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________________ ४१ Jain Education International ११ کد ई० सन् १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० पृष्ठ ३५-३९ ४१-४३ ४४-४७ که کند ४९-५० ११ ११ ६ ६ ६ کم १९६० For Private & Personal Use Only लेख अहिंसा, संयम और तप अपरिग्रह और आज का जैन समाज इस चर्चा को खतम कीजिए राष्ट्र निर्माण और जैन निशीथचूर्णि पर एक दृष्टि ज्ञानार्णव (ग्रन्थ परिचय) महावीर का कार्य मानवता के दो अखंड प्रहरी मानव संस्कृति और महावीर सम्यक् दृष्टिकोण सत्य पारखी दृष्टि पुरुष और नारी विकास की तीन सीढ़ियाँ मनुष्य जन्म या मानवता महाकवि हस्तिमल्ल मानव साध्य है या साधन युद्ध के लिए जिम्मेवार कौन ? क्या थे ? क्या हैं ? क्या होना है ? श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री जमनालाल जैन मुनि श्री समदर्शी श्री कस्तूरमल बांठिया श्री माईदयाल जैन श्री विजय मुनि श्री अगरचन्द नाहटा श्री शंकरराव देव श्री भरतसिंह उपाध्याय डॉ. देवेन्द्र कुमार जैन मुनिश्री श्रीमल्ल जी श्री सुबोध मुनि, श्री विमलदास जैन मनिश्री कन्हैयालाल 'कमल' श्री भागचन्द जैन प्रो० नेमिचरण मित्तल आचार्य जे० सी० कुमारप्पा श्री कस्तूरमल बांठिया ११ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ७-८ ९ ५४-५८ ५९-६२ ९-११ १४-२० २१-२३ २५-२९ ३०-३१ ३२-३७ ४१-४४ ४७-४९ ९-११ १३-१५ १७-२१ १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० १९६० ११ . ११ ११ ११ ११ ११ www.jainelibrary.org ९
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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