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________________ Jain Education International लेख श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक डॉ० विनोदकुमार तिवारी वर्ष अंक ३३ २४ ३७ ३४ ३२ ई० सन् १९८५ १९८२ १९७३ १९८६ १९८३ १९८१ १९८५ १९८५ १९७२ जैनदर्शन की पृष्ठभूमि में ईश्वर का अस्तित्त्व जैनदर्शन के अन्तर्गत जीव तत्त्व का स्वरूप जैनदर्शन में कर्म का स्वरूप जैनदर्शन के सन्दर्भ में भाषा की उत्पत्ति जैनदर्शन में अजीव तत्त्व का स्थान । __ जैनदर्शन में अनेकान्तवाद का स्वरूप जैनदर्शन में आत्मस्वरूप जैनदर्शन में कथन की सत्यता जैनदर्शन में कर्मवाद की अवधारणा जैनदर्शन में ज्ञान का स्वरूप जैनदर्शन में नैतिकता की सापेक्षता जैन तत्त्वविद्या में 'पुद्गल' की अवधारणा जैन तर्क शास्त्र के सप्तभंगी नय की आगमिक व्याख्या जैन दर्शन जैन दर्शन में जन्म और मृत्यु की प्रक्रिया जैन दर्शन में जीव का स्वरूप जैन दर्शन में परीषह जय का स्वरूप एवं महत्त्व ३६ For Private & Personal Use Only डॉ० राधेश्याम श्रीवास्तव कु० अर्चना पाण्डेय डॉ० विनोदकुमार तिवारी श्री भिखारीराम यादव डॉ० उदयचन्द जैन. सुश्री अर्चना पाण्डेय कु० प्रमिला पाण्डेय डॉ० रामजी सिंह डॉ० सागरमल जैन श्री अम्बिकादत्त शर्मा डॉ० भिखारीराम यादव श्री उदय मुनि श्री अम्बिकादत्त शर्मा श्री विजय कुमार कु० कमला जोशी 923 1922 mm * ~r xxx ३५५ पृष्ठ ९-११ १२-१५ ३१-३५ ११-१८ १८-२१ १-९ १-११ ६-९ २२-२७ २७-३२ १२३-१३३ ६-१५ १-२६ १४-१७ २४ १९७३ ३९ ३९ २९ ___३८ ३७ १९९५ १९८७ १९८८ १९७७ १९८७ १९८६ १९८९ ३८ २-९ ३७ ९-१५ ४१-४५ www.jainelibrary.org ४०
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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