SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 420
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International लेख श्रमण : अतीत के झरोखे में लेखक श्री अगरचन्द नाहटा वर्ष २७ अंक ५ ई० सन् १९७६ ४०७ पृष्ठ १०-१४ २८ प्राकृत भद्रबाहुसंहिता का अर्धकाण्ड प्राकृत भाषा के कुछ ध्वनि-परिवर्तनों की ध्वनि - वैज्ञानिक व्याख्या प्राकृत भाषा और जैन आगम प्राकृत भाषा के चार कर्मग्रन्थ प्राकृत व्याकरण और भोजपुरी का 'केर' प्रत्यय-क्रमश: ५ डॉ० देवेन्द्रकुमार जैन डॉ० रमेशचन्द्र जैन श्री अगरचन्द नाहटा पं० कपिलदेव गिरि १९७७ १९८७ १९६२ १९७१ ३-७ १६-२२ २४-२५ २९-३८ २४-३८ १९७१ For Private & Personal Use Only डॉ० के० आर० चन्द्र १९९१ ११-१९ ६ १९५३ १९७७ प्राकृत व्याकरण : वररुचि बनाम हेमचन्द्र - अंधानुकरण या विशिष्ट प्रदान प्राकृत साहित्य के इतिहास के प्रकाशन की - आवश्यकता प्राकृत साहित्य में श्रीदेवी की लोक-परम्परा पार्श्वभ्युदयकाव्य : विचार-वितर्क प्रज्ञाचक्षु राजकवि श्रीपाल की एक अज्ञात रचना-शतार्थी प्रद्युम्नचरित में प्रयुक्त छन्द-एक अध्ययन प्राचीन जैन कथा साहित्य का उद्भव, विकास - और वसुदेवहिंडी श्री अगरचन्द नाहटा श्री रमेश जैन डॉ० श्रीरंजन सरिदेव श्री अगरचंद नाहटा कु० भारती २१-२७ २१-२५ ३९-४२ ६-८ १-२ ५. ७-९ १९६७ १९६७ १९९७ ६८-८० www.jainelibrary.org डॉ० (श्रीमती) कमल जैन ४६ १०-१२ १९९५ ___ ५२-६३
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy