् नेमिनाथ का समय-एक विचारणीय समस्या भगवान् नेमिनाथ के समय सम्बन्धी संशोधन " भागवद्गीता और जैनधर्म है महत्त्वपूर्ण जैन कला के प्रति जैन समाज की उपेक्षा वृत्ति * मानतुंगसूरिरचित पंचपरमेष्ठिस्तोत्र महावीरचर्या ग्रन्थ सम्बंधी महापंडित राहुल जी के दो पत्र महावीर-सम्बन्धी एक अज्ञात संस्कृत चरित्र महावीर स्तुति महो० समयसुंदर का एक संग्रहग्रन्थ-'गाथासहस्री' मुनि मेघकुमार-रचित किरातमहाकाव्य की अवचूरि मेघदूत की एक अज्ञात् बालबोधिका पंजिका मेवाड़ में चित्रित कल्पसूत्र की एक विशिष्ट प्रति है मौलिक चिन्तन की आवश्यकता रघुवंश की अज्ञात जैन टीका “E 8 * * * * * * * * * * * * * * * * % * * * * 8 9 : : : : : ๙ १९७० १९७० १९७२ १९६९ १९६४ १९८० १९७५ १९६६ १९७४ १९५८ १९७२ १९६८ १९६४ १९७७ १९६३ १९६२ पृष्ठ १३-१९ २५-२९ २७-३१ १५-१९ १२-१३ ११-१२ १३-१४ १४-१७ ९-१० ५२-५६ १३-१५ २३-२८ १५-१७ ६३-६४ २४-२६ २०-२३ ३१-३२ ง www.jainelibrary.org
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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