Book Title: Traivarnikachar
Author(s): Somsen Bhattarak, Pannalal Soni
Publisher: Jain Sahitya Prasarak Karyalay

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Page 31
________________ पृष्ठ. ३७६ ३७७ ३७७ . .३७३ ३७७ ३७७ ३७७ ३७८ ३७८ ३७८ (२९) विषय. पृष्ठ. विषय. रजस्वलाके बालककी शुद्धि ३७३ माताको पुत्रोत्पत्तिका सूतक रजस्वलाके भोजन किये पात्रोंमें भोजन माताको पुत्रीकी उत्पत्तिका सूतक करने पर शुद्धि ३७३ प्रसूतिके साथ एक स्थानमें रहने आदि रजस्वलाके पात्र वस्त्र आदिसे स्पर्श हो का सूतक जाय तो शुद्धि ३७३- सूतकके अनन्तर सूतक आजानेपर जातक सूतकके भेद शुद्धिविधि स्राव, पात और प्रसूतिका समय ३७३ देशान्तरका लक्षण गर्भस्रावका सूतक ३७३ पुत्रको माता-पिताका सूतक - गर्भपातकासूतक ३७३ पति-पत्नीको परस्पर सूतक प्रसूति सूतक .. ३७४ पति-पत्नीको परस्पर सूतक पालने वर्णक्रमसे सूतक ३७४ का उपदेश नाभिनालछेदनसे पहले मरण हो जानपर पिताके दश दिनोंमें माताके मरण जन्म सूतक ३७४ की शुद्धिविधि मृत बालकके उत्पन्न होनेका या नालछेदन माताके दशदिनोंमें पिताके मरणबाद मरनेका जन्म सूतक . .. ३७४ की शुद्धिविधि दशदिनसे पहले मरने पर माता इस विषयमें विशेषोपदेश पिताको सूतक ३७४ दूरदेशनिवासी पुत्रको सूतक नियम दशवें दिन बाद मरे हुए का सूतक ३७४ दूर देश चले जानेपर समाचार नामकरण और व्रतबंधनसे पहले न मिले तो कर्तव्यविधि मरे तो क्रियाकर्म विधि ३७५ शुद्धिके दिन रोगीकी स्नानविधि नामकरणसे पहले, पीछे और अशनक्रिया ज्वर-ग्रसित रजस्वलाकी शुद्धि से पहले मरे तो शरीरसंस्कार विधि ३७५ रजस्वला-मरण निखनन ( गाढ़ने ) की विधि ३७५ प्रसूति-मरण दांत उग आने पर मरे तो शरीरसं अन्यविधि स्कारविधि ३७५ गर्भिणी-मरण दांत उग आने पर मरे तो माता पति मरनेपर दशवें दिन प्रसूति पिता आदिको सूतक ३७५ या रजस्वला हो जाय तो चूडाकर्म किये हुएके दुर्मरण और उसकी सूतक विधि · मरणका सूतक ३७६ कन्याके मरणका आशौच उपनयन संस्कारके बाद मरणका पक्षिणी आदिका लक्षण सूतक ३७६ पुत्री के लिए माता पिताका आशौच जननाशौच ३७६ बहन और भाईको परस्पर सूतक नालछेदनसे पहले पिताको सूतकका ननँद भावी और साले बहनोई अभाव और दानविधि ३७६ को सूतकनिषेध और स्नान ३७८ ३७९ ३७९ ३७९ ३७९ ३८० ३८० ३८० ३८० ३८१ ३८२ ३८२ ३८३ ३८३ ३८३ १८३

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