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________________ . Jain Education International श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री रमेशमुनि शास्त्री कु० अर्चना पाण्डेय श्री रमेशमुनि शास्त्री २८६ ई० सन् १९७७ १९८५ १९७७ w or x ३६५ पृष्ठ । १७-२० ९-१३ २२-२६ ३६ २८ ४४ लेख व्युत्सर्ग आवश्यक शब्द का वाच्यार्थ जाति या व्यक्ति शब्दों की अर्थ मीमांसा षङ्जीवनिकाय में त्रस एवं स्थावर के वर्गीकरण की समस्या षड्ावश्यक में सामायिक श्रोतेन्द्रिय की प्राप्यकारिता : एक समीक्षा संवर और निर्जरा संसार का अन्तरंग प्रदेश संस्कृत साहित्य में कर्मवाद सत्य के आवरण या मूर्छाएं 'सत्यं स्वर्गस्य सोपानम् सम्यग ज्ञान और मिथ्या ज्ञान सम्यक् दृष्टि और मिथ्या दृष्टि डॉ० सागरमल जैन श्री हुकुमचंद संगवे श्री नंदलाल जैन श्री गोपीचंद धारीवाल For Private & Personal Use Only १८ ५ १९ ७ ३८ ९ १६१ डा० रत्नलाल जैन डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० वासुदेवशरण अग्रवाल प्रो० इन्द्रचन्द्र शास्त्री डॉ० इन्द्रचन्द्र शास्त्री * um sor or or o m १९९३ १९७१ १९८२ १९६७ १९६८ १९८७ १९६४ १९५४ १९५१ १९५४ १९५४ १९५१ १९७९ १३-२१ ११-१६ २५-३२ १०-१७ २३-२५ १०-१६ १२-१९ ३-४ ११-१४ ३-१० ४-११ ९-१४ ११-२२ सबसे बड़ा प्रश्न - मैं कौन हूँ समन्तभद्र द्वारा क्षणिकवाद की समीक्षा मुनिश्री रामकृष्ण जी महाराज श्री नरेन्द्रकुमार जैन a ar www.jainelibrary.org
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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