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________________ Jain Education International अंक १२ ० ० WW ३३१२ م ३४ م ३४ م ३४ م ३४ م श्रमण : अतीत के झरोखे में लेख लेखक है जैन दर्शन के अन्तर्गत जीव तत्त्व का स्वरूप विनोदकुमार तिवारी संयुक्त निकाय में जैन सन्दर्भ विजयकुमार जैन भगवान् महावीर उपाध्याय अमरमुनि जी तीर्थंकर महावीर का निर्वाण पर्व 'दीपावली' एक समीक्षा गणेशप्रसाद जैन । उपाध्याय श्री अमरमुनि जी : एक ज्योर्तिमय व्यक्तित्व मुनि समदर्शी गा आज का युवक धर्म से विमुख क्यों? माणकचन्द पींचा “भारती" कवि देपाल की अन्य रचनायें श्री अगरचन्द नाहटा व्यक्ति और समाज डॉ० सागरमल जैन प्रातिभ ज्ञानात्मक चिन्तन: सापेक्ष चिन्तन पाण्डेय रामदास गंभीर मन की शक्ति बनाम सामायिक युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ जैन एकता का प्रश्न डॉ० सागरमल जैन है जैन एकता संभव कैसे? मुनि रूपचन्द जैन धर्म और युवावर्ग प्यारेलाल श्रीमाल ‘सरस पंडित' ब्रह्मदत्त मुनि श्री महेन्द्रकुमार जी 'प्रथम' हुबली का श्री शांतिनाथ मंदिर श्री भूरचन्द जैन धर्म क्या है ? डॉ० सागरमल जैन o जैनधर्म में अरिहन्त और तीर्थंकर की अवधारणा श्री रमेशचन्द्र गुप्त For Private & Personal Use Only ० ته نه १२९ पृष्ठ १२-१५ १६-२३ ५-१४ १५-२० २१-२५ २६-२८ २९-३३ ३-४ ५-१७ १८-२२ १-२७ २८-३२ ३५-३९ ४०-४२ ४३-४५ २-४ ५-९ ई० सन् १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८२ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ १९८३ ० ० ه W. o ه ه ३४ २ ३४ ३ ३४३ ३४ ३४ ३४३ ३४ ४ ३४ ४ ه ३४ www.jainelibrary.org
SR No.001784
Book TitleShraman Atit ke Zarokhe me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad, Vijay K Jain, Sudha Jain, Asim Mishra
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1999
Total Pages506
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size17 MB
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